शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

अनूपगढ़ को मिल सकता है अतिरिक्त जिला कलेक्टर:



-  करणीदान सिंह राजपूत -

अनूपगढ़ को जिला बनाने की मांग को लेकर 5 साल से धरना चल रहा है और 7 फरवरी को इस मांग को लेकर अनूपगढ़ बंद भी हो चुका है। अनूपगढ़ जिला बनाओ समिति को वहां की विधायक शिमला बावरी ने आश्वस्त किया है कि मुख्यमंत्री से समय निर्धारित करके प्रतिनिधिमंडल को जयपुर में वार्ता करवा देंगी। अनूपगढ़ की मांग को टाला नहीं जा सकता। श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से अनूपगढ़ घड़साना के सीमा क्षेत्र रावला 365 हेड और उसके आगे खाजूवाला तक लगते हुए सीमा बहुत दूर पड़ जाती है।यही हाल श्रीबिजयनगर का है। इतनी दूरी से जिला मुख्यालय पर पहुंचना बहुत कठिन होता है काफी रुपया लगता है। आने जाने का श्रम और फिर जो व्यक्ति जाता है उसे अपने घर का कार्य कोई व्यवसाय कोई खेती या कोई और कार्य रोक कर ही जाना पड़ता है, जरुरी नहीं होता कि एक बार में कार्य पूरा हो जाए। अधिकारी नहीं मिलते, मिलते हैं तो काम नहीं होता।
आप और हम सभी दफ्तरों की कार्यप्रणाली भली भांति जानते हैं समझते हैं ,अगर अनूपगढ़ में जिला मुख्यालय हो तो सीमा क्षेत्र के दूरस्थ क्षेत्रों को लाभ मिल सकता है। लोगों के काम तुरंत हो सकते हैं।
राजस्थान में जिला बनाओ की मांग 24 जिलों में 49 स्थानों से उठी हुई है और करीब 8 साल से उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। कोई भी सरकार स्पष्ट रुप से हां और ना नहीं कहना चाहती।
अब आने वाले चुनावों को देखें चाहे वे अभी दूर हैं। उनको देखकर ही कोई निर्णय लिया जा सकता है और इस निर्णय में जहां तक मेरा विचार है,सरकार किसी भी इलाके को नाराज नहीं करना चाहेगी।

इसका एक कारण और भी है कि वर्तमान में जो सरकार है उसकी छवि कोई बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। मानने को मान सकते हैं कि दबाव में कोई निर्णय करवाया जा सकता है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता की अनूपगढ़ की भाजपा विधायक श्रीमती शिमला बावरी में कोई राजनीतिक ताकत हो जिसके बलबूते पर वह मुख्यमंत्री पर दबाव डाल सके और वह दबाव इतना अधिक हो कि अनूपगढ़ को जिला घोषित किया जा सके।
अभी विधायक में और जिला संगठन में जिसके अध्यक्ष हरि सिंह जी कामरा श्री बिजयनगर में रहते हैं ऐसी कोई ताकत नहीं लगती। अनूपगढ को जिला बनाने की बात व विचार संगठन की ओर से नहीं उठा है जिससे लगे की अनूपगढ़ को जिला घोषित करवा दिया जाएगा। विधायक और जिला अध्यक्ष दोनों अधिक से अधिक प्रतिनिधिमंडल को जयपुर में मुख्यमंत्री से और प्रदेशाध्यक्ष अशोक जी परनामी से मिला सकते हैं। बस, इससे आगे कुछ नहीं लगता।
 ऐसा लगता है कि अगर सरकार कार्यों का मंथन करते हुए निर्णय करे तो एक बार अनूपगढ़ में अतिरिक्त जिला कलेक्टर का कार्यालय स्थापित किया जा सकता है। उस पर कोई अधिक खर्च और प्रबंध वाली बात नहीं आती।
 अतिरिक्त जिला कलेक्टर से काफी कार्य हो जाते हैं, मुश्किल से दस बीस % कार्य ऐसे निकलते होंगे इनके लिए बाद में जिला मुख्यालय पर जाना पड़े़।
अगर अतिरिक्त जिला कलेक्टर पद पर आने वाला अधिकारी पूरी रुचि से कार्य करे तो संभव है कि अनूपगढ़ घड़़साना रावला आदि की बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी। जिला अनूपगढ़ घोषित होता है तो बड़ी अच्छी बात है लेकिन वर्तमान सरकार की कार्यप्रणाली को समझना चाहिए।
श्रीमती वसुंधरा राजे 2003 से लेकर 2008 मुख्यमंत्री पहले रह चुकी हैं अब 2013 में दूसरी बारी चल रही है जिसके 3 साल पूर्ण हो चुके हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उनके मंत्री उनके विधायक जो श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के हैं, उनकी सभी की नीतियां किस प्रकार की हैं ? यह किसानों व्यापारियों मजदूरों युवकों से पूछा जा सकता है। दोनों जिलों के किसान कृषि,कृषि से संबंधित व्यापार, गन्ना उत्पादक आदि सभी बहुत ही खिन्न हैं नाराज हैं ।
 उनकी कोई बात इन 3 सालों में सुनी नहीं गई है।
आपको कहीं लगता है राजस्थान में सरकार काम कर रही है और उसके प्रतिनिधि श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में काम कर रहे हैं।
फिर भी अनूपगढ़ को जिला बनाए जाने की मांग उचित है और पूरी किए जाने योग्य है। अनेक लोग संगठन बार-बार कहते हैं कि जयपुर जाकर   मिलें और दबाव डालें लेकिन जो आधार हैं जिला बनाने के वह हर स्थान के आधार सरकार के पास मौजूद हैं। केवल संगठनों की मांग से जिले की घोषणा नहीं हो सकती और न होती है। सरकार अपने स्तर पर रिपोर्ट जिला कलेक्टर आदि से भी मंगवाती है उसके बाद जो समिति है,वह रिपोर्ट तैयार करती है।
 सरकार की मंशा जिला घोषित करने की हो तब समाचार आते हैं कि समिति ने रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है। सरकार की मंशा नहीं हो तब समाचार पहले से आने शुरू होते हैं कि समिति की रिपोर्ट लगभग तैयार है। सरकार मांगेगी तब सौंप दी जाएगी। विचार करें कि यह लगभग शब्द क्या कह रहा है। मतलब साफ है कि रिपोर्ट तैयार नहीं है।  सरकार यही जवाब देगी की समिति अभी रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाई है और अधिक समय लगेगा। इस महत्वपूर्ण बिंदु को ध्यान में रखकर ही मैं सोच रहा हूं कि अनूपगढ़ को अतिरिक्त जिला कलक्टर का कार्यालय दे दिया जाए तो बहुत बड़ी बात होगी।
एक तथ्य यहां रखना चाहता हूं कि सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग करीब 41 साल से चल रही है लेकिन जिला हनुमानगढ़ बनाया गया। सूरतगढ़ को जिले जैसी सुविधा दे दी जाएगी। यह बात मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने कही थी लेकिन इस एडीएम  पद के लिए भी कई बार मांग करनी पड़ी थी। उसके बाद में यह पद सूरतगढ़ को दिया गया था।
 इसलिए अनूपगढ़ को अगर पहली बार में एडीएम पद दे दिया जाना संभव हो सकता है।

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