शनिवार, 16 सितंबर 2017

आपातकाल 1975 में सीआरपीसी बंदियों को लोकतंत्र सेनानी सम्मान में शामिल किया जाए



सूरतगढ़ में आज दिनांक 14 सितंबर को लोकतंत्र  रक्षा सेनानी संघ की ओर से
संयोजक करणीदानसिंह राजपूत के नेतृत्व में उपखंड अधिकारी के माध्यम से
मुख्यमंत्री राजस्थान को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
ज्ञापन में प्रमुख रूप से यह मांग की गई  कि लोकतंत्र रक्षा सेनानी सम्मान और
सम्मान निधि में सीआरपीसी में बंदी रहे कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया जाए।
ज्ञापन में यह मांग भी थी कि वर्तमान में दी जा रही पेंशन को बढ़ाया जाए और
₹25000 मासिक किया जाए। इसके अलावा गंभीर रोगों के लिए अलग से 200000 रुपए तक
की व्यवस्था की जाए।
जो लोकतंत्र रक्षा परिवार पति-पत्नी दिवंगत हो गए उनके परिवार ने आपातकाल में
कष्ट भुगते थे अतः वारिस परिजनों को एक मुस्त 500000रू प्रदान किए जाए।
लोकतंत्र सेनानियों को सरकारी विश्राम ग्रह में ठहरने की निशुल्क व्यवस्था
हो।स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस तथा मंत्री स्तरीय समारोह में आमंत्रित
किए जाएं।
दिवंगत होने पर राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार  कार्यक्रम किया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में करणी दान सिंह राजपूत के अलावा पूर्व विधायक हरचंद सिंह
सिद्धू पूर्व विधायक अशोक नागपाल,एडवोकेट एन.डी.सेतिया,नारी उत्थान केंद्र की अध्यक्ष श्रीमती
राजेश  सिडाना, सूरतगढ़ संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्याम मोदी व महासचिव
राजेंद्र मुद्गल, आपातकाल में रासुका में बंदी लक्ष्मण शर्मा महावीर तिवारी
बलराम वर्मा,सीआरपीसी में बंदी रहे मुरली धर उपाध्यक्ष,गुरनाम सिंह आदि थे।
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लोकतंत्र रक्षा सेनानी संघ
       विजयश्री करणी भवन, सूर्यवंशी स्कूल के पास,मिनि मार्केट, सूर्याेदयनगरी
                 सूरतगढ   जिला श्रीगंगानगर   राजस्थान

मुख्यमंत्री,
राजस्थान सरकार,
जयपुर।
माध्यम-     एसडीएम, सूरतगढ़
विषय -आपातकाल लोकतंत्र रक्षा सेनानी सम्मान और सम्मान निधि में सीआरपीसी
बंदियों को शामिल करते हुए / मंत्रिमंडलीय उप समिति की सिफारिशों के
अलावा तथ्यों पर मंत्री मंडल में        पुनर्विचार करें।
माननीय,
आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों की ओर से व संगठनों की ओर से सन 2008 से
ज्ञापन प्रस्तुत किए जा रहे हैं। उन मांगों पर विचार करने के लिए
विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की
अध्यक्षता में और बाद में गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में
मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन हुआ।
     मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों में सीआरपीसी बंदियों को एकदम
अलग कर छोड़ दिया गया जो हमें स्वीकार नहीं है। आपातकाल में लोकतंत्र की
रक्षा में सीआरपीसी बंदियों का संघर्ष ऐतिहासिक तथ्य है, जिसे अलग नहीं
किया जा सकता।
आप खुद इस पर गौर कर निम्र मांगों को शामिल करते हुए निर्णय कर
मंत्रीमंडलीय स्वीकृति प्रदान करवाएं ताकि सभी धाराओं में बंदी बनाए गए
सभी रक्षकों को बराबर का सम्मान मिल सके। एक को सम्मान मिले और दूसरे को
सम्मान नहीं मिले तो यह ऐतिहासिक अन्याय हो जाएगा। पूर्व में रही भूल को
सुधारा जाए व सीआरपीसी धाराओं में बंदी बनाए गए रक्षकों को भी बराबर समझा
जाए। धाराएं लगाना तो सरकार व पुलिस का कार्य था।
     मंत्रिमंडलीय उप समिति ने ज्ञापनों में प्रस्तुत कर मांगों पर विचार
ही नहीं किया। प्रमुख रुप से पेंशन का नाम बदला गया और नाबालिग को पेंशन
दिए जाने का ही निर्णय किया।
हमें मंत्रिमंडलीय उप समिति का निर्णय किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है।
आप गौरर्वपूर्ण निर्णय करें ताकि यह इतिहास बने कि राजस्थान ने
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काल में ये निर्णय किए और लोकतंत्र रक्षकों
को सम्मान सम्मान निधि प्रदान कर विकास की मुख्यधारा में शामिल किया।
1. सन 2008 में मीसाऔर रासुका बंदियों को पेंशन दिए जाने के बाबत
अधिसूचना जारी हुई। उस में संशोधन कर सीआरपीसी व अन्य धाराओं में बंदी
रहे लोकतंत्र सेनानियों को शामिल किया जाए ।
2.आपातकाल में बंदी सभी प्रकार के रक्षकों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा
दिया जाए और यह प्रमाण पत्र केवल राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री के
हस्ताक्षर से जारी हो। मुख्यमंत्री के अलावा इस पर संबंधित विभाग गृह
मंत्री, नागरिक अधिकारिता मंत्री आदि के हस्ताक्षर भी हो सकते हैं।
3. सम्मान निधि की राशि प्रतिमाह 25 हजार रूपए स्वीकृत की जाए। अभी यह
राशि 12 हजार रूपए मासिक पेंशन और 12 सौ रूपए मेडिकल सुविधा के हैं।
मेडिकल सहायता गंभीर रोग आपरेशन आदि के लिए विशेष 2 लाख रूपए निर्धारित
की जाए।
4. राजस्थान रोडवेज में निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाए जिसमें किलो
मीटर निर्धारित कर दिए जाएं।
5. अनेक लोकतंत्र रक्षा सेनानियों के परिवारों के पास स्वयं का आवास नहीं
है इसलिए स्थानीय संस्थाओं नगरपालिका,नगरपरिषद व ग्राम पंचायत क्षेत्र
में निशुल्क भवन या निशुल्क भूखंड प्रदान किया जावे।
6. लोकतंत्र सेनानियों को राजकीय विश्राम गृहों /सर्किट हाऊस आदि में
राजकीय स्तर पर  ठहरने की सुविधा दी जाए।
7. राष्ट्रीय दिवस समारोह स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस समारोह व अन्य
मंत्री आदि के समारोह में आमंत्रित किया जाए।
8.अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान से समस्त प्रक्रिया हो।
9. जो आपातकाल रक्षा लोकतंत्र सेनानी पति पत्नी दोनों ही दिवंगत हो चुके
हैं उनके परिवारजनों ने आपातकाल में कष्ट तो सहन किया ही था इसलिए वारिस
परजिनों पुत्रों आदि को एकमुस्त 5 लाख रूपए तक की सम्मान निधि प्रदान की
जाए।
       आपातकाल में अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करनेे की कोई कीमत नहीं
होती और न कार्यकर्ता कीमत प्राप्त करने के लिए ही आंदोलन करता है लेकिन
कार्यकर्ताओं का सम्मान करना कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय विकास की धारा
में बराबर का स्थान प्राप्त हो सके इसके लिए पेंशन निधि आदि की सुविधा
प्रदान कराना राष्ट्रीय विचारधारा की सरकारों का परम कर्तव्य है। वर्तमान
में यह दायित्व निभाने का कर्तव्य आपका है।
  एक तरफ तो आपातकाल का चैप्टर पाठ्य पुस्तकों में होगा। लोकतंत्र रक्षक
सेनानियों में मीसा रासुका व सीआरपीसी में बंदियों का वर्णन होगा लेकिन
सरकार द्वारा लोकतांत्रिक सेवक की मान्यता में केवल मीसा व रासुका का ही
लिखा जाएगा। इतिहास आपसे पूछेगा कि सीआरपीसी बंदियों को लोकतांत्रिक सेवक
नहीं मानने का यह भेदभाव पूर्ण व्यवहार करके अत्याचार क्यों किया? आपको
तो तत्कालीन सरकार से अधिक अत्याचार वाली नीति नहीं अपनानी चाहिए थी।
आपके पास तो सभी को समान मानने का अधिकार था।
 हम आशा करते हैं कि आपके नेतृत्व में सभी को समान रूप से लोकतांत्रिक
रक्षक की सरकारी मान्यता मिले।
 लोकतंत्र सेनानियों की उम्र  60 साल से लेकर 90-95 साल की हो चुकी
है,अनेक दिवंगत हो गये जिनकी पत्नियां बहुत कष्ट व परेशानियों में है,
उसको भी ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय प्रदान करें।
दिनांक  14-सितम्बर 2017
भवदीय,

करणी दान सिंह राजपूत,
संयोजक,
लोकतंत्र रक्षा सेनानी संघ,
सूरतगढ़,    मोबाइल नं 9414381356.
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