बुधवार, 10 मई 2017

अशोक नागपाल का भाजपा में पुन:प्रवेश कराना भविष्य में बड़े मिशन का संकेत है

- करणीदान सिंह राजपूत-

विशेष टिप्पणी


भाजपा  से निष्कासन होने के बाद पूर्व विधायक अशोक नागपाल के कांग्रेस में जाने की चर्चाएं जब आम होने लगी तब उनसे पूछा गया था कि यह चर्चा कितनी सही है?
 तब नागपाल ने जवाब दिया था कि कांग्रेस नेता उनसे लगातार संपर्क करने में लगे हैं। उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं बताया और यह भी नहीं बताया कि वह केस स्टेटस का है।पूर्व विधायक को अपनी पार्टी में शामिल करने की हैसियत का स्तर रखता है या नहीं।नागपाल की ओर से यह गुप्त ही रहा कि संपर्क कौन कर रहा है​?
 ऐसा चर्चाओं में था कि नागपाल पंजाब चुनाव का परिणाम देखेंगे और उसके बाद में निर्णय लेंगे।पंजाब चुनाव के बाद कांग्रेस और अशोक नागपाल के बीच कुछ हुआ हो या नहीं हुआ? यह किसी के सामने नहीं आया लेकिन अब भाजपा विस्तार कार्यक्रम में अशोक नागपाल को जयपुर कार्यालय में पार्टी में पुन: प्रवेश कराया गया है, इसके बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के समाचार चर्चाएं अटकलें सभी पर विराम लग गया है।
अशोक नागपाल के कांग्रेस में जाने की चर्चाएं उन्हें और कांग्रेस के किसी नेता द्वारा कांग्रेस में शामिल करने कराने का प्रयास करने आदि के समाचार राजनीतिक दृष्टि से अब कोई कीमत नहीं रखते। राजनीति में व्यक्ति कब कहां हो सकता है इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हर व्यक्ति स्वतंत्र है,और वह अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र भी होता है।
 पार्टी में पुनः प्रवेश के बाद कांग्रेस में जाने की चर्चाओं बाबत कोई अक्षेप नहीं लगाया जा सकता और न लगाया जाना चाहिए,क्योंकि हमारे आस पास जितने नेतागण हैं वह कोई भी दूध के धुले हुए नहीं। पार्टियों में आते जाते रहे हैं इसलिए वे किसी एक को निशाना बनाकर शिकायत भी नहीं कर सकते। नागपाल का व्यक्तित्व मेरे ख्याल से अन्य नेताओं के मुकाबले में ज्यादा अच्छा है। मैं कोई शुचिता का प्रमाणपत्र नहीं दे रहा। लेकिन  नागपाल से जब मेरी बात हुई तब उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता बार-बार संपर्क कर रहे तब उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश के बारे में नहीं कहा।उन्होंने कहा कि मैंने कांग्रेस वालों को कहा है कि पंजाब का चुनाव निर्णय देखेंगे।ऐसा कहना भी कोई गतिविधि में शामिल नहीं माना जा सकता। कोई संपर्क करे तो उसको कोई भी उत्तर जो संभव हो दिया जा सकता है।

नागपाल ने मुझे कहा कि भाई साहब चर्चाएं आम हैं लेकिन आप मेरे सूरतगढ़ आवास फहराता हुआ लहराता हुआ भारतीय जनता पार्टी का ध्वज देखें।उसके बाद मैं मिलने गया तब यह फोटो भी मैंने खिंचा और यह भी कहा कि कुछ लोगों को शायद यह दिखाई ना दे इसलिए झंडे और डंडे का साइज दोनों बढ़ा दें।

 अशोक नागपाल ने 2003 में सूरतगढ क्षेत्र से संसदीय सचिव श्रीमती विजयलक्ष्मी विश्नोई को जो कांग्रेस टिकट से चुनाव लड़ रही थी को 35 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था।
 वह रिकॉर्ड था।
 उस समय सूरतगढ़ का क्षेत्र राजियासर से लेकर घड़साना से आगे सीमा तक फैला हुआ था। यह संपूर्ण क्षेत्र 3 विधानसभाओं जितना बड़ा था जहां नागपाल ने रिकॉर्ड जीत हासिल की थी।
 2008 के विधानसभा चुनाव में नागपाल ने टिकट नहीं मांगी। पूछा गया तो कहा कि पार्टी देना चाहेगी तो ले लेंगे वरना विश्राम करेंगे। नागपाल ने अपना यह निर्णय बहुत ही अच्छा किया था वरना कोई भी नेता एक बार चुने जाने के बाद दूसरी बार टिकट मांगने का प्रबल दावेदार बता देता है। 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने रामप्रताप कासनिया को मैदान में उतारा और कांग्रेस की ओर से गंगाजल मील मैदान में थे। गंगाजल मील जीत गए।
राजेंद्र भादू निर्दलीय होते हुए दूसरे क्रम पर रहे इसलिए संपूर्ण पारिवारिक जानकारियों को परे रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राजेंद्र भादू को अपने टिकट पर 2013 में चुनाव में उतारा।राजेंद्र भादू ने कुल 67000 वोटों को प्राप्त कर जीत हासिल की।
नागपाल इस दौरान चुप रहे। पार्टी के निर्देश पर जो संभव था वह कार्य किए।
नागपाल को जब जिला अध्यक्ष बनाया गया तो सभी के मन में एक सवाल था कि नागपाल संभाल पाएंगे या नहीं ? जिला मुख्यालय पर कदम कदम पर गुटबंदी हैं और जो लोग पहले से स्थापित हैं वह किसी भी हालत में अपनी राजनीतिक छवि को जैसे-तैसे बनाए रखनेे के लिए नागपाल को गिराने में भी शर्म महसूस नहीं करेंगे  हिचकेंगे नहीं।
जो भी हो अब अशोक नागपाल को पुन: भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर लिए गया है।
पार्टी के राज्य स्तरीय नेता अच्छे तरीके से जानते हैं कि उन्होंने पूर्व विधायक और पूर्व जिलाध्यक्ष को पार्टी में शामिल किया है। यह निर्णय गंभीर सोच से लिया गया है। इसके पीछे भविष्य की सोच है। भविष्य में 2018 के चुनाव हैं। कोई भी राजनीतिक वैचारिक दृष्टि रखने वाला व्यक्ति इसे साधारण नहीं मान सकता। भाजपा का प्रदेश कार्यालय अशोक नागपाल से कोई महत्वपूर्ण कार्य कराना चाहता है।अशोक नागपाल माध्यम होगा और निर्देशन जयपुर से होगा। यह सब समय के गर्त में छिपा है।
पार्टी नागपाल से जब कोई कार्य करवाना चाहेगी उसमें जानने की जल्दबाजी नहीं करनी  जानी चाहिए।
 लोग कहते हैं कि पहले जिलाध्यक्ष थे अब वापस ले लिया तो क्या है पद तो कोई भी नहीं दिया।
पद का दिया जाना​, नहीं दिया जाना कोई महत्व नहीं रखता। अभी बहुत जल्दी में लोग अनुमान लगा रहे हैं Facebook व अन्य सोशल मीडिया पर कमेंट कर रहे हैं कि नागपाल श्री गंगानगर से विधायक होंगे।कोई कहता है नागपाल सूरतगढ़ से विधायक होंगे।
और मैं अभी यह कहता हूं कि प्रतीक्षा करें।
2018 में क्या होगा वह सभी के सामने आएगा।
जयपुर में जबरदस्त चर्चा में है कि आगामी 2018 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी पक्की जीत के लिए करीब 40% टिकटों में परिवर्तन करेगी।
2018 के चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाए। यह घोषणा भी सुनने में आएगी।


यह ब्लॉग खोजें