बुधवार, 24 मई 2017

धर्मशाला सामाजिक संस्था जमीन पर अवैध व्यावसायिक निर्माण पर कार्यवाही हो सकती है

- करणीदान सिंह राजपूत-

नगर विकास न्यास, नगर परिषद और नगर पालिका जैसी संस्थाएं सामाजिक व धार्मिक संगठनों को प्रचलित दरों से बहुत कम दरों पर और मुफ्त में जमीनें देती रही हैं।
 आवेदन में सामाजिक कार्य के लिए धर्मशालाओं के लिए उपयोग लिखा जाता है। यह लिखकर बहुत कम दर पर जमीन ले ली जाती है और बाद में समाज के धनपति वह राजनीतिक प्रभाव रखने वाले बड़े लोग वहां पर दुकान या बड़े स्टोरों का निर्माण कर लेते हैं। धर्मशाला आदि का स्वरूप सड़कों के किनारे बदल दिया जाता है।यह सब नियम विरुद्ध और गैरकानूनी होता है।
नगर पालिका नगर परिषद नगर विकास न्यास से जब नक्शा मंजूर कराया जाता है तब उसमें दुकानें और स्टोर नहीं होते।

 धर्मशाला सामाजिक संस्था में दुकानें और व्यवसायिक स्टोर खोले जाते हैं वह निर्माण बिना मंजूरी के पूरा अवैध होता है।
समाज के कई सद्भावी लोग अवैध निर्माणों का  विरोध करते हैं। अनुबंध के आधार पर ही भवन का निर्माण की मांग करते हैं  लेकिन नगर पालिका अधिकारी सूचनाओं को फाइलों में दबाते रखते हैं।आवेदन करने वालों को चक्कर कटवाते रहते हैं।
 ऐसी स्थिति में शिकायतकर्ता को नगर पालिका अधिकारियों को दंडित करने और उनके सस्पेंड करने की मांग करनी चाहिए।वे सरकार से वेतन लेते हैं और सरकार के हित में काम नहीं करते। इसके लिए उपखंड अधिकारी को भी चेतावनी पत्र दिए जा सकते हैं। स्वायत्त शासन निदेशालय को शिकायत की जा सकती है।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी शिकायत की जा सकती है। नगरपालिका से धोखा देकर सस्ते में जमीनें लेकर और व्यवसायिक उपयोग करके सरकार को लाखों कार्यकर्ताओं नुकसान पहुंचाया जिसमें पालिका के कर्मचारी शामिल रहे हैं। सरकार से धोखा देकर सामाजिक कार्य के नाम पर जमीनें ली और
इन जमीनों का उपयोग अनुबंध के आधर पर किए जाने के बजाय व्यावसायिक या अन्य प्रकार से किया जाने लगा। पालिका अधिकारी ने अवैध निर्माण को मिलीभगत से नहीं रुकवाया यानी सरकार को जानते बूझते नुकसान पहुंचाया।
 संगठन में संस्थाओं में चाहे हजारों लोग सदस्य हों लेकिन जमीनों का लाभ चंद गिने चुने लोग ही उठाते हैं। ऐसे बली लोगों के विरूद्ध मोर्चा दो चार लोग ही खोलते हैं।

अवैध निर्माण पर जमीन को सीज करवाने की कार्यवाही भी करवाई जा सकती है। इसके लिए उपखंड अधिकारी को शिकायत करनी होती है। इससे पहले चाहे तो संचालक समिति को अवैध निर्माण रोकने का लिखा जाए उसमें चेतावनी भी हो की अवैध निर्माण रोका नहीं गया तो जमीन को सीज करने की अर्जी दी जाएगी।समाज का भला चाहते हैं तो अवैध निर्माण रोक दें बाद में सीज  की कार्रवाई का दोष हमें नहीं दिया जाए।
 इस पर समाज के लोग संस्था के संचालक अवैध निर्माण नहीं रोकें तो सीज की अर्जी लगाने में देरी करने की जरूरत ही नहीं होगी। यह कार्य कोई बोल्ड व्यक्ति ही कर सकता है।

प्रभावशाली और बली लोगों से टकराना मामूली नहीं होता। पहले तो इनके विस्द्ध शिकायत करने को कोई तैयार ही नहीं होता। कोई तैयार होता है तो उसे दबाया जाता है और धिकारा जाता है कि वह समाज के विरूद्ध कार्य कर रहा है। जो प्रभावशाली होते हैं उनके साथ लाभ उठाने वाले भी जुड़े हुए होते हैं जो शिकायतकर्ता के विरूद्ध जहर उगलने लगते हैं और प्रताड़ित करते हैं। अनेक लोग अखबारों तक समाचार छपवा कर विरोध में एक दो शिकायतें कर चुप हो कर बैठ जाते हैं। अखबार वाले भी चुप हो जाते हैं।
लेकिन अनेक लोग ऐसे भी होते हैं जो चुप नहीं होते तथा जंग को तैयार रहते हैं।
 आप के शहर व कस्बे में ऐसा हो रहा है और आप सही कराना चाहते हैं तो डट जाएं और गलत का विरोध करें। जीत आपके और सच्चाई की होगी।
 यह पोस्ट इसीलिए डाली गई है कि आपके इलाके में कहीं गलत हो रहा है तो कार्यवाही करें।

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