रजनी मोदी,बलराम वर्मा,मदन औझा,विजय कुमार लाहोटी,भवानीशंकर उर्फ राधाकिशन सोनी निवासी सूरतगढ़। प्रदीप नायक निवासी रंगमहल-सूरतगढ़: जगदीश धनावंशी,गजानन्द सोनी,हजारीलाल,महेन्द्र सोनी,मुस्ताक निवासी सरदारशहर। हजारीलाल मेघवाल हरियासर-सरदारशहर। भी अभियुक्तों में थे।
मुकद्दमा 19 मार्च 2008 को सरदारशहर में दर्ज हुआ था और सरकार के निवेदन पर 27 फरवरी 2015 को अदालत ने वापस किया।
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़ 25 मार्च 2015.
सूरतगढ़ की लड़की रेणु सोनी की सरदारशहर स्थित ससुराल में मौत हो जाने पर ससुराल वालों के विरूद्ध वहां पर दहेज हत्या में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 498 ए,304 बी के तहत 18 मार्च 2008 को मुकद्दमा दर्ज हुआ।
लड़की के पीहर पक्ष सूरतगढ़,श्रीगंगानगर आदि स्थानों से करीब 700 लोगों ने जिनमें 100 महिलाएं शामिल थी ने 18 मार्च 2008 को अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सरदारशहर में जबरदस्त प्रदर्शन किया। ये लोग 6 बसों व 40 अन्य वाहनों से वहां पहुंचे।
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा, पृथ्वीराज मील जो उस समय श्रीगंगानगर में जिला प्रमुख थे,राजेन्द्र भादू जो अब विधायक हैं,तथा इकबाल मोहम्म्द कुरैशी जो उस समय नगरपालिका सूरतगढ़ के अण्यक्ष थे के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया जो मुख्य बाजार से होता हुआ उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंचा। वहां पर प्रदर्शन किया गया तथा ज्ञापन दिया गया।
आरोप था कि वहां उपखंड अधिकारी से दुव्र्यवहार किया गया। उच्च अधिकारियों ने उपखंड कार्यालय पर पहुंच कर समझाइस की और आश्वासन दिया कि कानून सम्मत कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने गांधी चौक में सभा की।
आरोप लगा कि वहां उत्तेजित भाषा इस्तेमाल हुई व अश£ील शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ।
आरोप है कि प्रदर्शनकारियों को समझाया गया तब उन्होंने अभियुक्तों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग कर डाली तथा हाई वे पर यातायात को जाम कर दिया।
वहां पर समझाइस की गई।
इसके बाद रात को 10 बजे लाउडस्पीकर लगी जीप से गुरूशरण छाबड़ा के नेतृत्व में उत्तेजित नारे लगाने का आरोप रहा। आरोप लगाया गया कि करीब 500 की भीड़ जिसमें कुछ औरतें भी थी गांधी चौक से पुलिस थाने पर पहुंची।
वहां पर उत्तेजनात्मक तोड़ फोड़ करने के भाषण दिए गए व रास्ते को अवरूद्ध कर दिया गया। पुलिस का आरोप था कि रात में करीब 12 बजे अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई व थाने पर पत्थर वर्षा कर दी।
आंदोलनकारी लोगों का आरोप था कि पुलिस ने कुछ नेता लोगों बातचीत के नाम पर थाने के भीतर बुला लिया और बाद में अचानक लाठी चार्ज कर दिया जिससे लोगों को भाग भाग कर जान बचानी पड़ी।
पुलिस ने इसे खदेडऩा बताया। आंदोलनकारियों का कहना था कि थाने के घेराव पत्थर वर्षा आदि का कहा ही नहीं गया था। पत्थर वर्षा की नहीं गई। पुलिस जब थाने के बाहर लाठी चार्ज कर रही थी तब कुछ लोग भीतर बुलाए हुए थे।
इस अंधाधुंध लाठी चार्ज में सूरतगढ़ के विजयकुमार लाहोटी के गंभीर चोटें आई और एक हाथ टूट गया जिससे वह करीब एक साल से अधिक तक ईलाज के लिए यत्र तत्र जाता रहा और लाख रूपए से अधिक लगाने पड़े।
पुलिस जब लाठी चार्ज के करती हुई खदेड़ रही थी तब गुरूशरण छाबड़ा गांधी चौक में खड़े हो गए तथा कहा कि वे नहीं भागेगें। पुलिस लाठी चलाए। इस पर पुलिस उन पर लाठी नहीं चला पाई।
पुलिस द्वारा निर्दाेष लोगों पर अचानक लाठी चलाने के विरोध में गुरूशरण छाबड़ा ने गांधी चौक पर आमरण अनशन शुरू कर दिया था।
वहां माहौल को देखते हुए और छाबड़ा द्वारा अनशन खत्म नहीं करने पर उन्हें एक रात को जबरन उठाया गया व बीकानेर पीबीएम सरकारी हॉस्पीटल में भर्ती करा दिया गया। छाबड़ा का अनशन जबरदस्ती तुड़वाने की कोशिशें हुई मगर बेकार रही। इस पर पूर्ण आश्वासन दिया गया। तब अनशन खत्म हुआ। इसके बाद सूरतगढ़ में सुभाष चौक पर आम सभा हुई।
पुलिस ने सड़क पर यातायात की एक गुमटी तोड़ दिए जाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय संपदा की क्षति करने का आरोप लगाया व उस धारा में तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 332,353,336,283 में मामला दर्ज किया।
इसमें जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया उसमें पृथ्वीराज मील,राजेन्द्र भादू व इकबाल कुरैशी के नाम नहीं थे।
पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया जिसमें श्रीमती रजनी मोदी का नाम नहीं था लेकिन अनुसंधान में उनका नाम लिखा गया व चालान में भी नाम रखा गया।
पुलिस ने एक अभियुक्त जगदीश को गिरफ्तार किया व 15 दिसंबर 2011 को अदालत में चालान किया। इसके बाद पुलिस ने अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबाव डाले रखा।
श्रीमती रजनी मोदी ने इस प्रकरण को अदालत से वापस लेने के लिए सरकार पर विभिन्न कोशिशें की गई जो अंत में सफल हुई।श्रीमती रजनी मोदी वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं
रजनी मोदी ने समस्त कागजात आदि तैयार करवा कर एक पीए के माध्यम से वसुंधरा राजे के पास भिजवाए गए। उसके बाद फिर एक पीए से बात की गइ। उससे सूचना मिली। बाद में ऐ संयुक्त सचिव से बात हुई। फिर चुरू के जिला कलक्टर व एसपी से सरकार ने रिपोर्ट मंगवाई। उससे पार नहीं पड़ी। उसके बाद ओंकारसिंह लखावत से बात हुई और गुरूशरण छाबड़ा से सारे कागजात प्राप्त कर उनको सोंपे गए। रजनी मोदी ने एक बार फिर प्रयास किया जो सिरे चढ़ा। सरकार ने फिर रिपोर्टों को तैयार करवाया और प्रकरण अदालत से वापसी की तैयारी हुई। जिन लोगों को पुलिस जांच में अभियुक्त बनाया गया था वे तो पहले से ही पुलिस जांच को त्रुटिपूर्ण बतला ही रहे थे।
राजस्थान सरकार के गृहमंत्रालय ने आखिर प्रकरण वापस लिए जाने का आदेश जारी कर दिया।
एपीपी ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत अदालत में प्रार्थनापत्र पत्र पेश किया। उसके साथ सरकार का पत्र पी-13:28:गृह-10। 2012। दिनांक 30 जनवरी 2015 पेश किया।
इस पर अदालत ने 27 फरवरी 2015 को प्रकरण सरकार को लौटाने की अनुमति प्रदान करदी।
अदालत ने लिखा कि अभियुक्त जगदीश,बलराम,रजनी,मदन की हाजिरी माफी के प्रार्थनापत्र वकील के माध्यम से पेश हुए हें जो स्वीकार किए जाते हैं। अभियुक्तगण गुरूशरण,गजानन्द,महेन्द्र सोनी,मुस्ताक,विजय कुमार,भवानीशंकर उर्फ राधाकिशन व प्रदीप हजारीराम मफरूर हैं तथा स्थाई वारंट जारी हैं जिन्हें अदम तामील वापस मंगवाया जाता है। हाजिर आ रहे अभियुक्तगण के हाजिरी बाबत पेश जमानत मुचलके निरस्त किए जाते हैं।