गुरुवार, 11 अप्रैल 2024

सूरतगढ़ भाजपा में गुट बढे. पावरफुल कौनसा गुट रहेगा?

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक उलटफेर से भाजपा में गुटों की संख्या बढ गई है। हरेक गुट नेताओं की कार्य प्रणाली स्थानीय स्तर पर अलग अलग है। एक दूसरे से दूरी बनाए रखते हैं। आपसी खींचतान में भविष्य में कौन पावरफुल होगा और कार्यकर्ता किधर जाएंगे?

भाजपा में पहले पूर्व विधायक रामप्रताप कासनिया,पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू और पूर्व विधायक अशोकनागपाल के तीन गुट थे। कासनिया और भादू बड़े गुट रहे और इनके आपसी मतभेद  टकराव व दूरी रही थी।

* अब कांग्रेस के पूर्व विधायक मील गुट का भाजपा में और भादू गुट का कांग्रेस में प्रवेश होने से राजनीतिक स्थिति में बदलाव हुआ है जिसका 

परिवर्तन आगामी हर छोटे बड़े चुनाव में देखने को मिलेगा। भाजपा में अब सूरतगढ़ के तीनों पूर्व विधायकों के अपने अपने गुट हो गये हैं। 

* लोग व कार्यकर्ता दबंगता कार्यकर्ता संख्या और पैसा खर्चने की ईच्छा शक्ति के नजरिये से पावर का आकलन करते हैं। इस नजरिए से आज की स्थिति में मील को अपने पांव जमाने हैं इसलिए वह हर कोशिश करेगें। सबका ध्येय आगे विधानसभा चुनाव में टिकट लेने का है और उसके अनुसार ही दबंगता प्रगट की जाएगी।

** दबंगता के नजरिए से आज की स्थिति में किसको माने पावर यूज कर सकने वाला।


भाजपा में अभी प्रवेश लेने वाले पूर्व विकाधायक गंगाजल मील और भतीजे हनुमान मील का गुट अधिक प्रभावी नजर आता है। अभी पंचायत समिति प्रधान इन्हीं के कुटुम्ब का हजारीराम मील है और हेतराम मील पंचायत समिति में डायरेक्टर है।

** पूर्व विधायक रामप्रताप कासनिया और उनके पुत्र संदीप कासनिया का गुट है जो अपनी चलाता रहा है लेकिन मील के भाजपा में आने से खींचतान निश्चित ही रहेगी। अभी इस गुट में नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा है और इस गुट की कार्यप्रणाली से लोग व भाजपा कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं है। कासनिया के नजदीकी भी असंतुष्ट है। अभी एक संस्था के कार्यक्रम में कालवा को मंच पर नहीं सामने बैठाया गया था। स्वयं कालवा भी अनेक प्रकार से अपनी ढीली कार्य प्रणाली से लोगों को नाराज करता रहा है। अध्यक्ष अपने आप में बहुत पावर वाला होता है जिसके लिए तुरंत पक्का निर्णय और उसको पूर्ण करना होता है। हरेक काम के लिए कासनिया से हां कराने की स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं होती। कुछ रिस्क लेने के निर्णय दबंगता से खुद को भी करने होते हैं। कालवा पहले कांग्रेस और मील गुट में था। भाजपा में प्रवेश हुआ तो कासनिया ही विधायक थे सो इस गुट में होना ही था।इस गुट में फिलहाल नगरमंडल के पदाधिकारी आदि हैं। अभी कमान कासनिया के पास है और भाजपा के सभी कार्यकर्ता व लोग संतुष्ट नहीं है। कासनिया के बुरी तरह से हारने के बाद लोग चाहते ही नहीं है।

 लोकसभा चुनाव के बाद नगरपालिका चुनाव से पहले कमान बदलाव होने की संभावना है और पावर भी बदल जाएगी तब कमान नये हाथों को सौंपी जाएगी इसका इंतजार हो रहा है।

** पूर्व विधायक अशोक नागपाल का गुट तीसरा है। हर तरीके प्रणाली से पावर से कार्यकर्ता संख्या से पीछे माना जाता है। अशोक नागपाल 2003 से 2008 तक विधायक रहे। उसके बाद जिला अध्यक्ष रहे। जिलाध्यक्ष पद से हटाए भी गये। अब भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं जिसकी अपने आप में कोई पावर नहीं होती। पावर दिखाए तो जनता माने कि कुछ है। भविष्य में टिकट आदि मिलने की कोई आशा नहीं। 

*** शराबबंदी और नशामुक्ति आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा ने काफी समय अशोक गहलोत राज होने न होने की प्रतीक्षा करते हुए कांग्रेस राज खत्म होने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है और स्पष्ट रूप से ध्येय विधानसभा टिकट है। पूजा छाबड़ा को फिलहाल चौथा गुट माना जा सकता है।

*पूजा छाबड़ा के साथ जो लोग जुड़े वे अब छिन्नभिन्न हैं साथ नहीं है। लेकिन निरंतर कार्यक्षमता से पांच साल में यह लोगों को वापस जोड़ने की क्षमता रखती है इसलिए टिकट के समय तक बहुत ताकतवर हो सकती है। अपनी भाषण क्षमता वाकपटुता और बड़े संपर्क आगे बढने में बहुत काम आएंगे। 2028 तक भाजपा में नारियों को 30 प्रतिशत हिस्सा मिलने की संभावना है सो यह शक्तिशाली रोल अदा करेगी।लेकिन यह सब अभी नहीं,आगे कार्य करते मिलेगा। ऐसी संभावना लगती है। फिलहाल नारी शक्ति में यही एक चेहरा नजर आता है।

👍 आम लोगों की समस्याओं पीड़ाओं सरकारी नीतियों को लागू करने कराने के प्रति किसी की भी रूचि नहीं है। सूरतगढ़ समस्याओं का घर और गंदखाना बनाया हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद नगरपालिका के चुनाव होंगे। अध्यक्ष पद के लिए अनेक चेहरे हैं मगर नगरपालिका में व अन्य विभागों में जनहित के काम पर किसी के पास वक्त नहीं है और विभागों की कार्यपद्धति भी नहीं जानते। धरना प्रदर्शन आदि कार्य पद्धति की जानकारी में नहीं आते।

* नारी अत्याचार का नारा लगाने वाली भाजपा सूरतगढ़ में सभी कुछ भी करना बोलना नहीं चाहते।

* लोकसभा चुनाव 2024 के बाद किसकी चलेगी ? यह पावर कौन इस्तेमाल कर पाएगा?०0०

11 अप्रैल 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत.

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356

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