शनिवार, 30 जून 2018

क्या कांग्रेस बसपा का गठबंधन राजस्थान में भाजपा को हरा पाएगा?


कांग्रेस के कई दिग्गजों में गठबंधन की सुगबुगाहट से बेचैनी


राजस्थान में कांग्रेस व बसपा के  गठबंधन की सुगबुगाहट पिछले कुछ महीनों से चलती हुई चुनाव के पास आने से तेज होने लगी है। कांग्रेस नेताओं में बेचैनी है। यह गठबंधन हुआ तो प्रदेश की लगभग 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस नेताओं पर असर पड़ सकता हैै और उनकी राजनीति आगे के लिए खतरे में भी जा सकती है।

इसमें कांग्रेस के 2 बड़े नेता भी शामिल हैं।

 

उत्तर प्रदेश में उप चुनाव में विपक्ष ने एकजुट होकर प्रत्याशी खड़े किए तो उसके नतीजे अच्छे आए थे।


अब कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव में ऐसा गठबंधन करने की तैयारी में लगा है। गौरतलब है कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा का मत प्रतिशत भले ही 4 फीसदी से कम रहा लेकिन उसके तीन प्रत्याशी जीते थे।

 इसके अलावा 7 सीटों पर कांग्रेस को पछाड़कर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गठबंधन हुआ तो बसपा इन सीटों पर सबसे पहले अपना हक जताएगी। कुछ अन्य दलित प्रभाव वाली सीटों पर भी बसपा दावा कर सकती है। 


ऐसे में इन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कांग्रेस नेताओं के अरमान टूट सकते हैं। इनमें पूर्व मंत्री जितेन्द्र सिंह और दुर्रू मियां का नाम भी माना जा रहा है। खेतड़ी से बसपा के पूरणमल सैनी ने जितेन्द्र सिंह को 7500 से अधिक वोटों से हराया था। तिजारा से कांग्रेस के दुर्रू मियां चुनावी मुकाबले में 29172 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। बसपा के फजल हुसैन 31284 वोट लेकर उनसे आगे रहे थे।

भरतपुर में कांग्रेस के महेन्द्र कुमार तिवारी को 14616 वोट मिले थे, जो कुल मत प्रतिशत का महज 9.89 था। उनसे आगे निर्दलीय गिरधारी तिवारी थे। भादरा में कांग्रेस के जयदीप 11680 वोटों के साथ चौथे स्थान पर थे। उनका मत प्रतिशत 6.36 था। खींवसर में कांग्रेस के राजेन्द्र को सिर्फ 9257 मत मिले, वह चौथे नंबर पर रहे। उनका मत प्रतिशत सिर्फ 5.9 फीसदी रहा।

 

2013 में यहां जीती थी बसपा


2013 के चुनाव में बसपा ने सार्दुलपुर, खेतड़ी और धौलपुर में विजय प्राप्त की थी। 

इसके अलावा भरतपुर नगर, तिजारा, नदबई, सूरतगढ, खींवसर और भादरा में बसपा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था।

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