बुधवार, 6 सितंबर 2017

वसुंधरा सरकार 300 स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में: कटघरे में फंसी सरकार



जयपुर 6 सितंबर2017.

उदयपुर आए प्रधानमंत्री मोदी के सामने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में स्कूली शिक्षा के विकास के लिए अपनी पीठ थपथपाई थी। लेकिन दस दिन के भीतर ही सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय ने उन्हें कटघरे में खड़ा ​कर दिया है।

 सरकारी स्कूलों को राज्य सरकार अब निजी सहभागिता पर संचालित करेगी। राज्यमंत्रिमण्डल ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य की 300 स्कूलों को पीपीपी मोड पर निजी हाथों में देने का फैसला किया है। इन स्कूलों में कार्यरत मौजूदा शिक्षकों व अन्य स्टाफ को पास ही दूसरे सरकारी स्कूलों में हस्तांतरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) नीति-2017 को मंजूरी देने के साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब पॉलिसी के रूल्स तैयार किए जाएंगे। संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने पत्रकारों को बताया कि नीति के तहत प्रथम चरण में राज्य के कुल नौ हजार 895 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से 300 विद्यालयों को पीपीपी मोड पर संचालित किया जाएगा।

राज्य के आदर्श विद्यालय तथा संभागीय एवं जिला मुख्यालयों के विद्यालय इस नीति से बाहर रहेंगे। इन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को वर्तमान में उपलब्ध अनुदान, छात्रवृत्ति और मिड-डे-मील आदि सभी सुविधाओं का लाभ मिलता रहेगा। विद्यार्थियों और अभिभावकों पर फीस के रूप में कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा। नीति के तहत विद्यालयों के संचालन के लिए रिवर्स बिडिंग के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों से निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। निजी सहभागी को विद्यालय आवंटित होने पर उसे आधारभूत संरचना के विकास के लिए 75 लाख रुपए प्रति स्कूल खर्च करने होंगे। अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों पर वर्तमान में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रति विद्यार्थी खर्च का पुनर्भरण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। यह व्यवस्था आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होगी।


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