शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

सूरतगढ़ में दलित नाबालिग बालिका से चौधरी द्वारा बलात्कार का सनसनीखेज मामला


चौधरी को 164 के बयान के बाद भी बचाया:नहीं लगाया पोक्सो व एसीएससी एक्ट:
सूरतगढ़ सदर थाना व पुलिस उपअधीक्षक पर आरोप:एसपी को शिकायत:
पीडि़ता का पिता वरिष्ठ वकील पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु को साथ लेकर एसपी से मिला व लिखित शिकायत की।
- स्पेशल न्यूज -  


सूरतगढ़ 1 जुलाई 2016.
सूरतगढ़ सदर थाना क्षेत्र के चक 5 जीएमडी की नायक जाति की अवयस्क बालिका से बलात्कार करने के आरोपी खेत पड़ोसी चौधरी साहबराम जाखड़ को पुलिस द्वारा बचाने का सनसनीखेज शर्मनाक मामला सामने आया है। बालिका ने मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान में जबरन बलात्कार करने व अन्यत्र लेजाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया। पुलिस ने इसके बावजूद पोक्सो एक्ट नहीं लगाया और न एसी एसएससी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं लगाई। पुलिस ने बालिका का डाक्टरी मुआयना भी नहीं कराया और न उसके पहने कपड़ों को रासायनिक परीक्षण के लिए जब्त किया। पीडि़ता के पिता ने मेडिकल करवाने व पहने हुए कपड़े जब्त करने का लिखित में पुलिस को दिया था। नायक समाज के बीस तीस लोग विधायक राजेन्द्र भादू से भी मिले थे व भादू ने आश्वासन दिया। समाज के लोग पुलिस उप अधीक्षक सूरतगढ़ से भी मिले थे। पुलिस ने आरोपित साहबराम जाखड़ को गिरफ्तार तक नहीं किया।
यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ है जब कई दिनों तक चक्कर पर चक्कर लगाने के बावजूद न्याय नहीं मिलने पर 28 जून को पीडि़त बालिका का पिता वरिष्ठ वकील पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु कसे साथ लेजाकर एसपी राहुल कोटुकी से मिला और लिखित में आवेदन किया। पुलिस अधीक्षक को दिए प्रार्थनापत्र में आरोप लगाया गया है कि पुलिस उप अधीक्षक से भी मिले लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
सिद्धु का कहना है कि अपराधी को बचाने के लिए किसी लोकसेवक द्वारा झूठे दस्तावेज तैयार करने का भारतीय दंड संहिता की धाराओं 218 व 219 का दोषी होता है। सिद्धु का आरोप है कि पोक्सो एक्ट अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए था व अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण एक्ट भी लगाया जाना चाहिए था लेकिन ये इसलिए नहीं लगाए गए कि इनके बाद जाँच पुलिस उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा ही हो सकती थी।
    यह शर्मनाक मामला 8 मई व 9 मई की रात में 5 जीएमडी की ढाणी में घटित हुआ। दलित परिवार की खेत ढाणी से कुछ ही दूरी पर साहबराम जाखड़ पुत्र मनीराम की ढाणी है। दलित परिवार के बालिका के पिता ने रात को बालिका को सोते हुए नहीं पाया तो पैरों के खोज से तलाश शुरू की। दो जनों के खोज साहबराम की ढाणी की तरफ जाते हुए मिले। तब रात को ही साहबराम को मोबाइल पर कहा गया। कि तुम्हारा सीरी सुभाष कहां है? तो उसने कहा कि सुभाष तो ढाणी में सो रहा है लेकिन पीडि़त पिता अपने दो पुत्रों के साथ साहबराम की ढाणी गये तो वहां पर सुभाष पुत्र ओमप्रकाश नायक नहीं मिला। पिता ने प्रथम सूचना में ये बातें लिखाई व यह भी लिखवाया कि उसकी बेटी के साथ कुछ भी न पूरा होने वाला हादसा हो सकता है। लड़की की उम्र में जन्मतिथि 15-3-2000 लिखाई व स्कूल का प्रमाणपत्र दिया।
पुलिस ने अवयस्क बालिका के अपहरण का मामला दर्ज किया लेकिन इसके बाद शर्मनाक कार्यवाही शुरू हुई। नायक समाज के लगातार दबाव के बाद चार पांच दिन बाद साहबराम बालिका और सीरी सुभाष को सदर थाने पर छोड़ गया।
बालिका के 18 मई को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान हुए जिसमें साहबराम पर बलात्कार का बयान दिया गया। बालिका ने बयान दिया कि सुभाष आया और कहा कि साहबराम मेंहदी लगाने के लिए बुला रहा है। वह सुभाष के साथ चली गई। सुभाष उसे साहबराम के पास छोड़ कर चला गया। उसके बाद साहबराम ने उससे जबरन बलात्कार किया। उसके बाद बालिका को 10 पीएस ले जाया गया व वहां पर भी साहबराम ने बलात्कार किया।
इतने दिन बीतने पर भी साहबराम पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। लड़की का पिता व नायक समाज के लोग विधायक राजेन्द्रसिंह भादूू व पुलिस उप अधीक्षक से भी मिले। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर जिला पुलिस अधीक्षक से 28 जून को मिले। पुलिस अधीक्षक ने एक बार जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गंगानगर को सौंपी है। पीडि़ता के पिता ने बतलाया कि साहबराम ने लड़की को मेंहदी लगाने के बहाने से बुलवाया और उस दिन उसकी ढाणी में उसका परिवार नहीं था।
इस मामले ने पुलिस प्रशासन व भाजपा सरकार की गरिमा तार तार कर रख दी है।
पीडि़त बालिका के मजिस्ट्रेट को दिए बयान की फोटो यहां दी जा रही है। कानूनी प्रवधान के अनुसार पीडि़त की पहचान छिपाने के लिए नाम को छिपाया गया है तथा पिता का नाम भी नहीं दिया जा रहा है। 


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