मनैं लागै है के इण जिसी आत्मकथा हिन्दी रे नामी लिखारां की भी नईं मिली।भगवान जाणै कित्ता दरद दरद दरद अर कित्ती कित्ती अबखाईयां आगे अर आगे मनोज सहन करतो रैसी। मनोज भी करड़कूं मांय जिको लिख्यो है बो आपरै सांमी है।
मनोज आपरो दिल दिमाग खोल दिया अर म्हूं म्हारे जिसी दिल मांय लागी बिसा सबदां मांय परोस दी आ किताब लोगों रे सामीं।
करणीदानसिंह राजपूत