रविवार, 17 अक्तूबर 2021

पत्रकारिता में सहयोगी दो मित्र:दोनों रमेश: रमेश रमेश आपस में समधी:

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


पत्रकारिता में अनेक लोगों का सहयोग मिलता रहा है। इंजीनियर रमेश चंद्र छाबडा और इंजीनियर रमेश चंद्र माथुर दोनों का सहयोग सराहनीय और आज भी स्मरणीय है। बड़े दावे के साथ कह सकता हूं कि व्यक्ति चाहे तो पत्रकारिता क्षेत्र में सहयोग मिलने पर बहुत कुछ कर सकता है। 

रमेश चंद्र छाबड़ा और रमेश चंद्र माथुर दोनों सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और सूरतगढ़ में निवास कर रहे हैं आश्चर्यजनक है कि रमेश चंद्र छाबड़ा और रमेशचंद्र माथुर आपस में समधी हैं।

रमेश चंद्र छाबड़ा कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और लेखन में रुचि रखते हैं। एक पुस्तक छप चुकी है। फेसबुक पर व स्वयं के ब्लॉग में लिखते हैं।  रमेश चंद्र माथुर भाजपा के कार्यकर्ता हैं और रक्तदान सहित अनेक समाजसेवी कार्यों में सहयोग देते शामिल रहते हैं। रमेश चंद्र माथुर और पत्नी प्रभा माथुर युगल रूप में अनेक बार रक्त दान कर चुके हैं। 

मैं राजस्थान पत्रिका में कार्य करता था तब दोनों सिंचाई विभाग में कार्यरत थे और डिप्लोमा इंजीनियर्स युनियन के पदाधिकारी थे। सन् 1991 में इंदिरा गांधी नहर की एक श्रंखला राजस्थान पत्रिका में 12 किस्तों में छपी और कड़वा मीठा सच्च 1992 में राज्यस्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसमें और अन्य समाचारों में बड़ा सहयोग मिला। राजस्थान पत्रिका की प्रगति पर पत्रकारिता के कड़े सिद्धांत रखने वाले संपादक श्री विजय भंडारी जी ने पुस्तक लिखी जिसमें मेरा और इस श्रंखला का विशेष उल्लेख किया गया था। 

दोनों रमेशों ने कड़वा मीठा सच्च के अनेक लेखों में ऐसी समस्याएं छपवाने में सहयोग दिया जिससे अनेक कार्य सरकार को,विभागों को समाधान करने पड़े और लोगों को लाभ हुआ। पीडि़त लोगों को लाभ दिलाने का अपार आनंद हम तीनों ने उठाया। लोगों के जीवन में खुशियाँ भरने का आनंद। राजस्थान पत्रिका ने मेरे हर लेख और विचारों को छापा।

आज भी दोनों रमेशों का सहयोग मिलता रहता है।०0०

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