रविवार, 25 जून 2017

अपातकाल लोकतंत्र सेनानियों को केंद्र वह राज्य सरकारें सम्मान व सहायता करें

दिल्ली 21मार्च 2017.

अपडेट 25 जून  2017.

केन्द्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वर्तमान केन्द्र सरकार और कई राज्य सरकारें आपातकाल के दौरान त्याग और बलिदान करने वाले लाखों कार्यकर्ताओं के सहयोग से बनी है। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की बहाली के लिए जिन कार्यकर्ताओं ने त्याग और बलिदान किया उस पीढ़ी को यथोचित सम्मान और सहायता देने का फर्ज वर्तमान केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों का है। सरकार लोकतंत्र सेनानियों को सभी प्रकार की आर्थिक और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवायेगी। श्री गडकरी  ताल कटोरा स्टेडियम में लोकतंत्र सेनानियोें के अखिल भारतीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे। 


श्री गडकरी ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र सेनानियों को अनेक जुल्म और ज्यादतियां सहनी पड़ी थी, अनेक लोगों की जेलों में मौत हो गयी थीं, तत्कालीन जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों कार्यकर्ताओं ने 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया था जिसके फलस्वरूप देश में पुनः लोकतंत्र कायम हुआ। आज भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र और राज्यों में जो सरकारें हैं वे राष्ट्रवाद की विचारधारा की जीत के परिणामस्वरूप है। हमारी सरकारें भारत के निर्माण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेंगी। लोकतंत्र सेनानियों की उस पीढ़ी ने संघर्ष और त्याग किया। अनेक युवकों ने अपनी जवानी को भी कुर्बान कर दिया। अनेक कार्यकर्ताओं ने भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अपना योगदान दिया। उनकी तपस्या को भी सरकार सम्मानित करेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश सोनी ने कहा कि आपातकाल के दौरान लाखों युवकों ने त्याग और बलिदान किया है। लोकतंत्र सेनानी वह पीढ़ी है जिसकी प्रमाणिकता असंदिग्ध है। श्री सोनी ने कहा कि केन्द्र सरकार आपातकाल के दौरान जेलों में बन्द और भूमिगत रहने वाले कार्यकर्ताओं को सूचीबद्ध कर उन्हें सम्मानित करे जिससे भावी पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि जब-जब देश की संस्कृति और सभ्यता पर आक्रमण हुआ, देश में अत्याचार हुए तब-तब भारत माता ने ऐसे पुत्रों को जन्म दिया जिन्होंने अन्याय और अत्याचारों से मुक्ति दिलायी। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया गया तब उसकी रक्षा के लिए लोकतंत्र सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। आज जो परिस्थिति है उसमें कभी भी देश में आपातकाल नहीं लगाया जा सकता। लोकतंत्र बना रहे इसके लिए जरूरी है कि आपातकाल की कड़वी यादें बनी रहें। आपातकाल की संघर्ष गाथाओं को याद रखकर भावी पीढी को अवगत कराते रहें जिससे भावी पीढ़ी को आपातकाल के संघर्ष की गाथा याद रहे। लोकतंत्र सेनानियों के प्रयासों से ही देश में लोकतंत्र बहाल हुआ था। 


केन्द्रीय सूचना और प्रोद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने 1975 से 1977 के बीच में आपातकाल के दौरान चलाये गये दमन और आतंक की कहानी सुनायी। उन्होंने स्वयं आपातकाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए आंदोलन किया और जेल में बन्द रहे। आपातकाल के विरूद्ध काम करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को प्रणाम करते हुए कहा कि  आप में वह ताकत और जोश है जिसने हिन्दुस्तान की तत्कालीन सरकार को भी बदल दिया था। 

 भविष्य में भी देश को जागृत करते रहने के लिए लोकतंत्र सेनानी कार्य करते रहेंगे।केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि आपातकाल के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार किया जायेगा।


केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने घोषणा की कि लोकतंत्र सेनानियों को सी.जी.एच.एस. की तरह स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवायीं जायेंगी। क्योंकि ज्यादातर लोकतंत्र सेनानी अधिक उम्र के हैं। 


लोकतंत्र सेनानी संघ ऊके सम्मेलन में संघ के उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने,  कन्दकुमार चेन्नई, सचिवगण  सूर्यमणि सिंह रांची,  रविन्द्र कासखेडिकर नागपुर,  अजय बिश्नोई, दिल्ली के राजन ढींगरा धर्मवीर शर्मा, हेमन्त बिश्नोई, कोषाध्यक्ष संतोष शर्मा कार्यालय सचिव  सुरेश अग्रवाल सहित देश के 18 राज्यों से करीब चार हजार लोकतंत्र सेनानी उपस्थित थे।



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