गुरुवार, 5 जनवरी 2023

राजस्थान के राज्यपक्षी गोडावण बचाव अभियान: SC.1981 हिंदी एक्सप्रेस.

  


* करणीदानसिंह राजपूत *

सुप्रीम कोर्ट के जानकारी मांगने और जेसलमेर क्षेत्र में पर्यटन बढावे व मनोरंजन के लिए हेलीकॉप्टर के उड़ान के समाचारों से राजस्थान के राज्यपक्षी गोडावण यानि सोनचिरैया को बचाव और संरक्षण के संबंध में जीव प्रेमियों और आमजन को सजग होना आवश्यक है। इसके लिए आवाज उठाने का वक्त पुनः आया है।


मेरा एक लेख आज 5 जनवरी 2023 से करीब 42 वर्ष पहले 11 जनवरी 1981 को दी इंडियन एक्सप्रेस के पाक्षिक हिंदी एक्सप्रेस मुम्बई में 'घात में अरब टोली'शीर्षक से छपा था। 


गोडावण के राजस्थान के राज्यपक्षी घोषित होने (1981) से दो तीन वर्ष पहले से इस पक्षी को बचाने के लिए अरब शहजादों के शिकार करने पर रोक लगाने और संरक्षण का बड़ा अभियान राजस्थान पत्रिका ने चलाया था। वह अभियान वन्यजीव प्रेमियों संस्थाओं और लोगों को जगाने में पूर्ण सफल रहा। 

राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण की विलुप्त हो रही गंभीर स्थिति को देखते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या बाघ बचाने की परियोजना जैसी कोई परियोजना गोडावण पक्षी को बचाने की भी है क्या? सुप्रीम कोर्ट में इस पक्षी को बचाने के लिए याचिकाएं लगी हुई हैं। यह पक्षी करीब 100 वर्ष पहले से निरंतर मृत्यु की ओर अग्रसर होता रहा है और संख्या कम होती रही है। अब चार पांच वर्षों से यह माना जाता रहा है की सौ दौ सौ के बीच में ही गोडावण बचे हैं। 


राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके जैसलमेर के आसपास और गुजरात में इसकी कुछ संख्या बची है।

अरब के शहजादे इस पक्षी का शिकार करने के लिए 40-50 साल पहले आते रहे थे।  उनके विशाल टेंट लगते थे। वे अपने छह पिस्टन वाली पावरफुल गाड़ियों में बाजों के साथ शिकार किया करते थे। वे शक्तिशाली गाडियां रेतीले टिब्बों पर आसानी से दौड़ती थी।

राजस्थान में जब भैरों सिंह जी शेखावत की सरकार थी। उस समय भी सीमा क्षेत्र में अरब शहजादों के शिविर लग गए थे। वे पेट्रोल नीति के तहत दबाव डालकर अरब देशों में भारतीय राजदूतों पर दबाव डाल कर भारत सरकार से शिकार की अनुमति प्राप्त कर लेते थे।

उनके शिविर जबरदस्त सुरक्षा घेरे में होते। उनके खुद के गार्ड आधुनिक हथियारों से सुसज्जित होते। उनके शिविरों में पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां तक प्रवेश नहीं कर पाती थी।

ऐसे हालात में आज से करीब तैयालीस चवालीस वर्ष पहले पत्रकार ओमप्रकाश थानवी ने अपनी युवावस्था में अपनी जान खतरे में डाल कर भेष बदले हुए शिविर में घुसकर  बहुत सी जानकारियां व फोटोग्राफ्स जुटाए जो राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुए थे। 

राजस्थान पत्रिका ने इस पक्षी को बचाने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया। यह 1978- 80 की बात है। इस अभियान से बिश्नोई समाज जागृत हुआ। राजस्थान हाई कोर्ट में रिट दायर हुई और भारत सरकार की अनुमति के बावजूद गोडावण शिकार पर रोक लगाई गई।राजस्थान पत्रिका का यह अभियान बहुत बड़ा था जिसने पूरे हिंदुस्तान में हलचल मचा दी थी। राजस्थान पत्रिका में ओमप्रकाश थानवी की रिपोर्ट के अलावा वन्यजीव प्रेमी हर्षवर्धन व अन्य संवाददाताओं के समाचार भी छपे। ओम थानवी की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण मानी गई थी। मेरे ध्यान में है कि माननीय श्रद्धेय कर्पूर चंद कुलिश जी ने ओमप्रकाश थानवी को राजस्थान पत्रिका से हमेशा के लिए जुड़ने का कहा। उसके बाद वे इतवारी पत्रिका और राजस्थान पत्रिका बीकानेर के स्थानीय संपादक बने। राजस्थान  के हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय जयपुर के वाइस चांसलर भी बने। 

ओम थानवी की रिपोर्ट के बाद में  पत्रिका के इस अभियान को गति मिली। अनेक संस्थाएं अनेक लोग आगे आए।

राजस्थान पत्रिका के 'पत्रिका बढ़ते कदम'

पुस्तक में भी इस अभियान का ओम थानवी का उल्लेख है। यह पुस्तक जनवरी 1996 में प्रकाशित हुई थी। राजस्थान पत्रिका के संपादक रहे लेखक श्री विजय भंडारी ने कुछ पंक्तियों में इस अभियान का वर्णन किया। 

आज उस अभियान से निरंतर होती रही जागृति और प्रेरणा के कारण अनेक संस्थाएं आगे आई और इस विलुप्त हो रहे पक्षी को बचाने के लिए बहुत कुछ कार्य होने लगे। पत्रिका के अभियान के बाद अरब शहजादों को शिकार की अनुमति नहीं मिली।



राजस्थान सरकार ने इस विलुप्त होते पक्षी को बचाने के लिए कदम बढ़ाए और इसे सन् 1981 में राज्य पक्षी घोषित किया। 

वर्तमान में माना जाता है कि गोडावण पक्षी 100 -200 के बीच में ही है। 

 सुप्रीम कोर्ट द्वारा जानकारी लेने के बाद अब हो सकता है कि यह कदम आगे बढ़े और भारत सरकार के निर्देशन में गोडावण के बचाव और संवर्धन के लिए कोई परियोजना बन जाए।०0०

5 जनवरी 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार. उम्र 77 वर्ष.

( 58 वर्ष का पत्रकारिता अनुभव.

35 साल पत्रिका से जड़ाव. पत्रिका के कड़वा मीठा सच्च स्तंभ के राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार तीन बार विजेता।)

* विजयश्री करणी भवन, सूर्यवंशी स्कूल के पास,सूर्योदय नगरी,

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94153 81356.

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