बुधवार, 23 नवंबर 2016

मोदी की नोट बंदी अच्छी है तो आपका विधायक जनता के बीच आकर बोलता क्यों नहीं?


- करणीदानसिंह राजपूत -
भाजपा के विधायक मोदी की नोट बंदी पर घबराए हुए चुप हैं। उनकी हिम्मत नहीं हो रही है कि नोटों की मारामारी में जनता के बीच में पहुंच कर अपनी सरकार का प्रधानमंत्री का पक्ष रखें। आप गौर करें कि आपका विधायक मोदी के नोअ बंदी निर्णय पर बोला है या नहीं बोला? मेदी जी का निर्णय बहुत अच्छा है तब विधायकों को बोलने में संकोच क्यों हो रहा है? वे जनता के बीच में बोल क्यों नहीं रहे? इस निर्णय को अच्छा बतलाते हुए उनको घबराहट क्यों हो रही है?
सोशल मीडिया में फेस बुक पर बहुत सीमित लोग ही अपने विचार प्रगट करते हुए निर्णय को अच्छा दूरगामी बतलाते हैं लेकिन वे तर्क पर और मौजूदा हालात पर सवाल किए जाने पर चुप हो जाते हैं। इन विचारों के प्रगट करने वालों में विधायक क्यों नहीं हैं? भाजपा के नगर मंडलों के या जिले के पदाधिकारी चुप क्यों हैं?
मोदी जी का निर्णय बहुत अच्छा है तो फिर भाजपा राज को घोटने वाले इन विधायकों को बोलना क्यों नहीं चाहिए? इनको चुप क्यों रहना चाहिए?
मोमला गंभीर है कि मोदी जी ने सार्वजनिक रूप से कह दिया कि एनकी हत्या करवाई जा सकती है। जब मामला इतना गंभीर हो प्रधानमंत्री को खुद को हत्या की आशंका हो,तब भी विधायकों को चुप रहना शोभा नहीं देता। क्या विधायक इतने स्वार्थी हो गए हैं कि मोदी जी की हत्या होने की आशंका पर भी अपना मुंह नहीं खोलना चाहते?
विधायकों के चुप रहने का सही कारण यह है कि मोदी जी का यह निर्णय जल्दबाजी में उठाया हुआ गलत कदम हैं? इससे आम जनता परेशान हो रही है तथा विधायक जनता के बीच में मोदी के निर्णय को अच्छा बतला कर अपने ऊपर कोई खतरा ओढऩा नहीं चाहते चाहे वह किसी वाद विवाद का हो या फिर राजनैतिक हो।
क्या यह डर लग रहा है कि जनता बैंको के आगे मौके पर चलने का कह सकती है?
क्या विधायक इसलिए डर रहे हैं कि लोग सीधे विधायक से भी सहायता के लिए कह सकते हैं?
अगर विधायक को परेशानी दूर करने का कह दिया गया तब विधायक के पास में भागने के अलावा कोई अन्य तरीका नहीं होगा?
विधायकों को यह डर लग रहा हो कि भविष्य में किसी चुनाव में लोगों के बीच में कैसे जा पाऐंगे?
राजस्थान में 163 विधायक भाजपा के हैं और आपके पास का विधायक भी भाजपा का होगा।
आपका विधायक नोट बंदी पर मोदी के पक्ष में बोला या नहीं? पन्द्रह दिन बीत गए और एक एक कर और बीतते रहेंगे।
विधायक इस कारण से भी डर रहे हों कि बैंक के आगे लाईन में खड़ा कोई मर मरा गया तो उसकी अंतिम संस्कार के लिए ही पैसा सहायता न देनी पड़ जाए?
लेकिन हिंदुस्तान की जनता को मैं जानता हूं कि वह अंतिम संस्कार के लिए किसी विधायक से सहायता नहीं लेगी। इतनी खुदगर्ज हिम्मती आन बान वाली तो जनता है।

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