शनिवार, 12 नवंबर 2016

वैभवशाली नोएडा की गंदगी में सांस लेना भी मुश्किल:कैसे जीते हैं लोग:


- करणीदानसिंह राजपूत -
दिल्ली से मिला हुआ उत्तरप्रदेश का नव विकसित नोएडा वैभवशाली नगरी है। अनेक आवासीय ब्लॉकों में ऊंचे आलीशान भवन और भवनों के आगे सड़क किनारे कारों की कतारें और हरियाले पेड़ पौधों की सजावट। हर भवन की दीवार के पास में दो तीन चार कारें खड़ी दर्शाती है कि रहने वाले हर सदस्य के पास में अपनी अलग कार है। भवनों में कारें खड़ी करने की जगह होना संभव नहीं सो सड़क के किनारे किनारे कारें खड़ी कर दी जाती है। भवनों में हरियाले पौधे लताएं और बाहर भी हरियाली। भवनों के बाहर हरियाली सुंदर लगती है। नोएडा में गाय भैंस आदि पशु नहीं है इसलिए हरियाली को खा जाने कुतर जाने का खतरा नहीं है। हां,यहां पर गाय नहीं है मगर दो चार कुत्ते जरूर दिखाई पड़ जाते हैं। इनको रोटी मिल जाती है और गाय को ग्रास देने के श्रद्धालुओं के लिए गौ शाला का रिक्सा वाहन आता है जिसमें जो देना चाहें वह दे सकते हैं।
कारोबार के लिए विकसित हुए वैभवशाली नोएडा व्यवसाय व बैंक आदि में नौकरी करने वाले तथा रहने बसने वाले सभी उच्च शिक्षित हैं तो वहां गंदगी कचरा कौन फैलाता है। वहां गंदगी और कचरे में लोग रहते कैसे हैं? यहां पर एक टिप्पणी बीच में ही करना उचित है कि उच्च शिक्षित हैं मगर सुशिक्षित नहीं है। यहां के ही लोग गंदगी कचरा फैलाते हैं कोई बाहर से कचरा फैलाने तो नहीं आता होगा?



वैभवशाली नोएडा में रहने वालों की आपस में बातचीत भी कम ही होती है सो गंदगी कचरे के बारे में कौन एकजुट होकर कार्यवाही करें।
आवासीय क्षेत्र साफ सुथरे नजर आते हैं लेकिन वहां पर भी सड़कें उखड़ी हुई और कहीं पर तो मलबा भी गिरा हुआ दिखाई पड़ जाता है।
पार्क को साफ सुथरा रखा ही जाना चाहिए मगर पार्क की दीवारों व मुख्य द्वार पर प्रचार सामग्री चिपकाई हुई पड़ी रहती है। एक पार्क के पास में ही विश्व योग दिवस के समय के फ्लेक्स बोर्ड आदि गिराए हुए। वहीं रेस्टोरेंट इलाके में खंभे से निकली सैंकड़ों की संख्या में बिजली की सर्विस तार लाईनें। रेस्टोरेंटों के पास में खंभों पर टांगे गए बैनर टूट कर नीचे गिरे हुए। गंदा नीला काला पानी टूटी सड़क के किनारे एकत्रित।
एक मुख्य सड़क पर दौड़ती हुई कारें ही कारें। उसी सड़क के किनारे कचरा और गंदगी जो साबित करती है कि सफाई महीनों से नहीं हुई। सड़क को पार करने के लिए बने फुट ओवर ब्रिज/ पुल/ के स्तंभ पर सैंकड़ों प्रचार के लगे हुए पैम्फलेटों का नजारा। पुल पर भी सफाई नहीं। दूसरी ओर बैंक आदि के पास गंदगी और भी ज्यादा। बड़ा नाला टूटा हुआ और उसकी मरम्मत नहीं। उसमें गंदगी कचरा भरने की रोजाना की हालत दिखार्द देती हुई। कई जगहों पर टूटा हुआ सामान आदि फेंका हुआ। शॉपिंग सेंटरों के आगे भी टूटी फूटी सामग्री का नजारा।
वाह नोएडा वाह।
सिभी सूटेड बूटेड चिलकते चेहरे मगर किसी को भी फुर्सत नहीं कि गंदगी के बारे में प्रशासन को लिख कर शिकायत करे। वैसे भी यह काम आजकल ऑन लाइन भी होता है मगर कौन संदेश भेजे।
ऐसे लगता है कि स्वच्छ भारत अभियान में भी यहां पर सफाई नहीं हुई।
यहां के कुछ चित्र देखें कि इस वैभव नगरी नोएडा में गंदगी कचरे में लोग कैसे बसे हुए हैं और उनका जीवन कैसा होगा?
/ नोएडा का एक सप्ताह/










यह ब्लॉग खोजें