मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दिया गया ज्ञापन
- करणीदान सिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 3 फरवरी 2017,
लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान की ओर से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक ज्ञापन पेश किया गया है। इंदिरा गांधी द्वारा अपनी सत्ता को बचाने के लिए 1975 में लगाए गए आपातकाल और उसमें देशभक्तों को जेलों में ठूंस दिए जाने का ब्यौरा देते हुए ज्ञापन में मांग की गई है। उस समय लोकतंत्र को बचाने के लिए जिन लोगों ने सत्याग्रह किया, जिन को गिरफ्तार किया गया व जेलों में ठूंसा गया उन लोगों को सम्मान और पेंशन सुविधा प्रदान की जाय।
लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संरक्षक हनुमान शर्मा और प्रदेश सह सचिव गणपतलाल शर्मा ने 3 फरवरी को यह मांग पत्र मुख्यमंत्री को दिया।
इस मांग पत्र में लिखा गया है कि इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लगाया।। उस समय देश भक्तों जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेई,राजमाता विजयाराजे सिंधिया, लालकृष्ण आडवाणी आदि ने सत्याग्रह किया था। इनको जेलों में डाल दिया गया था। इसके अलावा संपूर्ण देश के अंदर सत्याग्रह किया गया। लोगों ने गिरफ्तारियां दी। राजस्थान में भी सत्याग्रह किए गए।
लोगों ने आंदोलन किए और आपातकाल का विरोध किया तथा लोकतंत्र को बहाली के लिए अपने आप को पेश किया।
राजस्थान में ऐसे अनेक लोग शांति भंग की धारा 107 151 में भी गिरफ्तार किए गए। ऐसे लोगों को भी सम्मान प्रदान किया जाए और पेंशन सुविधा का लाभ दिया जाए।
राजस्थान में अभी तक 107 151 धाराओं में गिरफ्तार किए गए आपातकाल बंदियों को सम्मान प्रदान नहीं किया गया है।
इस ज्ञापन में यह मांग की गई है कि पेंशन सुविधा अन्य प्रांतों की तरह प्रतिमाह ₹25000 दी जाए।
आपातकाल में नाबालिग लोगों ने भी आंदोलनों में भाग लिया तथा जेलों में गए, उन लोगों को भी सम्मान प्रदान किया जाए वह पेंशन प्रदान की जाए।
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विदित रहे कि राजस्थान के अंदर आपातकाल का विरोध सबसे पहले अगले ही दिन सूरतगढ़ में किया गया था। आम सभा हुई थी जिस में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को चुनौती दी गई थी। सूरतगढ़ के अंदर 12 सत्याग्रही प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में गिरफ्तार किए गए थे जिन को व पेंशन दी जा रही है, जो दिवंगत हो गए उनकी पत्नी को पेंशन मिल रही है। सूरतगढ में शांति भंग में 107 151 में भी 12 कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए थे जो कई महीनों तक श्री गंगानगर बीकानेर अजमेर अलवर आादि जेलों में बंद रखे गए थे।
- करणीदान सिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 3 फरवरी 2017,
लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान की ओर से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक ज्ञापन पेश किया गया है। इंदिरा गांधी द्वारा अपनी सत्ता को बचाने के लिए 1975 में लगाए गए आपातकाल और उसमें देशभक्तों को जेलों में ठूंस दिए जाने का ब्यौरा देते हुए ज्ञापन में मांग की गई है। उस समय लोकतंत्र को बचाने के लिए जिन लोगों ने सत्याग्रह किया, जिन को गिरफ्तार किया गया व जेलों में ठूंसा गया उन लोगों को सम्मान और पेंशन सुविधा प्रदान की जाय।
लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संरक्षक हनुमान शर्मा और प्रदेश सह सचिव गणपतलाल शर्मा ने 3 फरवरी को यह मांग पत्र मुख्यमंत्री को दिया।
इस मांग पत्र में लिखा गया है कि इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लगाया।। उस समय देश भक्तों जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेई,राजमाता विजयाराजे सिंधिया, लालकृष्ण आडवाणी आदि ने सत्याग्रह किया था। इनको जेलों में डाल दिया गया था। इसके अलावा संपूर्ण देश के अंदर सत्याग्रह किया गया। लोगों ने गिरफ्तारियां दी। राजस्थान में भी सत्याग्रह किए गए।
लोगों ने आंदोलन किए और आपातकाल का विरोध किया तथा लोकतंत्र को बहाली के लिए अपने आप को पेश किया।
राजस्थान में ऐसे अनेक लोग शांति भंग की धारा 107 151 में भी गिरफ्तार किए गए। ऐसे लोगों को भी सम्मान प्रदान किया जाए और पेंशन सुविधा का लाभ दिया जाए।
राजस्थान में अभी तक 107 151 धाराओं में गिरफ्तार किए गए आपातकाल बंदियों को सम्मान प्रदान नहीं किया गया है।
इस ज्ञापन में यह मांग की गई है कि पेंशन सुविधा अन्य प्रांतों की तरह प्रतिमाह ₹25000 दी जाए।
आपातकाल में नाबालिग लोगों ने भी आंदोलनों में भाग लिया तथा जेलों में गए, उन लोगों को भी सम्मान प्रदान किया जाए वह पेंशन प्रदान की जाए।
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विदित रहे कि राजस्थान के अंदर आपातकाल का विरोध सबसे पहले अगले ही दिन सूरतगढ़ में किया गया था। आम सभा हुई थी जिस में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को चुनौती दी गई थी। सूरतगढ़ के अंदर 12 सत्याग्रही प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में गिरफ्तार किए गए थे जिन को व पेंशन दी जा रही है, जो दिवंगत हो गए उनकी पत्नी को पेंशन मिल रही है। सूरतगढ में शांति भंग में 107 151 में भी 12 कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए थे जो कई महीनों तक श्री गंगानगर बीकानेर अजमेर अलवर आादि जेलों में बंद रखे गए थे।