सोमवार, 23 जनवरी 2017

वित्तमंत्री अरूण जेतली के भाषण को बीच में छोड़ गए

अमृतसर।
पंजाब विधानसभा और अमृतसर लोकसभा उप-चुनाव के चलते भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 21 जनवरी शाम को सिटी सेंटर में पहली रैली को संबोधित किया। भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार राजिंदर मोहन छीना और हलका पूर्वी के उम्मीदवार राजेश हनी के लिए प्रचार करने पहुंचे जेटली ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया तो कुर्सियां पर बैठे लोग उठकर वापस जाने लगें। 
300कुर्सियां लगाई गई थीं, अधिकांश खाली ही रहीं आखिर क्या कारण रहे हैं ? क्या 300 प्रमुख लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रहना मामूली बात है। सच्च यह है कि पंजाब में नोट बंदी से उद्योग धंधे तबाह हो गए। लोग खासकर उद्योग धंधे में बर्बाद हुए मालिक  भाजपा और अकाली नेताओं की शक्ल तक नहीं देखना चाहते।

 उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के भाषण के दौरान भी कुछ वर्कर लोगों को बैठे रहने की अपील करते रहे। 

 रैली में पहुंचे लोगों अौर वर्करों में चुनावी गर्मजोशी दिखाई नहीं दी।

 जेटली ने सिद्धू पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमारा पुराना एक साथी उस कांग्रेस की स्टेज पर बैठकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहा, जो देश में भ्रष्टाचारी पार्टी के नाम से जानी जाती है। स्विस बैंकों में खाते रखने वाले और मामलों में शामिल एक नेता के पैर छूकर भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करना विचित्र राजनीति है। पहले चुनाव दो पार्टियों के बीच आमने-सामने होता था, लेकिन आज भाजपा के विरोधी कांग्रेसी आपस में ही बंटे हुए हैं। पंजाब में बादल सरकार अमन-शांति सद्भावना के साथ साथ विकास के एजेंडे पर काम कर रही है। पूरी दुनिया में केवल अमृतसर है जिसका रूप पांच सालों में बदल गया है। 

सुखबीर बादल ने भी सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस इंसान ने उसे राजनीति के मुकाम तक पहुंचाया, उसी की पीठ में छुरा घोपा। इससे घटिया इंसान कोई नहीं हो सकता। सिद्धू सही मायने में बिकाऊ हैं, पहले आप से सौदेबाजी की और बाद में कांग्रेस से ज्यादा पैसे मिलने पर उनके साथ चला गया। सांसद रहते हुए सिद्धू ने अमृतसर में एक भी काम नहीं करवाया और उनकी धर्मपत्नी की ओर से भी हलके में एक भी विकास कार्य की निशानी नहीं हैं। 

शनिवार दोपहर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली बोले, मुझे लगता है कि नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में जवाब देना मेरे लिए जरूरी नहीं। अमृतसर का दुर्भाग्य था कि उसे साढ़े बारह सालों से एक गैरहाजिर सांसद मिला था। सिद्धू और कैप्टन दोनों ही संसद के साथ साथ हलके से भी गायब रहे। उप-चुनाव में पार्टी प्रत्याशी राजिंदर मोहन सिंह छीना की साफ छवि और 365 दिन हलके में मौजूदगी पार्टी को जीत दिलाएगी।

गौर करना चाहिए कि भाजपा में पापी भी  आए तो पवित्र बेदाग कहाता है और मालाओं से स्वागत किया जाता है। कोई पार्टी छोड़ कर दूसरी में चला जाए तो बेकार बुरा गंदा बन जाता है।

अगर सिद्धु अपने इलाके में नहीं गए थे तो क्या वह भाजपा की गलती नहीं थी? भाजपा को तो दंड मिलना चाहिए।



 

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