शनिवार, 24 जून 2017

मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्र पर चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: जाएंगे मंत्री विधायक पद


 मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री नरोत्तम मिश्र को चुनाव आयोग ने 3 साल के लिए विधायक के लिए अयोग्य ठहरा दिया है. मिश्र का वर्तमान मंत्री पद और विधायक पद तो गया ही अगला विधान सभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.

चुनाव आयोग को मध्य प्रदेश के कानून मंत्री नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में ‘पेड न्यूज’ के सबूत मिले हैं जिसके बाद उनके चुनावी खर्चों में 42,000 रुपए और जोड़ दिए गए हैं। मिश्रा संसदीय मामलों के मंत्री भी हैं और वह दतिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

जिले में आयोग द्वारा गठित मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) ने एक नवंबर को एक स्थानीय समाचार में छपी खबर को ‘पेड न्यूज’ पाया। इसके बाद समिति के अधिकारियों ने मिश्रा के खर्चों में करीब 42,000 रुपए और जोड़ दिए हैं तथा इस संबंध में एक रिपोर्ट भोपाल एवं दिल्ली में चुनाव आयोग और आयकर विभाग से भी साझा की गई है। मिश्रा पहले ही 2008 के विधानसभा चुनावों में ‘पेड न्यूज’ के आरोपों का सामना कर रहे हैं। 


‌ पहले ही किसान आंदोलन से समस्याओं से घिरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए आगामी विधान सभा चुनाव में भी इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के हमलावर तेवरों का सामना करना मुश्किल तो होगा ही. पेड न्यूज पर सरकार की छवि चमकाने के आरोप और आयोग के आदेश को इतनी आसानी से घुमाना इतना आसान भी नहीं होगा.


चुनाव आयोग के मुताबिक मिश्र के खिलाफ 2008 के विधान सभा चुनाव के दौरान पेड न्यूज प्रकाशित कराने का इल्ज़ाम विपक्षी नेताओं ने लगाया था. इल्ज़ाम लगाने वालों ने इस बाबत किए गए भुगतान के सबूत भी चुनाव आयोग के सामने पेश किए. चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्र को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. मिश्र के जवाब से आयोग सन्तुष्ट नहीं हुआ. क्योंकि सबूत और जवाब में कोई तालमेल नहीं था. आयोग ने लम्बी चली सुनवाई प्रक्रिया में जवाब दर जवाब मिश्र को दोषी माना.



2008 के विधान सभा चुनाव के दौरान का मामला था. 2012 में चुनाव आयोग के सामने आया. 2013 से सुनवाई शुरू हुई. यानी 2013 विधान सभा चुनाव से पहले. अब अगले चुनाव आने हैं लेकिन बाज़ी उलट चुकी है. चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने ही आदेश की तलवार चला दी.


नरोत्तम मिश्र की तेजी और जनसंपर्क कौशल को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनको जन सम्पर्क विभागकी भी ज़िम्मेदारी दी. साथ ही अनकहे अघोषित उपमुख्यमंत्री जैसी हैसियत भी. लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले आए चुनाव आयोग का यह आदेश शिवराज सिंह के लिए बड़ा झटका है

मामला केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंच गया। लंबे समय के बाद इस पर कार्रवाई की गयी है। वहीं, राजेंद्र भारती ने भी 2012 में चुनाव आयोग से मिश्रा की शिकायत की थी। भारती ने आरोप लगाया कि मिश्रा ने ही उनके खिलाफ झूठी खबर पेश करने के लिए पैसा दिया था।


नरोत्तम ने कहा था कि वे 2008 में उनके खर्चे से संबंधित किसी भी रिकॉर्ड को न दिखाए। इसके बाद मिश्रा ने चुनाव आयोग  के फैसले को चुनौती देने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का सहारा लिया। लेकिन दोनों ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने मिलकर मिलकर मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया है। 



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