शुक्रवार, 28 मई 2021

वाह! रेलवे के सफाई कर्मचारी:स्टेशनों पर कोरोना संक्रमण रोकने में सराहनीय सेवाएं.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


कोरोना संक्रमण की महामारी को रोकने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के प्रमुख स्टेशनों पर सफाई कर्मचारी दिन रात रेलवे परिसरों को स्वच्छ रखने में जुटे हुए है, जिससे यात्रियों को संक्रमण से बचाया जा सके।


उत्तर पश्चिम रेलवे के उपहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार कोरोना महामारी में हर कोई अपने-अपने स्तर पर रोकथाम में जुटा हुआ है।







 रेलवे स्टेशनों पर कार्य करने वाले सफाई कर्मचारी रेलवे का एक ऐसा वर्ग है जो पूरी तरह बिना किसी प्रचार प्रसार के पूर्ण मनोयोग के साथ सेवा और समर्पण की भावना के साथ स्वच्छता के काम में जुटा हुआ  कोरोना संक्रमण के विरूद्व लडाई में अपना योगदान दे रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण को देखते हुये यात्रियों की संख्या में कमी जरूर आई है लेकिन रेलवे स्टेशनों पर सफाई में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रखी गई है। 

रेलवे स्टेशनों पर सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ कर हमेशा की तरह स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।  रेलवे स्टेशनों को साफ सुथरा रखने में सबसे बड़ा योगदान सफाई रेल कर्मचारियों का हैं, ये सफाई कर्मचारी दिन रात कार्य कर अपने काम पूरी मुस्तैदी से निभा रहे है। 


उत्तर पश्चिम रेलवे के प्रमुख स्टेशन पर दैनिक आधार पर यात्रियों की यात्रा संक्रमण मुक्त रखने के लिए रेलवे स्टेशन पर कार्यरत सफाई कर्मचारी भी पूरी मुस्तैदी के साथ लगातार कार्य कर रहे है। संक्रमण मुक्त करने के लिए प्रत्येक गाड़ी के आगमन/प्रस्थान के बाद प्लेटफाॅर्म धोया जाता है, सभी काॅमन ऐरिया जैसे वाटर हट, शौचालय, टिकट काउंटर, आगमन/प्रस्थान गेट, प्रतीक्षालय कक्ष आदि को निरंतर सैनेटाईज किया जा रहा है। इसके साथ ही सफाई कर्मचारियों को भी प्रत्येक एक घंटे के बाद सैनेटाईजिंग प्रोसेस द्वारा सुरक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्हें मास्क/सैनेटाईजर की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है एवं सफाई के उपकरणों को भी निरंतर संक्रमण मुक्त किया जाता है, जिससे रेल यात्रियों को संक्रमण रहित यात्रा उपलब्ध कराई जा सकें।०0०

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आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों की रिट- उच्च न्यायालय जयपुर बेंच द्वारा राजस्थान व भारत सरकार को नोटिस जारी👌

 

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* करणी दान सिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 28 मई 2021.
आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों की ओर से दायर की गई एक रिट पर राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच ने राजस्थान सरकार भारत सरकार और अलवर पेंशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
यह नोटिस जयपुर बेंच की ओर से 21 मई 2021 को जारी हुआ है और अगली तारीख पेशी 15 जुलाई 2021 है।
एडवोकेट मोहित गुप्ता की ओर से यह रिट राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच में पेश की गई थी। 
तीन लोकतंत्र सेनानी अलवर निवासी रघुनाथ बवेजा (79 साल) राधेश्याम शर्मा (63)साल और कमल सिंह की ओर से यह रिट की गई है। इन तीनों लोकतंत्र सेनानियों का ppo (परमानेंट पेंशन आर्डर)जारी हो चुके थे लेकिन इसके बावजूद पेंशन नहीं दी गई।
राजस्थान सरकार ने 16अक्टूबर 2019 को पेंशन रोक दी और  पेंशन संबंधी आदेश खत्म कर दिया था।
एडवोकेट मोहित गुप्ता ने बताया कि रिट तीनों की पेंशन के लिए है और राजस्थान सरकार ने पेंशन रोकने का आदेश 16 अक्टूबर 2019 को जारी किया उसको बहाल करने के लिए है।
राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर बेंच ने राजस्थान सरकार को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के माध्यम से,भारत सरकार को सचिव के माध्यम से और निदेशक पेंशन एवं वेलफेयर डिपार्टमेंट अलवर को नोटिस जारी किए हैं। इन तीनों को पीपीओ जारी करने के बावजूद पेंशन शुरू नहीं की गई, जो अदालत से शुरू करवाने का आदेश जारी करने की याचना की गई है। केस जीतते हैं तो राजस्थान सरकार को इनकी पेंशन शुरू करनी होगी।

( राजस्थान मैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल में सरकार ने मीसा और रासुका आपातकालीन बंदियों को 1 जनवरी 2014 से पेंशन शुरू की थी। यह पेंशन पहले ₹12000 पेंशन और 12 सो रुपए प्रतिमाह मेडिकल भत्ता कुल ₹13200 शुरू हुआ था। बाद में यह वृद्धि करके 20000 पेंशन और 4000 मेडिकल भत्ता ₹24000 प्रतिमाह किए गए जो शुरू भी हो गए। इनकी संख्या करीब 1600 थी। अनेक दिवंगत हो गए और उनकी पत्नियां बहुत परेशानी में हैं।
वसुंधरा राजे सरकार ने सीआरपीसी 107 151 116 बटा 3 में गिरफ्तार हुए आपातकाल बंधुओं को भी पेंशन शुरू की। यह संख्या करीब 350 थी जिनमें ढाई सौ के करीब लोगों को पेंशन शुरू हुई और बंद होने तक ₹260000 तक प्रत्येक को मिल गए थे लेकिन करीब 100 फाइलें विभिन्न जिला कलेक्टरों के दफ्तरों में सारी कार्रवाई पूरी होने के बावजूद रुकी रही। उन फाइलों में पेंशन दिए जाने की रिपोर्ट भी पुलिस और जेल विभाग के द्वारा लिखी गई लेकिन जिला कलेक्टरों  ने मीटिंग नहीं की। करीब 100 फाइलों में ऐसे आर्डर नहीं हो पाए इनको कुछ भी नहीं मिला।  * *राजस्थान में इस समय करीब अट्ठारह सौ के करीब लोग हैं जिनमें कई देहावसान हो गए उनकी पत्नियां हैं जो अब वृद्धावस्था और परेशानियों से ग्रस्त का लोकतंत्र सेनानी भी 60 साल से ऊपर 95 साल तक की उम्र के हैं। 
तीन तरह की स्थिति है। 
* मीसा  रासुका बंदी  जिनको पेंशन शुरू होने से बंद होने तक करीब साडे ₹900000  नौ लाख मिल चुके हैं। 
**सीआरपीसी के करीब ढाई सौ सेनानी जिन को शुरू से बंद होने तक करीब ₹260000( दो लाख साठ हजार) प्रत्येक को मिल चुके हैं।  *** तीसरे वे हैं जिन्हें जो सीआरपीसी में है और उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है। फाइलें तैयार जिला कलेक्टरों के दफ्तरों में पड़ी है।
👌 राजस्थान में करीब अट्ठारह सौ लोग लोकतंत्र सेनानी है विशेष बात यह है कि अट्ठारह सौ में से केवल 3 लोगों ने जयपुर में और 2 लोगों ने जोधपुर में रिट दायर की हुई है। * यह संख्या बहुत कम है। अन्य  लोगों को रिट  दायर करने के लिए तुरंत आगे आना चाहिए। 

👌 एडवोकेट मोहित गुप्ता ने बताया कि शीघ्र ही 10 अन्य सेनानियों की ओर से भी रिट दायर करने की तैयारियां चल रही है। 
मेरे विचार से अन्य सेनानियों को भी  शामिल होने के लिए रिट दायर करने के लिए आगे आना चाहिए। 
एडवोकेट मोहित गुप्ता से सीधे बात कर सकते हैं उनके नंबर यहां दे रहे हैं।
राजस्थान बहुत बड़ा इलाका है कोरोना काल में दूर तक के लोगों के बजाय अगर जयपुर के आसपास के लोग रिट दायर करने में आगे आते हैं तो उचित होगा और स्थिति बहुत अधिक मजबूत हो सकती है। महिलाओं को भी आगे लाया जा सकता है। 
राजस्थान में विभिन्न संगठन है मगर केंद्रीय सरकार को भेजे गए किसी पत्र का जवाब नहीं है। 
**अनेक सेनानी जो सत्ता पक्ष से और संघ से समर्पित कार्यकर्ता है वे भारत सरकार को प्रधानमंत्री को गृहमंत्री को नाराजगी के भाव प्रगट नहीं करना चाहते। 
उन केंद्र सरकार से नाराजगी प्रकट नहीं करने वालों को यहां राजस्थान के अंदर रिट दायर करनी ही चाहिए। मैं पहले भी सुझाव दे चुका हूं कि साधन संपन्न और पेंशन प्राप्त कर चुके सेनानियों को आगे बढ कर आधिक से अधिक संख्या में शीघ्रातिशीघ्र रिट लगवानी चाहिए।
* एडवोकेट मोहित गुप्ता जी के मो.नं ये हैं ं।

दि.28 म ई 2021.
आपका शुभेच्छु,


करणीदानसिंह राजपूत,
आपातकाल जेलयात्री पत्रकार,
सूरतगढ़।
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बुधवार, 26 मई 2021

राजस्थान के व्यापारियों दुकानदारों जागो और सारे बाजार खुलने का ज्ञापन अभी दो.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *

राजस्थान में लॉकडाउन 8 जून सुबह तक बढाए जाने की गाइड लाइन में लिखा है कि जहां स्थिति सुधार पर होगी वहां 1 जून से छूट दी जाएगी। राजस्थान में किराना व्यापारियों की दुकानें पहले 5 दिन खुलती थी अब 4 दिन की अनुमति दी गई है लेकिन बाकी दुकानें बंद है और उन में पड़ा हुआ माल रेत गर्द में खराब हो रहा है।

कोरोना के विस्तार को रोकने के लिए हमेशा ही बाजार बंद का फैसला पहले नंबर पर रखा जाता रहा। व्यापारी संगठन अपनी आवाज नहीं उठा पाए। इस कमजोरी के कारण ही प्रशासन और शासन का पहला काम बाजार बंद करवाना रहा। बाजार में कुछ संख्या आती है जबकि सैकड़ों गुना संख्या शहर में होती है। शहर में मोहल्लों में गलियों में घूमने पर कानून कायदे तोड़ने पर कोई नियंत्रण नहीं है। कोई देख रेख नहीं है। 
बस!प्रशासन का आदेश व्यापारियों पर लागू हो जाता है। 
अब 8 जून तक के लॉक डाउन की गाइड लाइन में 1 जून से सुविधाएं शुरू होंगी जहां पर प्रशासन मानेगा की सब कुछ ठीक-ठाक है। अगर व्यापारी संगठन चुप रहे अपने आवाज को बुलंद नहीं कर पाए तो किराना के अलावा अन्य बहुत सी दुकानें बंद ही रहेंगी। सच तो यह है कि जो दुकाने अब बंद पड़ी हैं उनके बिना भी व्यक्ति का काम नहीं चल सकता। उनका खोला जाना भी अति आवश्यक है। 
व्यापारी कमजोर इसलिए पड़ रहा है कि उसने कभी भी यह नहीं कहा कि दुकानों से कोरोना नहीं फैला। दुकानदारों ने कोरोना नहीं फैलाया। यह दुकानदारों की बहुत बड़ी कमजोरी रही है। अब भी दुकानदारों और  व्यापारिक संगठनों का जागना बहुत जरूरी है।
श्री गंगानगर में संयुक्त व्यापार संगठन की ओर से जिला कलेक्टर को समस्त बाजार खोलने की मांग रखी गई है। यह कदम बहुत ही अच्छा और पहल करने वाला है।

जिला कलेक्टर व उपखंड अधिकारी ही तय करेंगे कि 1 जून को बाजार कहां कहां खोला जा सकता है। 
राजस्थान के अन्य स्थानों के जिला मुख्यालय के संगठनों को अपने अपने जिला कलेक्टरों को आजकल में ही सारा बाजार खोलने का ज्ञापन दे देना चाहिए।  जहां उपखंड है वहां व्यापारिक संगठनों को उपखंड अधिकारी और जिला कलेक्टर दोनों को ही ज्ञापन 1 जून से छूट और पूरा बाजार खुलने की अनुमति प्रदान करने का आज ही दे दिया जाना चाहिए।

* व्यापारिक संगठन यह कोशिश रखें कि बाजार में मास्क और सोशल डिस्टेंस की शत प्रतिशत पालना हो सके और कोई चालान नहीं हो। चालान हों तो बहुत कम हो। तब प्रशासन के सामने बाजार खोलने से इनकार करने का कोई बिंदु नहीं रहेगा। 
रिपोर्ट यह आनी चाहिए कि फलां जगह बाजारों में दुकानदारों ने नागरिकों ने मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंस 2 गज की दूरी का पूरा पूरा पालन किया है।  यह एक बहुत बड़ा प्रमाण होगा और 1 जून को किराना व्यापार के अलावा भी अन्य बहुत से व्यापार शुरू हो सकेंगे।
बाजार बंद रहने से सभी के धंधे चौपट हो रहे हैं और अपने घर की पूंजी को ही लोग खा कर के खत्म कर रहे हैं। सभी बर्बादी के कगार पर हैं इसलिए आजकल में ही अपने क्षेत्र के उपखंड अधिकारी जिला कलेक्टर आदि को 1 जून से बाजार खोलने का ज्ञापन जरूर दें।अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों विधायकों, सांसद आदि को भी ज्ञापन जरूर दें और अपने साथ खड़ा रखें।

बाजार खोले जाने का समय सुबह 6 से 11 के बजाय उपयुक्त समय 9 बजे से शाम 7 बजे तक तो अवश्य हो।
दि. 26 मई 2021.
सामयिक लेख.



करणीदानसिंह राजपूत,
( 55 वर्षों से पत्रकारिता एवं लेखन)
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
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समाचार पत्रों, सोशल मिडिया में प्रकाशित/ प्रसारित करें। अन्य स्थानों के व्यापारियों तक फार्वर्ड कर पहुंचाएं। लेखक।
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सोमवार, 24 मई 2021

👌 व्यापारी दुकानदार चतुर हैं। व्यंग्य- करणीदानसिंह राजपूत


उनके हाथ हैं मुंह हैं।

 सरकार को अधिकारियों को लिख कर दे सकते हैं। 

मुंह है जिससे बोल कर सत्ता को कह सकते हैं। 

अपने पास के विधायक सांसद को कह सकते हैं। 

मगर लिखते नहीं कहते भी नहीं।


क्यों नहीं लिखते क्यों नहीं बोलते?

लिखने बोलने में अपना कुछ खर्च ना हो जाए। 

दूसरे लिखें। दूसरे ही बोलें। 

अब उनको समझाएं कि लिखने बोलने से कुछ खर्च नहीं है, लिखो बोलो।


👌 क्या मजाक करते हो। ऐसा कभी हुआ है कि खर्च नहीं हो। खर्च तो होता ही है।आज के जमाने में मुफ्त कुछ भी नहीं।


 हम नहीं लिखते हम नहीं कहते।

 खर्च तो होता ही है, शायद मालुम नहीं पड़ता हो। 

ऐसे भोले नहीं कि आप के कहे अनुसार करने लग जाएं।


चलो,मान लें कि आपके लिखने बोलने से कुछ खर्च हो जाता है जो आप नहीं करना चाहते।

 फिर ऐसा करो कि जो दुसरे लिखते हैं,उसको फार्वर्ड कर दिया करो। 


अरे वाह!

आपने क्या समझा है? 

हमारे दिमाग है। 

आप फार्वर्ड कराना चाहते हैं। 

फार्वर्ड भी कोई मुफ्त में नहीं होता।

 उसमें भी खर्च होता है।

आप ये सारी सीखें कितनी भी घुमा फिरा कर बताओ। 

हम इन पर चलने वाले नहीं।

आप भी बस! 

इतना समय बरबाद किया।

 कुछ और कर लेते।

और क्या कर लेते?


बाजार में तो  लॉकडाउन लग गया?


( व्यापारियों दुकानदारों की चतुरता को समर्पित)


दि. 24 मई  2021.


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करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़.

94143 81356.

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रविवार, 23 मई 2021

मंत्रियों के कौनसी दुकानें व्यवसाय हैं जो लॉक डाउन में बंद रहने से नुकसान होगा?

 





( राजस्थान सरकार के नियमों से दुकानदारी और व्यवसाय बार बार बंद होने से समाप्त हो रहे है इससे राजस्थान का दुकानदार ही नहीं राजस्थान की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है उस पर चिंतन करते हुए नई गाइड लाईन जारी करे।)


* करणीदानसिंह राजपूत *


मंत्रियों ने राजस्थान में जनजागरण लॉकडाउन 15 दिन और बढ़ाने की राय दी है। मंत्रियों के कौन सी दुकानें और व्यवसाय है कि उनके बंद रहने से उन्हें कोई घाटा होगा। राजस्थान में लॉक डाउन का मतलब केवल बाजार बंद दुकानें बंद तक सीमित कर दिया गया है और उसी के अनुसार कार्य होता है। पुलिस का फ्लैग मार्च भी बाजारों में दुकानदारों को भयभीत करने के लिए होता है। 
राजस्थान में बाजारों में दुकानों के बंद रहने से किरयाना के अलावा दुकानों में सारे माल पर धूल जम गई है। सामान नष्ट हो रहा है। हर दुकान में लाखों रुपए का सामान नष्ट हो रहा है। दुकानदार अपना सिर पीट रहे हैं और शासन प्रशासन में उनका हित चिंतक कोई नजर नहीं आ रहा है। सत्ताधारी और गैर सत्ताधारी राजनीतिक नेता राजनीतिक दल कार्यकर्ता सभी संज्ञा शून्य पड़े हैं और बर्बाद होते हुए दुकानदार व्यवसायी लोगों के लिए इन सभी की तरफ से एक शब्द तक नहीं कहा गया।  सरकार को लिखना सुझाव देना बहुत दूर की बात है। 
यह कड़वी सच्चाई है कि इन सभी लोगों के उदासीन व्यवहार से दुकानदार और व्यवसाय लॉकडाउन के नाम पर बर्बाद हो रहा है बल्कि कहना चाहिए कि बर्बाद हो चुका है। 
राजस्थान के मंत्री परिषद ने 22 मई 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सलाह दी है कि 15 दिन तक लॉकडाउन और बढ़ा दिया जाए। मंत्रियों के दुकान और व्यवसाय नहीं है।शासन के हिस्सेदार सचिव जो प्रतिमाह लाखों रुपए वेतन भत्ते भुगतान उठाते हैं,उनकी भी कोई दुकान बर्बाद नहीं हो रही है। सरकार के अधिकारी और कर्मचारी जिनकी ड्यूटी  गाइडलाइन की पालना करने के लिए लगाई जाती है जिनमें नीचे से लेकर जिला कलेक्टर तक शामिल है उनकी भी कोई दुकान बर्बाद नहीं हो रही। पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों और राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को भी लॉकडाउन में अपनी कोई दुकान बर्बाद होने का कोई खतरा नहीं है क्योंकि इनकी कोई दुकाने नहीं है। 
हालात बहुत नाजुक है,दुकानदार और छोटे व्यवसाय जो पीड़ा भोग रहे हैं जो पीड़ा इनके परिवार भोग रहे हैं उनको शासन और प्रशासन राजनेताओं और सत्ता से बाहर राजनेताओं के द्वारा समझा ही नहीं जा रहा। 
कोरोनासंक्रमण फैलने के कारणों में दुकानदारों का व्यवसायियों का कोई रोल नहीं है। अभी तक किसी समीक्षा में यह साबित नहीं हुआ है कि दुकानदार  व दुकान के कर्मचारी संक्रमण फैलाते हैं।  दुकानों पर सरकारी गाइडलाइन मास्क लगाना और 2 गज की दूरी रखने का पूरी तरह से पालन करने में सभी  लगे हुए हैं। इस स्थिति में प्रमाणिक रूप से कहा जा सकता है कि कोरोना दुकानदारों से दुकान के कर्मचारियों से और बाजार से नहीं फैल रहा। बाजार में आने वाला व्यक्ति मास्क लगाकर आ रहा है। 
कोरोना जहां से फैल रहा है उस भीड़ भाड़ पर सरकार की ओर से शासन प्रशासन की ओर से अधिकारियों की ओर से पुलिस की ओर से  कोई रोक नहीं और न कोई कानूनी कार्यवाही है। यह सब दुकानदारों के लिए है कि जब चाहे उन्हें चालान से रगड़ दिया जाए।

सरकार ने लॉकडाउन लगाया लेकिन लॉकडाउन में गाइडलाइन मास्क और 2 गज की दूरी का पालन कहां नहीं हो रहा है इस पर विचार किया जाना चाहिए था। 
सरकार को बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद मंत्रिपरिषद ने और सचिव आदि ने उच्च अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।

बड़े नेताओं के यहां तक के मंत्री परिषद के सदस्य के यहां कोई समारोह हो तो उसमें भीड़ चाहे जितनी आए वहां पर रोक लगाने के लिए कोई पुलिस अधिकारी नहीं और बाद में भी उस पर नियम कानून के हिसाब से कोई मुकदमा भी नहीं। सारा राजस्थान यह सब देख रहा था। स्वयं मुख्यमंत्री भी देख रहे थे। सभी मंत्री देख रहे थे। समाचार पत्र देख रहे थे। लेकिन खुले रूप से विरोध करने की मुकदमा दायर करने की कार्यवाही नहीं की। सोशल मीडिया में जरूर चंद लोग लिखते रहे लेकिन उनकी ओर से भी कहीं कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया गया। 
बाजारों में पुलिस की फ्लैग मार्च और गश्त, जहां नियम कानून का पालन होता है वहां पर दबदबा। लेकिन शहर से बाहर की ओर की बस्तियों में मोहल्लों में लॉक डाउन का कोई असर नहीं। लोग दिन में और रात में टोलियां के रूप में घूमते हैं। बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद पुलिस की गश्त पुलिस की वाहन गस्त मोहल्लों और बाहरी बस्तियों में नहीं हो पाई। मोहल्लों में गस्त होती तो लोग अपने घरों से बाहर निकलने में कतराते। 
यह बहुत बड़ा बिंदु है कि केवल बाजारों  में लॉक डाउन में  जहां सीमित लोग जाते हैं वहां पुलिस है और जहां मोहल्लों में बस्तियों में कई गुना ज्यादा लोग बाहर घूमते हैं आधी रात  तक लोगों का घूमना,वाहनों पर चलना जारी रहता है, वहां पर रोक नहीं है। पुलिस ने वहां गश्त क्यों नहीं की। इसकी कभी समीक्षा नहीं की गई। 
सरकार के वैक्सीनेशन सेंटरों पर भारी भीड़ कतारों में एक दूसरे से सटे हुए लोगों की भीड़ उस पर कोई रोक नहीं हुई। अधिकारी चाहते सरकार चाहती तो उसकी गाइडलाइन होती कि आने वाला व्यक्ति अपनी आईडी जमा करवाएं और दूर बैठ जाए। बैंक में जैसे टोकन सिस्टम है वैसे लागू होता तो लोगों को कतारों में खड़े नहीं रहना पड़ता क्रम आता तब उसको आवाज दी जाती और वैक्सीनेशन कक्ष में वह चला जाता। यहां पर व्यवस्था के लिए दो तीन आदमियों की ही आवश्यकता रहती है। सरकार के पास दुकानदारों के चालान करने के लिए तो अनेक कर्मचारी है लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर पर नर्सिंग कर्मचारियों के अलावा व्यवस्था के लिए दो  तीन कर्मचारी लगाने की सोच नहीं है।
यहां इतने सटे हुए रूप में लोग खड़े होते हैं। कोरोना के यहां से फैलने का खतरा हर समय होता है। वैक्सीन समय पर उपलब्ध कराना और व्यवस्था करना तो सरकार का ही कार्य है। 
सरकार ने कहा कि कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। सभी मानते हैं और सम्मान करते भी हैं। इसके लिए गाइड लाईन का पालन क्यों नहीं है। जब फोटोग्राफी होती है तब सम्मानित होने वाले और सम्मानित करने वाले दोनों के बीच में 2 गज की दूरी नहीं रहती। एक दूसरे से सटे हुए खड़े होते हैं। इनमें से कोई भी संक्रमित हो सकता है और आगे संक्रमण को फैला सकता है। इसके ऊपर कोई रोक नहीं हुई। दूर से फूल बरसा करके भी सम्मान किया जा सकता है लेकिन फोटोग्राफी में 10-15 व्यक्ति एक दूसरे से सट कर खड़े हुए होते हैं।  ऐसे फोटो छप रहे हैं। सभी देख रहे हैं। क्या गारंटी है कि इनसे संक्रमण नहीं फैलता होगा?

सरकार के काम बंद हैं लेकिन जो लोग संस्थाएं सरकार को ज्ञापन देती है। वह अधिकारी या कार्यालय कर्मचारी के साथ में ज्ञापन देते हुए के फोटोग्राफ्स करवाती है और सभी एक दूसरे से सट करके खड़े होते हैं। इस पर कभी रोक नहीं लगाई गई। इससे भी तो रोग फैल सकता है। कहीं 2 गज की दूरी नहीं है। 
सरकार को समय-समय पर उपकरण रोग नाशक दवाइयां भी देने वाली संस्थाएं लोग जब वस्तुएं सामग्री भेंट करते हैं तब एक दूसरे से सटे हुए फोटोग्राफी होती है। 2 गज की दूरी का नियम बनाया हुआ है तब इन सब की पालना क्यों नहीं होती? 
दुकानदारों के अलावा बाजार के अलावा अन्य स्थानों और व्यक्तियों पर सरकारी कर्मचारियों पर मास्क और 2 गज की दूरी हर कार्यक्रम में लागू की जाती ध्यान दिया जाता तो कोरोना की कड़ी को तोड़ने में अधिक मदद मिलती।

अभी भी मंत्रियों का सुझाव है कि राजस्थान में लॉकडाउन 15 दिन के लिए और बढ़ा दिया जाए। दुकानदारों पर गाइड लाईन लगाने के बजाय यह जो ऊपर विभिन्न बिंदुओं दिए गए हैं उन पर ध्यान दिया जाए तो ज्यादा कारगर परिणाम सामने आ सकते हैं। 
दुकानदारों का सारा सामान जो दुकानों में पड़ा है,वह करोड़ों रुपए का सामान हर दुकान में धूल में मिल रहा है। दुकानों में सफाई नहीं हो रही और यह नुकसान बहुत बड़ा है इसलिए लॉकडाउन में दुकानदारों को व्यवसायियों को किसी भी हालत में प्रतिबंधित नहीं किया जाए। दुकानदार पर तो किरायी,बिजली पानी,कर्मचारियों के वेतन,कर्जों की किस्तों की मार है। मंत्री और अधिकारी सभी यह गंभीर पीड़ादायक स्थिति जानते हैं, मगर मानते वक्त हृदयहीन बन जाते हैं। 
गाइडलाइन दुकानदार और दुकान पर आने वाले व्यक्ति पहले भी पालन करते रहे हैं और  आगे भी पालन करते रहेंगे।
दुकानदार ने कभी नियम तोड़ने की कोशिश नहीं की इसलिए लॉकडाउन लगाते वक्त अब गाइडलाइन बनाई जाए उसमें बाजार खोलने की अनुमत होनी चाहिए।
मास्क और 2 गज की दूरी जहां रखनी है वे बिंदु पहले दिए गए हैं,उन पर पूरा नियंत्रण किया जाना चाहिए। 
अंत में एक बार फिर यह लिखना उचित है कि मंत्रिपरिषद ने 15 दिन का लॉक डाउन लगाने की सलाह दी है वे अपनी जगह सही हो सकते हैं लेकिन लॉकडाउन में उनको कोई नुकसान नहीं है क्योंकि उनका कोई व्यवसाय और दुकान नहीं है। 
राजस्थान सरकार के नियमों से दुकानदारी और व्यवसाय बार बार बंद होने से समाप्त हो रहे है इससे राजस्थान का दुकानदार ही नहीं राजस्थान की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है उस पर चिंतन करते हुए नई गाइड लाईन जारी करे।०0०
दि. 23 मई 2021.


करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
( 55 वर्षों से पत्रकारिता)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
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* समाचार पत्रों में प्रकाशनार्थ./ और लोगों को शेयर कर सकते हैं।
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मंगलवार, 18 मई 2021

पूर्व जनसम्पर्क अधिकारी फरीदखान का स्वर्गवास राष्ट्रपति स्काउट पदक सम्मानित थे



* करणीदानसिंह राजपूत *


श्रीगंगानगर में जनसम्पर्क अधिकारी रहे श्री फरीदखान जी का आज निधन हो गया। वे कुछ समय से अस्वस्थ थे। उनका अधिकांश सेवा काल श्रीगंगानगर में ही रहा। वे सर्वप्रिय अधिकारी थे। सहायक निदेशक पद से सेवा निवृत्त हुए। मूल रूप में बीकानेर निवासी थे लेकिन श्री गंगानगर में अधिक रहने के कारण इसी मिट्टी से लगाव हो गया। उन्होंने सेवा निवृत्ति के बाद श्री गंगानगर को ही अपना ठिकाना बनाया और पत्रकार कालोनी में निवास बनाया।



वे1963 से भारत स्काउट गाइड आंदोलन से जुड़े। वे सादुल मल्टीपर्पज हा. से. स्कूल,बीकानेर में जब पढ़ रहे थे तब1965 में राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड से सम्मानित हुए।


फरीदखान जी से अभी 23 फरवरी  2021 को दिल्ली सरायरोहिल्ला बीकानेर एक्सप्रेस में भेंट हुई थी। वे अपनी बेगम और पुत्र अमित के साथ गंगानगर से बीकानेर जा रहे थे। मैं और पत्नी सूरतगढ़ से बीकानेर जा रहे थे। सूरतगढ़ से लालगढ़ तक हमारी बातें चलती रही थी। उस समय अस्वस्थ ही थे। उच्च रक्तचाप के कारण एक आंख में विकार आया जिसका आपरेशन कराए कुछ दिन ही बीते थे।

पुरानी बातें चली और खूब चली। ऐसा सोचा नहीं था कि  उनका इंतकाल इतना जल्दी हो जाएगा।

खुदा उन्हें जन्नत बख्से।

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दि. 18 मई 2021.

करणीदानसिंह राजपूत,

स्वतंत्र पत्रकार,

सूरतगढ़।

94143 81356.

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रविवार, 16 मई 2021

सेवा में सजग वीराएं - इंटरनेशनल वीरा केंद्र सूरतगढ़ का जोश भरा सेवा सप्ताह.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 16 मई 2021.

      महावीर इंटरनेशनल वीरा केंद्र सूरतगढ़  ने मई माह के दूसरे सप्ताह को सेवा सप्ताह के रूप में मनाया। 

केंद्र सचिव वीरा नेहा बैद ने बताया कि " घर में रहें सुरक्षित रहें" को अपनाते हुए केंद्र की सभी वीराओं ने अपने अपने घरों में भीषण गर्मी को देखते हुए पक्षियों के लिए परिंडे लगाये।




        संस्था के राष्ट्रीय प्रकल्प के तहत सूरतगढ़ वीरा केंद्र ने कच्ची बस्ती की 15 जरूरतमंद महिलाओं को शारीरिक स्वच्छता के लिए सेनेटरी पैडस वितरित किए तथा साथ में सभी को फल भी वितरण किए।


              अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के उपलक्ष्य  में एक सादे समारोह में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगढ़ की अग्रिम पंक्ति के कोरोनावारियर्स नर्सिंग कर्मियों को सम्मान स्वरूप वाटर बोटल देकर उनकी सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया तथा वीरा केंद्र ने तीन ऑक्सीमीटर भेंट स्वरूप स्वास्थ्य केंद्र को दिए।

         

जिस तरह कोरोना महामारी के प्रभाव से आज संपूर्ण देश प्रभावित है तथा एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है इसमें सबसे ज्यादा इस मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं वे लोग जो रोज कमाने और खाने वाले हैं जिनके पास आय का कोई जरिया नहीं है।जो अपने परिवार वालों को भोजन नहीं उपलब्ध करा सकते हैं। इस विषम परिस्थिति को देखते हुए सूरतगढ वीरा केंद्र ने अक्षय तृतीया पर कच्ची बस्ती में जाकर उन जरूरतमंद लोगों को राशन किट वितरित किए। आगे भी सेवा का यह प्रकल्प जारी रहेगा।

  



 पशुओं को भी नियमित रूप से चारा देने का काम सूरतगढ़ वीरायें कर रही है। 



इन सभी कार्यों  में संस्था की अध्यक्ष वीरा अंजना सिंह और डॉक्टर पुष्पा सिंह का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। 

सचिव नेहा बैद, उपाध्यक्ष ममता सारड़ा,सह सचिव अनिशा नौलखा, कोषाध्यक्ष सारिका रांका,पूर्व अध्यक्ष नीतू बैद,निशा सोमानी तथा कविता सावनसूखा आदि सदस्यों ने प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अपनी अपनी अच्छी भागीदारी निभाई।

कोविड-19 गाइडलाइन को ध्यान में रखकर इस सभी कार्य को अंजाम दिया गया। इन सेवा कार्यों में आर्थिक सहयोग देने वाले नागरिकों का केंद्र अध्यक्ष वीरा अंजना सिंह ने आभार व्यक्त किया है।0०0

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शनिवार, 15 मई 2021

* पुराने पद का भूत साथ चिपकाए खाली कारतूस.व्यंग्य- करणीदानसिंह राजपूत.

 


👌 सरकार में से या सरकारी नौकरी सेवानिवृत्त होने के पश्चात हम क्या हैं?
* भूत.
क्यों है भूत? क्योंकि हम पहले के पदनाम को छ़ोड़ नहीं रहे। नाम के पहले स्वयं भूत चिपका कर रखते हैं।
*भूतपूर्व छोटे-बड़े मंत्री, सांंसद विधायक,जज-पुलिस अधिकारी-कलेक्टर-सरकारी ओहदेदार! थानेदार तहसीलदार! अनगिनत पद!
* हम आप सभी चले हुए कारतूस के खाली खोखे मात्र हैं! हमने अपने कार्यकाल के दौरान मानवीय सभ्य-न्यायपूर्ण-मदद का व्यवहार नहीं रखा! नियम कानून से आम लोगों को हिड़काते रहे।
* अब कुर्सी से  उतरने के  बाद करते रहें बड़ाई वाली बातें। गिनाते रहें अपना पुराना पद और शान!
लेकिन इनसे  दूध और सब्जी रहड़ी वाले भी प्रभावित नहीं होते।  वे भी समय पर पैसे मिलते रहने पर नमस्ते करते हैं वर्ना बेअसर रहते हैं। समय पर पैसे नहीं चुकाने पर दो शब्दों में पुराने पद की बखिया  (सिलाई) उधेड़ कर रख देते हैं। और तो और दूध सब्जी बंद भी कर देते हैं।
जो पहले दिन में जितनी बार मिलते सलाम बजाते हाथ जोड़ते गुजरते वे लोग अब तिरस्कार करते घूरते हुए निकलते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि वे कच्चा चबा जाने का कहते हुए निकले हैं।
* ऐसी स्थिति में भी हम और आप भूत को चिपकाए रखना चाहते हैं। भूत को उतारने का मन नहीं करता।
दि.15 मई 2021.




करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार (राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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शुक्रवार, 14 मई 2021

कोरोना गाईडलाईन- श्रीगंगानगर जिले में बड़ी संख्या में काटे गये चालान:

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

दि. 14 मई 2021.

पुलिस अधीक्षक श्री राजन दुष्यन्त ने बताया कि रेड अलर्ट पखवाडे में गाईडलाईन की पालना करवाई जा रही है। 16 अप्रैल के बाद बिना मास्क वालों के 3 हजार नागरिकों के चालान, सार्वजनिक स्थल पर थूंकने पर 2 हजार लागों का चालान तथा सामाजिक दूरी नही रखने पर 8500 के चालान काटे गए। अन्तर्राज्यीय सीमा पर चार नाके लगाए गए है, जहां आरटीपीसीआर रिपोर्ट देखी जाती है। अनावश्यक घूम रहे 470 व्यतियों को क्वारेन्टीन किया गया है। ०0०







व्यापारियों पर डंडे का शासन नहीं, आपदाओं में ये प्रथम पंक्ति के राष्ट्र रक्षक होते हैं

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


***** प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोषों में व्यापारिक संस्थाओं के दान भेंट सबसे अधिक मिले हुए हैं। *****



सरकार के पास व्यापारियों दुकानदारों का चालान करने दुकानें सीज करने के लिए कर्मचारियों की अधिकारियों की फौज है लेकिन कॉविड वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ व्यवस्था के लिए दो तीन कर्मचारी नहीं है।

प्रशासन के पास डंडा है लेकिन दिमाग नहीं है।दिमाग होता तो वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को सही तरीके से बिठाने और क्रम आने पर वैक्सीनेशन कमरे में प्रवेश का उचित प्रबंध होता। 

वैक्सीनेशन सेंटरों पर घंटों तक पंक्ति/ पंक्तियों में जिस तरह से एक दूसरे से स्पर्श करते सटे हुए  खड़े होते हैं जिससे तो संक्रमण का खतरा ही है। 

सरकार लोकडाउन लगाकर मास्क और 2 गज की दूरी रखने की गाईडलाइन बना कर निश्चिंत है कि इससे कोरोना की कड़ी तोड़ने में सफलता मिलेगी। लेकिन वैक्सीनेशन सेंटरों पर जो अव्यवस्था है उसे देख कर तो लगता है कि

 कोरोना की कड़ी तोड़ने में कमजोरी रहेगी।

अब 18 से ऊपर तक को टीकाकरण की घोषणा हो गई है तो वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ का आना सही है। आने वाली भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रबंध नहीं है और इस पर विचार भी नहीं किया गया।

सरकार के पास दुकानदारों व्यापारियों का चालान करने जुर्माना वसूल करने,दुकानों को सीज करने आदि के लिए कर्मचारियों की फौज है,लेकिन वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को उचित रूप से बिठाने और क्रम आने पर वैक्सीनेशन कमरे में प्रवेश कराने के लिए आवश्यक दो तीन या पांच कर्मचारी नहीं है। 

सरकार के विभागों के कार्यालयों की संख्या हर स्थान पर कमसे कम पांच और अधिक में बीस पचास तक में बीस से एक सौ तक कर्मचारी हैं लेकिन उनमें से वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को सही बैठाने के लिए दो तीन या पांच कर्मचारी नहीं है। 

सही रूप में कहा जाए तो कर्मचारी तो हैं लेकिन सरकार के पास दिमाग नहीं है। दिमाग होता तो यह व्यवस्था की जाती। दिमाग होता तो नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकाय को ही निर्देशित कर दिया जाता कि वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को व्यवस्थित करने बैठाने की रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के लिए कर्मचारी लगाएं। 

जिला, उपखंड, तहसील, ग्राम पंचायत स्तर पर जहां वैक्सीनेशन सेंटर हैं वहां के अधिकारी ही आपदा काल की ड्यूटी लगा दें।

बैंकों में टोकन व्यवस्था चलती है उसी प्रकार की व्यवस्था वैक्सीनेशन सेंटरों पर हो। व्यक्ति के आने पर उसे क्रमांक लिखा कागजी टोकन दे दिया जाए और नाम आईडी लिख लिए जाएं। व्यक्ति को पंक्ति में खड़ा नहीं किया जाए। बैठने की दूरी के हिसाब से व्यवस्था की जाए। वैक्सीनेशन कमरे में क्रम के अनुसार प्रवेश कराया जाए। इससे सटकर खड़े नहीं होना पड़ेगा। संक्रमण के खतरे से तो बचाव होगा। 

सरकार ने सेंटरों पर वैक्सीनेटर एक एक लगा रखे हैं। इनकी संख्या भी बढाई जानी चाहिए। 

प्रशासन ने वैक्सीनेशन सेंटरों पर व्यवस्था करने कराने में समाजसेवी संस्थाओं से सहयोग नहीं मांगा। अनेक समाजसेवी संगठन और क्लब आपदा काल में धनराशि और उपकरण उपलब्ध कराते रहे हैं और कोरोना आपदा में भी संस्थाएं भरपूर सहयोग कर रही हैं। प्रशासन को इन संस्थाओं से सहयोग मांगना चाहिए। संस्थाएं तो इशारा करते ही कार्य करने को तत्पर हैं।

* सरकार को कोरोना चेन तोड़ने के लिए वह हर कार्य रोकना चाहिए जिसमें व्यक्ति सट कर खडे़ होते हैं। चाहे राजकीय हों चाहे निजी हों। भेंट पुरस्कार सम्मान में भी सट कर खडे़ होने पर रोक होनी चाहिए और सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को सख्त पाबंद किया जाना चाहिए।

* इस लेख के माध्यम से एक बात रख रहा हूं कि दुकानों आदि का समय सप्ताह में 5 दिन सुबह 6 बजे से 11 बजे तक है। दुकानदार सामान समेटता है और पांच दस मिनट ऊपर हो जाते हैं तो चालान और सीज करने में देरी नहीं। समय के बाद पन्द्रह मिनट तक चालान होना ही नहीं चाहिए।अधिक समय आधा घंटा हो जाए तब चालान हो सकता है। व्यापारियों दुकानदारों पर डंडे से शासन नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोष में इनकी संस्थाओं के ही दान भेंट सबसे अधिक मिले हुए हैं। इनको हर समय घुड़काएं नहीं। आपदाओं में ये भी अग्रिम पंक्ति के राष्ट्र रक्षक हैं।०0०


सामयिक लेख. दि 14 मई 2021.



करणीदानसिंह राजपूत,

स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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