मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

राजकीय चिकित्सालय और पुलिस थाने के बीच की 80 फुट की सडक़ पर भूमाफियाओं के कब्जे

सडक़ बंद होने से राजकीय चिकित्सालय के शवगृह का पीछे का दरवाजा बंद



सडक़ बंद होने से राजकीय चिकित्सालय के शवगृह का पीछे का दरवाजा बंद

सडक़ पर अतिक्रमणों के पट्टे नहीं दिए जा सकते मगर गैर कानूनी दिए गए


खास रपट- करणीदानसिंह राजपूत


सूरतगढ़, राजकीय चिकित्सालय और पुलिस थाने के बीच में 80 फुट चौड़ी सडक़ थी जिस पर भू माफिया लोगों ने चिकित्सालय की तरफ अतिक्रमण किया और राजनैतिक मिलीभगत से गैर कानूनी रूप से अतिक्रमणों का नियमन करवा कर पट्टे बनवा लिए और उनको आगे से आगे बेचते हुए चले गए। सडक़ पर किसी भी अतिक्रमण का नियमन नहीं किया जा सकता और उसके पट्टे भी जारी नहीं किए जा सकते लेकिन भू माफिया और राजनैतिक मिली भगती से यह गैरकानूनी कार्य किया जाता रहा। हालात यह है कि पट्टे आगे से आगे बेचे नहीं जा सकते थे मगर मूल पट्टे का हवाला विक्रयपत्र में छिपा कर उसका पंजियन भी करवाया जाता रहा। मूल पट्टे का हवाला रजिस्ट्री में उल्लेख ही नहीं किया गया। यह भी हुआ कि आलीशान आरसीसी के मकान  बने हुए भूखंडों को कच्चा पक्का तो कहीं कच्ची छत का तो कहीं टिनशेड का लिख कर रजिस्ट्री करवाई गई। दस्तावेजों में जानबूझ कर तथ्य छिपा कर झूठे तथ्यों पर सरकार को धोखा देते हुए रजिस्ट्री करवाई गई। विक्रेता और क्रेता दोनों ने सरकार से यह ठगी की और इसमें साक्ष्य देने वाले भी शामिल हुए। इसस धोखे से रजिस्ट्री का शुल्क कम लगा।

 इस चौड़ी सडक़ पर पुलिस थाने की तरफ तो पुलिस के डर से कब्जे नहीं हुए लेकिन राजकीय चिकित्सालय की तरफ कब्जे हुए। इन अतिक्रमणों से सडक़ बंद हुई और राजकीय चिकित्सालय के शवगृह का इस सडक़ पर खुलने वाला दरवाजा बंद हो गया। पहले शवों को अंत्य परीक्षण के लिए इसी गेट से लाया जाता था और उसी तरफ से ही ले जाया जाता था। इससे चिकित्सालय में आम रोगियों को यह दृश्य देखने को नहीं मिलता था। यही प्रबंध किया जाता है ताकि अन्य लोग किसी सदमें का शिकार नहीं हो सके। भू माफिया और राजनैतिक लोगों ने बाद में दरवाजे को पक्के तौर पर बंद करवा दिया।

लोगों ने समय समय पर विरोध किया मगर आम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई।

यह मामला अब इसलिए सामने आ गया कि राजकीय चिकित्सालय में ट्रोमा सेंटर के निर्माण के बाद एक गेट से ही तुरता फुरता घुसना और निकलना परेशानी वाल है । एक ही गेट से घायल लाए जाऐं और उसी से अन्य लोग आवागमन करें।

 सडक़ खुलती है तो राजकीय चिकित्सालय की बड़ी परेशानी दूर होती है तथा भू माफिया और धोखा देकर आगे से आगे बेचान करने वालों को भी सबक मिलेगा।

पीलीबंगा में उच्च न्यायालय के आदेश पर सडक़ों के अतिक्रमण हटा दिए गए थे तथा वहां पर पालिका का भवन तक हटाना पड़ गया था। सूरतगढ़ में भी हाल ही में 21 फरवरी 2013 को सांसी मोहल्ले में भी उच्च न्यायालय के आदेश से अतिक्रमण हटा कर पालिका ने बंद सडक़ खुलवाई है।


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