सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

इस तरह बचा लिया गया सीमेंटकंक्रीट में उगे हुए उखडे़ पीपल के पेड़ को- प्रेरणादायक रिपोर्ट. * करणी दान सिंह राजपूत*

 






सूरतगढ़ 22 फरवरी 2021.
रेलवे स्टेशन सूरतगढ़ के प्लेटफार्म नंबर चार पर ढलान वाले ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ और वहां पर एक पुराने सीमेंट कंक्रीट के पिलर में उगा हुआ पीपल का पेड़ उखड़ गया।
मैं उस उखड़े हुए मैं देखता क्योंकि मेरा वहां से प्रतिदिन आना जाना होता था।
पेड़ की मामूली सी जड़े बची हुई थी बाकी पिलर के अंदर थी पेड़ को नष्ट होते हुए देखता और पीड़ा होती। मानसिक संताप भी बहुत हो रहा था की इस पेड़ को किसी भी तरह से बचाया जाए। सोशल साइटों पर ग्रुपों में और मेरी फेसबुक पर पर्यावरण प्रेमियों से अपील की गई।
कुछ पर्यावरण प्रेमी पहुंचे और देखा और बताया कि इस पेड़ को बचाया नहीं जा सकता। इसमें जड़े बहुत कम बची है और इस प्रकार के पेड़ों को दूसरी जगह लगाने के पूर्व के प्रयास भी सफल नहीं हुए हैं। किसी ने आगे प्रयास की कोशिश नहीं की।
मेरे दिल की पीड़ा को अपने ही छोटे भाई प्रेम सिंह सूर्यवंशी को बताया और कहा कि तुम्हारी पर्यावरण पेड़ लगाओ टीम लेकर किसी भी तरह इस पेड़ को दूसरी जगह रोपो तो सही शायद पेड़ बच जाए।
पेड़ को बचाने का प्रयास तो किया ही जा सकता है।
प्रेम सिंह सूर्यवंशी ने अपने टीम के कुछ साथियों को लेकर इस पेड़ को देखा और दूसरी जगह रोपने का निर्णय किया।
16 अक्टूबर 2020 को सुबह यह टीम पहुंची और पेड़ को उखड़े हुए स्थान से उठाया गया और  रेलवे सीमा में ही दूसरे प्रवेश-निकास द्वार के आगे एक स्थान पर लगा दिया गया। सभी उत्साहित थे। यह कार्य करके आगे  ईश्वर की कृपा पर छोड़ा गया।
आगे आने वाले सर्दियों में यह पेड़ बचेगा नहीं बचेगा यह सोचते हुए दिन निकलते रहे। प्रेमसिंह सूर्यवंशी और टीम के सदस्य भी पेड़ को लगाने के बाद देखने संभालने जाते रहे।

मैं रोजाना पेड़ के पास से निकलता और हर सातवें आठवें दिन पेड़ के तने को थोड़ा सा कुचर कर देख लेता कि तना गीला है।
बस यही आशा थी कि तना गीला है सूख नहीं रहा, लाभदायक स्थिति रहेगी।
मैं ईश्वर की कृपा से चकित हो गया।

मैं 22 फरवरी 2021 को पेड़ के पास पहुंचा तो देख कर आश्चर्यचकित था। पेड़ पर नई कोंपलें कुछ हरे पत्ते दिखाई दिए। यह ईश्वर की बहुत बड़ी कृपा रही। बसंत ऋतु में यह चमत्कार हुआ।
पर्यावरण प्रेमियों प्रेम सिंह सूर्यवंशी की पूरी टीम की यह सफलता मानता हूं।
उन सभी कार्यकर्ताओं को बधाई और शुभकामनाओं देता हूं कि उनका प्रयास सफल रहा और यह एक प्रेरणादायक कहानी बन गई। 


पेड़ को 16 अक्टूबर 2020 को जब दूसरे स्थान पर  रोपा गया तब के चित्र और रिपोर्ट मेरे ब्लॉग ' करणी प्रेस इंडिया' पर लगाए गए जो  अभी भी इंटरनेट पर देखे जा सकते हैं।
उस समय के चित्र और रिपोर्ट यहां एक बार फिर पाठकों के लिए प्रस्तुत करता हूं।











* करणीदानसिंह राजपूत *

रेलवे पुलनिर्माण में खत्म होने वाले एक पीपल वृक्ष को दूसरी जगह स्थानांतरित कर बचाने का प्रयास सफलता से पूर्ण हुआ है।
पर्यावरण युवा मंडल के प्रयास से रेलवे पुल में खत्म हो रहे पीपल वृक्ष को बचाने के लिए कुछ दूरी पर रेलवे भूमि पर लगा दिया गया है।
दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

इस वृक्ष को बचाने की  पहली अपील  फेसबुक और सोशल साइट ग्रुप्स में 14 अक्टूबर 2020 को हुई थी। पर्यावरण संस्थाओं से जुड़े वृक्ष प्रेमी मौके पर पहुंचे। सूर्योदय नगरी के पर्यावरण युवा मंडल वृक्ष प्रेमियों ने अवलोकन के बाद विचार किया कि पीपल को दूसरी जगह लगा कर बचाया जा सकता है।
पर्यावरण युवा मंडल के कार्यकर्ता 16 अक्टूबर को प्रभात बेला में पहुंचे।
अध्यक्ष प्रेमसिंह सूर्यवंशी,सचिव परमजीत सिंह पम्मी( पूर्व पार्षद) उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, उपाध्यक्ष सतनाम वर्मा, प्रवक्ता ओम अठ वाल ( वर्तमान पार्षद) डाक्टर प्रकुल खत्री,संदीप सेन,मांगी सेन,बब्बू,सुरेन्द्र वर्मा,हरीश खुरीवाल आदि ने कार्य शुरू किया।
पारस मेहरड़ा ,रावत,शकील खान,आबिद खान भी कार्य में जुटे।
रेलवे अधिकारी बाबू लाल  नाहड़िया और  सुरेन्द्र गर्ग (ठेकेदार ओवर ब्रिज निर्माण) का इसमें सहयोग रहा।

इस सहयोगी कार्य से करीब दो घंटों के परिश्रम से नीचे गिरे हुए पीपल को पुराने पिल्लर की कंक्रीट में से जड़ों सहित निकाला गया। पीपल को पास की खाली भूमि तक ले जाया गया। एक विशाल गड्ढा खोदा गया। रस्सियों के सहारे पीपल को गड्ढे में सीधा खड़ा किया गया। सही स्थिति होने पर गड्ढे को मिट्टी से भरा गया। 
सभी आश्वस्त हुए की पीपल सही लगा दिया गया तब पानी डाला गया।
सभी प्रसन्न हुए कि इस सामूहिक कार्य से पीपल पेड़ बच जाएगा।००

💐 और यह पीपल बच गया💐

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