सोमवार, 4 जनवरी 2021

गोविंदसर के कुछ युवा क्यों और कैसे अपराध मार्ग पर चल पडे़?

 



* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ तहसील का गोविंदसर गांव कुछ युवकों के अपराध मार्ग पर चलने के कारण पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है।
लोगों को नौकरियां दिलाने की और कॉल गर्ल उपलब्ध कराने के नाम पर उपलब्ध कराने के नाम पर बहुत सुनियोजित जाल में लोगों को फंसाना और फिर रकम वसूल करना। रकम वसूल करने का तरीका बहुत ही शातिर कोई सीधा लेना देना नहीं।  फर्जी खाते में पैसे डलवाना पेटीएम से कहीं से निकलवाना से निकलवाना।
फर्जी सिम कार्ड से शुरु अपराध में अब  तक 15 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी है।गोविंद सर टीबा क्षेत्र का गांव है जहां के युवकों ने ने बेरोजगारी में ठगी के धंधे को अपना लिया। इसे धंधा तो नहीं कह नहीं कह सकते।अपराध सदा अपराध ही रहता है। यहां इस अपराध के होते एक अलग स्थिति पर दृष्टि डालें।
सूरतगढ़ शहर शिक्षक और कोचिंग के क्षेत्र में बहुत बड़ा केंद्र बना हुआ है और निरंतर प्रगति की ओर है। सूरतगढ़ से कोचिंग किए हुए युवा लड़के लड़कियां बहुत अच्छे अच्छे पदों पर सरकारी नौकरियों में चुने जा रहे है।  कंपटीशन परीक्षाओं में भी नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अच्छे मार्ग पर बढ़ने के बजाय बजाय कुछ युवकों का अपराध मार्ग पर बढ़ने का समाचार पढ़ने वालों को और इलाके को दुखी करता है।
युवक बेरोजगार थे तो उन्हें भी अन्य युवाओं की तरह शिक्षा का लाभ उठाना चाहिए था।

पुलिस ने जिस तरह से इस अपराध को पकड़ा है और निरंतर अनुसंधान जारी है। उससे  स्पष्ट हो रहा है कि अपराध की कड़ियों को आरोपी युवकों ने बहुत ही तरीके से जोड़ा ताकि किसी भी सूरत में पकड़ में नहीं आए लेकिन अपराध कभी छुपता नहीं है। देर सवेर कहीं ना कहीं से पकड़ा जाता है।
मोबाइल सिम इंटरनेटवर्क में दुनिया को बहुत आगे और ऊंचा पहुंचाया है वहीं  इसके दुरुपयोग ने अपराधों में भी बढ़ोतरी की है की है।

अभिभावकों को अपनी संतानों के पास मोबाइल में समय-समय पर देखना चाहिए कि किन लोगों से संपर्क है किन किन संपर्क है किन किन लोगों के नंबर है किन नंबरों से कितनी कितनी बार बात हुई है है है बार बात हुई है है है। अपरिचित जो न रिश्तेदार है ना जानकार हैं तो उनके नंबरों पर अभिभावकों को गौर करना चाहिए।
युवा पुत्र की दिनचर्या क्या है।  यदि अपने गांव और शहर से कहीं बाहर रहते हैं तो भी उन पर देखरेख होती रहनी चाहिए। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि संतानों के पास में मोबाइल तो है लेकिन अभिभावकों के पास में समय नहीं है कि वे देख सकें। युवाओं के शानशौकत का रहन सहन कैसे है और यह खर्च बेरोजगारों के पास कहां से आ रहा है?
यह एक बड़ा कारण है जिससे  युवा भटक रहे हैं और अपराध की दुनिया में में उनका जीवन आगे जाकर क्या होगा?00
करणी दान सिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार  (राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़.
94143 81356.
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