रविवार, 24 जुलाई 2016

पुतले फूंकने में कभी सूरतगढ़ का बाजार फुंक जाएगा


-जब आग भड़कती है तब सावधानियां काम नहीं आती-
महाराणा प्रताप चौक व सुभाष चौक प्रमुख बाजार है जहां पर दुकानों में कई करोड़ का सामान है तथा पुतले जलाने वालों का एक पैसा संपत्ति नहीं:


- करणीदानसिंंह राजपूत -
सूरतगढ़। महाराणा प्रताप चौक व सुभाष चौक रेलवे सड़क के प्रमुख बाजारों के केन्द्र हैं जहां एक एक दुकान शौ रूम आदि में कई कई लाख की सामग्री भरी है। राजनैतिक मांग हो या कोई आँदोलन हो या विदेशी दुश्मन को ललकारना हो तब इन चौराहों पर पुतले फूंके जात हैं और प्रदर्शन किए जाते हैं,लेकिन किसी दिन अनहोनी हो गई तब पुतलों के फूंकने में बाजार फुंक जाऐंगे। पांच दस मिनट में वह हो जाएगा जिसकी कल्पना करते ही रूह कांप जाएगी,लेकिन अभी इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। पुतले जलाने वाले राजनैतिक दलों व अन्य आँदोलनकारियों ने कभी इसकी परवाह नहीं की है। वे लोग जिनकी संख्या पचास साठ से सौ तक और कभी कभी तो बीस पचीस ही होती है। वे आते हैं उनके साथ फोटाग्राफर होता है जो पब्लिसिटी के लिए फोटो लेकर अखबारों में देता है। ये लोग पुतला जलाते हैं और चले जाते हैं। अधिक से अधिक पांच मिनट का यह कार्यक्रम होता है। इसके बाद पुतला उसके बांस घासफूस आदि बीस तीस मिनट तक जलते हुए पड़े रहते हैं तथा उनकी चिंगारियां दूर दूर तक उड़ती रहती है और दुकानों तक पहुंचती रहती है। बस ये जो चिंगारियां होती है उन्हीं से खतरा होता है। कभी अनहोनी हो जाएगी तब किसकी जिम्मेदारी होगी? अगर जिम्मेदारी डाल भी दी जाएगी और मुकद्दमा भी बना दिया जाएगा तब भी दुकानदारों को क्या मिलेगा? इस प्रकार की आग के नुकसान का कोई मुआवजा भी नहीं दिया जाता। बीमा कंपनियां भी नहीं देती।
सूरतगढ़ में जब जब आग लगी है तब तब मालूम पड़ता रहा है कि शहर में आग बुझाने के पर्याप्त साधन तक नहीं हैं। हर दुर्घटना में वायु सेना की दमकल आती रही है। उनके आने में भी एक घंटा तो लग ही जाता है तब आग तो बुझा दी जाती है ताकि वह दूर दूर तक नहीं फैले लेकिन आग का भरोसा तो नहीं किया जा सकता।
बाजारों में करोड़ों रूपए का सामान रखने वालों ने भी कभी इसकी चिंता नहीं की लेकिन यह चिंता की जानी चाहिए।
पुतले जलाने वाले कोई भी हों और उनका मकसद किसी भी प्रकार का हो कितना भी अच्छा हो लेकिन उनको भी इस प्रकार के खतरनाक कार्य की इजाजत तो नहीं दी जा सकती। बाजारों में पुतले फूंकने पर रोक होनी चाहिए। यह रोक लगाने का कार्य प्रशासन का है तथा इस रोक की मांग कोई भी संगठन,दुकानदार,व्यक्ति कर सकता है।
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