- करणीदानसिंह राजपूत -
15-7-2015
up date 4-1-2016
update 26-6-2016
राहुल गांधी की पैदल यात्रा के बाद कोई भी कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता फेरी लगाकर लोगों से संपर्क करते रहने के लिए खड़ा नजर नहीं आएगा। यह शंका मुझे ही नहीं है बल्कि अनेक लोगों को भी हो रही होगी। राहुल गांधी नहीं आते तो यहां कोई यात्रा नहीं होती।
राहुल गांधी इस इलाके में आए है तो एक दिन स्थानीय नेता उनके साथ हो लेंगे। वे नहीं आते तो किसी के दिमाग में ही यह बात नहीं आती कि जनता से मिलते रहने का प्रयास होता रहे।
इसलिए यह शंका है कि राहुल की पद यात्रा में आगे आगे साथ साथ चलने वाले अपने स्तर पर यात्राएं करते लोगों से मिलते रहते तो राज जाने की हालत ही पैदा नहीं होती।
विधान सभा चुनावों में तीसरे चौथे क्रम पर पहुंच जाने के बाद भी कांग्रेसी नेताओं के दिमाग के कपाट बंद ही पड़े हैं। इनको हथोड़े मार कर भी खोला नहीं जा सकता।
जनता से मिलने का कार्यक्रम कांग्रेस जनों को मुफ्त सेवा का लगता है।
देश में अधिक समय तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेताओं को मुफ्त में सेवा करना भाता नहीं है। यह सोच भी हो सकती है कि जब पहले कभी मुफ्त में सेवा नहीं की तो अब नई परंपरा क्यों शुरू की जाए?
महात्मा गांधी तो जगाते रहने का प्रयास करते करते ही संसार से कूच कर गए।
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहां जो सोवत है
जो सोवत है सो खोवत है
जो जागत है सो पावत है।
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