गुरुवार, 1 जून 2017

कांग्रेस के चुनाव चिन्ह थे बैलों की जोड़ी तथा गाय बछड़ा: इंदिरा गांधी ने वोट मांगे थे इन पर:

- करणीदानसिंह राजपूत -

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा नेता व कार्यकर्ता आज भूल गए हैं कि जिस गोवंश का कत्ल करके प्रदर्शन कर रहे हैं वह दो बैलों की जोड़ी और गाय बछड़ा कई कई सालों तक कांग्रेस के चुनाव चिन्ह रहे थे।
आज कांग्रेसी ही नहीं अखबार वाले और चैनल वाले भी भूल गए बैलों की जोड़ी और गाय बछड़े को।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1931 में तिरंगे को अपने पहले झण्डे के रुप में मान्यता प्रदान की थी। देश आज़ाद हुआ तो तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज बन गया। इसके बाद काफी सालों तक दो बैलों की जोड़ी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह रहा। साल 1969 में पार्टी विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने इस चिन्ह को ज़ब्त कर लिया। कामराज के नेतृत्व वाली पुरानी कांग्रेस को तिरंगे में चरखा जबकि नयी कांग्रेस को गाय और बछड़े का चुनाव चिन्ह मिला।

साल 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद कांगेस की बदहाली शुरू हुई। इसी दौर में चुनाव आयोग ने गाय बछड़े के चिन्ह को भी जब्त कर लिया।
रायबरेली में करारी हार के बाद सत्ता से बाहर हुई ।

उसके बाद 'हाथ का पंजा' पार्टी का नया चुनाव चिन्ह  तय हुआ। उस समय आंध्र प्रदेश समेत चार राज्यों का चुनाव होने वाले थे।
श्रीमती गांधी ने उसी वक्त कांग्रेस (आई) की स्थापना की और आयोग को बताया कि अब पार्टी का चुनाव निशान पंजा होगा। उन चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई, ज्योतिष पर यकीन रखने वाले लोग मानते हैं कि ये जीत नए चुनाव चिन्ह 'पंजे' का कमाल थी। उन चुनावों​ से कांग्रेस पुनर्जीवित हो गयी।
लेकिन आज हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह वाली कांग्रेस भी  अपने नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के क्रियाकलापों से और ज्यादा स्तरहीन होती जा रही है।






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