बुधवार, 6 दिसंबर 2017

सूरतगढ़: भीम बाबा की जय!

भारत रत्न एवं भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का 62वां परिनिर्वाण दिवस अंबेडकर भवन सूरतगढ़ में बसपा नेता टेकसिंह एवं  ठुकराना के उप सरपंच मोहनलाल स्वामी की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम सभी भीम अनुयायियों ने बाबा साहब को पुष्प माला  भेंट करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य वक्ता  जिला परिषद सदस्य डूंगरराम गेदर ने बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बाबासाहेब निस्वार्थ भाव से संपूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य किया। बाबासाहेब भारत रत्न ही नहीं बल्कि विश्व रत्न थे क्योंकि विश्व की सबसे बड़ी शैक्षिक कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के बाहर बाबा साहेब का आदमकद स्टेच्यू  लगाया गया है और उस पर लिखा गया है कि नॉलेज ऑफ सिंबल यानी बाबासाहेब ज्ञान के प्रतीक थे। बाबासाहेब ने हमें  तीन मूल मंत्र  दिए शिक्षित बनो ,संगठित रहो, संघर्ष करो, इन तीन मूल मंत्रों को अपनाकर, हम सबको मिलकर बाबा साहेब के मिशन को पूरा करना है। बाबा साहेब का यह भी कहना था कि शिक्षा ही समाज में समानता ला सकती है। जब मनुष्य शिक्षित हो जाता है तब उसमें विवेक और सोचने की



शक्ति पैदा हो जाती है तब वह न खुद पर अत्याचार सहन कर सकता है और ना ही दूसरों पर अत्याचार होते देख सकता है ।कोई भी समाज जागृत, सुशिक्षित, स्वाभिमानी, होगा तभी उसका समुचित विकास होगा। आज पूरी दुनिया के लोग उनके बताए रास्ते ,उनके संदेश पर चलने की कोशिश करते हैं। पूरी दुनिया के लोग।गेदर ने बताया कि बाबासाहेब में अद्भुत साहस था, इतनी विषम परिस्थितियां उनके जीवन में आई लेकिन वह कभी अपने कर्तव्य से डिगे नही, हिले नहीं, और अपना पूरा जीवन मानव सेवा में अर्पित कर दिया। बसपा के नगर अध्यक्ष पवन सोनी ने कहा की जब भी हमारे जीवन में कठिन परिस्थिति आ जाए तो आप को डरने की जरूरत नहीं है, बाबा साहेब की किताब पढ़ लेना तो अपने आप में विषम परिस्थितियों से लड़ने की हिम्मत आ जाएगी। बाबा साहब ने स्वाभिमान से जीने का अधिकार, समानता का अधिकार, शिक्षा प्राप्ति का अधिकार, स्वतंत्र जीने का अधिकार हमें दिया। हम बाबा साहेब को शत-शत नमन।



यह ब्लॉग खोजें