शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

परसराम भाटिया,गेदर व मील और सुधार के अब गिनती के दिन.

 




 * करणीदानसिंह राजपूत * 

सूरतगढ़ 15 सितंबर 2023.

कांग्रेस के तीन दिग्गज मनोनीत नगरपालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया,राज्यमंत्री पावर के शिल्प एवं माटी कला के अध्यक्ष डुंगरराम गेदर और पिछले सूरतगढ सीट के प्रत्याशी हनुमान मील के पास सूरतगढ शहर की दुर्दशा को देखने और सुधारने के लिए गिनती के दिन ही हैं। चुनाव आचार संहिता लगते ही पावर हवा हो जाएगी। यह होगा निश्चित है इसलिए इन चंद दिनों में नगरपालिका को झाड़पोंछ करलें क्योंकि नगरपालिका से हर शहरवासी किसी न किसी रूप में कम ज्यादा जुड़ा है। शहरवासी नाराज हैं।  डुंगरराम गेदर एवं हनुमान मील 2023 चुनाव के कांग्रेस के फिलहाल संभावित प्रत्याशी भी हैं। तीनों समारोहों में मिलते भी रहते हैं। जिलास्तरीय वन महोत्सव सूरतगढ में लवकुश वाटिका के शिलान्यास पर 14 सितंबर 2023 को सभी मौजूद थे।


* नगर पालिका के वर्तमान अध्यक्ष परसराम भाटिया की सोशल मीडिया फेसबुक पर परसराम भाटिया टीम बनी हुई है। वैसे तीनों की फेसबुक टीमें हैं।

*नगरपालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया की टीम फेसबुक पर तो बहुत अच्छी है। लेकिन जब टीम है तो टीम का काम कम से कम शहर को देखना भी होना चाहिए। 

तीनो नेता देखें कि अनेक वार्डों में सफाई व्यवस्था आज भी चौपट है। 

जब कर्मचारी है तो सफाई व्यवस्था चौपट क्यों है? उनकी व्यवस्था करने वालों पर कंट्रोल क्यों नहीं है? सफाई निरीक्षक अधिशासी अधिकारी नियमित निरीक्षण क्यों नहीं करते? अध्यक्ष की भी कुछ जिम्मेदारी है।  पुरानी धान मंडी में सफाई कार्य की शुरुआत की लेकिन उसके बाद क्या हुआ? व्यवस्था खुद के झाड़ू पोंछे के प्रदर्शन से नहीं होती जिन लोगों की ड्यूटी है उनको सख्ती से कहना होता है। और यह जांच भी करनी होती है कि वे संबंधित जगहों पर हैं या नहीं है? कार्य कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? सफाई नहीं होती है तो सेनेटरी इंस्पेक्टर के विरुद्ध क्या कार्रवाई आज तक हुई? विभिन्न वार्डों के गंदगी कचरे के फोटो सोशल मीडिया पर आते रहे हैं। अगर व्यवस्था नहीं सुधरी तो आगे भी आते रहेंगे।

* यह कहना कि एक दिन में 5-10 दिन में बिगड़ी हुई व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता तो बिल्कुल गलत है। जब हर जगह कर्मचारी हैं तो फिर यह कथन पूरी तरह से नैतिक जिम्मेदारी से दूर है। सेनेटरी इंस्पेक्टर जमादार आदि किस कार्य का वेतन लेते हैं? इनके पास डायरी होनी चाहिए कौन-कौन से वार्ड को कब देखा और क्या स्थिति वहां मिली? हर जगह नाले जाम पड़े हैं। कई नाले तो बंद कर दिए गए हैं जिनका कोई खोलने वाला नहीं। रेलवे रोड जो मुख्य सड़क है उसका एक तरफ का नाला तो पूरी तरह से ही बंद कर दिया गया। उसमें इंटें भरी हुई है रेत भरी हुई है। बहुत पहले इसके बारे में लिखा गया और किसका एक वीडियो भी चलाया गया लेकिन नगर पालिका की आंखें नहीं खुली। 

सबसे बड़ा आरोप यह है कि स्वयं पालिका अध्यक्ष परसराम भाटिया के वार्ड का बुरा हाल है। बड़ोपल रोड के नालों के कवर टूटे हुए हैं और नाले जाम हुए हैं। महीनों से उनकी सफाई नहीं हुई। कचरा बीनने वाले गरीब लोग अनुसूचित जाति के लोग जहां रहते हैं वहां तो रोजाना ही गंदा पानी सड़कों पर  बहता हुआ दिखता है।  किसी की ड्यूटी वहां होती होगी। 

*रेलवे रोड और अन्य सड़कों पर दुकानदार दुकानों से बाहर थड़ियों पर और आगे सड़क पर 5-6 फीट तक रोजाना दुकान लगा कर बैठते हैं। यह अतिक्रमण क्योंं है? एक समझौता उपखंड अधिकारी के कार्यालय में हुआ था जिसमें दुकानदारों के संस्थाओं के पदाधिकारियों ने लिखित में यह दिया था की दुकान से बाहर थड़ियों इस्तेमाल व्यवसाय के लिए नहीं किया जाएगा। कचरा पात्र रखे जाएंगे। लिखित समझौते का पालन नगर पालिका बार-बार कहने के बावजूद करवाने में असमर्थ है।

👍 रेलवे रोड पर सब्जी मंडी के दोनों और की कोनों की दुकानों के बाहर मुख्य सड़क पर एकदम बीच में तीन-चार दुकानदार रोजाना 10 12 फीट लंबाई और चार पांच फीट चौड़ाई में दुकान लगाते हैं जिससे वहां जाम लगता है। सड़क की चौड़ाई वहां 7 या 8 फुट रहती है। महिलाओं का निकलना मुश्किल होता है। बार-बार लिखने के बावजूद नगर पालिका प्रशासन की ओर से इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। समाचार विडिओ भी बेकार हुए। सड़क का किराया कौन ले रहा है जिसके कारण सड़क के बीच में दुकानें लग रही है। कौन सब्जियां फल लेता है?


* परसराम भाटिया टीम या तीनों की टीमें शाम के वक्त इस स्थल पर पहुंचे देखें घटा दो घंटा। निरीक्षण करें कि क्या हालत होती है और वीडियो ग्राफी करें। लोगों की परेशानी, वहां से निकलने वाली महिलाओं की परेशानी,वहां लगता हुआ जाम नगर पालिका अध्यक्ष तक पहुंच सके।


** नगर पालिका में जो भी आवेदन दिए जाते हैं वे अनेक कार्यवाही में नहीं आते। अगर आवेदन पर महीनों तक कार्रवाई नहीं हो तो यह मानकर चलना चाहिए कि वह नगर पालिका की डस्टबिन में चले गए। बहुत बड़ी डस्टबिन हैं। 

अध्यक्ष जी को व्यक्तिगत कहने और उनके हाथों में पत्र दिए जाने के बावजूद भी पत्रों पर कार्रवाई नहीं हुई। 

*परसराम भाटिया टीम के जो भी कार्य करते है उनसे आग्रह है कि वे इस बात का पता लगाएं कि कितने आवेदन विभिन्न शाखों में दम तोड़ रहे।

 अध्यक्ष को केवल आदेश करने होते हैं।उनके द्वारा आदेश नहीं हो रहे। कोई अन्य स्थानों को पत्र लिखना है तो वह पत्र भी नहीं लिखे जा रहे। परसराम भाटिया टीम से आग्रह है कि इस डस्टबिन को कचरा पात्र को खत्म कराएं।  शहर की और भी बहुत सी समस्याएं हैं। भाटिया टीम नगर पालिका के अंदर प्रतिदिन एक-दो घंटे मुख्य गेट के आगे खड़े रहकर बैठकर देखे कि स्थिति क्या है/  ताकि शहर में सुधार हो सके।


 व्यवस्था बिगड़ी हुई है तो उसमें सुधार भी तुरंत होना चाहिए। परसराम भाटिया टीम यह भी देखे की शहर में सड़कों के निर्माण पर क्या हो रहा है।? नगरपालिका प्रशासन बिना लेवल लिए सड़कें बना रहा है? सड़के डामर कंक्रीट की या सीमेंट कंक्रीट की होनी चाहिए लेकिन इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाई जा रही है। उनकी क्वालिटी क्या है? उनके नीचे लगने वाला मसाला क्या है? एक बार देखे तो पता लगेगा कि मसाले की क्वालिटी इंटरलाकिंग टाइल्स की क्वालिटी क्या है? निर्माण स्थल पर सहायक अभियंता  कनिष्ठ अभियंता सुपरवाइजर कोई भी मौजूद नहीं होता। कुछ निर्माणों पर तो ठेकेदार भी नहीं होते। अकुशल मिस्त्री कारीगर ही करते हैं निर्माण। टेढामेढा हो ऊंचा नीचा जैसा हो जाए। जहां चाहो अवैध स्पीड ब्रेकर बनादो। ऊंची नीची सडकें,ऊंट की कूबड़ जैसे नालों के पुलिया बनादो। शहर का यह स्थाई सत्यानाश और निरीक्षण के लिए दस मिनट नहीं। शिलान्यास ओर निर्माण शुरू के समय फोटो में चेहरे मौजूद। पहले के शिलान्यास किए स्थानों पर दुबारा शिलान्यास भी करवाते रहे। पूर्व विधायक गंगाजल मील की भी ऐसे कार्यकर्मों में फोटो हो उपस्थिति हो और भाषण भी हो। नगरपालिका में सार्वजनिक धन का दुरूपयोग हो। क्या कभी इन कामों की धन दुरूपयोग की जांच नहीं होगी?


👍 शहर सुधार की आवाज़ सोशल मीडिया में उठ रही हैं पद है तो उसी से ही सुधार की मांग की जाएगी? जनता की बात सावधानी से सुनी जाए। यह बहुत जरूरी है। 

👍 गरीबों के कच्चे मकानों को नोहरों को मील साहब ने तुड़वाया। लेकिन धनबली आवासन मंडल, कालोनियों में सड़कों की भूमि पर दस पंद्रह फुट तक के अतिक्रमण और अभी भी हो रहे हैं। कालोनियां नगरपालिका के नियंत्रण में हैं तो तीनों दिग्गज बताएं कि इन अतिक्रमणकारियों पर मेहरबानी क्यों है? मील सा.का कानून निर्देश यहां क्यों लागू नहीं हुआ?

नगर पालिका में पूर्व विधायक गंगाजल मील  और इन्हीं की टीम के निर्देश चलते हैं और इनका ही आवागमन होता है। 

मील परिवार को भी यह देख लेना चाहिए कि आगामी चुनाव की आचार संहिता लगे में महीना डेढ़ महीना ही बाकी है। केवल इतना ही समय है शहर के लिए क्या करना है? यह सोच लें और अच्छी तरह से समझ भी ले?  प्रतिपक्ष यहां नगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी का है, उसके पार्षद उसके पदाधिकारी,उसके राज सत्ता के नेता विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक राजेंद्र भादु,पूर्व विधायक अशोकनागपाल अगर नहीं बोलते हैं,अन्य पार्टियां नहीं बोलती है तो भी जिम्मेदारी अपनी समझी जानी चाहिए। 

* बड़े दावे के साथ यह आरोप है कि पूर्व विधायक गंगाजल मील की टीम ने शहर की उठती हुई आवाज को सुनने की कोशिश नहीं की। शहर का कभी निरीक्षण नहीं किया। सड़कों का निरीक्षण नहीं किया। अभी समय है और यह बीतता हुआ समय केवल महीने डेढ़ महीने का है। मील के अलावा राजस्थान शिल्प एवं माटी कला के अध्यक्ष बड़े गौरव के साथ सम्मान के साथ राज्य मंत्री हैं लेकिन उन राज्य मंत्री ने शहर की नगर पालिका को और अन्य विभागों को कभी देखने की वहां की समस्याओं को सुधारने की कोशिश नहीं की। उनके लिए भी यही है कि आचार संहिता लगने से पहले कुछ करना चाहे तो करें। मील परिवार में हनुमान मील कांंग्रेस टिकट के दावेदार हैं। राज्य मंत्री डूंगर राम गेदर भी  कांंग्रेस टिकट के दावेदार हैं।दोनों ने ही अपनी ड्यूटी कितनी और कैसे निभाई है उसकी समीक्षा करलें कि जनता में क्या स्थिति है? वह आवाज निश्चित रूप से कानों में पड़ती होगी? समय है और इस समय में कर लें जो कुछ कर सकते हैं।

👍 एक बहुत बड़ा और गंभीर आरोप 31 अगस्त 2023 को भाजपा की प्रेसवार्ता में नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने लगाया था कि गंगाजल मील के आवास पर नगरपालिका के तीन कर्मचारी काम करते हैं और वेतन नगरपालिका देती है। भ्रष्टाचार के इस आरोप का पंद्रह दिन बीत जाने पर भी गंगाजल मील,हनुमानमील की ओर से खंडन नहीं किया न कोई स्पष्टीकरण दिया। परसराम भाटिया मील की ओर से ही बनवाए हुए नगरपालिका अध्यक्ष हैं, उन्होंने ने भी इस आरोप का खंडन नहीं किया कि नगरपालिका कर्मचारी वहां काम करते हैं या नहीं करते। परसराम भाटिया की भी जिम्मेदारी है। यह आरोप कायम है और इससे कैसे हालात जनता को मालुम पड़ रहे हैं। ०0०

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