शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

फर्जी प्रमाणपत्र से प्राप्त नौकरी कानून की नजरों में वैध नहीं- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार   6-7-2017 को दिए फैसले में कहा है कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर आरक्षण लेकर ली गई सरकारी नौकरी या दाखिले को कानून की नजरों में वैध नहीं ठहराया जा सकता। 

मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। इसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका प्रमाणपत्र फर्जी पाया जाता है तो उसे सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है। 

महाराष्ट्र में जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कर्मी का जाति प्रमाणपत्र अवैध पाया गया, तो उसकी सरकारी नौकरी चली जाएगी। चाहे उसने 20 साल की सेवा क्यों न की हो। उसके अवैध प्रमाणपत्र पर शिक्षा और डिग्री भी रद्द हो जाएगी।

( टिप्पणी-फर्जीवाड़ा किसी भी स्तर का हो और चाहे कितने भी साल बीत जाए मगर जब भी पकड़ा जाता है तब नौकरी जाती है और फर्जीवाड़ा मुकदमे में जेल मिलती है अक्सर लोग फर्जीवाड़ा करते समय यही सोचते हैं कि किसी को भी मालूम नहीं पड़ेगा और वह नौकरी करते जाते हैं। बचने के लिए नाम बदल कर दूसरा नाम धारण कर लेते हैं लेकिन यह कटु सत्य है कि 20 -25 साल बाद भी फर्जीवाड़ा पकड़ा जा सकता है।चाहे नौकरी करने वाला ऊंचे पद पर बैठ गया हो चाहे एसडीएम बन जाए चाहे कलेक्टर बन जाए चाहे पुलिस का अधिकारी बन जाए। चाहे नाम बदल ले।वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता।)


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