बुधवार, 10 अगस्त 2011

बोए जाते हैं बेटे, ऊग आती हैं बेटियां, आगे बढ़ाए जाते हैं बेटे, बढ़ जाती हैं बेटियां

रिपोर्ट: 8 अगस्त 2011.
बेटी के रूप में एक फूल तेरी कोख में सोया है मां
बोए जाते हैं बेटे, ऊग आती हैं बेटियां, आगे बढ़ाए जाते हैं बेटे, बढ़ जाती हैं बेटियां
माताओं के मदिरों में जाते और बेटों की कामना करते हैं
गर्भ में कन्या भ्रूण की हत्या रोकने पर जागृति उच्च माध्यमिक विद्यालय में विचार गोष्ठी
गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति का आयोजन
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 10 अगस्त। गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति की ओर से गर्भ में कन्या भ्रूण की हत्या रोकने पर आठ अगस्त को जागृति उच्च माध्यमिक विद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य सुरजाराम कारगवाल ने की। छात्र छात्राओं ने भाषणों व कविता पंक्तियां के माध्यम से कण कण को जगा देने वाले विचार रखे जिनमें यह प्रमाणित किया कि नारी किसी भी रूप में पुरूष से कम नहीं है फिर कोख में कन्याओं की हत्या किया जाना जघन्य पाप है जिसे हर हालत में रोका जाना चाहिए।
    इस गोष्ठी में छात्रा अंजु चाहर ने कहा कि गांव गांव में इस अभियान का प्रचार प्रसार करना चाहिए।
    छात्रा मोनिका ने कन्या हत्या को क्रूर हत्या बताते हुए कहा किस पापी ने बेटी के खून से दामन भिगोया है। उसने कहा कि माताओं के मंदिरों में जाते हैं और वहां पर बेटे की कामना करते हैं कि बेटा नाम रोशन करेगा। उसने कविता के माध्यम से भी बात रखी। कविता की पंक्तियां थी, बेटी के रूप में एक फूल तेरी कोख में खिला है मां।
    छात्र कालूसिंह ने कन्या हत्या को महापाप बताया। छात्र धर्मपाल ने कहा कि प्रकृति ने नर नारी को बराबर स्थापित करते हुए पैदा किया है। इसके बावजूद बेटी बेटे में भेद क्यों किया जाता है? छात्रा किरण कारगवाल ने कहा कि यह महापाप रोकना किसी एक के वश में नहीं है, इसके लिए सभी को मिल जुल कर प्रयास करना चाहिए।
    छात्रा खुशबू ने जोरदार अभिव्यक्ति दी, बोए जाते हैं बेटे,ऊग आती हे बेटियां, आगे बढ़ाए जाते हैं बेटे,आगे बढ़ जाती है बेटियां। छात्रा शकुन्तला ने कहा कि बेटियों को अभिशाप समझना बंद किया जाना चाहिए। छात्र दीपक स्वामी ने कहा कि बेटे निर्थक घूमते फिरते हैं, मगर बेटियां तो हर समय घर के काम में हाथ बंटाती रहती है। छात्रा ममता तंवर ने कहा कि बेटों का है मान जगत में बेटी का कोई मान नहीं, और इसी सोच के कारण कन्या वध हो रहा है। उसने कहा कि इस सोच को बदला जाने से ही कुछ लाभ मिल सकता है। छात्रा सीता नाथ ने कहा कि बेटियां हर परीक्षा परिणाम में बाजी मार ले जाती है, फिर भी उनका तिरस्कार होता है। इस हालत को समाज में बदलना ही होगा।
    प्रधानाचार्य सुरजाराम कारगवाल ने अपने भाषण में नर नारी के बीच में बढ़ रहे अनुपात पर चिंता प्रगट की और विद्यार्थियों को भू्रण हत्या रोकने का संकल्प दिलाया।
    गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति की ओर से साहित्यकार मनोज स्वामी अपने राजस्थानी अंदाज में दोहों के माध्यम से बात कही। स्वामी ने दोहों में दर्द को उजागर किया। स्वामी ने कहा कि हमें हर स्थान पर कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करना चाहिए। समित के संरक्षक प्रयागचंद अग्रवाल और किशन स्वामी ने भी अपने विचार रखे तथा भ्रूण हत्या रोकने की अपील भी की।
---------------------------------------------------------------------------------

यह ब्लॉग खोजें