रविवार, 8 दिसंबर 2019

सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना के पर्यावरण कार्यों में घोटालों से जनजीवन को खतरा


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना राजस्थान की सबसे बड़ी परियोजना है जिसके आसपास पर्यावरण शुद्ध रखने की जिम्मेवारी है।

आस-पास के गांव वर्षों से परियोजना के कारण वातावरण की शुद्धता खत्म होती जाने और श्वास रोग सहित विभिन्न बीमारियां बढ़ने के आरोप लगाते रहे हैं। स्पष्ट रूप से पर्यावरण शुद्ध करने और रखने के मामले में कोई कार्यवाही सिरे नहीं चढ़ी तथा कोई न कोई कमी कायम रही व अधिकारी अनदेखी करते रहे। सच्चाई यह है कि पर्यावरण कितना दूषित हुआ है, इसकी जांच कैसे होती है और वह जांच रिपोर्ट क्या है, वह सार्वजनिक नहीं होती। लोगों के आरोप लगते रहे लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं हुई।

सूरतगढ़ तापीय परियोजना की अभी 6 दिसंबर 2019 को कारपोरेट सामाजिक दायित्व की बैठक जिला कलेक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में सूरतगढ़ के विधायक रामप्रताप कासनिया में थर्मल प्रशासन द्वारा पर्यावरण के नाम पर की जा रही कार्यवाही और खर्च होने वाली राशि को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। कासनिया का आरोप था कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर पौधारोपण का जो कार्य हो रहा है वह धरती पर कुछ और है कागजों में कुछ और है। इसका मतलब समझ में नहीं आता हो,ऐसा नहीं है। पौधरोपण आदि पर जो खर्च कागजात में दिखाया जा रहा है वह धरती पर दिखाई नहीं दे रहा। सबसे बड़ा सवाल तो था कि जो रकम पौधारोपण आदि पर खर्च दिखाई गई है उसकी जांच होनी चाहिए। यह सवाल पिछले कुछ सालों से मीडिया में भी आता रहा है। थर्मल के यूनियन के प्रतिनिधि भी यह सवाल उठाते रहे हैं कि पौधारोपण कितना हुआ और किस तरह से पौधों पेड़ों को काट दिया जाता है। पर्यावरण का मामला बहुत गंभीर है। इस बैठक में बताया गया कि पर्यावरण के लिए फिलहाल 2 करोड़ 60 लाख रुपए अआंवटित किए गए हैं लेकिन यह भी बताया गया कि इसके खर्च करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। यहां आश्चर्य होता है कि जब बजट आवंटित किया जाता है तो उसकी कार्य सूची पहले से ही निर्धारित हो जाती है, जो स्थिति बताई गई है उसके अनुसार तो बजट आवंटन के बाद भी महीने दिशा निर्देश मांगने में लग जाएंगे। पर्यावरण के लिए कितना बजट चाहिए और कितना आवंटित किया गया है? इस पर भी ध्यान देना आवश्यक है। आवश्यकता 10 करोड़ की हो और आवंटन चौथा हिस्सा मतलब ढाई करोड़ ही हो तो पर्यावरण कैसे शुद्ध रह पाएगा?

 पर्यावरण के लिए थर्मल का विशाल भूभाग पेड़ पौधे लगाने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।  यहां कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रहण करने वाले और ऑक्सीजन छोड़ने वाले पेड़ों को लगाना अधिक लाभदायक हो सकता है। इसके लिए पीपल बड़ और नीम आदि के वृक्ष लगाना उपयुक्त हो सकता है।  इसके लिए वन विभाग के विशेषज्ञों से राय ली जा सकती है। इस राय में 8-10 दिन से अधिक लगने की कोई संभावना नहीं है। तापीय विद्युत परियोजना क्षेत्र में जो पेड़ लगाए जा रहे हैं वे छायादार होने के साथ ही फलदार हो तो आने वाले समय में करोड़ों रुपए की आमदनी भी हो सकती है। इस और अभी तक कोई उचित ध्यान नहीं दिया गया है। इस मामले में भी वन विभाग की राय ली जा सकती है। 

इस अभियान में पौधा रोपण पेड़ लगाने से लेकर फल प्राप्त करने और उचित समय पर पेड़ों से लकड़ी प्राप्त करने में करोड़ों रुपए की आमदनी होगी। वहीं इलाके के लोगों को विभिन्न प्रकार के रोजगार तथा उद्योग के लाभ मिलेंगे तथा आर्थिक उन्नति भी संभव होगी। 

पर्यावरण के मामले में सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना में चल रही ढील को और अव्यवस्था को तुरंत ही खत्म करना होगा।सबसे बड़ी बात यह है कि पर्यावरण के मामले में होने वाली हर कार्यवाही के बारे में जो भी रिपोर्ट मिलती रहे वह सार्वजनिक करनी होगी ताकि अधिकारी और जनता दोनों ही जागरूक रह सकें।००

*******





यह ब्लॉग खोजें