* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 19 नवंबर 2024.
सूरतगढ़ में खुले घूमते रहेंगे सांड। पहले भी घूमते रहे! अभी भी घूम रहे हैं!! आगे भविष्य में भी घूमते रहेंगे।
* पहले नंदी शाला नहीं थी। अब कुछ सालों से नगरपालिका की शिव नंदी शाला है। नगरपालिका अध्यक्ष जो भी आए,उन्होंने नारा दिया कि शहर को कैटल फ्री बनाएंगे। कैटल फ्री का मतलब आधी जनता जानती नहीं सो जब जब यह नारा या घोषणा किसी समारोह या कार्यक्रम के मंच से हुई तब तब उपस्थित लोगों ने तालियां पीट दी। नगरपालिका अध्यक्ष ही नहीं नंदी शाला के अध्यक्ष जो रहे उन्होंने भी लोगों को दिन में सपने दिखाए कि थोड़ा टाईम दो शहर में खुला घूमता एक भी पशु नजर नहीं आएगा।
बात को किसी बुद्धिमान की तरह समझें तो मान लें कि जनता की आंखों में मोतियाबिंद उतरा हुआ नहीं है और अध्यक्षों का मोतियाबिंद पक गया। अध्यक्षों को दिखाई नहीं देता या फिर वे देख कर भी अनजान बन जाते हैं। कैटल फ्री करने का कहना और इस पर कार्य करने में बड़ा अंतर है। कैटल फ्री नहीं किया तो भी जनता क्या कर लेगी।
*प्रश्न यह है कि शिव नंदी शाला नगरपालिका द्वारा संचालित है। उसकी समिति बनी हुई है।
1-समिति ने गौ वंश को नंदी शाला में ले जाने के लिए कितनी बार प्रयास किए,कार्यवाही की?
2- समिति ने कितनी बैठकें की जिनमें गौ वंश को नंदी शाला में लाने के लिए प्रस्ताव था।
* घोषणाएं बहुत हुई लेकिन काम होता तो बाजारों में शहर में ऐसा बुरा हाल नहीं होता।
* नगरपालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी पार्षदों की जिम्मेदारी होती है लेकिन जिम्मेदारी समझते नहीं।
👌नंदी शाला के अध्यक्ष से भी कोई पूछता नहीं कि आपकी भी पद के प्रति कुछ जिम्मेदारी होती होगी। शहर को कैटल फ्री नहीं कर पाए तो अध्यक्ष पद का तगमा गले में लटकाए रखना जरूरी भी नहीं है न यह कोई बंधुआ पद है। छोड़ो इसे और कम से कम खुद तो इस तगमें से फ्री हो जाओ।
* आप तो कारों में घूमते हो,लेकिन बाजार में पैदल चलते लोगों से पूछो क्या हाल होता है? दुपहिया वाहन चलाने वालों से ही जान लो।
👌 बात जिम्मेदारी की है और घोषणा की वफादारी की भी है। इनमें उत्तीर्ण कैसे होंगे? काम करेंगे तो उत्तीर्ण होंगे। काम कोई करता नहीं सो शीर्षक कायम ही रहेगा,सूरतगढ़ में खुले घूमते रहेंगे सांड।०0०
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