गुरुवार, 31 मई 2018

राजेन्द्रप्रसाद उपाध्याय सूरतगढ सरस्वती स्कूल के संचालक का निधन

सूरतगढ़ 31 मई 2018.

शहर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय के संचालक राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय का आज करीब 12:30 बजे निधन हो गया। अचानक हृदयाघात हुआ जिसे हार्टसीज होना बताया गया।अचानक हुई घटना के तत्काल डा.के.एल.बंसल को बुलाया गया। उनके पहुंचने से पहले ही प्राण पखेरू उड़ चुके थे।

वे कुछ समय से  अस्वस्थ चल रहे थे और धर्मपत्नी सुमित्रा की 2 मई को हुई मृत्यु से टूट चुके थे। आज श्रीगंगानगर अपनी जांज कराने के लिए जाने वाले थे व तैयारी कर चुके थे। आज ही शाम को साढे पांच बजे मुख्य कल्याण भूमि में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार के समय परिजन,अध्यापक,वकील,पत्रकार,व्यवसायी व विभिन्न वर्गों के गणमान्य लोग शामिल हुए।



मंगलवार, 29 मई 2018

एसीबी ने सफाई निरीक्षक को चार हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी) ने मंगलवार 29-5-2018 को यह सफलता हासिल की।

एसीबी की गिरफ्त में नगर निगम का सफाई निरीक्षक लक्ष्मीचन्द।


जोधपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी)  ने जोधपुर नगर निगम के एक सफाई निरीक्षक को चार हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। सफाई निरीक्षक ने   यह राशि परिवादी के भवन निर्माण को चालू रखने की एवज में मांगी थी।


 सफाई निरक्षक को पकड़ा…


- एसीबी के पुलिस अधीक्षक अजयपाल लाम्बा ने बताया कि सरदारपुरा में वार्ड 31 के सफाई  निरीक्षक लक्ष्मीचन्द ने सरदारपुरा ए रोड निवासी दिनेश परिहार से उसके भवन निर्माण को बगैर किसी बाधा के चालू रखने की एवज में चार हजार रुपए की मांग की। परिवादी की ओर से एसीबी में दर्ज शिकायत की पुष्टि हो जाने के पश्चात आज एसीबी की टीम ने ट्रैप का प्लान तैयार किया।


- आज सुबह सफाई  निरीक्षक लक्ष्मीचन्द ने दिनेश परिहार को कल्पतरू सिनेमा हाल के निकट स्थित निगम के फायर ब्रिगेेड कार्यालय के बाहर रिश्वत की राशि लेकर बुलाया। दिनेश ने उसे चार हजार रुपए थमाए। पैसे लेकर लक्ष्मीचन्द ने जैसे ही अपनी जेब में डाले एसीबी की टीम ने उसे दबोच लिया। उसकी जेब से रिश्वत की राशि बरामद कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।


आपातकाल: शांतिभंग में जेलों में बंदियों को भी मिलेगी पेंशन

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आपातकाल में शांति भंग करने के आरोप में

जेलों में बंद रहे कार्यकर्ता मिले

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि पेंशन वास्ते जो कोई बिंदु छूट गया है उस

पर विचार कर लिया जाएगा

खास रपट- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़, 3 फरवरी 2014. इंदिरागांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लागू कर

अनेक लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था। उनमें मीसा और रासुका

बंदियों को पेंशन देने की घोषणा कर दी गई थी।

आपातकाल में शांतिभंग कानून के तहत भी हजारों लोगों को जेलों में बंद कर

दिया गया था। उनके परिवार भी परेशान हुए व व्यवसाय आदि

बरबाद हो गए थे। अब शांतिभंग के तहत बंदी रहे लोगों को भी पेंशन सुविधा

प्रदान की जाने का बिंदु भी शामिल कर लिया जाएगा।

शांतिभंग में बंदी बनाए लोग यह मांग पिछले सालों से कर रहे थे।

मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में आज कई कार्यकर्ता मिले और इस मांग से अवगत कराया।

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि जो बिंदु छूट गया है उस पर विचार

कर शामिल कर लिया जाएगा।

इस आश्वासन पर प्रतिनिधि मंडल के लोग पूरे आश्वस्त हो गए हैं।

पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने दोपहर को यह सूचना मुझे दी और उसके बाद

ईटीवी पर भी यह समाचार रिलीज हुआ है।

( कार्यकर्ता 3 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित जनसुनवाई में मिले थे)

राजस्थान के हजारों परिवारों को इससे लाभ मिल सकेगा।

सूरतगढ़ से शांति भंग में 12 कार्यकर्ता बंदी बनाए गए।

पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत को श्रीगंगानगर में 30 जुलाई 1975 को पकड़ा गया।

गुरूशरण छाबड़ा जयपुर में रहने लगे थे और अब संसार में नहीं है।

यह समाचार मेरे ब्लॉग www.karnipressindia.com पर लगा था। कौन मिले थे,वे अपना नाम अवश्य बताएं। 

3 फरवरी 2014.

अपडेट 29-5-2018.

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रविवार, 27 मई 2018

सूरतगढ से कौन लड़ेगा-हाथ या हाथी?


 - करणीदानसिंह राजपूत -

 * राजस्थान और मध्यप्रदेश में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस और बसपा में समझौता संभव की मीडिया चर्चाएं* 

* कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से दूर करने की सफलता से संभावनाएं अधिक मजबूत हुई हैं।*

राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पुनः सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के समझौते की संभावना मीडिया में व्यापक चर्चा और समाचार आ रहे हैं। ।

राजस्थान और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है दोनों प्रदेशों में जनता सत्ताधारी पार्टी के विरुद्ध मानस बनाए हुए है।

ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि दोनों प्रदेशों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का पुनः सत्ता में आना बहुत ही मुश्किल है।इन परिस्थितियों में भी दोनों प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की कांटे की टक्कर ही मानी जा रही है। कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता को को बचाने के लिए कोई भी कसर नहीं रखेगी। इस कारण से दोनों प्रदेशों में कांटे की टक्कर संभावित है।

दोनों प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी जीत का दावा कर रही है लेकिन इस दावे के साथ ही यह समाचार भी मीडिया में आ रहे हैं कि भाजपा को हर हालत में रोकने के बहुजन समाज पार्टी के लिए कुछ सीटें समझौते में छोड़ी जा सकती हैं।

 उच्च स्तर पर यह हलचल है कि है कि कांग्रेस से छोटे दल यदि कुछ सीटें मांगते हैं तो उन्हें कुछ सीटें देने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। 

राजस्थान के लिए माना जा रहा है कि 200 विधानसभा सीटों में कांग्रेस पार्टी बहुजन समाज पार्टी के लिए 10- 15 सीटों पर समझौता कर सकती है।

 मतलब 10- 15 सीटों पर  समझौता समझौता होता है तो  सूरतगढ सीट पर कौन लड़ेगा ? कांग्रेस या बसपा?

 सूरतगढ़ की सीट पर बहुजन समाज पार्टी को मिलने का प्रबल दवा संभावित है। इसका कारण यह है कि पिछले सन 2013 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी दूसरे क्रम पर रही और कांग्रेस पार्टी तीसरे क्रम पर पर रही थी। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी यहां से 2008 का चुनाव भी लड़ चुकी है। ऐसी स्थिति में यह सीट बसपा के लिए छोड़ी जा सकती है। सन 1972 में कांग्रेस पार्टी ने सूरतगढ़ सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लिए छोड़ी थी और इस सीट से योगेंद्र नाथ हांडा ने रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता था। कांग्रेस पार्टी इस सीट पर पर सन 1952 से चुनाव लड़ रही है इसलिए वह इस दावे पर भी भी अपना  अधिकार जताते हुए संभव है कि यह सीट अब नहीं भी छोड़े। अगर यह सीट कांग्रेस छोड़ती है तो बसप पार्टी डूंगरराम गेदर की जीत संभव मानेंगे।

 लेकिन राजनीति सीटों के बंटवारे के बावजूद जरूरी नहीं होता कि सारे पार्टी सदस्य व समर्थक मतदाता बसपा के साथ चलेंगे।

 मतलब कांग्रेस पार्टी का हर कार्यकर्ता और समर्थक डूंगरराम को वोट नहीं भी दे। यदि होता है तो वोटों का बंटवारा कुछ भारतीय जनता पार्टी के हक में जा सकता है और अधिक संख्या किसी निर्दलीय के साथ जा सकती है। चुनावों में ऐसा होता आया है कि जब पार्टी किसी व्यक्ति को टिकट दे और वह पसंद का नहीं हो तब कार्यकर्ता और समर्थक दुश्मन पार्टी को तो वोट नहीं देते लेकिन किसी निर्दलीय के साथ जुड़ जाते हैं। यह जुड़ाव खुला कम और पर्दे के पीछे अधिक होता है जिसे दूसरी भाषा या शब्दों में भीतरघात भी कहते हैं। फिलहाल कांग्रेस पार्टी  बहुजन समाज पार्टी के साथ राजस्थान और मध्यप्रदेश में क्या समझौता करती है और कितनी सीटें तथा कौन कौनसी सीटें सीटें छोड़ती है? यह पर्दे के पीछे है।

 मीडिया चर्चाओं में में संभावनाएं व्यक्त हैं कि भाजपा को रोकने के लिए यह समझौता समझौता होगा।

इसी समझौते के कारण सूरतगढ़ पर हाथी लड़ेगा या हाथ लड़ेगा? बसपा से तो एक ही दावेदार डूंगरराम गेधर की तैयारियां चल रही हैं। अगर यह सीट उच्चस्तरीय समझौते में  बसपा के लिए छोड़ दी जाती है तब कांग्रेस में काफी समय से प्रबल दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु,पूर्व विधायक गंगाजल मील,अमित कड़वासरा,स.परमजीतसिंह रंधावा, बलराम वर्मा,गगनदीपसिंह विडिंग,राकेश बिश्रोई आदि का क्या होगा?



शनिवार, 26 मई 2018

सूरतगढ़ का गौरव पथ उद्घाटन से पहले ही बिखरने लगा

* करणीदानसिंह राजपूत*

 सूरतगढ़ 26 मई 2018.

 गौरव पथ निर्माण के साथ ही घोटालों और घटिया निर्माण के आरोप चित्रों सहित प्रकाशित होने लगे थे मगर सार्वजनिक निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने मौके पर पूरी देखरेख नहीं की जिसके कारण हालात यह है कि करोड़ों रुपए का गौरव पथ अभी निर्माण पूरा होने से पहले ही जगह जगह दरारों में तब्दील होने लगा है।

 बहुत बड़े क्षेत्र में आर सी सी में से पत्थर दिखाई देने लगे हैं।  गौरव पथ के दोनों और खूबसूरती के लिए लगाई गई रंगीन इंटरलॉकिंग उबड़ खाबड़ है। इंजीनियरों ने इसके समतल लगाने के लिए देखरेखनहीं की। कहीं आधा इंच ऊपर नीचे है तो कहीं 1 इंच ऊपर नीचे है। नाले का निर्माण भी घटिया हुआ है।

घटिया निर्माण के घोटाले पर प्रतिपक्ष पार्टियों के नेता तो संज्ञा सुन्न या मृतक समान हैं। उनके नहीं बोलने, विरोध नहीं करने से यह घटिया निर्माण हुआ है।






वसुंधराराजे से बंगला सं 13 खाली कराया जाए-घनश्यामतिवाड़ी


* वसुंधरा राजे पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से भी बंगला संख्या 13 का उपयोग कर रही हैं।*


घनश्याम तिवाड़ी ने राज्यपाल से मिल कर सरकारी बंगाल खाली करवाने की मांग की।

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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जयपुर में वीआईपी सिविल लाइन क्षेत्र में एक नहीं बल्कि दो सरकारी बंगलों का उपयोग कर रही हैं। यह आरोप भाजपा के वरिष्ठ विधायक और दीन दयाल वाहिनी के संस्थापक घनश्याम तिवाड़ी ने 25 मई को राज्यपाल कल्याण सिंह से मिल कर लगाए हैं। राज्यपाल से आग्रह किया कि वर्तमान सीएम से बंगला संख्या 13 तत्काल प्रभाव से खाली करवाया जावे तथा पिछले चार वर्षों का बंगले का किराया भी वसूला जाए। इस बंगले की साज सज्जा पर जो करोड़ों रुपया खर्च किया, उसकी वसूली भी मुख्यमंत्री से की जाए। राज्यपाल को दिए ज्ञापन में बताया गया कि मुख्यमंत्री की हैसियत से वसुंधरा राजे सिविल लाइन में बंगला संख्या 8 का उपयोग कर रही है। मुख्यमंत्री के सारे कार्यक्रम इसी बंगले पर होते हैं। यह बंगला मुख्यमंत्री के लिए आरक्षित है, लेकिन इसके बाद भी पिछले चार वर्षों से बंगला संख्या 13 का भी उपयोग हो रहा है। वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद आजीवन बंगला संख्या 13 का उपयोग कर सकें, इसलिए विधानसभा में 26 अपै्रल 2011 को राजस्थान मंत्री वेतन (संशोधन) विधेयक लाया गया। असल में इस विधेयक में पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधाओं का ही ख्याल रखा गया। विधेयक में सालाना 4 से 5 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान किया। तिवाड़ी ने राज्यपाल को बताया कि इस विधेयक में संबंधित मुख्यमंत्री सालाना खर्च को नकद भी ले सकता है। जैसे यदि वसुंधरा राजे ने किसी राज्य की राज्यपाल या केन्द्र में मंत्री बन जाए तो राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधा नकद राशि में भी ले सकती हैं। तिवाड़ी ने राज्यपाल कल्याण सिंह की जागीरदारी प्रथा वाले इस विधेयक के विरोध में मैंने 12 मई 2017 को आपको भी पत्र लिखा था, लेकिन मेरे विरोध को दर किनार कर आपने विधेयक को मंजूरी दे दी। यही वजह है कि बंगला संख्या 13 का नाम मुख्यमंत्री ने अनंत विजय रख दिया है। तिवाड़ी ने राज्यपाल से पूछा कि सरकारी बंगले का नामकरण कैसे किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की अवमाननाः

तिवाड़ी ने आरोप लगाया कि बंगला संख्या 13 पर कब्जा कर मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवमानना कर रही हैं। अपने ज्ञापन के साथ तिवाड़ी ने राज्यपाल को 7 मई 2018 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी दिया। इस आदेश में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करने को कहा गया है। इसी आदेश के अनुरूप उत्तर प्रदेश की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव आदि को सरकारी बंगले खाली करने के नोटिस जारी कर दिए हैं। एक ओर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली करवाए जा रहे हैं तो वहीं राजस्थान में वर्तमान मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से भी सरकारी बंगले पर कब्जा कर रखा है। राज्यपाल  को बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट आदेश राजस्थान पर भी लागू होता है। यदि वसुंधरा राजे से बंगला संख्या 13 खाली नहीं करवाया गया तो यह सुप्रीम कोर्ट की अब मानना होगी। राज्यपाल को दिया ज्ञापन मेरे फेसबुक पेज पर पढ़ा जा सकता है। इस संबंध में और अधिकारी जानकारी दीनदयाल वाहिनी के मीडिया प्रभारी दीपक आजाद से मोबाइल नम्बर 7742979442 पर ली जा सकती है।

ये थे ज्ञापन देने वालों में:

राज्यपाल को ज्ञापन देने वालों में दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी के साथ प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य आशीष तिवाड़ी, अशोक यादव, विमल अग्रवाल, अंकित शर्मा, विष्णु जैसवाल, घनश्याम मंत्री, नरेन्द्र भोजक, राजेश अजमेरा, दिलीप महरोली, भंवर सराधना, प्रदीप मोटवानी, आनंद, आशीष क्रांतिकारी, शैलेन्द्र माथुर, अशोक सालोदिया, हर्ष शर्मा आदि थे।

एस.पी.मित्तल) (25_05-2018)

शुक्रवार, 25 मई 2018

राजस्थान मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बसपा समझौते की संभावनाएं





 25 मई 2018.


कर्नाटक में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस में उत्साह है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।


कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बुधवार को बेंगलुरु में शपथ ग्रहण समारोह में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती की मुलाकात भविष्य की राजनीति का संकेत देने के लिए काफी है। इस मुलाकात से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में यह उम्मीद जगी है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बसपा के साथ गठबंधन हो सकता है।


मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बसपा का प्रभाव है। पिछले चुनाव में बसपा ने मध्य प्रदेश में चार और छत्तीसगढ़ में एक सीट जीती थी। ऐसे में पार्टी का एक बड़ा तबका चुनाव में बसपा और दूसरे दलों के साथ गठबंधन की वकालत कर रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि इन प्रदेशों में या तो भाजपा है या कांग्रेस है। जो छोटी पार्टियां हैं, वह कुछ सीट चाहती हैं तो देने में कोई ऐतराज नही है।


छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच वोट प्रतिशत में अंतर एक फीसदी से भी कम था। कांग्रेस को 40.29 और भाजपा को 41.18 फीसदी वोट मिले थे। जबकि इन चुनाव में बसपा ने 4.27 फीसदी वोट के साथ एक सीट जीती थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बसपा का वोट मिल जाए, तो भाजपा की राह आसान नहीं होगी। मध्य प्रदेश में भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएगीं।


मध्य प्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया भी समान विचार वाली पार्टियों के साथ आने की वकालत कर चुके हैं। उनका कहना है कि प्रदेश की जनता शिवराज सिंह चौहान के कुशासन से मुक्ति चाहती है।

राजस्थान में भाजपा की वसुंधराराजे सरकार से भी लोग नाराज हैं और यह नाराजगी प्रगट होने लगी है।


गुरुवार, 24 मई 2018

जनता के मूड में बदलाव- राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस सरकार

May 24, 2018 

केन्द्र की बीजेपी सरकार अब अपनी चौथी सालगिरह मना रही है। इसी साल के अंत तक देश के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये राज्य हैं, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़। हिन्दी न्यूज चैनल एबीपी ने इन राज्यों के लिए ओपिनियन पोल किया है। ओपिनियन पोल के मुताबिक अगर इस वक्त राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव हुए तो दोनों ही राज्यों से बीजेपी की छुट्टी हो सकती है। सर्वे के मुताबिक राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों में कांग्रेस जोरदार वापसी कर सकती है। सर्वे के मुताबिक अगर इस वक्त मध्य प्रदेश में चुनाव हुए तो बीजेपी को 34%, जबकि कांग्रेस को 49 प्रतिशत वोट मिल सकता है, जबकि अन्य के खाते में 17 फीसदी वोट जाने का अनुमान है। बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश में 45 फीसदी, कांग्रेस को 36 फीसदी जबकि अन्य को 19 प्रतिशत वोट मिले थे।

सर्वे के मुताबिक राजस्थान की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। अगर यहां अभी चुनाव हो तो बीजेपी को 39 प्रतिशत, कांग्रेस को 44 प्रतिशत और अन्य को 17 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है। इस तरह से राजस्थान में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बीजेपी के मुकाबले 5 फीसदी का इजाफा दिख रहा है। 2013 में यहां बीजेपी को 45 प्रतिशत, कांग्रेस को 33 प्रतिशत और अन्य को 22 प्रतिशत वोट मिले थे।


एबीपी न्यूज के इस सर्वे के मुताबिक अगर इस वक्त राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ तो एनडीए के खाते में 45 फीसदी, यूपीए के खाते में 42 फीसदी और अन्य के हिस्से में 13 प्रतिशत वोट जाने का अनुमान है। लेकिन यहां पर 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 55 फीसदी, यूपीए को 30 फीसदी और अन्य को 15 प्रतिशत वोट मिल रहा है। इस तरह से अगर अभी चुनाव हो तो एनडीए को 2014 के मुकाबले 10 प्रतिशत वोटों का नुकसान हो दिख रहा है।  इसी तरह से अगर एमपी में अभी लोकसभा चुनाव के वोट डाले जाएं तो एनडीएन को नुकसान होता दिख रहा है। सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि इस वक्त एनडीए को 40 फीसदी, यूपीए को 50 फीसदी और अन्य को 10 परसेंट वोट मिल रहा है। यहां पर 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 54 फीसदी वोट मिला था। इस तरह से साल 2014 के मुकाबले एनडीए को 14 प्रतिशत वोट का नुकसान होता दिख रहा है।

साभार जनसत्ता 

बुधवार, 23 मई 2018

भाजपा के 2019 में नेताओं पर अनैतिकता भ्रष्टाचार के आरोपों से भारी बदनामी होगी:


* नेताओं की आपस में लड़ाई होगी*

* अकेले दम पर सरकार संभव नहीं*

जालंधर: कर्नाटक में भाजपा द्वारा अपनी सरकार को बचाए रखने में विफलता के बाद अब अगले लोकसभा चुनाव 2019 में केन्द्र में किसकी सरकार बनेगी, इसे लेकर सियासी पटल पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। ज्योतिषी भी इस संबंध में भविष्यवाणियां करने में पीछे नहीं हैं। कनाडा के ज्योतिषी प्रो. पवन कुमार शर्मा के अनुसार भाजपा को इस समय सूर्य महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा चल रही है, जो 19 जून 2018 तक रहेगी। शुक्र पर नीच राशि के चंद्रमा, नैप्च्यून, यूरेनस तथा शनि की दृष्टि है। 


कुल मिलाकर शुक्र भाजपा की लगन, नवमाश व दशमांश कुंडली में अशुभ ग्रहों से दृष्ट है। शुक्र की अन्तर्दशा में भाजपा को विफलता, आलोचना, आरोपों व हानि के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। भाजपा पर कई प्रकार की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगेंगे। भाजपा की जन्मकुंडली में शुक्र व शनि की दृष्टि होने से भाजपा को ऐसी अनैतिक गतिविधियों व कार्य के कारण जनता से दंड मिलेगा। भाजपा के कई नेताओं पर कई आरोप लगेंगे। 

उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछ नेताओं को जेल भी हो सकती है व कुछ पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगेंगे। कुल मिलाकर भाजपा का जनाधार घटेगा। जनता में भाजपा की छवि को गहरा आघात लगेगा। किसी महिला नेता के कारण भाजपा को भारी बदनामी का सामना भी करना पड़ेगा, जिससे भाजपा की जनता में साख घटेगी।  उन्होंने कहा कि गोचर में शनि 26 अक्तूबर 2017 से लगन से सातवें, चंद्रमा से दूसरे तथा सूर्य से 10वें स्थान में संचार कर रहा है। शनि की दृष्टि लगन, नौवें व चौथे भाव पर पड़ रही है। 


देश का मीडिया चाहे यह दावा कर रहा है कि 2019 के आम चुनावों में भाजपा को सफलता प्राप्त होगी परन्तु गोचर में शनि जनवरी 2021 तक धनु राशि में चलेगा तथा उसकी दृष्टि चौथे भाव में प्लूटो पर पड़ेगी, जिस कारण 2019 के चुनावों तक भाजपा का जनसमर्थन काफी कम हो जाएगा। भाजपा अगर धार्मिक मुद्दों को उठाएगी तो उसका दाव उलटा हानिकारक होगा। 


19 जून 2018 से 10 वर्षों के लिए भाजपा को चंद्रमा की महादशा शुरू होगी। जन्म कुंडली में चंद्रमा छठे घर में नीच का है। चंद्रमा का समय शुरू होते ही भाजपा में अन्तर्कलह चरम सीमा पर बढ़ेगी, इसके नेता खुलेआम एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ेंगे। भाजपा को सूर्य की महादशा अच्छी रही परन्तु चंद्रमा की महादशा में भाजपा केन्द्र में अपने बलबूते पर सरकार बनाने मेें असमर्थ होगी, उसे 2019 में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा। चंद्रमा के समय में नौजवानों का समर्थन भाजपा व मोदी सरकार से पीछे हट जाएगा। 

 ( साभार पंजाब केसरी 22-5-2018 )




सोमवार, 21 मई 2018

राजस्थानी भाषा मान्यता: के सी मालू पुनः प्रदेशाध्यक्ष व मनोजकुमार स्वामी प्रदेश महामंत्री चुने गए

जयपुर/सूरतगढ़ 21 मई 2018.

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक जयपुर के महारानी होटल में के सी मालू की अध्यक्षता में 20 मई को आयोजित हुई। 

जिसमें प्रो. कल्याणसिंह शेखावत, डा. अमरसिह राठौड़ के सानिध्य में सर्वसम्मती से आगामी तीन वर्षो के लिए चुनाव समपन हुए। जिसमें के सी मालू को पुनः प्रदेशाध्यक्ष व मनोजकुमार स्वामी को प्रदेश महामंत्री चुना गया। बैठक में पदमश्री डां. सीपी देवल, प्रो. भंवरसिंह सामौर, पदम मेहता, देवकिशन राजपुरोहित, डां. गौरीशंकर निमिवाल, किशनलाल स्वामी, कल्याणसिंह, इन्द्रसिंह, विक्रम राजपुरोहित, शोभा राजपुरोहित, कर्णसिंह, फिल्मस्टार मोहन कटारियां, नंदकिशोर जालानी, अशोक गहलोत, गजेन्द्रसिंह राजपुरोहित, हेमजीत मालू, श्याम सुन्दर आदि नें भाग लिया। बैठक में राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए संघर्ष को और तेज करने की रूप रेखा तैयार की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया की समिति द्वारा शीघ्र विधान सभा का घेराव व दिल्ली में बड़ा धरना लगाने की तैयारियां जोरशोर से की जाएगी। कार्यक्रम का संचालन व संयोजन डा. भरत ओळा ने किया। 



रविवार, 20 मई 2018

बेचारे येदुरप्पा:तीसरी बार भी 5 साल पूरे नहीं कर पाए-

 *तीसरी बार का कार्यकाल बहुत कम तीसरे दिन ही खत्म हो गया*

- करणीदानसिंह राजपूत -

हाई-वोल्‍टेज राजनीतिक नाटक के बीच आखिरकार गुरुवार 17-5-2018 को सुबह बीएस येदुरप्‍पा ने तीसरी बार कर्नाटक के सीएम पद की शपथ ले ली। 

मगर 19-5-2018 को विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।

*येदुरप्‍पा पहली बार 2007 में, दूसरी बार 2008 में और अब तीसरी बार 2018 में सीएम बने।

येदुरप्‍पा कर्नाटक के कितने बड़े नेता हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने दम पर दो बार बीजेपी को लगभग बहुमत के करीब लेकर आए, लेकिन किस्‍मत ने उनके साथ हर बार खेल किया।

1. येदुरप्‍पा  पहले 2007 में जनता दल-सेक्‍युलर के समर्थन से पहली बार कर्नाटक के सीएम बने थे, लेकिन तब उनके हाथ सत्‍ता केवल 7 दिन तक रह सकी थी। येदुरप्‍पा ने 12 नवंबर 2007 को सीएम पद की शपथ और 19 नवंबर 2007 को उन्‍होंने पद से इस्‍तीफा दे दिया था।

-7 दिन सीएम रहने के बाद येदुरप्‍पा को ज्‍यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।

2. 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद येदुरप्‍पा ने दूसरी बार कर्नाटक के सीएम पद की शपथ ली और 3 साल 62 दिन तक मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर रहे।

-येदुरप्‍पा ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ 2008 में ली। वह जब दूसरी बार सीएम बने तब बीजेपी 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत से 3 सीटें उस वक्‍त भी कम ही रह गईं।

-30 मई 2008 को दूसरी बार सीएम बनने के बाद येदुरप्‍पा 3 और 62 दिन तक मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर रहे, लेकिन भ्रष्‍टाचार के आरोप लगने के बाद उन्‍हें पद से इस्‍तीफा देना पड़ा।

-येदुरप्‍पा के दूसरे कार्यकाल में अवैध खनन के मामले ने तूल पकड़ा और आरोपों की आंच येदुरप्‍पा तक जा पहुंची। लोकायुक्‍त ने जुलाई 2011 में रिपोर्ट सबमिट कराई, जिसमें येदुरप्‍पा की भूमिका की बात कही गई।

-भ्रष्‍टाचार के आरोपों के दायरे में येदुरप्‍पा के परिवार के सदस्‍यों का भी नाम आया। आरोप लगे कि परिवार के सदस्‍यों ने भी डोनेशन के नाम पर खनन कंपनियों से पैसा लिया।

-भ्रष्‍टाचार के आरोपों के बाद येदुरप्‍पा को कर्नाटक के सीएम पद से इस्‍तीफा देना पड़ा। 2011 में पद छोड़ने के बाद येदुरप्‍पा को बीजेपी से वैसा सपोर्ट नहीं मिला, जिसकी उन्‍हें उम्‍मीद थी और येदुरप्‍पा ने पार्टी के खिलाफ ही बगावत का बिगुल बजा दिया। उन्‍होंने कर्नाटक जनता पक्ष नाम से नई पार्टी तक बना डाली।

-मई 2013 में वह शिकारीपुरा सीट से येदुरप्‍पा एक बार फिर विधानसभा पहुंचे।

-नई पार्टी बनाने के बाद भी येदुरप्‍पा बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में रहे और 2 जनवरी 2014 मतलब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्‍होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करा दिया। यही वही समय जब बीजेपी में मोदीयुग की शुरुआत हो रही थी। अमित शाह की रणनीति में येदुरप्‍पा काफी अहम थे। लोकसभा चुनाव में येदुरप्‍पा शिमोगा से चुनाव लड़े और विपक्षी उम्‍मीदवार को करीब साढ़े तीन लाख वोटों से मात दी।

-2014 लोकसभा चुनाव में येदुरप्‍पा की वापसी से बीजेपी को काफी फायदा हुआ।

-2018 में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन इस बार भी बहुमत से 8 सीट कम हैं। हैरानी की बात यह रही कि येदुरप्‍पा ने 2018 चुनाव के नतीजे आने से पहले ही कह दिया था कि वह 17 मई को सीएम पद की शपथ ले लेंगे। हुआ भी ऐसा ही राज्‍यपाल ने उन्‍हें 17 मई को शपथ का न्‍योता भेजा और येदुरप्‍पा ने गुरुवार सुबह तीसरी बार सीएम पद की शपथ ले ली। लेकिन यह तीसरा कार्यकाल बहुत कम रहा। इस बार राज गया और भाजपा की बदनामी ज्यादा कर गया।

इसका राजनैतिक परिणाम राजस्थान के चुनाव पर भी असर डालेगा। वैसे भी राजस्थान की भाजपा सरकार से जनता बेहद नाराज है और केवल मतदान दिवस का इंतजार कर रही है।

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शनिवार, 19 मई 2018

येड्डियूरप्पा का सीएम पद से इस्तीफा: अमितशाह का अंतिम शाह नया नाम होगा?

* कर नाटक में नाटक अंत से पहले ही खत्म हो गया।*

भाजपा की भद्द पिटी या अमित शाह की?

 देश के महान चौकीदार नरेन्द्र मोदी की चौकसी कैसी रही है?

राज्यपाल महोदय का कर्तव्य कैसा रहा?

राजस्थान में क्या असर होगा?

इतने अंतहीन सवाल होंगे की भाजपा पूरे देश में परेशान होगी।

 


कांग्रेसनेता पूर्वविधायक हरचंदसिंह सिद्धू का हथियार लायसेंस नवीनीकरण पुलिस का इनकार



* टिकट के दावेदार और कांग्रेस के नेता वरिष्ठ वकील की सुरक्षा पर खतरा  *

 - करणीदानसिंह राजपूत -

 सूरतगढ़ पुलिस की रिपोर्ट पर एसपी श्रीगंगानगर ने 2बार विधायक रह चुके सरदार हरचंदसिंह सिद्धु का हथियार लाइसेंस रिन्यू करने को अनुचित बताया है। लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होने से उनकी आत्मसुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। सूरतगढ पुलिस इससे पहले भी ऐसी हरकत कर चुकी है।

हरचंद सिंह सिद्धू का हथियार सन 2013 में चुनाव के वक्त थाना अधिकारी रणवीर सिंह की रिपोर्ट पर पहले हथियार थाने में जमा करवाया गया और बाद में कहा गया कि लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।

 सिद्धू ने उस समय कानूनी और उच्च न्यायालय के हवाले दे करके पुलिस सीआई रणवीर साईं की कार्यवाही को गलत बताया था तब लाइसेंस रिन्यू किया गया। सिद्धु ने उस समय पुलिस की गलत कार्रवाई को जानबूझकर की गई कार्यवाही का आरोप लगाया था।

इस बार फिर चुनाव का मौका है और कुछ महीने बाकी हैं और सिद्धु सूरतगढ सीट से टिकट के दावेदार भी हैं। एक बार फिर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के लाइसेंस रिन्यू पर पुलिस की आपत्ति से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा है। 

सिद्धू ने 18 मई को खुद ने SP को श्रीगंगानगर में पत्र दिया है जिसमें पुलिस की कार्यवाही पर ऐतराज़ किया गया है और अनेक उदाहरण दिए गए है। यहां तक कहा गया है कि यह मामला अदालत की अवमानना तक का बनता है। सिद्धू ने कहा है कि उसके विरुद्ध पुराने मामले जो राजनीतिक थे और उनमें बरी हो चुके हैं। 3 साल के भीतर कोई मामला हो तब पुलिस को ऐतराज़ हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। एक मामला  अदालत में विचाराधीन है।

SP को दिए पत्र में लिखा है कि लाइसेंस का नवीनीकरण करने की अनुशंसा अतिरिक्त कलक्टर सूरतगढ़ को पुनः भेजी जाए।

शुक्रवार, 18 मई 2018

डाक्टर पति पत्नी को 7-7साल की जेल,फर्जी कं बना कमाई की,हास्पिटल सरकार को सौंपा

*राजस्थान में यह पहला फैसला*

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कोटा कोर्ट ने गुरुवार 17-5-2018 को  फैसला सुनाते हुए पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के मामले में एमबीएस अस्पताल के तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी सहित 7 आरोपियों को सात, पांच और तीन साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सजा के साथ सभी आरोपियों पर कुल 1 करोड़ 25 लाख का भारी जुर्माना भी लगाया है.सहायक निदेशक अभियोजन एसीबी कोर्ट कोटा एहसान अहमद ने बताया कि वर्ष 2003 में जयपुर एसीबी ने तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच की थी. जांच में पाया गया की वर्ष 1982 से 1998 तक डॉ. आरपी शर्मा ने पद का दुरुपयोग कर टीटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के नाम से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर फर्जी निवेश किया. आरोपी ने इसमें अपनी पत्नी डॉ. मोहिनी शर्मा, ससुर तेजकरण शर्मा, सास चंद्रकांता शर्मा सहित गीतांजलि शर्मा, किशन गोपाल और असलम पठान को शामिल कर संपत्ति को अपने कब्जे में रखा. इस अवधि में आरोपी ने 55 लाख 42 हजार 429 रुपये की सम्पति अर्जित की. जांच में पाया गया कि इन्होंने 33 लाख से ज्यादा की आय अवैध रूप से अर्जित की.


इस पर एसीबी ने कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया. गुरुवार को मामले में एसीबी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी डॉ. आरपी शर्मा और उनकी पत्नी मोहिनी शर्मा को 7-7 साल की सजा व 50-50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. वहीं डॉ. आरपी शर्मा के ससुर तेजकरण शर्मा एवं सास चंद्रकांत शर्मा को 3-3 साल की सजा व 5-5 लाख रुपए जुर्माना और अन्य तीन आरोपियों को 5-5 साल की सजा व 5-5 लाख के जुर्माने से दंडित किया है. साथ ही अदालत ने टीटी हॉस्पिटल को भी सरकारी कब्जे में लेने के आदेश जारी किए हैं.

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आय से अधिक सम्पति के मामले में गुरुवार को एसीबी कोर्ट ने डॉक्टर दम्पति सहित पांच आरोपितों को सजा सुनाई |


कोटा . आय से अधिक सम्पति के मामले में गुरुवार को एसीबी कोर्ट ने डॉक्टर दम्पति सहित पांच आरोपितों को सजा सुनाई | इसमे से डॉक्टर दम्पति को 7-7 साल की सजा और 50 -50 लाख के जुर्माने से दंडित किया। जबकि सास-ससुर को तीन साल की सजा और 5 -5 लाख का जुर्माना किया। वही बाकि तीन आरोपितों को 5 साल की सजा सुनाई गयी और 5 -5 लाख का जुर्माना किया। | अदालत ने सभी आरोपितों को जेल भेज दिया। वहीं सास और ससुर को जमानत पर छोड़ दिया।


जानकारी के अनुसार कैशवपुरा स्थित टीटी हॉस्पिटल के मालिक डॉ. आरपी शर्मा ने फर्जी कंपनी बनाकर परिजनों को शेयर होल्डर बनाया था। इस मामले में वर्ष 2003 में जयपुर एसीबी टीम ने कार्रवाई करते हुए कोटा में उनके हॉस्टिल पर छापा मारा।


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एसीबी ने डॉ. शर्मा की कम्पनी व हॉस्पिटल से जुड़े दस्तावेजों की जांच की। जिसमें सामने आया कि आरोपितों ने अवैध रूप से फर्जी कम्पनी बनाकर 35 लाख रुपए अर्जित किए। इस मामले में एसीबी ने डॉ. आरपी शर्मा, पत्नी मोहिनी शर्मा, ससुर तेजकरण, सास चंद्रकांता सहित तीन अन्य आरोपितो को गिरफ्तार कर एसीबी कोर्ट में पेश किया। जहां से डॉक्टर दम्पति सहित पांच जनों को जेल भेज दिया गया। जबकि ससुर और सास को जमानत पर छोड़ दिया गया।



सजा सुनते ही रोने लगी डॉ. मोहिनी


एसीबी कोर्ट ने जैसे ही 7 साल की सजा सुनाई तो डॉक्टर आरपी शर्मा की पत्नी मोहिनी दहाड़े मार-मार कर रोने लगी। पुलिस पहरे में उन्हें जेल भेज दिया गया। जानकारी के निजी हॉस्पिटल सरकार के हवाले कर दिया गया है। अब इसका संचालन सरकार द्वारा किया जाएगा।

 ( आसपास भी देखें ऐसे डाक्टरों को)


बुधवार, 16 मई 2018

आबकारी जिलाधिकारी,निरीक्षक व चालक रिश्वत लेते ही एसीबी द्वारा गिरफ्तार

* बूंदी में एसीबी की बड़ी कार्रवाई*

बूंदी. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) चित्तौडगढ़़ की टीम ने बुधवार 16-5-2018 दोपहर को जिला आबकारी अधिकारी व निरीक्षक सहित तीन जनों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। टीम ने पहले डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत लेते जिला आबकारी अधिकारी कमलेश परमार को देवपुरा स्थित उसके घर से रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इसके बाद ब्यूरो की दूसरी टीम ने आबकारी निरीक्षक मनीषा राजपुरोहित के कहने पर एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए चालक रूपलाल को आबकारी अधिकारी कार्यालय में पकड़ा। मामले में निरीक्षक को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

एसीबी चित्तौडगढ़़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा ने बताया कि 11 मई को चित्तौडगढ़़ आबकारी चौकी पर भगवत सिंह व हिम्मत सिंह ने शिकायत दी कि बूंदी जिले में गणेशपुरा स्थित उनकी देसी मदिरा समूह की दुकान की नई लोकेशन डाबी क्षेत्र में देवजी का खेड़ा करने के लिए जिला आबकारी अधिकारी व निरीक्षक एक-एक लाख रुपए की रिश्वत मांग रहे। ब्यूरो टीम ने उसी दिन परिवादी को भेजकर शिकायत का सत्यापन कराया, आबकारी अधिकारी ने दो लाख रुपए की मांग की। एक लाख रुपए पुरानी बंदी के भी मांगे।

फिर परिवादी ने 15 मई को निरीक्षक मनीषा राजपुरोहित से बात की। सत्यापन के बाद बुधवार को एसीबी टीम ने जिला आबकारी अधिकारी परमार को उसके घर पर डेढ़ लाख की रिश्वत लेेते पकड़ लिया। आबकारी निरीक्षक से फरियादी ने बात की तो उसने चालक रूपलाल को रुपए देने की बात कही। इस पर चालक को एक लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया।


राजस्थान भाजपा और कांग्रेस वालों सुधर जाओ नहीं तो कर्नाटक की तरह लटका दिए जाओगे


* करणीदानसिंह राजपूत*

 राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी सरकार में चल रहे भयानक भ्रष्टाचार पर रोक नहीं और कांग्रेस की ओर से कोई बोल नहीं।

इन दोनों दलों को कर्नाटक चुनाव परिणाम से सबक लेना चाहिए कि जनता सरकार और प्रतिपक्ष दोनों को अधर में लटका कर के रख देती है।

 जनता ने कर्नाटक में  कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों की हेकड़ी    पर दोनों के नाक पर  घूसा दे मारा।  ना कांग्रेस जीती ना भारतीय जनता पार्टी जीती। 

नरेंद्र मोदी की हालत सांप सीढ़ी के खेल जैसी कर दी। सांप सीढी में जीतते हुए को बड़ा अहंकार होने लगता है उसे 99 पर सांप काटता है और 10 पर ले जाकर छोड़ देता है। नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को इतना अहंकार हो गया था कि दावे के 130 सीटें जीतने और सरकार बनाने का था लेकिन जनता ने 112 के बहुमत पर पहुंचने से पहले ही 104 पर ही एकदम से ब्रेक लगा दिया। मोदी की तूफानी गाड़ी को 104 पर  रोक दिया। भाजपा बनाने को चाहे जोड़-तोड़ करके खरीद फरोख्त करके सरकार बना ले लेकिन जो इमानदारी का ठप्पा लगा हुआ है वह एक बार फिर धूल में मिलेगा।

 दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में लौटने का दावा कर रही थी। जनता ने उसका दावा भी मटियामेट कर दिया और उसकी सीटे घटाकर 78 पर पहुंचा दिया। 

जनता के इस खेल को समझना चाहिए। सत्ता में हो चाहे प्रतिपक्ष में हो जनता दोनों को ही सबक सिखा सकती है।

 

 राजस्थान में नवंबर दिसंबर में चुनाव होंगे और अभी 5 महीने बाकी पड़े हैं।  भारतीय जनता पार्टी की सरकार को और कांग्रेस पार्टी को अपने अपने कार्यों पर नजर डाल कर सुधार कर लेना चाहिए।अन्यथा भारतीय जनता पार्टी का 180 का मिशन फेल होकर 100 से कम सीटों पर सिमट जाएगा। जनता 90 - 95 के बीच में लटका कर के रख सकती है। यह स्थिति प्रतिपक्ष कांग्रेस की भी हो सकती है कि उसे भी बहुमत से पहले रोक ले। कारण स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी राज में भ्रष्टाचार बढ़ा है कोई सुनवाई नहीं होती। आम जनता चाहती है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता जनता से तमीज से बात तो करे। भ्रष्टाचार से दुखी जनता जब कोई बात करना चाहती है तो तमीज से बात भी नहीं की जाती कोई सुनवाई तक नहीं की जाती। दूसरी और कांग्रेस पार्टी यह मानकर चल रही है कि उस की झोली में सत्ता आ रही है। कांग्रेस पार्टी इस बहुत बड़े भुलावे में जनता का काम नहीं कर रही। कांग्रेस भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज नहीं उठा रही। इसलिए इन दोनों पार्टियों को ही कर्नाटक के चुनाव परिणाम से सबक ले लेना चाहिए,अगर दोनों पार्टियों ने इन चार पांच महीनों में सुधार नहीं किया तो  जनता निश्चित रूप से बीच में लटका कर रख देगी।

मंगलवार, 15 मई 2018

जिला कलेक्टर का आज का ताजा आदेश-टावर और टंकियों पर चढने पर रोक

श्रीगंगानगर, 15 मई 2018. 

जिला कलक्टर व जिला मजिस्ट्रेट श्री ज्ञानाराम ने आदेश जारी कर अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा उंचे टावर व उंची पानी की टंकियों पर चढ़कर लोक शान्ति भंग करने के संबंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये है। 

आदेशानुसार कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति उंचे टावर व उंची पानी की टंकियों पर नही चढ़ेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डित करने की कार्यवाही की जायेगी। यह आदेश आगामी 9 जुलाई 2018 तक प्रभावी रहेंगे। 


सोमवार, 14 मई 2018

वसुंधरा ने 2013 में झूठ बोलकर सत्ता हथियाई,अब 2018 में बंटाधार हो जाएगा- सचिन पायलट


*भाजपा विधायकों पर नियंत्रण नहीं*


* बहुत फर्क है भाजपा और कांग्रेस में।

भाजपा के पास प्रदेशाध्यक्ष तक नहीं, कांग्रेस के ब्लाॅक अध्यक भी सक्रिय*

जयपुर 14 मई 2018.

ज्ञान विहार विश्वविद्यालय के सभागार में राजस्थान कांग्रेस के सभी 400 ब्लाॅक अध्यक्षों का एक प्रशिक्षण शिविर हुआ, इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि राजनीतिक दृष्टि से भाजपा और कांग्रेस में बहुत फर्क है। 6 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हमारे ब्लाॅक अध्यक्ष सक्रिय हैं और  भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष तक का पता नहीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारूढ़ पार्टी के संगठन के हालात कैसे हैं। अध्यक्ष बने या नहीं यह भाजपा का आंतरिक मामला है, लेकिन जब भाजपा संगठन में लोकतंत्र होने का दावा करती हैं तो हंसी आती है। 

पायलट ने कहा कि गत चुनाव में झूठ बोलकर वसुंधरा राजे ने सरकार बना ली, लेेकिन अब नवम्बर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का बंटाधार हो जाएगा। जनता समझ गई है कि कांग्रेस और भाजपा में कितना फर्क है। आज पूरे प्रदेश में बिजली, पानी की त्राहि त्राहि मची हुई हैं। आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है, मुख्यमंत्री तो प्रदेशाध्यक्ष के विवाद में उलझी है, जबकि सरकार के मंत्री सत्ता के नशे में मदहोश है। भाजपा के विधायक आपस में ही अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। विधायकों पर कोई नियंत्रण नहीं रहा है। आज जिन 400 ब्लाॅक अध्यक्षों ने वरिष्ठ नेताओं से प्रशिक्षण लिया है वे ब्लाॅक अध्यक्ष अब अपने अपने ब्लाॅक में जाकर वार्ड अध्यक्षों और पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करेंगे।

एस.पी.मित्तल) (14-05-18)

सुनंदा पुष्कर की मृत्यु में पति कांग्रेस नेता शशि थरूर पर चार्जशीट अदालत में पेश

दिल्ली 14-5-2018.

पुलिस की SIT ने सुनन्दा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में करीब तीन हजार पेज की चार्जशीट दाखिल की है। जिसमे आरोपी के तौर पर शशी थरूर का नाम लिखा है। SIT ने ये चार्जशीट IPC की धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने और IPC की धारा 498A यानी वैवाहिक जीवन मे प्रताड़ित करना के तहत दाखिल की है।


बता दें की चार्जशीट में शशि थरूर का नाम कॉलम नंबर 11 में डाला गया है। बता दें की कालम नंबर 11 में बिना आरोपी के गिरफ्तारी के भी चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। SIT के मुताबिक 306 यानी आत्महत्या के उकसाना की धारा इसलिए चार्जशीट में जोड़ी गई है क्योंकि सुनन्दा के शरीर पर चोट के जो करीब 12 निशान पाए गए थे उससे साफ जाहिर होता है कि थरूर ने सुनन्दा के साथ मारपीट की थी।


वही धारा 498A भी इसलिए लगाई गई है क्योंकि शशि थरूर और सुनन्दा का वैवाहिक जीवन मे काफी तनाव था और सुनन्दा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ ज़िक्र था की उसके शरीर पर 12 चोट के निशान पाए गए है। इस मामले में 24 मई को कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेगी।




रविवार, 13 मई 2018

बीजेपी का कर नाटक में पावर का नाटक :कर्नाटक में गठबंधन सरकार की गुप्त तैयारी शुरू है

 * करणीदानसिंह राजपूत *

- जेडीएस को केन्द्र की भाजपा सरकार से अधिक लाभ मिल सकेगा। -


* कर नाटक के नाटक की सफलता राजस्थान पर डालेगी असर*

कर्नाटक में किस दल को कितनी सीटें मिलेगी? विभिन्न न्यूज चैनल अलग-अलग मत रखते हैं,लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमितशाह की राजनीति समझने वालों की सोच है कि यदि कांग्रेस को बहुमत से 10 सीटें कम मिलती है तो भाजपा वहां गठबंधन वाली सरकार बना लेगी।

कर्नाटक में भले ही अभी कांग्रेस की सरकार है, लेकिन केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से भाजपा गठबंधन की सरकार बनाने की रणनीति बना ली गई है। 


जेडीएस की ओर से  अधिक लाभ पाने के संकेत खुले दिए गये हैं। जेडीएस की ओर से कहा गया है कि जो दल उनकी मांग पूरा करेगा उसे ही समर्थन दिया जाएगा। 

अब कांग्रेस तो केन्द्र की भाजपा जितनी मांग पूरी करने की स्थिति में है नहीं। केन्द्र सरकार की मदद से ही जेडीएस की मांगों को पूरा किया जा सकता है। कर्नाटक में 224 में से 222 सीटों पर चुनाव हुए है। यानि जिस दल के पास 112 विधायकों का बहुमत होगा, उसी की सरकार बनेगी। 

कांग्रेस यदि 100 सीटें भी ले आती है तो भी सरकार बनाना मुश्किल है। भाजपा अपनी ओर से जेडीएस की सीटों को मिलाकर सरकार बनाने की तैयारी में है। कर्नाटक में भाजपा की सरकार कैसे बनती है, इससे कोई सरोकार नहीं है। भाजपा को तो 24 के बजाए 25 राज्यों में भाजपा अथवा भाजपा गठबंधन की सरकार चाहिए।

भाजपा यह भी संदेश देना चाहती है कि जिस प्रकार गुजरात और उत्तराखंड में राहुल गांधी का नेतृत्व फिस हो गया, उसी प्रकार कर्नाटक में भी राहुल चल नहीं पाए हैं। 

 कांग्रेस को कर्नाटक अपने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व पर भरोसा है, लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमितशाह की जोड़ी ने जिस प्रकार चुनाव प्रचार में बाजी मारी उसी प्रकार सरकार बनाने की आक्रमक रणनीति भी बना ली है।


 भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जानते है कि कर्नाटक चुनाव के परिणामों का असर नवम्बर में होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा।


राजस्थान पर कुछ ज्यादा ही असर की संभावना रहेगी


राजस्थान के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का मामला कर्नाटक चुनाव तक टाल दिया गया था। यदि कर्नाटक में भाजपा की सरकार नहीं बनती है तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजनीतिक दृष्टि से महत्व मिलेगा, लेकिन यदि अमितशाह कर्नाटक में सरकार बनाने में सफल होते हैं तो फिर गजेन्द्र सिंह शेखावत ही प्रदेशाध्यक्ष होंगे। भले ही मुख्यमंत्री राजे कितनी भी नाराज हों।


सूरतगढ का अगला विधायक कौन होगा? लोग बदलाव क्यों चाहते हैं?

- करणीदानसिंह राजपूत -

सूरतगढ़ का अगला विधायक कौन होगा की चर्चाएं और सवाल जवाब सोशलसाइट्स  फेसबुक और वाट्सअप पर कुछ लोग पिछले कुछ महीनों से चला रहे हैं मगर आम चर्चाओं में जनता को पूरी फुर्सत चर्चा के लिए नहीं है और सभी अपने अपने काम धंधे में लगे हुए व्यस्त हैं।

गांवों से आवाज उठ रही है कि सत्ता बदल दी जाए।वह एक सूरतगढ़ कि नहीं हमारे आसपास श्री गंगानगर हनुमानगढ़ हनुमानगढ़ संपूर्ण जिलों से ही किसानों का यह जय घोष हो रहा है।

फिलहाल यहां सूरतगढ़ की की चर्चा करते हैं अगला विधायक कौन हो सकता है?

 प्रमुख रुप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की टक्कर ही नजर आती है  । इसे त्रिकोणीय टक्कर बसपा बनाती है। चतुष्कोणीय टक्कर में इस बार आम आदमी पार्टी भी कुछ हद तक चुनावी मैदान में अपना रोल अदा करेगी ।  बसपा के प्रत्याशी डूंगरराम और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सत्यप्रकाश सिहाग अभी सामने हैं लेकिन सत्ता का मजबूत खेल खेलने वाली कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा? यह पर्दे के पीछे है।

भारतीय जनता पार्टी का मजबूत प्रत्याशी वर्तमान विधायक राजेंद्र सिंह भादू ही है लेकिन इस पार्टी में भी नया चेहरा देखने की आशाएं की जा रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पावर टिकट बंटवारे में चलेगी यह निश्चित है। वर्तमान विधायक राजेंद्र सिंह भादू मुख्यमंत्री राजे के खासमखास विधायकों में है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 28 मार्च 2018 को श्री गंगानगर में लोकार्पण कार्यक्रम में राजेंद्र सिंह भादू की प्रशंसा की और मंच पर कहा कि यह विधायक हंसते हंसते मेरे से सूरतगढ़ इलाके के लिए बहुत ज्यादा बजट लेकर आता रहा है और इलाके को विकसित किया है। निश्चित रूप से इलाके के लोग गांव और शहर के लोग यह मानते हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार के विधायक गंगाजल मील से कार्य कराने में और बजट लाने में लगाने में राजेंद्र सिंह भादू बहुत आगे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद विवाह शादियों की भीड़ में और जहां भाजपा के कार्यकर्ता एक दूसरे से बतियाते हैं वहां पर नए चेहरे की चर्चा जरूर होती है। भाजपा कार्यकर्ता कहते हुए नजर आते हैं कि जनता बदलाव चाहती है नया चेहरा चाहती है है और साथ में यह भी कहती है कि कांग्रेस में भी भी नया चेहरा चाहिए। जनता ऐसा चाहती है चाहती है। जनता के सामने भारतीय जनता पार्टी के अन्य चेहरों में रामप्रताप कासनिया और अशोक नागपाल है कांग्रेस में गंगाजल मील है मगर इनका नाम लेने पर जनता में संतोष नजर नहीं आ रहा। अनेक लोग तो यह कहते हैं कि ये नहीं और कोई। तो फिर दोनों ही पार्टियों में और कोई कौन हो सकता है? 

हमेशा सत्ताधारी पार्टी से अगले चुनाव में टिकट की चर्चा होती है चर्चा होती है टिकट की चर्चा होती है चर्चा होती है चर्चा होती है इसलिए अगला चुनाव भारतीय जनता पार्टी की ओर से कौन सा लीडर लीडर लड़ेगा? यह समय बताएगा अगर फिलहाल पावर में राजेंद्रसिंह भादू के अलावा कोई  शक्तिशाली नहीं है। इसका प्रमुख कारण भी है राजेंद्र सिंह भादू ने सन 2008 में निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा और दूसरे क्रम पर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के रामप्रताप कासनिया तीसरे क्रम पर रहेथे। सन 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने राजेंद्र सिंह भादू को अपना प्रत्याशी इसीलिए बनाया कि वे वे वे 2008 में दूसरे क्रम पर थे और जो व्यक्ति अपने बलबूते पर सर्वाधिक वोट ले जा सकता है और दूसरे क्रम पर पहुंच सकता है उसकी ताकत को इनकार नहीं किया जा सकता था। भारतीय जनता पार्टी में राजेंद्र भादू की पहुंच पहले नहीं थी लेकिन विधायक बनने के बाद इन्होंने व्यक्तिगत पावर दिखाते हुए अपने संपर्कों को पार्टी लेवल पर बहुत अधिक शक्तिशाली बनाया है। यह शक्ति ही आगामी 2018 के चुनाव में टिकट मिलने की पक्कायत करती है। 

बदलाव में जनता नए चेहरे में दूसरे किसी वर्ग के व्यक्ति को देखना चाह रही है लेकिन क्या जनता की सोच सिरे चढ सकती है? देखते हैं कि कांग्रेस और भाजपा में किसकी पावर चलती है?


शनिवार, 12 मई 2018

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष कौन होगा? अमितशाह वसुंधरा में से कौन बदलेगा मानस?


अमित शाह ने जब से भाजपा अध्यक्ष की कमान संभाली है, चुनौतियां लगातार सामने खड़ी हैं। यह बात अलग है कि कभी भी शाह ने चुनौतियों के आगे घुटना नहीं टेका। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में भरपूर हवा बनाने के बाद शाह के सामने ताजा चुनौती राजस्थान की है। राजस्थान भाजपा को उसका नेता चाहिए। अशोक परनामी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए काफी समय बीत चुका है और पार्टी अब तक उनका उत्तराधिकारी घोषित नहीं कर पाई है। 


राजस्थान में भाजपा का सांगठनिक बदलाव नाक का सवाल बनता जा रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इसे अपने भविष्य के राजनीतिक अस्तित्व से जोड़कर देख रही हैं। वहीं वसुंधरा राजे के विरोधी पहले सांगठिनक बदलाव, पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष और फिर राज्य में मुख्यमंत्री का नया चेहरा देखना चाहते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी समेत कुछ दर्जन बड़े नेताओं की यही इच्छा है।


भाजपा अध्यक्ष शाह और प्रधानमंत्री मोदी से भी वसुंधरा राजे के समीकरण इस समय बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का स्वभाव है कि वह राजनीति में हार नहीं मानती। विरोधियों के आगे झुकना गंवारा नहीं है और उन्हें संभलने का मौका भी नहीं देती। इसलिए वह राजस्थान में भाजपा का नया अध्यक्ष भी अपने मन माफिक ही चाहती हैं। पार्टी के अंदरुनी जानकारों का कहना है कि यह मसला लगातार पेंचीदा होता जा रहा है। 


कर्नाटक चुनाव के बाद फैसला करने का था सो वह समपन्न हो गए

पहले केन्द्रीय नेतृत्व 20 अप्रैल तक भाजपा के नए राजस्थान अध्यक्ष के चेहरे की घोषणा कर देने के पक्ष में था। बताते हैं वसुंधरा राजे के अड़ियल रुख ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया। पिछले महीने भाजपा के संगठन मंत्री राम लाल और वसुंधरा राजे की भेंट के बाद एक प्रस्ताव यह भी आया कि राजस्थान में पार्टी का अध्यक्ष तय करने के मामले को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद निबटाया जाए।


वसुंधरा राजे की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी भेंट हुई थी और शाह ने भी यही उचित समझा था। कुल मिलाकर वसुंधरा राजे की रणनीति जहां तक हो सके इस तरह के टकराव के सभी मामले को विधानसभा चुनाव के करीब आने तक टालना है। ताकि केन्द्रीय नेतृत्व के पास कम से कम विकल्प रह जाएं। जयपुर के सूत्र इसी की पुष्टि करते हैं। 


क्या होगा 


कुछ समय पहले तक मध्य प्रदेश (म.प्र.), राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पार्टी का नेतृत्व, मुख्य चेहरे में बदलाव तथा नए चेहरे पर दांव तक के कयास लगाए जा रहे थे। अब स्थिति इस तरह की नहीं है। इसका एक बड़ा श्रेय वसुंधरा राजे और म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में मजबूत पैठ को जाता है।


भाजपा के अंदरुनी जानकारों के अनुसार तीनों ही राज्यों में प्रदेश संगठन के नेतृत्व में बदलाव होगा, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे फिलहाल वही रहेंगे। राजस्थान में वसुंधरा राजे ही भावी मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी। इसी तरह से शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह के चेहरे पर भाजपा म.प्र. और छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में उतरेगी। छत्तीसगढ़ और म.प्र. में भाजपा लगातार राज्य विधानसभा चुनाव जीतती रही है।


राजस्थान में पिछले कई बार से एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा सत्ता में आ रही है और कांग्रेस मान कर चल रही है कि अगले चुनाव में वही जीतेगी।

 


शुक्रवार, 11 मई 2018

1साल से 2 नाबालिग बेटियों से रोजाना रेप! बाप पकड़ा गया

मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना राजस्थान के उदयपुर शहर की है। पुलिस ने आरोपी पिता को हिरासत में ले लिया है। नाबालिग पीड़िताओं में एक की उम्र 11 और दूसरी की 6 साल है।

जनसत्ता ऑनलाइन

11म ई 2018 

*राजस्थान के उदयपुर में पिता ने ही अपनी दो नाबालिग बेटियों से रेप किया।*

राजस्थान में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। उदयपुर में एक व्यक्ति द्वारा अपनी दो नाबालिग बेटियों के साथ पिछले एक साल से रोजाना दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। मासूमों की मां के आने के बाद घटना का पता चला। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला शहर के दीवान शाह कॉलोनी का है। 

आरोपी की पत्नी ने चार महीने पहले घर छोड़ दिया था। हाल में ही वापस आने पर बच्चियों ने अपनी मां को दर्दनाक आपबीती सुनाई। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, पुलिस दोनों बच्चियों को 10 मई को उसके घर ले गई थी, ताकि घटनास्थल की पुष्टि की जा सके। इस दौरान पीड़िताओं के साथ बाल कल्याण समिति के सदस्यों के साथ यूनीसेफ और महिला प्रकोष्ठ के सदस्य भी थे। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष प्रीती जैन ने बताया कि उन्होंने संबंधित थाने को पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज करने और बच्चियों के आरोपी पिता को गिरफ्तार करने को कहा है। वहीं, सूरजपोल थाने के एक अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है।

बाल कल्याण समिति के सदस्य हरीश पालीवाल ने बताया कि पीड़िताओं की मां ने पहले वुमन सेल में जाकर इस बाबत शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद इसी सेल के माध्यम से समिति को घटना की शिकायत मिली थी। उनके मुताबिक, मासूमों की उम्र क्रमश: 11 और 6 वर्ष है। हरीश ने कहा, ‘हमलोगों ने पहले बच्चियों की काउंसलिंग की थी, ताकि वह खुद को आराम की स्थिति में अनुभव करे और उस घटना के बारे में खुलकर बता सके जो उसके साथ लंबे समय से हो रही थी। बच्चियों ने जो बताया वह बेहद खौफनाक और मानवता को शर्मसार करने वाला है। इस बात पर विश्वास करना बेहद मुश्किल है कि एक पिता अपनी ही बेटियों के साथ इस तरह की घिनौनी हरकत कर सकता है।’ जानकारी के मुताबिक, आरोपी शराब पीने का आदि है और घर का खर्चा चलाने के लिए पत्नी को एक रुपया भी नहीं देता था। मजबूरी में बच्चों का लालन-पालन करने के लिए महिला को छोटे-छोटे काम करने पड़ते थे। इसके बावजूद आरोपी पत्नी के साथ हमेशा बदसलूकी करता रहता था। इससे तंग आकर चार महीना पहले वह घर छोड़कर चली गई थी। आरोपी की बड़ी बेटी ने बताया कि वह दादा-दादी के साथ सोती थी, लेकिन उसके पिता जबरन उसे दूसरे कमरे में लेकर चला जाता था। उससे अक्सर ही दुष्कर्म किया जाता था। पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने घटना के बारे में किसी को न बताने की भी धमकी दी थी। उसने बताया कि मां के घर छोड़ने पर आरोपी ने छोटी बहन के साथ भी दुष्कर्म करना शुरू कर दिया था।

साभार जनसत्ता

क्या वसुंधरा को आगे सीएम नहीं बनने और हार का पूर्वाभास होने लगा है?


* आखिर पूर्व सीएम की हैसियत से वसुंधरा राजे क्यों ले रही हैं सरकारी बंगला?*

सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत का अनुसरण करें। 

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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से ताउम्र सरकारी बंगला तैयार करवाने को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने सीएम राजे पर राजनीतिक हमला किया है। 10 मई को टोंक में आयोजित अजमेर संभाग के मेरा बूथ मेरा गौरव अभियान के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में मीडिया से संवाद करते हुए पायलट ने कहा कि राजस्थान में नवम्बर में विधानसभा  चुनाव होने हैं, लेकिन वसुंधरा राजे को 6 माह पहले ही आभास हो गया है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री होने वाली है। इसलिए अभी से सरकारी बंगला तैयार करवाया जा रहा है। वसुंधरा राजे ऐसा तब कर रही है। जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगाल छीनने का आदेश दिया है। पायलट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी आदेश पूरे देश में लागू होता है, इसलिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने जयपुर में आवंटित सरकारी बंगले का त्याग करने के लिए पत्र लिखा है। एक हमारे गहलोत साहब हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री वाला बंगला छोड़ रहे है। दूसरी ओर भाजपा की मुख्यमंत्री हैं जो छह माह पहले ही स्वयं के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वाला बंगला तैयार करवा रही है। पायलट ने कहा कि वसुंधरा राजे को अशोक गहलोत से प्रेरणा लेनी चाहिए।

भाजपा कैसे लड़ेगी चुनावः

पायलट ने कहा कि करीब एक माह से राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है। हालांकि यह भाजपा का आतंरिक मामला है, लेकिन सवाल उठता है कि जिस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं है, वह छह माह बाद विधानसभा का चुनाव  कैसे लड़ेंगी? दूसरी ओर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। आज संभाग स्तरीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में बूथ स्तर के कार्यकर्ता जुटे हैं।

गुर्जर आंदोलनः

प्रदेश में 15 मई से शुरू होने वाले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के संबंध में पायलट ने कहा कि इसके लिए राज्य की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। सरकार की ओर से कोर्ट में प्रभावी तरीके से पैरवी नहीं की गई इसलिए गुर्जर समुदाय को 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका।

तिवाड़ी की वाहिनी ने किया प्रदर्शनः

भाजपा के वरिष्ठ विधायक और दीन दयाल वाहिनी के संस्थापक घनश्याम तिवाडी के समर्थकों ने दस मई को जयपुर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। वाहिनी के कार्यकर्ता मांग कर रहे थे कि राजे ने पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से जो 13 नम्बर का सरकारी बंगला सिविल लाइन में लिया है, उसे तत्काल खाली करवाया जाए। इस मांग को लेकर वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी भी दी।

एस.पी.मित्तल) (10-05-18)



बुधवार, 9 मई 2018

सूरतगढ:धर्म परायणा सुमित्रा उपाध्याय की अस्थियां गंगा में प्रवाहित


 सूरतगढ़ 9 मई 2018.

सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय के संचालक राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती सुमित्रा उपाध्याय का स्वर्गवास 2 मई 2018 को हुआ। उनका अंतिम संस्कार सूरतगढ़ में 3 मई को किया गया। उनकी अस्थियां धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार मंत्रोचार के साथ 8 मई को हरद्वार में गंगा में प्रवाहित की गई।उनके पुत्र दीपक उपाध्याय ने अस्थियों को प्रवाहित किया। अस्थियों के प्रवाहित करने के समय दिवंगत के भाई जगदीश और देवर सुरेश भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

स्वर्गीय सुमित्रा के अन्य धर्म कार्य 12-5-2018 शनिवार को होंगे और उसी दिन दोपहर को रस्म पगड़ी होगी।  समाज में नई दिशा के लिए सूरतगढ़ में अनेक परिवारों ने ओढावणी बंद कर दी है उसी के अनुरूप यहां भी ओढावनी नहीं होगी। 


रविवार, 6 मई 2018

राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया जनसुनवाई मेंं गिरे: सुरक्षा मेंं भारी लापरवाही

* जनसुनवाई के दौरान कार्यकर्ता ने हटा दी कुर्सी, धम्म से गिर पड़े गृहमंत्री, सुरक्षाकर्मी बेखबर*


 * गृह मंत्री की सुरक्षा में डीएसपी और थानाधिकारी समेत करीब 30 जवानों के अमले को इसकी भनक तक नहीं लगी। सभी सुरक्षाकर्मी घटना के वक्त दूर खड़े थे।*


जनसत्ता ऑनलाइन, 6 म ई 2018


राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया शनिवार (05 मई) को उदयपुर में एक जनसुनवाई के दौरान जमीन पर गिर पड़े मगर उनके सुरक्षाकर्मियों को कानों कान खबर तक नहीं हुई। दरअसल मंत्री कटारिया उदयपुर के चमनपुरा के वोहा बाजार में सुबह 10 बजे के करीब जनसुनवाई कर रहे थे। कार्यक्रम लगभग समाप्ति की ओर था। इसी दौरान वो खड़े हो गए और पीछे खड़े एक कार्यकर्ता ने फोटो खिंचवाने के चक्कर में कुर्सी हटा दी और उनके समीप जाने की कोशिश की। इसी दौरान मंत्री कटारिया कुर्सी हटाने से बेखबर अचानक बैठ गए और जमीन पर गिर पड़े। इससे उनके बगल में खड़े मेयर चंद्रसिंह कोठारी और अन्य लोगों ने तुरंत सहारा देकर उन्हें उठाया।


हैरत की बात यह कि गृह मंत्री की सुरक्षा में डीएसपी और थानाधिकारी समेत करीब 30 जवानों के अमले को इसकी भनक तक नहीं लगी। सभी सुरक्षाकर्मी घटना के वक्त दूर खड़े थे। एक भी सुरक्षाकर्मा मंत्री के पास खड़ा नहीं था। इसे एक तरह से मंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है। जब ये वाकया हुआ, उस वक्त मंत्री की सरुक्षा में ट्रैफिक डीएसपी भंवर सिंह हाड़ा वहीं पर मौजूद थे लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस तरह की घटना से इनकार कर दिया। जब पत्रकारों ने उन्हें मंत्री की जमीन पर गिरने वाली तस्वीर दिखाई तो हक्के-बक्के रह गए और कहने लगे कि आपलोगों के द्वारा ही ये जानकारी मिल रही है।

बता दें कि गृह मंत्री के विधान सभा क्षेत्र में पिछले महीने 1 अप्रैल से 12 अप्रैल तक जनसुनवाई चली थी। कार्यक्रम का दूसरा चरण शुक्रवार से शुरू हुआ था। शनिवार को चमनपुरा के वार्ड नंबर चार में यह कार्यक्रम हो रहा था। तभी ये घटना घटी। रविवार (06 मई) को जनसुनवाई का आखिरी दिन है।

राजस्थान में इस साल के आखिर तक विधान सभा चुनाव होने हैं। इस वजह से वसुंधरा राजे सरकार के मंत्री व्यापक स्तर पर जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इधर, राज्य सरकार और पार्टी आलाकमान के बीच रिश्ते सामान्य नहीं चल रहे हैं। लंबे समय से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति पर केंद्रीय नेतृत्व और सीएम वसुंधरा राजे के बीच टकराव जारी है।

(साभार जनसत्ता)

{फोटो आभार भास्कर}


शुक्रवार, 4 मई 2018

मरूधरा ग्रामीण बैंक का मैनेजर 16 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

* एसीबी सिरोही ने की कार्रवाई*

सिरोही 3-5-2018.

जिले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने गुरुवार को कार्रवाई करते हुए बैंक मैनेजर को 16 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई एसीबी सिरोही के उपाधीक्षक जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में की गई।


- एसीबी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी संजय कावड़िया (55) निवासी तिलक नगर, हिरण नगरी, जिला उदयपुर का रहने वाला है। वह सिरोही जिले की मंडार तहसील में राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक में मैनेजर है।


- उसके खिलाफ मंडार निवासी अशोक कुमार ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें बताया कि उसके पिता ने मारवाड़ ग्रामीण बैंक से ऋण लिया था। जिसे समय पर नहीं चुका सके। इससे ऋण खाता अवधिपार हो गया है।


ऋण खाते में ब्याज की रकम और ऋण राशि कम करवाने के लिए मांगी थी रिश्वत


- बैंक की ऋण समझौता योजना के तहत अशोक कुमार ने अपने पिता के ऋण खाते में ब्याज की रकम और ऋण राशि कम करवाने के लिए आवेदन किया। इसे करने की एवज में आरोपी बैंक मैनेजर संजय कावडिया ने रिश्वत मांगी। - एसीबी के सत्यापन के दौरान बैंक मैनेजर संजय ने 16 हजार रुपयों की मांग की। इस पर एसीबी ने ट्रेप रचा और फिर परिवादी अशोक कुमार को गुरुवार को रिश्वत की रकम लेकर मैनेजर संजय के पास भेजा। जहां रिश्वत लेते ही ईशारा मिलने पर एसीबी ने बैंक मैनेजर संजय कावड़िया को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

( आपसे कोई रिश्वत मांगता है तो एसीबी से संपर्क करें)

गुरुवार, 3 मई 2018

मैं पत्रकार: न चैनल न अखबार फिर भी हूं पत्रकार

* करणीदानसिंह राजपूत *

आज से कुछ वर्ष पहले एक TV सीरियल आता था जिसका नाम था रिपोर्टर। वह रिपोर्टर  सरकार की गोपनीय सचिवालय तक की बैठकों में हिस्सा लेते हुए बताया जाता था। मगर यह नहीं बताया कि वह किस अखबार का रिपोर्टर है। यह

स्थिति अनेक स्थानों पर नहीं बल्कि हिंदुस्तान में हर छोटे-मोटे शहर व कस्बे में मिलती है,जहां 5-7 या 10-12 व्यक्ति अपने आप को पत्रकार कहलाते हैं, लेकिन उनके पास मैं कोई अखबार  कोई चैनल न कोई  समाचार एजेंसी मगर मैं फिर भी पत्रकार । ऐसे पत्रकारों के पास अखबार चैनल न्यूज एजेंसी का कोई परिचय पत्र तक नहीं होता।

कस्बे के लोग उन्हें सिर आंखों पर बिठाते हैं लेकिन कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते कि आखिर में उनके समाचार विज्ञप्तियां वह पत्रकार कहां भेजता है और कहां छपती हैया प्रसारित होती है। 

विश्व प्रेस दिवस 3 मई पर पत्रकारों को ही यह सोचना होगा कि उनके पत्रकारिता के स्तर को चोट कहां पहुंच रही है।उनके समाचार उनके विचार आखिर किस कारण से पिट रहे हैं। कहीं यह कारण पत्रकारिता क्षेत्र में आए फर्जी लोगों के कारण तो नहीं हो रहा है?  जो फर्जी पत्रकार हैं वे केवल गप गोष्ठियां करते हैं। 

 कभी कह दिया जाए कि एक कागज पर विज्ञप्ति बनाकर दिखाएं समाचार बनाकर दिखाएं तो वे एक लाइन भी लिख नहीं पाएं। 

यही हालत चैनल वाले पत्रकारों की भी है अनेक चैनल पत्रकार जिन्हें शूटिंग करनी नहींआती है न वीडियो ग्राफी आती है न समाचार की कटिंग करनी आती है न समाचार भेजना आता है लेकिन फिर भी वे चैनल के पत्रकार हैं। यह कारण क्या है?

 आपको आश्चर्य लगता होगा कि इस प्रकार के पत्रकारों को जीवित रखने वाले भी असली पत्रकार ही हैं जो पत्रकारिता करते हैं। वे अपने समाचार अपने वीडियो क्लिप आदि ऐसे लोगों को दे देते हैं जो आगे कहीं ना कहीं महीने 2 महीने में एक आधी जगह भिजवा देते हैं।

 जनता को भी इस प्रकार के पत्रकारों से बचना चाहिए प्रेस वार्ता आदि में इस प्रकार के कथित पत्रकारों को आमंत्रित भी नहीं किया जाना चाहिए।

जहां पत्रकार संगठन बने हुए हैं उन्हें भी सचेत रहने की आवश्यकता है। जो सच में पत्रकारिता लाइन में नहीं हैं वे पत्रकार संघ के अंदर किसी भी हालत में सदस्य नहीं बनाए जाएं। अगर पूर्व में कोई व्यक्ति संगठन का सदस्य बना हुआ है और कोई भी कार्य पत्रकारिता का नहीं कर रहा है तो उसे तत्काल सदस्यता से मुक्त कर दिया जाना चाहिए। पूर्व में कोई अखबार या चैनल का पत्रकार रहा है लेकिन बाद में काम छोड़ कर किसी अन्य क्षेत्र में काम करने लगा है तो इस प्रकार के व्यक्ति को भी संगठनों से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।


सूरतगढ़ सरस्वती स्कूल के संचालक राजेंद्रप्रसाद की पत्नी का निधन:अंतिम संस्कार संम्पन्न

सूरतगढ 3-5-2018.

श्रीमती सुमित्रा शर्मा (धर्मपत्नी राजेंद्रप्रसाद उपाध्याय ) का  60 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया है। उन्होने 2 मई  को दोपहर में करीब 1-45 बजे संसार छोड़ा।वे कुछ माह से बीमार थी।

उनका अंतिम संस्कार 3 मई 2018 सुबह 10:00 बजे मुख्य कल्याण भूमि में किया गया। पुत्र दीपक ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार मेंं परिजन,रिश्तेदार,गणमान्य उपस्थित थे। शिक्षण संस्थानों के संचालक व शिक्षक भी उपस्थित थे।



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