मंगलवार, 28 जून 2016

एसडीएम पोटलिया एसीबी छापे:चौंकाने वाला सच्च:घूस की रकम जमा होना झूठ:



अखबारों में कथित घूस 3 लाख माँ ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं में जमा होना छापा गया था:
1 जनवरी से 25 जून तक फर्म की बही में रकम का कोई इन्द्राज नहीं:


सूरतगढ़ 28 जून 2016. एसडीएम रामचन्द्र पोटलिया के ठिकानों पर एसीबी की छापेमार कार्यवाही के समाचार एसीबी अधिकारियों के हवाले से अखबारों में प्रमुखता से छपे और उनमें कथित घूस की रकम 3 लाख रूपए जैतसर की एक फर्म नारायणदास राकेश कुमार से निकाले जाने व दूसरी फर्म माँ ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं में जमा कराए जाने का उल्लेख किया गया था जिसमें एसडीएम का पुत्र पुष्कर पार्टनर है,लेकिन किसी भी संवाददाता ने माँ ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं के प्रोपराइटरों से इसकी पूछताछ तक नहीं की। चौंकाने वाला सच्च यह सामने आ रहा है कि फर्म में कोई रकम जमा नहीं हुई। फर्म सकते में है कि उसके लेखे में 1 जनवरी 2016 से छापेमार जाने की दिनांक 25 जून तक गोधाराम के नाम से कहीं ऐ पैसा तक जमा नहीं है।
अखबारों में छपा कि गोधाराम निवासी मानेवाला की आढ़तिया फर्म नारायणदास राकेश कुमार से गोधाराम ने 3 लाख रूपए निकाले और मां ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं में जमा करवाए। इसके बाद एसडीएम ने मानेवाला निवासियों दलीपसिंह पुत्र लटकनसिंह,गुरबचनसिंह,संतोदेवी पत्नी गुरबचनसिंह को 4.379 हैक्टर जमीन पुख्ता आवंटित कर दी।
अखबारों में छापा गया कि गोधाराम के आढ़तिये राकेशकुमार ने कथित बिचौलिए राजकुमार दायमा उर्फ राजू की दुकान नं 1 मां ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं में जमा करवाए गए। मां ब्रह्माणी में राजकुमार दायमा उर्फ राजू मालिक साझीदार कुछ भी नहीं है। मालूम हुआ है कि पुष्कर अपनी परीक्षा की तैयारी में था और उसने उक्त राजकुमार दायमा उर्फ राजू को कुछ दिनों के लिए दुकानदारी में सहायता के लिए कहा था। उसके तहत वह कार्य करता था। अखबारों में इसी राजकुमार दायमा का हवाला दिया गया कि उसने कहा कि फर्म मां ब्रह्माणी में रूपए जमा हुए हैं। राजकुमार दायमा से भी किसी ने नहीं पूछा और जब समाचार छपे तो वह चौंका कि उसने किसी को कुछ नहीं बताया और न उसने कहीं पर ऐसा बयान दिया है,लेकिन झूठे समाचार छाप दिए गए।
भूमि मालिकों का मुखत्यार नामा गोधाराम के नाम से है और गोधाराम का आढ़तीया फर्म नारायणदास राकेश कुमार है। इस फर्म में गोधाराम के नाम 18 जनवरी को 3 लाख रूपए लिखे हुए है। व्यापारी जब भी किसान को रूपए देता है तब उसके हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान बही में जरूर लेता है।
सामान्य रूप में संवाददाता पक्ष जानने के लिए पूछताछ करता है और संबंधित के पक्ष का उल्लेख भी करता है लेकिन इस प्रकरण में मां ब्रह्माणी ट्रेडिंग कं से कोई जानकारी नहीं ली गई।
आरोप है कि संबंधित किसानों का मुखत्यारनामा धारक दिसम्बर 2015 में एसडीएम से मिला तब उससे 3 लाख रूपए मांगे गए थे। वह एसीबी के मारफत यह रकम केमिकल पावडर लगी हुई देने वास्ते पोटलिया के पास आया। एसीबी की टीम भी थी लेकिन पोटलिया ने कथित घूस नहीं ली। अखबारो ंमें यह छापा गया कि पोटलिया ने अपने कथित दलाल के माध्यम से रकम जैतसर में देने का कहा हुआ था। एसीबी इस प्रकरण में दलाल को पकड़ सकती थी और कार्यवाही कर सकती थी। जैसे नगरपालिका में राजकुमार छाबड़ा के मामले में की गई। छाबड़ा ने खुद ने रिश्वत नहीं ली और ठेकेदार को दिलवाई। एसीबी ने ठेकेदार को पकड़ा और उसके साथ ही राजकुमार छाबड़ा को पकड़ा।
गोधाराम के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया? गोधाराम जो रकम 3 लाख रूपए लाया वह केमिकल लगा दिए गए व उनके नम्बर भी एसीबी ने लिखे होंगे जेसे सभी प्रकरणों में होता है। जब ट्रेप असफल हो गया तब वह रकम गोधाराम को कब लौटा दी गई?

अखबारों में यहां तक लिख दिया गया कि  एसडीएम ने गोधाराम को पुख्ता आवंटन कर दिया। अभी इस प्रकरण में जाँच जारी है और उसके फल का इंतजार करना चाहिए।


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