गुरुवार, 12 अगस्त 2021

महेंद्र सिंह भादू के बसपा ग्रहण कर सूरतगढ इलाके के दौरों से राजनीति में तूफान






करणी दान सिंह राजपूत


 सूरतगढ़ 12 अगस्त 2021.


भादू परिवार के दिग्गज महेंद्र सिंह भादू के बहुजन समाज पार्टी ग्रहण करने के बाद सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में गांव गांव में दौरों  से राजनैतिक तूफान मचा है।

 महेंद्र सिंह भादू ने 2 अगस्त को बसपा की सदस्यता ग्रहण की थी।

राजस्थान बसपा प्रभारी सीताराम ने महेंद्र सिंह भादू को बसपा की सदस्यता ग्रहण करवाई।


महेंद्र सिंह भादू सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बसपा के कर्मठ लोगों के साथ निरंतर भेंट व संपर्क में लगे हुए हैं और प्रतिदिन पांच सात  गांवों में संपर्क कर रहे हैं।

उनका महत्वपूर्ण कार्यकर्ताओं से 18 अगस्त को सूरतगढ़ में भेंट और बातचीत का कार्यक्रम है।

महेंद्र सिंह भादू श्रीगंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। महेंद्र सिंह भादू

राजनैतिक नाम भारी है और बसपा के लीडर के रूप में इलाके की राजनीति में बहुत बड़ा दबाव बनाने वाला है इसलिए अन्य राजनीतिक दलों में हलचल मची है कि आगे क्या हो सकता है।

राजनैतिक प्रभाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों में ही टूट-फूट संभावित है।


 सूरतगढ़ की राजनीति में पिछले कुछ समय से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों में राजनैतिक जोश खरोश नहीं है और केवल यदा-कदा 2- 4 घंटे का प्रदर्शन करके ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।


कांग्रेसमें पूर्व विधायक गंगाजल मील और उनके भतीजे हनुमान  सर्वे सर्वा हैं।

हनुमान मील पिछले चुनाव 2018 में पराजित हो चुके हैं और गंगाजल मील 2013 के चुनाव में पराजित हो चुके हैं।

गंगाजल मील 2003 में पीलीबंगा से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वहां रामप्रताप कासनिया निर्दलीय ने हराया।

2008 में पीलीबंगा में सीट अनुसूचित जाति आरक्षित होने के बाद सभी नेता सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आ गये।

सूरतगढ़ में 2008 में गंगाजल मील कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर  विधायक चुने गए।


उन्होंने रामप्रताप कासनिया भाजपा को हराया उस समय भादू परिवार के राजेंद्र सिंह भादू निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और हारे।

बाद में राजेंद्र सिंह भादू ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।

 2013 से दो हजार अट्ठारह तक राजेंद्र सिंह भादू सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।


भारतीय जनता पार्टी की ओर से टिकट के लिए राजेंद्र सिंह भादू निरंतर तैयारी में लगे हुए हैं और 2023 के चुनाव में टिकट के दावेदार भी हैं। भारतीय जनता पार्टी में राजेंद्र सिंह भादू के अलावा अशोक नागपाल भी दावेदार हैं टिकट किसको मिलता है यह अलग बात है।

 डूंगर राम गेदर बसपा की टिकट पर 2013 में विधानसभा चुनाव में दूसरे क्रम पर रहे थे।

 दो हजार अट्ठारह के चुनाव में रामप्रताप कासनिया ने चुनाव जीता दूसरे क्रम पर हनुमान मिल रहे और बसपा नेता कहे जाने वाले डूंगरराम गेदर तीसरे क्रम पर धकेल दिए गए।


 इसका कारण भी यह रहा कि डूंगरराम गेदर अच्छे खासे वोट मिलने के बाद कुछ निष्क्रिय से हुए जिसके कारण 2018 के चुनाव में उन्हें भरपूर वोट नहीं मिल पाए।

 डूंगरराम गेदर तीसरे क्रम पर रहने के बाद राजनीतिक आकांक्षा के घेरे में आए और लोगों ने यह सुझाव दिया कि कांग्रेस पार्टी में आप का महत्व बन सकता है। उन्होंने बसपा को छोड़ कर कांग्रेस जोइन कर ली।

कांग्रेस ने चुनाव में तो उनका विभिन्न स्थानों पर प्रचार के लिए उपयोग किया लेकिन उनके पास कोई अधिकार नहीं है।

 सूरतगढ़ में डूंगरराम गेदर की अपनी अलग कार्यालय व्यवस्था है। उनकी शक्ति और अस्तित्व बसपा में था वह कांग्रेसमें दिखाई नहीं पड़ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों के नेता और कार्यकर्ता कागजी धरना प्रदर्शन के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

 ऐसे में महेंद्र भादू का बसपा ज्वाइन करना और आगे सूरतगढ़ की राजनीति में प्रवेश करना बहुत बड़ी राजनीतिक हलचल मचाने वाली बात है।

महेंद्र भादू के बसपा ज्वाइन करने से अन्य राजनीतिक दलों के कुछ लोग भी बसपा में प्रवेश कर सकते हैं।

आगे की स्थिति क्या कुछ रोचक रहती है यह समय बताएगा।

महेंद्र भादू से वार्ता में उन्होंने बताया कि गांवों में संपर्क शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव में अभी दो साल है लेकिन पूछने पर बताया कि बसपा सूरतगढ से चुनाव लड़ाएगी तो निश्चित रूप से लड़ेंगे। यह एक पूरी तैयारी से कार्य हो रहा है। महेन्द्र भादू के सामने आने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही निश्चित रूप से सक्रिय होंगी।

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