बुधवार, 17 जून 2015

आपातकाल 1975 के बंदियों की दशा पर वसुंधरा की मानवीयता?


टिप्पणी-करणीदानसिंह राजपूत:
वसुंधरा राजे मानवीयता के कारण ललित मोदी की धर्मपत्नी का ईलाज करवाने में सहयोग वास्ते पुर्तगाल गई। पहले केन्द्र की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी की पत्नी के मामले में बुरी तरह से घिरी और अभी तक निकल नहीं पाई।
इसी दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ललित मोदी की मित्रता की खबर छा गई।
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे दोनों ने मानवीयता के आधार पर अपराधी भगोड़े ललित मोदी का साथ दिया।
बचाव के लिए यह शब्द मानवीयता बड़े काम का है और जहां चाहे इस्तेमाल किया जा सकता है।
वसुंधरा राजे ने आपातकाल 1975 के बंदियों की बीमारी वृद्धावस्था कई 90 साल तक के हो गए हैं और करीब करीब सभी 60 साल से ऊपर हो गए हैं के बारे में उत्सुकता से मानवीयता उजागर नहीं की।
आपातकाल में रासुका मीसा में बंदी रहे देशभक्त लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन शुरू करने में सात साल लग गए और वह जिनकी शुरू हो पाई। राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका से स्थगित भी हो गई। इसके बाद सरकार की ओर से इस पर क्या कार्यवाही हो रही है? इसका कोई समाचार नहीं है।
इसके अलावा आपातकाल में शांति भंग अधिनियम में भी अनेक लोकतंत्र सेनानी जेलों में बंद रहे,यातनाएं सहन की,उनके कारोबार चौपट हो गए,अखबार बंद हो गए। वे लोग इस समय 60 साल से ऊपर अनेक बीमार अवस्था में हैं और अनेक तो 90 साल तक की उम्र में हैं। उनको भी पेंशन देने के लिए कागजात प्रवधान प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कराया गया। सरकार के पास पड़ा है। लेकिन उस पर महीनों के बाद भी निर्णय नहीं हो पाया है। मंत्री परिषद की जब भी बैठक होती है तब लोगों को एक आशा बंधती है कि इस बार घोषणा हो जाएगी लेकिन निराशा हाथ लगती है।
माननीय गुलाबजी ने विधानसभा में एक सवाल के उतर में कहा था कि सरकार इस पर विचार कर रही है।
यह विचार आखिर कब होगा?
बहुत कम लोग जीवित बचे हैं। अगर उनको आज इस पेंशन का लाभर दे दिया जाता है तो उनके कुछ माह या कुछ साल आराम से कट जाऐंगे अन्यथा आशा में पीड़ाएं भोगते हुए मर जाऐंगे।
सवाल यह है कि वसुंधरा राजे को मानवीयता में ललित मोदी की पत्नी का ईलाज याद रहा लेकिन लोकतंत्र सेनानियों का ध्यान क्यों नहीं आया?
एक वसुंधरा ही नहीं राजस्थान के मंत्री लोकतंत्र सेनानियों के बारे में निर्णय लेने में वसुंधरा को कहने में डरते क्यों हैं?
राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों से भी यह छिपा नहीं है लेकिन वे भी इस बारे में वसुंधरा को कहने में दबाव डालने में कतराते हैं।
भाजपा को इसमें मानवीयता नजर नहीं आती तो लटकाने तरसाने आशाएं बंधवाने के बजाय साफ मना कर देना चाहिए कि शांतिभंग व अन्य धाराओं में बंदी रहे लोगों से हमारा कोई नाता नहीं है और कोई पेंशन नहीं देनी है।

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