रविवार, 20 सितंबर 2015

बी.एड कक्षाओं में फर्जी हाजिरी से डिग्री -कानून से नहीं बच सकते


डिग्री दिलाने वाले प्राचार्य,संचालक और डिग्री लेने वाले सालों बाद भी कानून से नहीं बच सकते
- करणीदानसिंह राजपूत -
बी.एड.कराने वाले कॉलेजों में 20 से 25 हजार रूपए दो और घर बैठे या कहीं नौकरी करते हुए कक्षा में फर्जी हाजिरी लगवाते हुए परीक्षा में बैठ जाओ। यह केवल चर्चा नहीं है। ऐसा हो भी रहा है। अँधी कमाई के चक्कर में जिन संस्थाओं में ऐसा चक्र चलता है वे कभी न कभी इसी चक्र में सब कुछ नष्ट कर लेती हैं। फर्जी हाजिरी से डिग्री प्राप्त करने वाला कभी न कभी फंसता जरूर है और जब वह फंसता है तब उसका परिवार भी साथ में तबाह हो जाता है। ऐसा नहीं है कि केवल डिग्री लेने वाला ही फंसता हो। इस जाल में फर्जी हाजिरी लगाने वाले व्याख्याता,संस्था के प्राचार्य व संचालक आदि भी फंस जाते हैं। जो भ्रष्टाचार में खाया और खूब खाया वह सारा उल्टी में निकल जाता है। ज्यादा खाने पर और नहीं पचने पर जब उल्टी होती है तब आंतें तक निकलने लगती है।

लोगों ने हराम से डिग्री लेने का तरीका निकाला और संचालकों ने फर्जी हाजिरी से डिग्री देने का हराम का तरीका निकाला,लेकिन हरामखोरी एक दिन जेल के सींखचों तक पहुंचा देती है। यह हरामखोरी अच्छी लगती है लेकिन इसने हिन्दुस्तान का बेड़ा गर्क कर डाला है।
कानून के हाथ इतने लंबे होते हैं कि सालों के बाद भी दिल्ली के कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर तक पहुंच कर लपेटा दे देते हैं कि जेल के सींखचों में डाल ही देते हैं।
आपके आसपास भी हरामखोरी से डिग्री लेने वालों का मालूम पड़े तो भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों को या संबंधित विभाग को सूचना देकर कर्तव्य निभाएं। इस कार्य से जो सही होगा उसको सर्विस मिलने के अवसर पैदा होंगे।
वैसे सीधी बात तो यही कहनी है कि जिस किसी संस्था में भी ऐसा किया जा रहा है तो उनको तत्काल ही रोक देना चाहिए।
इसे चेतावनी भी समझ सकते हैं।






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