* करणीदानसिंह राजपूत *
न्यायालय के आदेश पर पुलिस थानों में मुकदमा
तुरंत दर्ज हो या 24 घंटे के भीतर अवश्य ही दर्ज हो,यह आग्रह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से पत्र द्वारा किया गया है। इसकी प्रति महानिदेशक पुलिस राजस्थान को भी भेजी गई है।
* न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी पुलिस थानों के कंप्यूटराइज्ड होने के बावजूद मुकदमा दर्ज होने में 5 से 10 दिन तक लग जाते हैं। पहले हाथ से काम होता था। कभी कर्मचारी नहीं होते कभी कोई और अव्यवस्था होती इसलिए पुलिस में मुकदमा दर्ज होने में समय लगता था लेकिन अब कंप्यूटराइज्ड सिस्टम होने के बावजूद अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने में जो विलंब होता है उससे पीड़ित या शिकायत कर्ता को परेशानी होती है। कारण यह है कि पुलिस में कार्यवाही नहीं होने के कारण ही पीड़ित या शिकायतकर्ता न्यायालय में जाता है। वर्तमान स्थिति यह है कि पहले पुलिस थाने में शिकायत की जाती है वहां थाने में कार्यवाही नहीं होने पर जिला पुलिस अधीक्षक को शिकायत की जाती है। जिला पुलिस अधीक्षक के द्वारा भी कार्यवाही नहीं होने पर पीड़ित या शिकायतकर्ता न्यायालय की शरण में जाता है। न्यायालय में भी कुछ दिन लगते हैं सुनवाई के बाद पुलिस को मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान करने का आदेश दिया जाता है। इस संपूर्ण कार्रवाई में पहले से ही 15, 20 दिन का विलंब हो चुका होता है।
*न्यायालय के आदेश के बाद भी पुलिस थानों में शीघ्र ही मुकदमा दर्ज नहीं होता वहां फिर से 5 से 10 दिन का समय लग जाता है। इससे पुलिस अनुसंधान में भी देरी होती है जबकि पीड़ित एवं शिकायतकर्ता को न्याय जल्दी मिले यह वैधानिक व्यवस्था है,लेकिन इसे लागू किए जाने में कहीं ना कहीं अव्यवस्था हो रही है।
यह विदित है कि पुलिस थाने में वहां के थानाधिकारी व स्टाफ को ही मुकदमा दर्ज करना होता है वह चाहे तुरंत करें या उसे रोक करके 5-10 दिन देरी से करें, करना तो उनको ही है तो यह काम देरी के बजाय शीघ्र ही हो तो अधिक उचित रहता है।
👍 राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से एक पत्र से आग्रह किया गया है कि न्यायालय के आदेश के बाद में पुलिस में मुकदमा दर्ज होने में विलंब नहीं हो।न्यायालय के आदेश के बाद तुरंत ही मुकदमा दर्ज हो या 24 घंटे में तो आवश्यक रूप से दर्ज हो जाना चाहिए। इस पत्र की प्रति महानिदेशक पुलिस को भी भेजी गई है।०0०
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