सोमवार, 28 दिसंबर 2020

मशहूर इवेंट्स संचालक गोविंद छाबड़ा का निधन.

 



- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 28 दिसंबर 2020.
गोविंद जी छाबड़ा का आज सुबह जयपुर के एक  प्राइवेट हॉस्पिटल में सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया गया।  गोविंदा छाबड़ा की की उम्र करीब 48 वर्ष थी। उनका अंतिम संस्कार कल दि. 29 दिसंबर 2020 को अरोड़वंश कल्याण भूमि में किया जाएगा।
सूरतगढ़ व्यापार मंडल के प्रमुख व्यापारी गोविंद के भाई सुरेंद्र छाबड़ा से जानकारी मिली। गोविंद छाबड़ा की लीवर की नली फटने की घटना दि. 16 दिसंबर को हुई जिससे खून बाहर निकलने लगा। उन्हें जयपुर के प्राइवेट हास्पीटल में भर्ती कराया गया जहां ईलाज चला। सुरेंद्र भी सूचना पर जयपुर पहुंचे और 26 को ही जयपुर से सूरतगढ़ लौटे। बीती रात को 11 बजे के करीब गोविंद से बात भी हुई कि हास्पीटल में कई दिन हो गए अब छुट्टी लें। सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी। रक्तचाप बहुत गिर गया। वेंटिलेटर पर रखा गया। आज सुबह करीब साढे सात बजे निधन हो गया।
सूरतगढ़ निवासी गोविंद छाबड़ा कुछ वर्षों से जयपुर के झोटवाड़ा क्षेत्र में निवास कर रहे थे। वही मकान लिया और एक समाचार पत्र झोटवाड़ा झोटवाड़ा टाइम्स निकाला लेकिन मुख्य कार्य इवेंट्स आदि का ही ही रहा जिसमें वे वे सिद्धहस्त थे।
सूरतगढ़ के सेठ रामदयाल राठी उ.मा.विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की थी।
सूरतगढ़ में खेलों के आयोजन में उनका नाम था। उनके कार्य पद्धति को देखकर राजस्थान पत्रिका ने उन्हें पत्रिका में स्थान दिया।
सूरतगढ़ में मेरे पत्रिका कार्यकाल में सूरतगढ़ में जोइनिंग हुई। सूरतगढ़ के बाद श्री गंगानगर और जयपुर में खूब काम किया और नाम कमाया।
सूरतगढ़ गंगानगर और उसके बाद जयपुर में बहुत अच्छे कार्यक्रम दिए गए उसके बाद उन्होंने पत्रिका छोड़ने के बाद कुछ वर्ष पहले अपने निजी कार्यक्रम शुरू किए जिनमें काफी सफल रहे।
मेरे साथ उनका कार्य बहुत अच्छा सराहनीय रहा था। सूरतगढ़ के पत्रकारों से भी अच्छा मेलमिलाप रहता था।
गोविंद छाबड़ा का अचानक संसार से जाना।। ईश्वर की ईच्छा।
याद रहेंगे।
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करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ जिला श्री गंगा नगर.
94143 81356.
***** मेरी इंटरनेट साइट करणी प्रेस इंडिया पर बहुत मैटर है। उसे अवश्य ही देखते रहें।
करणी प्रेस इंडिया
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रविवार, 27 दिसंबर 2020

समाचारपत्रों का बंद होते जाना सभी के लिए आत्मघाती होगा

 


* करणीदानसिंह राजपूत *
कुछ साल पहले तक अपना समाचार पत्र प्रकाशित करने की होड़ लगी रहती थी।  नए-नए समाचार पत्रों का छोटे से छोटे कस्बों तक में प्रकाशित होने कि यह होड़ बहुत गजब की होती थी। आज समाचार पत्रों के बंद होने की चिंताजनक स्थिति है। एक के बाद दूसरा समाचार पत्र बंद होते बहुत कम संख्या में दैनिक साप्ताहिक और पाक्षिक बचे हैं।
कहना यह चाहिए कि जो बचे हैं वे समाचार पत्र जीवित रह पाने का संघर्ष कर रहे हैं। हालात बहुत नाजुक है।
आज जो पत्र प्रकाशित हो रहे हैं उनकी भी अधिकांश की आर्थिक हालत खराब और कर्जदार स्थिति में है।  उनमें से भी कितने जीवित बचेंगे यह अभी कहा नहीं जा सकता। समाचार पत्रों के प्रकाशन में पहले होड़ रहती थी  और आज बंद होने की स्थिति में भी वैसे ही हालात हैं। एक ने प्रकाशन बंद किया तो दूसरा भी बंद कर रहा है।
ये क्या परिस्थितियां हुई है जिनके कारण समाचार पत्रों और पत्रकारिता क्षेत्र में आने वाले लोग भयभीत होने लगे हैं।
पत्रकार और समाचार पत्र समाज का दर्पण कहलाते थे। आज स्थिति में इतना बदलाव हो गया है कि कोई भी इन दर्पणों में मुंह देखना नहीं चाहता। समाज के इस बदलाव से समाचार पत्र खरीदना उनमें विभिन्न प्रकार के विज्ञापन देना बंद से हो रहे हैं।
सरकार का बहुत बड़ा हाथ समाचार पत्रों के प्रकाशन में विज्ञापन देकर एक प्रकार से सहायता करने का रहा था जो अब केंद्र व राज्य सरकारों के उदासीन रुख के कारण खत्म हो गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियां समाचार पत्रों को खत्म कर रही है।
अनेक लोग पत्रकारिता क्षेत्र में जीवन संघर्ष कर रहे हैं।
समाज और जनता समाचार पत्रों और पत्रकारों से सहयोग की इच्छा रखते हैं लेकिन बिना समाज के जनता के सहयोग के समाचार पत्र का प्रकाशन नहीं हो सकता। यह संयोग खरीद कर समाचार पत्र पढ़ना  और समाचार पत्र को विज्ञापन देने से ही संभव है।  राजनीतिक दल सामाजिक संगठन कर्मचारियों आदि के संगठन व्यापारिक संगठन समाचार पत्रों से हर समय अपने समाचार अपने संघर्ष अपनी मांगे ज्ञापन आदि के प्रकाशन की आशा रखते हैं और समाचार पत्र बढ़-चढ़कर सहयोग भी देते हैं। लेकिन वापसी में सहयोग के नाम पर समाचार पत्र को पत्रकार को जो सहयोग मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा।  सभी संगठन व जनता अपने समाचार  चित्र सहित समाचार पत्रों में देखना चाहते हैं,मगर साल में दो चार बार भी विज्ञापन आदि देकर सहयोग की इच्छा नहीं रखते।
समाचार पत्र का प्रकाशन केवल हवाई बातों से या पत्रकार से हेलो हेलो की दोस्ती से ही पूरा नहीं होता।
समाचार पत्रों के प्रकाशन की होड़ आज समाचार बंद होने की एक के बाद एक बंद होने की जो स्थिति पैदा हो गई है, उसमें राजनीतिक दलों सामाजिक संगठनों कर्मचारी संगठनों व्यापारिक संगठनों की यह उदासीनता अनदेखी भी बड़ा कारण है।
आखिर इस हालात में कैसे परिवर्तन किया जाए? कैसे वापस पुरानी स्थिति लाई जाए? इस पर गहन विचार किया जाना चाहिए। समाचार पत्र संचालकों पत्रकारों को भी इन  संगठनों के बीच यह चर्चा व्यापक रूप से शुरू करनी चाहिए ताकि प्रकाशन बंद होने के बदलाव को रोका जा सके। आज मोबाइल पर ही सबकुछ देखने पढने की ईच्छा बढ रही है लेकिन जब पत्रकार ही नहीं रहेंगे तब मोबाइल पर जानकारियां कहां से आएंगी? मोबाइल पर आने वाली हर जानकारी पर विश्वास भी नहीं होता। सोशल साइट्स पर जो जानकारियां सूचनाएं समाचार आते हैं उनमें से अनेक झूठी निकलती हैं और लोग अखबारों को टटोलते हैं। लेकिन अखबारों के दम तोड़ते जाने पर विश्वास वाली सूचनाएं कहां से मिलेंगी।
संगठनों के आंदोलनों को समाचारपत्रों से बड़ी शक्ति मिलती रही है और आज भी मिल रही है और इस शक्ति को खत्म कर दिया गया तो आत्मघाती होगा।00

दि. 27 दिसंबर 2020.

करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ जिला श्री गंगा नगर.
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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

सूरतगढ़ गंगानगर में नौकरी का झांसा एवं सेक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह के 10 आरोपी गिरफ्तार

 




श्रीगंगानगर 25 दिसंबर 2020.


जैतसर पुलिस ने नौकरी का झांसा एवं सेक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह के 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक सिम देने वाला भी है। एक महीना पुलिस गुपचुप लगी रही खोज में*


श्रीगंगानगर जिला पुलिस को  एक ऐसे गिरोह का पर्दाफास करने में सफलता मिली है, जो काफी समय से युवाओं को नौकरी, झूठे प्रलोभन के साथ कॉलगर्ल उपलब्ध करवाने के साथ उन्हें ब्लेकमेलिंग कर रूपये ऐंठता था।  जिला मुख्यालय पर जिला पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ने प्रेसवार्ता कर इस गिरोह की गिरफ्ताारियों और अपराध का ब्यौरा दिया। 


 पुलिस ने गिरोह के 10 आरोपियों व सिम प्रोवाईडर को एण्ड्रोयड मोबाईल फोन व फर्जी सिमों के साथ गिरफ्तार किया है।


सूरतगढ़ में डीएसपी के सुपरविजन में डी.एस.टी. ने संगठित अपराधों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जिला विशेष टीम श्रीगंगानगर द्वारा साईबर ठगों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है।


 अब तक की जांच में सामने आया है कि श्रीगंगानगर व सूरतगढ में कुछ युवा लङकों द्वारा गिरोह बनाकार सोशल मीडिया की विभिन्न साईटों/एप्लिकेशन पर फर्जी एकांउट बनाकर सैक्स वर्कर उपलब्ध करवाने, नौकरी दिलाने के नाम पर काफी बङे पैमाने पर ठगी की जा रही थी।

 ये साईबर ठग फर्जी सिमों से फर्जी  वाट्सएप एकांउट, सोशल मीडिया पर प्रसारित कर लोगों को सैक्स वर्कर उपलब्ध कराने का झांसा देकर फर्जी पेटीएम एकांउट में ठगी की रकम डलवाकर ऐश उड़ाते थे। फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया एप्स के फर्जी एकांउट पर अपना फर्जी वाटसएप नम्बर देकर चौटिंग करके धोखाधङी से ब्लैकमेल कर पे-एटीएम के माध्यम से रुपये डलवाकर ठगी करने की शिकायतें मिल रही थी। 

पुुलिस की जिला विशेष टीम श्रीगंगानगर द्वारा फर्जी फेसबुक अकांउट, वाटसएप नंबर व पेटीएम के बारे में गहनता से विश्लेषण करते हुए विभिन्न एंगल व स्त्रोतों से पङताल की तो सामने आया कि गांव गोविन्दसर पुलिस थाना जैतसर (श्रीगंगानगर) में बेरोजगार युवकों की बड़ी तादाद आस-पास के कस्बों श्री बिजयनगर, जैतसर, सूरतगढ, श्रीगंगानगर में कमरे किराये पर लेकर (जंहा ईन्टरनेट सुविधाजनक हो) इसी ठगी के काम में लगे हुए है। ठगी के रुपयों से कस्बों में महंगे भूखण्ड, मकान व महंगे दो पहिया, चार पहिया वाहन खरीदकर ऐशो आराम की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। असल में गांव गोविन्दसर व आस-पास का एरिया टीब्बा क्षेत्र का ईलाका है, जहां आय के स्रोत बेहद कम हैं। 

इन ठगों द्वारा अन्य व्यक्ति की आई.डी. का दुरुपयोग कर उनकी बिना जानकारी के डुपलीकेट सिम किसी सिम वितरक की मिलीभगत से जारी करवाकर व फर्जी पे-एटीएम अकाउंट बनाकर चौटिंग के माध्यम से लोगों को लड़कियां उपलब्ध करवाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन फीस व ब्लेकमेलिंग के माध्यम से अनजान लोगों के साथ रुपयों की ठगी की जा रही थी। 

बड़े स्तर पर चल रहे इस ठग गिरोह का भाण्डाफोड़ करने के लिये जिला विशेष टीम द्वारा विशेष अभियान चलाकर गिरोह के सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई गई। उन्हें तत्परता से फर्जी सिम व मोबाईलों में फर्जी नंबरो के वाटसएप अकांउट सहित काबू किया गया। जप्त किये गये मोबाईलों में उपलब्ध चैट, फर्जी सिम एवं सोशल मीडिया के माध्यम से चौटिंग कर फर्जी पे-टीएएम अकाउंटों में रूपये डलवाकर ठगी करना पाया गया है। ठगी के शिकार पीड़ित युवक लोकलाज के कारण इनके विरुद्ध पुलिस में शिकायत नहीं कर पाते थे। इसी चुप्पी का फायदा उठाकर इन लोगों द्वारा ठगी की अनेक वारदातों को अंजाम देते हुए अवैध सम्पतियां अर्जित कर रखी थी। उक्त मामले की गहनता से जांच की जा रही है, जिसमें बडे़ स्तर पर चल रहे इस रैकेट के और अधिक खुलासे की संभावना है। फर्जी सिम उपलब्ध करवाने वाले दूकानदारों, एजेंटों की संलिप्तता पाये जाने पर उनकी भी गिरफ्तारी की जाकर आम लोगों को इस गिरोह से ठगी का शिकार होने से बचाने के लिये जिला विशेष टीम द्वारा इस संबंध में आगे भी लगातार विशेष अभियान जारी रखते हुए इस साइबर गिरोह का सफाया करने की बात भी प्रैसवार्ता में कही। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 384/120 बी मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।


पुलिस ने अभी 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

1.सुनील कुमार (21 वर्ष) पुत्र लाधुराम जाति नाथ निवासी दुर्गामाता मंदिर वार्ड नं. 8 सूरतगढ़।

2. शुभराम पुत्र रामकुमार जाति कुम्हार उम्र 27 साल निवासी गोविन्दसर पुलिस थाना जैतसर हाल मकान न. 133 सदभावना नगर शिवालिका द्वितीय श्रीगंगानगर।

3. सुभाष पुत्र प्रेमाराम जाति कुम्हार उम्र 28 साल निवासी वार्ड न0 4 गोविन्दसर पीएस जैतसर जिला श्रीगंगानगर।

4. रमेशकुमार पुत्र लालचन्द जाति जाट उम्र 31 साल निवासी वार्ड न0 11 गोविन्दसर हाल वार्ड न0 11 सूरतगढ जिला श्रीगंगानगर।

5. गोपीराम पुत्र बेगाराम जाति मेघवाल उम्र 24 साल निवासी राजाणा तहसील सूरतगढ थाना राजियासर हाल उदासर फांटा के पास बीकानेर जिला बीकानेर।

6.इन्द्रपाल पुत्र राम कुमार जाति कुम्हार उम्र 24 साल निवासी गोविन्दसर हाल मकान न. 133 सदभावना नगर शिवालिका द्वितीय श्री गंगानगर।

7.दीपाराम पुत्र मंगतुराम जाति सांसी उम्र 22 साल निवासी वार्ड न0 3 गोविन्दसर पीएस जैतसर जिला श्रीगंगानगर।

8.मोहित कुमार उर्फ मोनु पुत्र महेन्द्रपाल जाति अरोङा उम्र 31 साल निवासी मकान न. 57 वार्ड न. 9 तहसील रोङ श्रीबिजयनगर जिला श्रीगंगानगर।

9.संदीप बेनीवाल पुत्र जगदीश बेनीवाल जाति जाट उम्र 20 साल निवासी वार्ड न0 3 गोविन्दसर पीएस जैतसर जिला श्रीगंगानगर को गिरफ्तार किया गया है।


* पुलिस टीम में ये रहे शामिल *

 एएसआई पवन सहारण, हैड कांस्टेबल सुनील कुमार , हैड कांस्टेबल लखन सिंह , हैड कांस्टेबल कृष्ण कुलङिया, हैड कांस्टेबल बलविन्द्रसिंह, सिपाही हवासिंह, राजकुमार, राजेन्द्र कुमार, अजयप्रताप, पवन लिम्बा, संजय भार्गव साईबर सैल, ड्राईवर दिनेश कुमार, चन्द्र प्रकाश कानि. साईबर एक्सपर्ट (विशेष भूमिका) के द्वारा लगातार सोशल साईटों पर निगरानी व डाटा का विश्लेषण करते हुए कड़ी मशकत एवं लगन से साईबर ठगों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है।00

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बुधवार, 23 दिसंबर 2020

👍 वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल मेें बारानी ( असिंचित)भूमि दो मुरब्बा तक किसानों को निशुल्क आवंटित की गई थी.




* करणीदानसिंह राजपूत *

लाखों किसानों ने राजस्थान में यह लाभ उठाया  जो 40 -50 सालों से अस्थाई रूप * (TC)से खेती कर रहे थे।
वसुंधरा राजे सरकार ने उन्हें निशुल्क मालिकाना अधिकार देखकर बहुत बड़ा कार्य किया जो पहले किसी भी मुख्यमंत्री के काल में नहीं हो पाया था।
यह फैसला ऐतिहासिक है और हमेशा याद किया जाता रहेगा कि बारानी खेती करने वालों को पुख्ता आवंटन करके हमेशा के लिए उनकी समस्या का हल किया गया।
*वसुंधरा राजे ने महिला होते हुए भी इंदिरा गांधी नहर शुरू से लेकर अंतिम सिरे तक भयानक गर्मी में यात्रा की ताकि नहर के जो समस्या और परेशानियां हो उन्हें दूर किया जा सके।
वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में ही इंदिरा गांधी नहर की सफाई का कार्य भी करवाया गया था।
* उस समय सूरतगढ़ तहसील का बड़ा क्षेत्र पीलीबंगा विधानसभा क्षेत्र में था। उस समय रामप्रताप कासनिया पीलीबंगा के विधायक थे जिन्होंने टिब्बा क्षेत्र में करीब 7 हजार किसानों को निशुल्क पुख्ता आवंटन करवाया था। आज यह क्षेत्र सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में है।
* उस समय सूरतगढ़ विधायक अशोक नागपाल ने भी अपने इलाके में सूरतगढ़ तहसील में करीब 1 हजार किसानों को निशुल्क पुख्ता आवंटन करवाया था।

** बालिग पुत्र और अन्य आवंटन भी बहुत हुए थे*
** एक पत्रकार की नजर और ये सभी समाचार उस समय  राजस्थान पत्रिका में मेरे द्वारा प्रकाशित किए गए थे।

💐 आज 23 दिसम्बर किसान दिवस*

करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ जिला श्री गंगा नगर.
94143 81356.
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सोमवार, 21 दिसंबर 2020

👍 नगर पालिकाओं की बैठकें चर्चा और हंगामों तक सीमित रह जाती है- पार्षद बहुत कर सकते हैं।*

 


* करणीदानसिंह राजपूत *
नगर पालिकाओं की बैठकें सभापति के द्वारा रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा और हंगामों के शोरगुल में महत्वपूर्ण मामलों को हल किए बिना समाप्त हो जाती है। अनेक मामले इसलिए बैठकों में आ नहीं पाते जो कस्बों व नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं मगर सभापति की उन पर रूचि नहीं होती या स्वयं पर किसी प्रकार की आपत्ति या संकट समझ कर एजेंडे में शामिल ही नहीं करते।

नगरपालिका बोर्ड की साधारण बैठकों में सभापति की ओर से रखे गए प्रस्तावों पर राय होती है तब पार्षद चर्चा जोरशोर से करते हैं और खूब ऊंचे स्वर में भी बोलते हैं तथा अपनी राय भी दे देते हैं। प्रस्ताव चर्चा के बाद पारित हुआ माना और लिख दिया जाता है। यदि प्रस्ताव पर पार्षदों की विपरीत राय है तो संशोधन करवाएं और अस्वीकार है तो चर्चा के बाद मत विभाजन करवाएं। इसके लिए पार्षद कहते नहीं। मत विभाजन के बाद स्थिति एक दम स्पष्ट हो जाए कि कितने पक्ष में कितने विरोध में मत हुए का मालूम हो और नोटिंग हो तब दूसरे प्रस्ताव को शुरू होने देना चाहिए।
प्रस्ताव पर नगरपालिका में क्या नियम है यह बैठक में स्पष्ट भी करवाया जा सकता है। बैठक में उपस्थित अधिशासी अधिकारी को नियम बताने और पुस्तक पेश करने का कहकर खुद पार्षद भी नियम पढ कर सही जानकारी ले सकते हैं। अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को प्रस्ताव बाबत नियम बताने ही होंगे। पार्षदों का इस पर ध्यान ही नहीं होता इसलिए सभापति और अधिशासी अधिकारी अपनी मनमर्जी से प्रस्ताव रखते हैं और पारित होना भी लिखते हैं।
* पार्षद / पार्षदों की ओर से भी प्रस्ताव रखा/ रखे जा सकते हैं। यह बैठक में और पहले पेश किए जा सकते हैं। सभापति की मंजूरी से ही इस प्रकार के प्रस्ताव एजेंडे में शामिल किए जाते हैं। सभापति एजेंडे में शामिल करे या नहीं करे,लेकिन इस प्रकार से रखना जरूर चाहिए।
इससे सभापति की  मनमर्जी पर काफी  रोक लगती है। सभापति नगर में अनावश्यक कार्य नहीं करवा सकता जिससे भ्रष्टाचार भी रुक सकता है। नगरपालिकाओं में कार्य सही हो सके के लिए कार्यों का विभाजन और राय के लिए समितियां बनाने का स्पष्ट नियम है। सभापति को 6 माह में इन समितियों का गठन करने का निर्देश भी है,लेकिन सभापति यह नहीं करते और सारी सत्ता को अपने कब्जे में ही रखते हैं। पार्षदों की ओर से इस पर गंभीरता नहीं होती। सभापति यह कार्य नहीं करे तो निदेशालय में शिकायत की जा सकती है। इसके लिए 6 माह से पहले मांग भी की जा सकती है। बैठक में भी प्रस्ताव लाया जा सकता है।
पार्षदों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे एजेंडे के प्रस्तावों पर एक दूजे पार्षदों से अच्छी तरह से अध्ययन और तैयारी कर बैठक में शामिल हों। 00
सामयिक लेख.
करणीदानसिंह राजपूत.
स्वतंत्र पत्रकार ( सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय, राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़.
94143 81356.
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रविवार, 20 दिसंबर 2020

सूरतगढ़ के जानलेवा सड़क मोड़ों पर संकेत जरूरी- दुर्घटनाओं में वंश खत्म हो चुके हैं

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


तेज गति के वाहन और सूरतगढ़ की सड़कों के जानलेवा सड़क मोड़ हर माह दो चार जीवन का भख ले लेते हैं। पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड देखा जाए तो जान जाने की संख्या 100 से ऊपर पहुंच चुकी है। 

सूरतगढ़ शहर से सटा मानकसर हनुमानगढ़ बाईपास का करणीमाता मंदिर के पास का मोड़। राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 62 पर श्री गंगानगर जाते आने वाला केन्द्रीय पशु प्रजनन केन्द्र के पास का मोड़ बहुत ही खतरनाक है और इस पर पचासों दुर्घटनाएं और मौतें हो चुकी है। 

इसी मार्ग पर सूरतगढ़ से बीकानेर जाते हैं तब करीब चार किमी पर हनुमानजी मंदिर के पास का मोड़ जो दोनों ओर है। राजपुरा पीपेरन गांव में मोड़। आगे खतरनाक ह़िदौर फांटा तथा राजियासर श्री बिजयनगर सड़क फांटा पर भी आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है और लोगों के प्राण जाते हैं। सूरतगढ़ शहर में से राष्ट्रीय राज मार्ग नं 62 निकलता है जो आबादी की क ई सड़कों को जोड़ता है,यह सारी लंबाई ही खतरे वाली है और सभी स्थानों पर संकेतक चाहिए। गुरूशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय के पास सड़क पर संकेत लगाने की मांग  तो वर्षों से है।

इन स्थानों पर हुई दुर्घटनाओं में हुई मौतें अनेक परिवारों के वंश खत्म कर चुकी हैं।00







बुधवार, 16 दिसंबर 2020

धूम्रपान में भयंकर जोखिम होता है, जिसका वर्षों बाद मालूम पड़ता है -जाकिर हुसैन जिला कलक्टर.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *
- तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की पुस्तक का विमोचन
हनुमानगढ़। नशा मुक्त भारत अभियान एवं निरोगी राजस्थान कार्यक्रम के तहत जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ हनुमानगढ़ द्वारा तंबाकू मुक्त हनुमानगढ़ की अभिनव पहल के तहत पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम किया गया। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में जिला कलक्टर जाकिर हुसैन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जस्साराम बोस, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अरुण कुमार, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. एम.पी. शर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर अमनदीप कौर, जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वितीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ नीपेन शर्मा एवं डीईओ तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ त्रिलोकेश्वर शर्मा उपस्थित थे। 
जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने बताया कि तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ द्वारा जनमानस को तम्बाकू के बारे में नियमित जानकारी दी जा रही है। ऐसे में विभाग द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि पुस्तक की जानकारी से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, ताकि वे तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जान सके। उन्होंने बताया कि प्रत्येक प्रकार के धूम्रपान में भयंकर जोखिम निहित होता है, जिसका अनुभव हमें तत्काल नहीं अपितु वर्षों बाद होता है। 
सीएमएचओ डॉ. अरूण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पुस्तक के अंदर कोटपा अधिनियम धारा 4, 5, 6, 7 एवं चिकित्सा विभाग पुलिस विभाग तथा अन्य विभागों द्वारा किए जा रहे जन जागरूकता कार्यक्रमों की झलकियां तथा राजस्थान सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर की गई कार्यवाही एवं आदेशों की प्रतियां है। उन्होंने बताया कि पुस्तक का मुख्य उद्देेश्य तंबाकू से होने वाले दुष्परिणाम हानियां तथा मृत्यु की जानकारी प्रदान करना है। इसके अलावा कोटपा अधिनियम के मुख्य प्रावधानों के बारे में जानकारी देना है। 
नीपेन शर्मा ने बताया कि पुस्तक का वितरण खंड स्तर पर तंबाकू व्यसन एवं कोटपा अधिनियम के तहत दी जाने वाली अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के समस्त उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, पंचायती राज विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा विभाग एवं वर्टिकल कार्यक्रम के कर्मचारी शामिल होंगे। 00
( हनुमानगढ़ 14 दिसंबर 2020.)

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मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

राजस्थान के विभागों में फाईल ई-ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने के निर्देश- फाईल की गति, कार्यवाही,मालूम होगी



* करणीदानसिंह राजपूत *


 फ़ाईल पर क्या कार्यवाही हो रही है? फ़ाईल कहां है?अब आपको इन सभी सवालों के जवाब चाहिये। दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। जी हां, दरअसल अब सभी फ़ाईल की जानकारी एक क्लिक पर मिल सकेगी।


 मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने राजकार्य में पारदर्शिता, सुगमता, सरलता एवं समयबद्धता से पत्रावलियों की ट्रेकिंग के लिए सभी विभागों में फाईल ई-ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने के निर्देश दिए है। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुसार ई-फाईल ट्रेकिंग सिस्टम से फाईलों एवं पत्रावलियों के चलने में पारदर्शिता एवं तेजी आएगी और कब, कहाँ, किसके पास कौनसी फाईल प्रक्रियाधीन है यह जानना और जल्दी कार्यवाई करना भी आसान हो जाएगा। 


सीएस आर्य ने निर्देश दिये है कि जिन विभागों में अभी तक ई-फाईल ट्रेकिंग सिस्टम लागू नहीं है वे तुरंत प्रभाव से इस व्यवस्था को लागू करें। उन्होंने सभी अधिकारियों से राज-काज, ई-ऑफिस, ई-फाईल की प्रणाली को पूर्ण रूप से लागू करने के विषय पर भी चर्चा की और सभी को इस सबंधं में प्रारंभिक तैयारी करने के निर्देश भी दिए।

इसके लिये आयोजित हुई बैठक में सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के आयुक्त विरेन्द्र सिंह ने राज-काज सिस्टम के माध्यम से फाईल ट्रेकिंग मैंनजमेंट मॉड्यूल के बारे में विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने प्रजेंटेशन में विभिन्न विभागों में राजकीय कार्याे के लिए अब तक लागू हुए विभिन्न मॉड्यूल्स एवं इसको विस्तार देते हुए नये मॉड्यूल जो लागू होने वाले हैं उनके बारे में भी जानकारी दी। 

उन्होेंने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से फाईल कहॉ से कब शुरू हुई, रिसिव हुई अथवा पेंडिंग है या डिस्पॉज है या फिर फॉरवार्ड हुई है इस प्रकार की जानकारी ऑन-लाईन देखी जा सकती है।००







रविवार, 13 दिसंबर 2020

खेत और किसान मरे तो श्मशान बन जाएंगे शहर और शहरी कारोबार - करणीदान सिंह राजपूत -

 


 खेत और किसान मरे तो सब  श्मशान बन जाएंगे। न कोई शहर बचेगा न कोई कारोबार बचेगा ना कोई अट्टालिकाएं बचेगी और न कारों हवाई जहाजों में यात्रा करने वाले बचेंगे। आदमी की रीढ की हड्डी टूट जाती है या उसमें थोड़ा भी नुकसान हो जाता है तो उस आदमी की हालत क्या होती है? क्या रीढ की हड्डी टूटने के बाद आदमी चल फिर सकता है?मौज मस्ती कर सकता है? कोई कारोबार कर सकता है? पीड़ित व्यक्ति एक स्थान पर पड़ा रहता है।

 आज जो परिस्थितियां सत्ताधारियों ने और प्रशासनिक अधिकारियों ने पैदा कर दी है। इससे खेत और किसान दोनों की हालत रीढ टूटे हुए आदमी जैसी हो गई है, अगर अभी भी सब कुछ जानते हुए इलाज नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब किसान मर जाएगा खेत मर जाएंगे। लेकिन इतराने की जरुरत नहीं है कि शहर में रहते हैं, अलग से कारोबार है,बड़ी अट्टालिका हैं, चलने को सड़के हैं,कारें और हवाई जहाज हैं। यह सब या इन में से कोई भी जीवित नहीं बचेगा, और   न उनके अंश बचेंगे।

 हमारे देश में सारी जीवन प्रणाली खेत और किसान से जुड़ी हुई है। जब खेत में कुछ पैदा नहीं होता है तो सारा इलाका अकाल और अभाव  से पीड़ित हो जाता है। संपूर्ण क्षेत्र विकास के दौर में कई साल पीछे पहुंच जाता है।
खेत और गांव निरंतर मेहनत करने पर सरसब्ज हुए और आगे और अधिक विकास की संभावनाएं तलाशने वाले शक्तिशाली क्षेत्र बने।  इसे आज की ताकतवर हालत में पहुंचाने वाला इलाके का किसान है और उसका परिवार है, जिसने  न दिन देखा, न रात देखी। न सर्दी की बदन चीरती हुई हवाएं देखी। न जून जुलाई गर्मी की तपन देखी।
किसान और उसका परिवार दिन-रात जुटा हुआ रहा, लेकिन आज सरकारी और प्रशासनिक अव्यवस्थाओं ने  किसान को  खेतों को मरने के लिए मजबूर कर दिया है। किसान और खेत खुद नहीं मर रहे हमारी राज व्यवस्था हमारी प्रशासनिक व्यवस्था उनकी हत्या कर रहे हैं। उनको तड़पा तड़पा कर मार रहे हैं।

 जब किसी को मारा जाता है तो वह जीव चाहे कितना ही छोटा हो कितना ही कमजोर हो। वह अपने जीवन के लिए मरने और मारने के लिए तैयार हो जाता है और उसमें सैंकड़ों गुना ताकत अपने आप पैदा हो जाती है। वह संघर्ष के लिए अपने बचाव के लिए और ताकतवर समूह बना लेता है। फिर अपनी ताकत का इस्तेमाल करता है। उस जीव द्वारा जीवन के लिए किया जाने वाला संघर्ष कामयाब रहता है।वह जीव ही नहीं पूरा समूह मौत की ओर जाने से बच जाता है।

जब जीव संघर्ष करता है तब उसके सामने ना कोई अपना होता है ना कोई पराया होता है। उसे केवल और केवल अपना जीवन दिखाई पड़ता है।

अपने खेतों को बचाने के लिए किसान इलाके का मजदूर और इलाके का व्यापारी एक जुट खडे़ हैं। कहने का मतलब है कि सब कुछ खेत और किसान से जुड़ा हुआ है। अभी भी सत्ता और प्रशासन समझ नहीं पा रहे हैं या जानबूझकर सत्ता सुख में समझना नहीं चाहते हैं।
इलाके का किसान संघर्ष करें और जनप्रतिनिधि चाहे वह  सरपंच हो, चाहे अन्य पदों पर हो, विधायक सांसद हो या फिर मंत्री हो,नष्ट हो रहे मर रहे खेत और किसान को देखते हुए कैसे कोई समारोह कर रहे हैं?  कैसे मालाएं पहन रहे हैं और कैसे विकास के थोथे भाषण दे रहे हैं।

विकास मशीनों से पैदा नहीं होता बल्कि यह जो मशीनें बनी हैं वह सब खेत और किसान के उत्पादन के बाद  आवश्यकता के अनुरूप बनाई गई है किसान और खेत नहीं होते तो फिर मशीनें भी नहीं होती।

 मैं एक बात बहुत कड़वी कहना चाह रहा हूं बल्की कह रहा हूं की अगर खेत और किसान नहीं रहे तो बाकी भी नहीं रहेंगे। इस वाक्य को समझना चाहिए। यह वाक्य और बात केवल हवा में नहीं कह रहा और हवा में उड़ाने के लिए भी नहीं कह रहा हूं।

किसान आंदोलन और संघर्ष करके अपने अधिकार प्राप्त कर लेंगे। सत्ताधारियों का और प्रशासन का क्या होगा? जो आज किसान के साथ न होकर समारोहों में व्यस्त हैं। किसान और खेत रहेंगे लेकिन ये समारोह एक दिन  एक सप्ताह मनाए जा सकते हैं।  इनको सदा के लिए तो नहीं मनाया जा सकता। सदा तो खेत रहेंगे किसान रहेंगे।००

लेख- करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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शनिवार, 12 दिसंबर 2020

करणी प्रेस इंडिया के क्लिक पाठक 15 लाख के पार* करणीदानसिंह राजपूत*

 


सूरतगढ़,12 दिसंबर 2020.

सच्च को सामने लाने, दबे पिछड़े हुए लोगों की आवाज को उठाने व समाज को जगाने के विचारों के सामने लाने के प्रयास में करणी प्रेस इंडिया पाठकों की पसंद में शिखर पर है।

 पाठक 15 लाख से अधिक बार देख कर और आगे बढ चुके हैं। यह ऊंचाई पार करना प्रसन्नता पैदा करने वाली तो है ही और आगे बढने की प्रेरणा देने वाली भी है।

इस साइट को सीधेे ही देेखने या इसके लिंक को फेस बुक मेरे नाम करणीदानसिंह राजपूत पर देखने पढने में देश विदेश के पाठक बढ रहे हैं।
फेस बुक लिंक पर पढ कर तत्काल विचार प्रगट करने में पाठक गण भी आगे रहे हैं। ये कदम ऐसे प्रभावशाली रहे हैं कि इनसे निरंतर तेज गति मिली  है।
हमने विभिन्न विचारों को नया विस्तार दिया है जिसमें अनेक नए विषय शामिल किए हैं।

व्यक्तियों के बजाय तथ्यों वाले कानून   एवं नियमों को सर्वाेपरि मानते हुए आगे बढे हैं।
महिलाओं व लड़कियों के साथ अपराध बढ़े हैं इसलिए सावधान व सतर्क रहने की जागरूकता के लिए भी पोस्टों को लिखा जा रहा है। कन्याओं को बचाने का अभियान हो  या नशा मुक्ति अभियान हो, उनके समाचार देने में आगे रहे हैं।
कई लोग व संगठन कानूनों से परिचित नहीं होते इसलिए उनको हमारा लिखा हुआ अनेक बार अच्छा नहीं लगता,लेकिन उनकी आलोचनाओं  व टिप्पणियों पर गौर किया जाता रहा है।

राजनीतिज्ञ​ सत्ताधारी धनबली और भ्रष्टाचारी सदा ही मीडिया को अपने विचारों से चलाना चाहते हैं लेकिन लोगों के साथ रहते हुए सच्चाई को ही आगे लाने के प्रयास में रहे हैं।

बड़े अखबार जिन समाचारों को रोकने में दबाने में व अपनी ईच्छानुसार बदल कर गोलमाल तरह से छापने में समय के अनुसार लगे हुए हैं। ऐसे समय में निर्भीक स्वतंत्र लेखन व विचार प्रगट करने का प्रयास रहा है। यही एक महत्वपूर्ण प्रमाण है कि अनेक समाचार बड़े अखबारों में नहीं मिलते जो करणी प्रेस इंडिया में टिप्पणियों सहित मिल जाते हैं। अखबारों में व चैनलों में आसपास के समाचार देने में आनाकानी होती है,लोग समाचार देखने को पढ़ने को आतुर रहते हैं लेकिन मिलते नहीं हैं। उन समाचारों पर विचार करणी प्रेस इंडिया में देने का प्रयास रहता है।
राजनैतिक आपराधिक सामाजिक धार्मिक आर्थिक विषय शहरी व ग्रामीण,सरकारी व गैर सरकारी सभी में आगे रहने का प्रयास सदा सफल रहा है।
हमारे समाचार विचार,टिप्पणियां,लेख कहानियां,कविताएं एवं
फोटो कवरेज आसपास और देश प्रदेश और विश्व में सभी वर्गों द्वारा सराहे जाते रहे हैं।

हमारे असंख्य पाठकों की आलोचनाओं समालोचनाओं ने ही इस ऊंचे शिखर पर पहुंचाया है। उनकी आलोचनाओं समालोचनाओं भरी राय से ही आगे और आगे बढने की प्रेरणा मिली है।

विश्व में कोरोना वायरस की महामारी के कहर में भारत भी शामिल है। हम जनता को इस महामारी से बचाने के हर सरकारी गैर सरकारी कदमों में साथ हैं।

उच्च कोटि की समाचार समालोचना के लिए लोग इस साइट पर भरोसा करते हुए देखते हैं।
पाठकों से आग्रह है कि करणी प्रेस इंडिया को देखते रहें व फोलोवर बनें।

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कांग्रेस को क्यों छोड़ा- घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा में पुनः प्रवेश पर क्या कहा?

 





* करणीदानसिंह राजपूत *


भाजपा में आज 12 दिसंबर 2020 को फिर घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी हो गई है। 

भाजपा में शामिल होने के मौके पर मीडिया से बातचीत में तिवाड़ी ने जो कहा वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। 



कांग्रेस में उनका प्रवेश समारोह के रूप में लोकसभा चुनाव से पहले 30 अप्रैल 2019 को हुआ। अशोक गहलोत मंच पर बराबर बैठे थे। अशोक गहलोत इतने घनिष्ट लग रहे थे फिर भी घनश्याम तिवाड़ी का दिल कांग्रेस में नहीं रमा। वे कांग्रेस में शामिल हुए तब बहुत सोचा ही होगा लेकिन कांग्रेस इस बड़े नेता को संभाल नहीं पाई और राजनैतिक कद के अनुसार सम्मान भी नहीं दे पाई। यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बहुत बड़ी कमी रही जिसे असल में बड़ी गलती कह सकते हैं।


घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा में पुनः प्रवेश के बाद जो कहा वह कांग्रेस के संगठन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समीक्षा करके स्वीकार करना होगा। कोई भी बड़ा नेता अपनी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में साधु संत बनने को तो आया नहीं। इसलिए भी नहीं आया कि उसे कोने में बिठा कर कभी पूछो भी नहीं। 

तिवाड़ी के एक एक शब्द पर ध्यान दें तो लगता है कि उन्होंने कांग्रेस की पिटाई की है।

तिवाड़ी जो बोले। 

" मैंने कभी भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण ही नहीं की। मेरे मन में हमेशा से भाजपा ही रही है। मैं शुरू से ही संघ से जुड़ा रहा हूं।'


तिवाड़ी ने यह भी कहा कि उनका चुनाव लड़ने का अभी कोई इरादा नहीं है। वह पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं।


 वसुंधरा के विरोध से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि उस समय जो भी मुद्दे थे वह सभी हल हो चुके हैं।


 घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के  विरोधी माने जाते थे। 

 पिछ्ली भाजपा सरकार के दौरान तिवाड़ी को वो मान-सम्मान नहीं मिला जो भैरों सिंह शेखावत या अन्य सरकारों के समय में मिला। भाजपा संगठन में भी घनश्याम तिवाड़ी को  विशेष स्थान नहीं मिला था. 

इस तरह से अपनी उपेक्षा के कारण वे पार्टी से दूर होते गए।  सरकार के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों से उन्होंने दूरी बना ली थी। वह दूरी इतनी बढ़ गई कि तिवाड़ी भाजपा से ही अलग हो गए। 


सतीश पूनियां ने कराई वापसी


 भारतीय जनता पार्टी में वापसी को लेकर तिवारी ने एक पत्र लिखा।  भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भाजपा उच्च कमान से बात की और राष्ट्रीय नेतृत्व से राय करने के बाद उन्हें पार्टी में वापस लाया गया।

 घनश्याम तिवाड़ी की  भाजपा में वापसी के राजनीतिक मायने जो भी लगाए जाएं लेकिन असल में कुछ समय बाद ही मालूम पड़ेगा कि किस पर कितना असर हुआ।


* घनश्याम तिवाड़ी की राजनीतिक यात्रा *


तिवाड़ी भाजपा के दिग्गज नेताओं में रहे हैं। पार्टी में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया है। तिवाड़ी 6 बार चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। तिवाड़ी 1980 में पहली बार सीकर से विधायक बने। इसके बाद 1985 से 1989 तक सीकर से विधायक रहे।

साल 1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र चौमूं से विधायक बने। जुलाई 1998 से नवंबर 1998 तक भैरोंसिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं। दिसम्बर 2003 से 2007 तक वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।00





गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मास्टरजी रो एक साल पूरो. ढब्बू उडावो चाहे ढब्बू फोड़ो- करणीदानसिंह राजपूत।

 




ओमजी रो एक साल पूरो होयो!!!


नगरपालिका में अध्यक्षीय कार्यकाल के शुरू के एक साल के कार्यकाल में उन्होंने खुद को मास्टर फेमस तो कर ही लिया।


 ओमप्रकाश कालवा चेयरमेन साहब नहीं बने। कालवा जी भी आधे अधूरे से ही रहे। मास्टर कहलवाने के लिए निविदाओं में अपने नाम के शुरू में मास्टर लिखवाया। 


मास्टर जी की एक साल की चेयरमैनी पूरी हुई। 

और खुसर पुसर भी शुरू हुई। चेयरमैनी पलटण की चुपचाप कुरसी रे पागे नेड़े सेंध। मिट्टी खुदाई तो कही नहीं जा सकती। फर्श खुदाई। फर्श मिट्टी से तो मजबूत होता है लेकिन निर्माण तो नगरपालिका का ही करवाया हुआ है। भरोसा किया भी जा सकता है और भूचाल हो तो कोई बीमा नहीं कोई गारंटी नहीं। 


वैसे मास्टरजी संबोधन को तो कोई छीन नहीं सकता। कम से कम इतना तो एक साल में किया ही है कि मास्टरजी का निर्माण मसाला पूरी सीमेंट पूरी बजरी और पूरी तराई से हुआ।

 

चेयरमैनी को उखाड़ने का प्रयास गुपचुप। अरे भाई ! उखाड़ लोगे क्या? जे इतना जोर बन जावे तो फिर  नगरपालिका का निर्माण है। सड़क बनते ही उखड़ भी तो जावे। पण मास्टरजी तो कोई भी नहीं उखाड़ सके। आ पकायत है।


ओ गेम। कुण खेलण री तैयारी में है? कांग्रेस को बोर्ड है अर भाजपा नाम सूं तो दूर ही खड़ी है। आपरे माथे ठीकरो क्यूं फोड़े? कीं पकायत बणसी तो सारो गुपचुप है। ढोल बजावण की जरूरत भी नहीं। अभी भी ढोल नहीं बाज रहे। सब गुपचुप पण ढोल नगाड़े की दुकान पर एक जणै कानां में फुसफुसा दी। चालो! क्लियर होई। चेयरमैनी रा पागा हिलावण रो काम सरू है। 

पार्षद ही जोड़ बिठाण में है। तीन चौथाई एकजुट होवे जणा पार पड़े। अभी खुसर फुसर शुरू हुई है। पार्षद प्रीति भोज में चुपचाप जुट भी जावे पण कोरोना रो डर भी लागै। भोज रो आनंद मिले ना मिले अर कोरोना गले लाग जावे। जे कीं नीं होवै तो बदनामी। पण खुसर फुसर हो रही है। आ पकायत है। 

मास्टरजी ने भी चेयरमैनी रो मोह कोनी पण जनता री सेवा करण रो चाव है जिकै सूं राजनीति में आ गया अर जयपुर रे आर्डर सूं चेयरमैन थरपीज्या। सूरतगढ़ आला नै आर्डर मानणो पड्यो। 

बाकी तो कहावत है के मन री काढ लेणी चाहिजै।अर,आपणै रोक्यां सूं कुण रुकै है। चलो! एक साल पूरो होयो। ढब्बू उडावो चाहे ढब्बू फोड़ो। 00

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सोमवार, 7 दिसंबर 2020

पूर्व पार्षद इंद्र चंद सरावगी सूरतगढ़ का स्वर्गवास

 

 - करणीदानसिंह राजपूत - 


सूरतगढ़ 7 दिसंबर 2020.


सूरतगढ़ के जाने-माने सरावगी कुटुंब के महत्वपूर्ण और राजनीति के महत्वपूर्ण कार्यकर्ता पूर्व पार्षद इंद्रचंद्र सरावगी का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 6 दिसंबर को सूरतगढ़ की मुख्य कल्याण भूमि में किया गया।

इंद्र चंद सरावगी का जयपुर के दुर्लभजी हॉस्पिटल में कुछ दिन इलाज चला था। स्वस्थ होने के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई। 5 दिसंबर की शाम को जयपुर से सूरतगढ़ लाए जाने की तैयारियां चल रही थी तब अचानक उनका हार्टसीज होने से निधन हो गया।

पूर्व में हृदय संबंधी कोई कोई लक्षण नहीं थे।


 स्वर्गीय इंद्र चंद सरावगी भारतीय जनता पार्टी की ओर से सन 2004 में पार्षद चुने गए थे। लोकप्रिय व्यक्ति थे। राजनीति में काफी समय से सक्रिय रहे। स्पष्ट वादी रहे। सूरतगढ़ के सेठ रामदयाल राठी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी।


उनके संसार से चले जाने पर ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें मोक्ष प्रदान करें। नमन!

००

*भयानक गंदगी बदबू से घिरे रेल आवासों में रहने को मजबूर रेलकर्मचारी nwr. सूरतगढ़

 


* उत्तर पश्चिम रेलवे के बीकानेर खंड के सूरतगढ़ रेलवे कर्मचारी आवासों पर बीमारियों का खतरा*


* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़। रेल अधिकारियों के ड्यूटी के प्रति अनदेखी के कारण रेल कर्मचारी और परिवार आवासों के पास फैली भयानक गंदगी और सड़ांध में बीमारियों की आशंका में रहने को मजबूर हैं।
रेल कॉलोनियों की केयर मीटिंग्स( कालोनी रख रखाव बैठकें) नियमित होनी चाहिए लेकिन सूरतगढ़ में उसका कोई अता-पता नहीं है।

यह गंदगी एक-दो दिन कि नहीं कई महीनों की है जिसके कारण हालात भयानक बने हुए हैं। पुराने लोको स्थल के पास बने आवासों के पास गंदे पानी के कुएं भरे पड़े हैं जिनकी बहुत समय से सफाई नहीं हुई उनमें पेड़ उग गए। नालियां टूटी पड़ी है। गंदा पानी आवासों के पास तालाबों के रूप में यत्र तत्र पड़ा है।
आवास टी-23 के पीछे रेलवे पार्क के पास गंदगी और कचरा पड़ा है। गंदे पानी के तालाब महीनों से पड़े हैं.  रेलवे आवासों पर अनदेखी के कारण ऊपर छतों की टंकियों के पास पेड़ उग आए हैं। पेड़ एक दिन में तो उगे नहीं हैं, स्पष्ट है कि कई महीनों से साफ सफाई नहीं हुई।  इन आवासों पर छत की टंकियों के भरने के बाद घंटों तक पानी सुबह और शाम बेकार बहता है। टंकियों के भरने के बाद अपने आप बंद होने वाले वाल्व लगे हुए नहीं हैं। खराब हो गए तो उन्हें ठीक कराया जाना था या नये  लगाए जाने चाहिए थे लेकिन ऐसी मरम्मत नहीं होने से बहुत समय से शुद्ध पेयजल व्यर्थ में बह रहा है। आवासों के फर्श नवीनीकरण हुए उसको 6 महीने से अधिक समय हो गया। उनका पुराना मलबा वहीं ढेरियों के रूप में पड़ा है,उसे उठाया नहीं गया।
इनके पास में बने दो मंजिला मकानों में भी पिछवाड़े नालियों आदि की सफाई का कोई प्रबंध नहीं है।
जहां पर गंदा पानी का कुआं और पंप लगाया हुआ है वह कुआं पूरा ढह चुका है। उसकी जाली दूर टूटी पड़ी है। कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। पशु उसमें गिर सकते हैं या ड्यूटी करते हुए सफाई कर्मचारी भी अनहोनी का शिकार हो सकते  हैं।00









करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़. ( राजस्थान)
मो. 94143 81356.
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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

साधुवाली में नशा मुक्ति जन-जागृति कार्यशाला का आयोजन

 



श्रीगंगानगर, 4 दिसम्बर 2020.

 जिला कलक्टर श्री महावीर प्रसाद वर्मा एवं जिला पुलिस अधीक्षक श्री राजन दुष्यन्त के निर्देशानुसार भारत सरकार द्वारा संचालित एवं डीजीपी राजस्थान श्री एम.एल. लाठर द्वारा निर्देशित  आप्रेशन प्रहार के अन्तर्गत  पुलिस थाना जवाहर नगर द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय साधुवाली में नशा मुक्ति जन-जागृति कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एडीशनल एस.पी.श्री सही राम बिश्नोई ने कहा कि नशा प्रवृति आज एक महामारी का रूप ले चुकी है, नशा करने से युवा पीढी पथ भ्रष्ट होकर अनुचित कार्यो, अपराधों इत्यादि में संलिप्त हो रही है, अपना भविष्य बरबाद कर रही है तथा समाज के लिए विकराल समस्या का रूप ले रही है। नशे को काबू करने के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा नशा मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है जिसमें जन-जन को जुड़ कर समाज को नशा मुक्त करने के पावन उद्देश्य से अपना हर सम्भव सहयोग प्रदान करना चाहिए जिससे नशे को मिटाया जा सके। 

कार्यक्रम में नशा  मुक्ति विशेषज्ञ डा0 रविकान्त गोयल ने कहा कि नशे की एक लत व्यक्ति से उसका तन-मन-धन, सामाजिक प्रतिष्ठा छीन लेती है तथा बदले में दुख-दर्द, तकलीफे मुसीबते प्रदान करती है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अनेक लोग नशे में अपनी सारी कमाई बरबाद कर देते है तथा घर जा कर परिवार के साथ मारपीट, गाली-गलौच इत्यादी करते है जिससे उनके घर  में गरीबी, लाचारी, अभाव इत्यादि समस्यायें डेरा डाल लेती है, बच्चे छोटी छोटी वस्तुओ के लिए तरसते है। डा0 गोयल ने बताया कि ऐसे व्यक्ति जब उनसे ईलाज लेकर नशा छोड़ देते हैं तो उनके जीवन में सुखद परिवर्तन स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगते है, बच्चो की आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगती है, प्रेम एवं उल्लास का वातावरण बन जाता है तथा सुन्दर भविष्य की आशा के दीप टिम-टिमाने लगते है। डा0 गोयल ने उपस्थित लोगो को नशे के दुुष्प्रभावों से अवगत करवा कर नशे से बचने के उपाय बताये तथा जीवन भर नशा न करने की शपथ दिलवाई।



कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पुलिस वृताधिकारी श्री ईस्माइल खान ने कहा कि नशा सभ्य समाज पर एक कलंक है जिसे हमें जड़ से उखाड़ना है, जिसके लिए प्रशासन के साथ-साथ समाज की जागरूकता एवं सहभागिता अत्यन्त आवश्यक है। सामूहिक प्रयासो से ही इस दानव रूपी नशे की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने समाज को प्रशासन का सहयोग करने का आहवान किया। कार्यक्रम में पैरा-लीगल वालन्टीयर एवं चेस कोच श्री इन्द्रमोहन सिंह जुनेजा ने कहा कि नशे का मार्ग व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है। 

कार्यक्रम में शाला प्रधानाचार्य सुश्री रजनी बब्बर ने कहा कि नशा चाहे ज्यादातर पुरूष ही करें लेकिन उसका प्रकोप न केवल परिवार पर बल्कि पुरे समाज पर पड़ता है विशेष तौर पर महिलाऐं इस से ज्यादा पीड़ित होती है। इस अवसर पर सरपंच श्रीराम ने भी अपने विचार व्यक्त किये। पुलिस थाना जवाहर नगर के थानाधिकारी श्री विश्वजीत द्वारा सभा को नशे से बचने एवं अनुशासित जीवन जीने हेतु संदेश दिया गया। 

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