शनिवार, 30 अप्रैल 2016

सूचना अधिकार की अर्जियां में लगे पोस्टल आर्डर फाइलों में बंद:


अर्जियों को रोकने व सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले कर्मचारियों के बींटे गोल होंगे:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सरकार ने जनता को सूचना का अधिकार दिया लेकिन कई कार्यालयों में अधिकारियों के या किसी न किसी नेता के मर्जीदान बने कर्मचारी आने वाली अर्जियों को बिना किसी कारण के रोकते रहते हैं। जो सूचना मांगी जा रही है वह देना नहीं चाहते। कर्मचारी अपनी दोस्ती निभाने के लिए जो कदम उठाता है वह भारी रिस्की होती है जो उसके समझ में नहीं आ रही है। अर्जियों के साथ पोस्टल ऑर्डर लगे हुए होते हैं जिनको शीघ्र अतिशीघ्र जमा करवा दिया जाना चाहिए लेकिन वे फाइलों में महीनों तक बंद पड़े रहते हैं।

 सरकार ने धन के जमा करा दिए जाने की अवधि दी हुई है। उससे अधिक समय तक वह किसी के पास में रहना नहीं चाहिए चाहे वह किसी भी रूप में हो। सूचना के अधिकार में जो सूचनाएं मांगी जाती है इसके लिए सामान्य रूप में एक माह का समय तय है लेकिन यह समय उनके लिए है जहां पर सूचना किसी रूप में जुटानी होती है। किसी कागज दस्तावेज पत्रावली की फोटो स्टेट प्रमाणित चाही गई हो तो उसमें पांच सात दिन से अधिक लग ही नहीं सकता। इससे अधिक लगाया जाता है तो स्पष्ट है कि कर्मचारी लापरवाह या कामचोर है या वह किसी से अपनी दोस्ती निभा रहा है तथा सरकार को नुकसान पहुंचा रहा है। जो कर्मचारी काफी समय से मतलब सालों से किसी एक स्थान पर जमे हुए होते हैं वे सरकार को नुकसान पहुंचाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं। अर्जियां रोकने और उनके साथ के पोस्टल ऑर्डर जमा नहीं करवाने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध जिस दिन से शिकायतें शुरू हो गई तब जो नुकसान उनको होगा उसकी भरपाई नेता व दोस्त नहीं कर पाऐंगे।
श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर एक बैठक में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं जिले के प्रभारी सचिव श्री टी. रविकान्त ने सभी अधिकारियों को सख्त निर्देशित किया था कि राजकीय कार्यालयों की गरिमा होनी चाहिए। कार्यालय निर्धारित समय पर खुले तथा सभी कार्मिक निर्धारित समय पर कार्यालय पहुंचे। कार्यालय में आने वाले नागरिकों के प्रति व्यवहार सद्भावी होना चाहिए तथा कोई भी अधिकारी कार्यालय में नही आने पर अन्य कार्मिकों को अधिकारी के आने का समय इत्यादि की जानकारी के संबंध में संतोषजनक जवाब देने चाहिए। भोजन अवकाश भी निर्धारित अवधि से ज्यादा नही हो। प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी को सवेंदनशील एवं जवाबदेही बनना होगा।
उन्होंने कहा कि कार्यालयों की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। कार्यालय साफ-सुथरा हो, बरताव अच्छा हो। इन बातों को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। समस्त राजकीय कार्यालय जनता के संस्थान है। सभी कार्यालयों में शौचालय हो तथा कार्यशील हो, जो कार्मिक नकारा है, लेट लतीफ आते है, काम से मन चुराते है, उन्हें नोटिस दिया जाये तथा नियमानुसार कार्यवाही करें। अपनी मित्रता निभाकर कार्यालयों का नुकसान नही करें तथा प्रत्येक कार्यालय पर एसीडी की नजर है तथा गुप्त सूचनाओं के आधार पर समय-समय पर प्रभावी कार्यवाही की जायेगी। जो भी अधिकारी व कर्मचारी यात्राएं पर जाये तो पुस्तिका में इन्द्राज करें।
सूचना के अधिकार के तहत जो भी कर्मचारी लापरवाह हैं निक्कमें हैं या दोस्ती निभाते हैं उन पर सख्त कार्यवाही हो सकती है। ऐसे कर्मचारी कहीं भी हों तो उनकी शिकायत सीधे प्रभारी सचिव को कर दी जानी चाहिए।

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