रविवार, 23 मई 2021

मंत्रियों के कौनसी दुकानें व्यवसाय हैं जो लॉक डाउन में बंद रहने से नुकसान होगा?

 





( राजस्थान सरकार के नियमों से दुकानदारी और व्यवसाय बार बार बंद होने से समाप्त हो रहे है इससे राजस्थान का दुकानदार ही नहीं राजस्थान की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है उस पर चिंतन करते हुए नई गाइड लाईन जारी करे।)


* करणीदानसिंह राजपूत *


मंत्रियों ने राजस्थान में जनजागरण लॉकडाउन 15 दिन और बढ़ाने की राय दी है। मंत्रियों के कौन सी दुकानें और व्यवसाय है कि उनके बंद रहने से उन्हें कोई घाटा होगा। राजस्थान में लॉक डाउन का मतलब केवल बाजार बंद दुकानें बंद तक सीमित कर दिया गया है और उसी के अनुसार कार्य होता है। पुलिस का फ्लैग मार्च भी बाजारों में दुकानदारों को भयभीत करने के लिए होता है। 
राजस्थान में बाजारों में दुकानों के बंद रहने से किरयाना के अलावा दुकानों में सारे माल पर धूल जम गई है। सामान नष्ट हो रहा है। हर दुकान में लाखों रुपए का सामान नष्ट हो रहा है। दुकानदार अपना सिर पीट रहे हैं और शासन प्रशासन में उनका हित चिंतक कोई नजर नहीं आ रहा है। सत्ताधारी और गैर सत्ताधारी राजनीतिक नेता राजनीतिक दल कार्यकर्ता सभी संज्ञा शून्य पड़े हैं और बर्बाद होते हुए दुकानदार व्यवसायी लोगों के लिए इन सभी की तरफ से एक शब्द तक नहीं कहा गया।  सरकार को लिखना सुझाव देना बहुत दूर की बात है। 
यह कड़वी सच्चाई है कि इन सभी लोगों के उदासीन व्यवहार से दुकानदार और व्यवसाय लॉकडाउन के नाम पर बर्बाद हो रहा है बल्कि कहना चाहिए कि बर्बाद हो चुका है। 
राजस्थान के मंत्री परिषद ने 22 मई 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सलाह दी है कि 15 दिन तक लॉकडाउन और बढ़ा दिया जाए। मंत्रियों के दुकान और व्यवसाय नहीं है।शासन के हिस्सेदार सचिव जो प्रतिमाह लाखों रुपए वेतन भत्ते भुगतान उठाते हैं,उनकी भी कोई दुकान बर्बाद नहीं हो रही है। सरकार के अधिकारी और कर्मचारी जिनकी ड्यूटी  गाइडलाइन की पालना करने के लिए लगाई जाती है जिनमें नीचे से लेकर जिला कलेक्टर तक शामिल है उनकी भी कोई दुकान बर्बाद नहीं हो रही। पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों और राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को भी लॉकडाउन में अपनी कोई दुकान बर्बाद होने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि इनकी कोई दुकाने नहीं है। 
हालात बहुत नाजुक है,दुकानदार और छोटे व्यवसाय जो पीड़ा भोग रहे हैं जो पीड़ा इनके परिवार भोग रहे हैं उनको शासन और प्रशासन राजनेताओं और सत्ता से बाहर राजनेताओं के द्वारा समझा ही नहीं जा रहा। 
कोरोनासंक्रमण फैलने के कारणों में दुकानदारों का व्यवसायियों का कोई रोल नहीं है। अभी तक किसी समीक्षा में यह साबित नहीं हुआ है कि दुकानदार  व दुकान के कर्मचारी संक्रमण फैलाते हैं।  दुकानों पर सरकारी गाइडलाइन मास्क लगाना और 2 गज की दूरी रखने का पूरी तरह से पालन करने में सभी  लगे हुए हैं। इस स्थिति में प्रमाणिक रूप से कहा जा सकता है कि कोरोना दुकानदारों से दुकान के कर्मचारियों से और बाजार से नहीं फैल रहा। बाजार में आने वाला व्यक्ति मास्क लगाकर आ रहा है। 
कोरोना जहां से फैल रहा है उस भीड़ भाड़ पर सरकार की ओर से शासन प्रशासन की ओर से अधिकारियों की ओर से पुलिस की ओर से  कोई रोक नहीं और न कोई कानूनी कार्यवाही है। यह सब दुकानदारों के लिए है कि जब चाहे उन्हें चालान से रगड़ दिया जाए।

सरकार ने लॉकडाउन लगाया लेकिन लॉकडाउन में गाइडलाइन मास्क और 2 गज की दूरी का पालन कहां नहीं हो रहा है इस पर विचार किया जाना चाहिए था। 
सरकार को बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद मंत्रिपरिषद ने और सचिव आदि ने उच्च अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।

बड़े नेताओं के यहां तक के मंत्री परिषद के सदस्य के यहां कोई समारोह हो तो उसमें भीड़ चाहे जितनी आए वहां पर रोक लगाने के लिए कोई पुलिस अधिकारी नहीं और बाद में भी उस पर नियम कानून के हिसाब से कोई मुकदमा भी नहीं। सारा राजस्थान यह सब देख रहा था। स्वयं मुख्यमंत्री भी देख रहे थे। सभी मंत्री देख रहे थे। समाचार पत्र देख रहे थे। लेकिन खुले रूप से विरोध करने की मुकदमा दायर करने की कार्यवाही नहीं की। सोशल मीडिया में जरूर चंद लोग लिखते रहे लेकिन उनकी ओर से भी कहीं कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया गया। 
बाजारों में पुलिस की फ्लैग मार्च और गश्त, जहां नियम कानून का पालन होता है वहां पर दबदबा। लेकिन शहर से बाहर की ओर की बस्तियों में मोहल्लों में लॉक डाउन का कोई असर नहीं। लोग दिन में और रात में टोलियां के रूप में घूमते हैं। बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद पुलिस की गश्त पुलिस की वाहन गस्त मोहल्लों और बाहरी बस्तियों में नहीं हो पाई। मोहल्लों में गस्त होती तो लोग अपने घरों से बाहर निकलने में कतराते। 
यह बहुत बड़ा बिंदु है कि केवल बाजारों  में लॉक डाउन में  जहां सीमित लोग जाते हैं वहां पुलिस है और जहां मोहल्लों में बस्तियों में कई गुना ज्यादा लोग बाहर घूमते हैं आधी रात  तक लोगों का घूमना,वाहनों पर चलना जारी रहता है, वहां पर रोक नहीं है। पुलिस ने वहां गश्त क्यों नहीं की। इसकी कभी समीक्षा नहीं की गई। 
सरकार के वैक्सीनेशन सेंटरों पर भारी भीड़ कतारों में एक दूसरे से सटे हुए लोगों की भीड़ उस पर कोई रोक नहीं हुई। अधिकारी चाहते सरकार चाहती तो उसकी गाइडलाइन होती कि आने वाला व्यक्ति अपनी आईडी जमा करवाएं और दूर बैठ जाए। बैंक में जैसे टोकन सिस्टम है वैसे लागू होता तो लोगों को कतारों में खड़े नहीं रहना पड़ता क्रम आता तब उसको आवाज दी जाती और वैक्सीनेशन कक्ष में वह चला जाता। यहां पर व्यवस्था के लिए दो तीन आदमियों की ही आवश्यकता रहती है। सरकार के पास दुकानदारों के चालान करने के लिए तो अनेक कर्मचारी है लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर पर नर्सिंग कर्मचारियों के अलावा व्यवस्था के लिए दो  तीन कर्मचारी लगाने की सोच नहीं है।
यहां इतने सटे हुए रूप में लोग खड़े होते हैं। कोरोना के यहां से फैलने का खतरा हर समय होता है। वैक्सीन समय पर उपलब्ध कराना और व्यवस्था करना तो सरकार का ही कार्य है। 
सरकार ने कहा कि कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। सभी मानते हैं और सम्मान करते भी हैं। इसके लिए गाइड लाईन का पालन क्यों नहीं है। जब फोटोग्राफी होती है तब सम्मानित होने वाले और सम्मानित करने वाले दोनों के बीच में 2 गज की दूरी नहीं रहती। एक दूसरे से सटे हुए खड़े होते हैं। इनमें से कोई भी संक्रमित हो सकता है और आगे संक्रमण को फैला सकता है। इसके ऊपर कोई रोक नहीं हुई। दूर से फूल बरसा करके भी सम्मान किया जा सकता है लेकिन फोटोग्राफी में 10-15 व्यक्ति एक दूसरे से सट कर खड़े हुए होते हैं।  ऐसे फोटो छप रहे हैं। सभी देख रहे हैं। क्या गारंटी है कि इनसे संक्रमण नहीं फैलता होगा?

सरकार के काम बंद हैं लेकिन जो लोग संस्थाएं सरकार को ज्ञापन देती है। वह अधिकारी या कार्यालय कर्मचारी के साथ में ज्ञापन देते हुए के फोटोग्राफ्स करवाती है और सभी एक दूसरे से सट करके खड़े होते हैं। इस पर कभी रोक नहीं लगाई गई। इससे भी तो रोग फैल सकता है। कहीं 2 गज की दूरी नहीं है। 
सरकार को समय-समय पर उपकरण रोग नाशक दवाइयां भी देने वाली संस्थाएं लोग जब वस्तुएं सामग्री भेंट करते हैं तब एक दूसरे से सटे हुए फोटोग्राफी होती है। 2 गज की दूरी का नियम बनाया हुआ है तब इन सब की पालना क्यों नहीं होती? 
दुकानदारों के अलावा बाजार के अलावा अन्य स्थानों और व्यक्तियों पर सरकारी कर्मचारियों पर मास्क और 2 गज की दूरी हर कार्यक्रम में लागू की जाती ध्यान दिया जाता तो कोरोना की कड़ी को तोड़ने में अधिक मदद मिलती।

अभी भी मंत्रियों का सुझाव है कि राजस्थान में लॉकडाउन 15 दिन के लिए और बढ़ा दिया जाए। दुकानदारों पर गाइड लाईन लगाने के बजाय यह जो ऊपर विभिन्न बिंदुओं दिए गए हैं उन पर ध्यान दिया जाए तो ज्यादा कारगर परिणाम सामने आ सकते हैं। 
दुकानदारों का सारा सामान जो दुकानों में पड़ा है,वह करोड़ों रुपए का सामान हर दुकान में धूल में मिल रहा है। दुकानों में सफाई नहीं हो रही और यह नुकसान बहुत बड़ा है इसलिए लॉकडाउन में दुकानदारों को व्यवसायियों को किसी भी हालत में प्रतिबंधित नहीं किया जाए। दुकानदार पर तो किरायी,बिजली पानी,कर्मचारियों के वेतन,कर्जों की किस्तों की मार है। मंत्री और अधिकारी सभी यह गंभीर पीड़ादायक स्थिति जानते हैं, मगर मानते वक्त हृदयहीन बन जाते हैं। 
गाइडलाइन दुकानदार और दुकान पर आने वाले व्यक्ति पहले भी पालन करते रहे हैं और  आगे भी पालन करते रहेंगे।
दुकानदार ने कभी नियम तोड़ने की कोशिश नहीं की इसलिए लॉकडाउन लगाते वक्त अब गाइडलाइन बनाई जाए उसमें बाजार खोलने की अनुमत होनी चाहिए।
मास्क और 2 गज की दूरी जहां रखनी है वे बिंदु पहले दिए गए हैं,उन पर पूरा नियंत्रण किया जाना चाहिए। 
अंत में एक बार फिर यह लिखना उचित है कि मंत्रिपरिषद ने 15 दिन का लॉक डाउन लगाने की सलाह दी है वे अपनी जगह सही हो सकते हैं लेकिन लॉकडाउन में उनको कोई नुकसान नहीं है क्योंकि उनका कोई व्यवसाय और दुकान नहीं है। 
राजस्थान सरकार के नियमों से दुकानदारी और व्यवसाय बार बार बंद होने से समाप्त हो रहे है इससे राजस्थान का दुकानदार ही नहीं राजस्थान की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है उस पर चिंतन करते हुए नई गाइड लाईन जारी करे।०0०
दि. 23 मई 2021.


करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
( 55 वर्षों से पत्रकारिता)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
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