शुक्रवार, 27 मई 2022

सूरतगढ़ पालिकाध्यक्ष ओम कालवा पर करोड़ों की जमीन पर कब्जे के आरोप से पद पर खतरा

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 27 मई 2022. नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर पहली बार बहुत गंभीर आरोप करोड़ों की सरकारी जमीन पर करने का लगाया गया है। आरोप प्रमाणित होने पर मुकदमा और जेल हो सकती है। मामले की जांच शुरू की जाने से पहले कुर्सी से भी हटाया जा सकता है। 

राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 62 पर टिड्डी विभाग के नजदीक बहुत बड़े भूखंड पर एक कमरा बना तारबंदी कर कब्जा करने का आरोप है। कांंग्रेस के पार्षद मोहम्मद फारूख वार्ड नं 2 ने इस अतिक्रमण को अध्यक्ष का बताते हुए जांच की मांग की है। उसने जांच से पहले पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को सस्पेंड करने की मांग भी की है ताकि जांच को प्रभावित न सके। 

पार्षद मोहम्मद फारूख ने अपने कांंग्रेस के हाथ के पंजे छपे लैटरहैड पर यह शिकायत की है।

पार्षद ने पालिका अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के और आरोप भी लगाए हैं। 

सीवरेज कं की रोकी गई रकम 1 करोड़ 45 लाख के गलत भुगतान करने का आरोप भी है। पार्षद ने आरोप में लिखा है कि सिवरेज का सोक पिट कार्य पूरा होने का लिखकर देने के लिए दबाव बनाया गया। लोगों को दबाव बनाने के लिए भेजा जाता रहा। सोक पिट भरने और सेफ्टी टैंक खाली करने का कार्य बिल्कुल ही नहीं हुआ। इस भुगतान की जांच होनी चाहिए। अध्यक्ष निलंबित करके जांच की जाए ताकि जांच को प्रभावित नहीं कर सके। 

यह आरोप भी लगाया गया है कि पेराफेरी भूमि पर अतिक्रमण करवा पट्टे बनाए जा रहे हैं। बलबीरो चौक वार्ड नं 2 पर अवैध अतिक्रमण कर वहां दुकान चलाई जा रही है। एक सरस बूथ का आरोप है जिससे रास्ता रुक गया लिखा गया है। 

सूरतगढ़ में नगरपालिका बोर्ड कांंग्रेस बहुमत का है तथा अध्यक्ष पर कांंग्रेस के पार्षद ही रुक रुक कर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहते हैं। 

पार्षद मोहम्मद फारूख ने जांच करने की मांग अतिरिक्त जिला कलेक्टर और उपखंड अधिकारी से की है। इसकी प्रतियां मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और जिला कलेक्टर को भी देने का उल्लेख है। 

इस लैटरहैड पर कुछ अन्य पार्षदों व अन्य के  भी हस्ताक्षर हैं। परसराम भाटिया पार्षद,श्रीमती बिमला वार्ड नं 33,बसंतकुमार बोहरा वार्ड नं 31, प्रियंका कल्याणा वार्ड नं 14,लखविंदर सिंह वार्ड नं 18,सुरेंद्र टाक मनोनीत पार्षद,जसराम टाक,मुमताज अली,बबलु, अमित कल्याणा और पूर्व जिलाध्यक्ष युवा कांंग्रेस के हस्ताक्षर हैं। 

यह ज्ञापन देते समय पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल, गगन दीप विडिंग,महेंद्र गोदारा, दलीप स्वामी मौजूद थे। 

अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरविन्द कुमार जाखड़ ने जांच करने का कहा है।

* इस शिकायत पत्र में सात दिन का समय दिया है। मांग पूरी नहीं होने पर 3 जून 2022 से क्रमिक धरना करने की चेतावनी है। 

* शिकायत में नाम नहीं दिए गए कि किसने काम पूरा होने का लिख देने का दबाव डाला? अन्य कौन कौन बार बार दबाव डालने आते रहे।

* जहां तक जांच से पहले निलंबित करने की मांग है तो वह स्थानीय निकाय निदेशालय जयपुर से ही पूरी हो सकती है। 

****

पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध आरोप और जांच का अभियान कांंग्रेसियों ने ही खोल रखा है जो अचंभित करता है। बनवारीलाल मेघवाल कांंग्रेस के हैं और यहां 2009 से 2014 तक पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। कांंग्रेस के पार्षद परसराम भाटिया जो ब्लॉक कांंग्रेस के अध्यक्ष हैं। भाटिया की पत्नी यहां पालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं। 

परसराम भाटिया आदि ने लगातार आरोप लगाए हैं। एक बार तो पालिकाध्यक्ष ने कार्यालय में पत्रकार वार्ता भी आयोजित की जिसमें यहां तक कह दिया था कि परसराम भाटिया को ब्लॉक अध्यक्ष पद से हटाए हुए काफी समय हो चुका है, जबकि भाटिया अभी भी अपने इस पद पर बने हुए हैं। 

* बनवारीलाल और परसराम भाटिया ने सिवरेज के रोके हुए 1 करोड़ 45 लाख के भुगतान के क ई दस्तावेज नकलें मांगी। आरोप था कि ईओ पूरी नकलें नहीं दे रहे। एक दिन पूर्व विधायक  गंगाजल मील और पालिका अध्यक्ष की उपस्थिति में नकलें दी गई। यह समाचार छपा। इसमें भी लिखा हुआ था कि कैशबुक व भुगतान आदेश की नकलें नियम बता कर नहीं दी गई।

* सूरतगढ़ में सिवरेज का कार्य भाजपा की नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा के काल में हुआ जिसमें अनेक खामियां गड़बड़ियां रही भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। उस समय विधायक पद पर भाजपा के राजेन्द्र सिंह भादू थे। 

** बहुत बड़ा आश्चर्य यह है कि ओमप्रकाश कालवा ने पालिका के आगे सार्वजनिक समारोह आयोजित कर कार्यभार ग्रहण किया। उस समय पालिकाध्यक्ष ने खुले आम भाषण में कहा कि सिवरेज के गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ेंगे, कोई निर्माण में जहां कमियां होंगी वे दुरुस्त करवा देंगें। उनको पता तो था कि मुर्दे तो हैं उनको उखाड़ेंगे नहीं।यह क्या घालमेल है और अभी भी चल रहा है। उस समय 60 करोड़ से अधिक का भुगतान हुआ था उस पर सभी चुप हैं। आश्चर्य यह भी है कि अब जांच कराने की मांग करने वाले केवल 1 करोड़ 45 लाख रुपयों के भुगतान में ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। काफी महीनों से यह कागजी तलवारों से युद्ध हो रहा है। सीधे मुकदमों से टक्कर नहीं ली जा रही।

वैसे अब पहली बार अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर करोड़ों रुपयों के सरकारी भूखंड पर कब्जे का गंभीर आरोप लगा है। यह जांच गंभीरता से हो इसके लिए कई औरों के भी शिकायत में शामिल होने की संभावना है।

* कच्ची बस्तियों वालों राम प्रवेश डाबला आदि ने ओमप्रकाश कालवा और गंगाजल मील के विरुद्ध महीनों तक उपखंड कार्यालय के आगे धरना लगाया था। कोरोना के समय प्रशासनिक कड़ाई में वह रोकना पड़ा था। उनके आरोप भी भूमि संबंधी ही थे।

ऐसा लगता है कि गंगाजल मील का संरक्षण होते पालिका अध्यक्ष को शांति धारीवाल मंत्री से सस्पेंड कराना आसान नहीं है। बहुत दबाव और मुख्यमंत्री तक प्रयास होने पर ही कुछ संभव है। मील परिवार को विधानसभा की टिकट मांगनी है तो शायद मील ही कालवे को छिटका दें। मील 10 साल सत्ता से दूर रहने के बाद शायद परिवर्तन करें। क्योंकि ओमप्रकाश कालवा की विकास विनाश की रिपोर्ट उसमें शामिल होगी।०0०










यह ब्लॉग खोजें