विधायकों की अनुशंषा और स्वविवेक पर इंदिरा गांधी नहर के परिक्षेत्र में आने वाले रकबे को कमाण्ड घोषित कर सकती है:
सूरतगढ़,26 अप्रेल। पूर्व विधायक गंगाजल मील ने ऐटा सिंगरासर माइनर आँदोलन के चलते हुए राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार पर लगातार आरोप लगाए हैं कि वह किसान विरोधी। मील ने 26 अप्रेल को ताजा प्रेस बयान जारी किया है जिसमें आरोप है कि इंदिरागांधी नहर की संशोशित डीपीआर है वह लागू नहीं करके राजनैतिक द्वेषता से रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है।
केन्द्रीय जल आयोग की 2009-10 की पुनर्संशोधित डीपीआर के आंकड़े
वर्तमान में राजस्थान सरकार अब तक इस रकबे में से 16 लाख 17 हजार हैक्टेयर को कमाण्ड रकबा घोषित कर चुकी है। केन्द्र सरकार की उक्त पुनर्सशोंधित डीपीआर के अनुसार आज भी सरकार के पास 1 लाख 84 हजार 818 हैक्टयेर रकबे को कमाण्ड घोषित करने की पावर है। इसके लिए सरकार को केन्द्रीय जल आयोग से भी स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है। सरकार अपने विधायकों की अनुशंषा और स्वविवेक पर इंदिरा गांधी नहर के परिक्षेत्र में आने वाले रकबे को कमाण्ड घोषित कर सकती है।
अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखकर टिब्बा क्षेत्र के लोगों के लिए सिंगरासर-एटा माइनर की घोषणा 2012-13 के अपने बजट में की थी। कांग्रेस सरकार अपनी इस घोषणा को पूरा करने का मानस बना चुकी थी । इसीलिए योजना के प्रथम चरण में 16 गांवों के 13 हजार हेक्टयेर को सिंचित करने के लिए लगभग 150 करोड़ रूपये की डीपीआर तैयार हो चुकी थी।
राजनीतिक दुर्भावनावश वर्तमान वसुंधरा सरकार ने इस डीपीआर को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जो इस इलाके की जनता के साथ सरासर अन्याय है।