बुधवार, 2 अक्तूबर 2024

दारू बेचने और दारू बंद करने की दुकानें.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

गाधी जी ने जब दारू पीने से मना किया था उस समय के लोग संसार से विदा हो गये अब जो पीते हैं वे गाधी बाबा का उपदेश एक एक शब्द मानते हैं और दारू नहीं पीते वे वाईन पीते हैं व्हिस्की पीते हैं रम पीते हैं। दारू पचास सौ रूपये की है यहां पूरा उपदेश मानते हैं हाथ ही नहीं लगाते। अंग्रेजी पीते हैं जो चार पांच सौ से सीढी चढती है और चाहे जितनी सीढियां चढें। यह न तो मजाक है न व्यंग्य है। ताना भी नहीं है। बस सच्च है जो सभी देखते हैं। 

* दारू के नाम पर भी दुकानदारी हो रही है। एक सरकारी दुकान जिसे ठेका कहें जो सरकार चलाती है और दूसरी दारू बंद कराने की दुकान जो गैर सरकारी संगठन यानि कि कोई एनजीओ चलाते हैं। एनजीओ कभी भी नहीं बताते कि एक दिन में कितनों की दारू छुड़वाई और सौ दिनों में कितनों की दारू छुड़वाई? इनके ठाट देखो तो अचंभित हो जाना पड़ता है। पहले सर्वोदयी लोग दारू बंद कराने के लिए काम करते जो दारू ठेकों पर प्रदर्शन करते पिकेटिंग करते। उनका पहनावा खद्दर का कुरता धोती या पायजामा होता तथा पैरों में चमड़े की चप्पल कंधे पर झोला। सिर पर गांधी टोपी। अब तो ठाट निराले। खादी गायब। सायकिल या पैदल नहीं। अब तो लाखों की कारों पर सवार होकर दारूबंदी आंदोलन चलाए जाते हैं।

* सरकार दारू पिलाती है और अधिक से अधिक बिके इसलिए अधिकारियों पर पूरा दबाव रखती है। पुलिस विभाग से दारू के विरुद्ध अभियान चलाने का काम भी कराती है। रात आठ बजे दारू ठेके बंद का नियम भी बनाया जो पहले रात 10 बजे तक होता था। जब बेचनी ही है तो फिर आठ बजे बंद करने का नाटक क्यों? नाटक इसलिए है कि आठ बजे बाद चोरी छिपे मिलती जरूर है कुछ रूपये अधिक लगते हैं। 

* एक मजेदार बात कि अनेक लोग दारूबंदी का भाषण बिना दारू के नहीं दे पाते। लेक्चर पहले दे देते हैं तो उसके बाद में गला तर करते हैं। 

** दारू बंदी के लिए कार्यक्रम बनाने के लिए बैठक हुई और पचास पैसे वाले समाज सेवियों आदि का फोटो सोशल मीडिया में आया तो लोगों ने सवाल लेखक से ही कर डाला। इन फोटो चेहरों में कितने पीने वाले हैं। उत्तर भी बिना झिझक के दिया गया। इनमें 10 तो पक्के हैं जो दारू पीना तो दूर रहा, दारू की खाली बोतल के भी हाथ नहीं लगाते। 

*जो पीते हैं वे रुकने वाले नहीं है। बस,रात को पीकर खाली अद्धा पव्वा नाली में न डालें क्योंकि नाली रूकती है। यह सहयोग तो कर ही सकते हैं। बंद करदें तो सबसे अच्छा है।

2 अक्टूबर 2024. महात्मा गांधी की जयंती.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वर्ष,

( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान)

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