मंगलवार, 30 जून 2015

मील होटल टी पोईंट का रिकार्ड एसीबी ने मांगा:



सूरतगढ़,30 जून। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की गंगानगर चौक ने मील के थर्मल टी पोईंट पर राष्ट्रीय उच्च मार्ग नं 15 पर बनाए गए होटल का रिकार्ड मांगा है। कृषि भूमि पर होटल अवैध रूप से बनाए जाने की शिकायत है। कृषि भूमि का भू उपयोग परिवर्तन कराना था लेकिन मील के सत्ता में होने के वक्त बिना नियम पूरे किए होटल बनाया गया। राजस्व विभाग का कोई अधिकारी पटवारी,तहसीलदार,उपखंड अधिकारी आदि ने खबरें छपती रहने के बावजूद वहां देखने की आवश्यकता नहीं समझी। 
इसकी शिकायत विभिन्न स्तरों पर हुई।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में इसकी शिकायत वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु की ओर की गई।
ताजा सूचना है कि ब्यूरो ने तहसीलदार व उपखंड अधिकारी से संबंधित रिकार्ड मांगा है। इसके लिए दोनों स्थानों से रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए तीन दिन का समय मांगा है। तीन दिनों में दोनों अधिकारी रिकार्ड उपलब्ध करवाऐंगे।

रविवार, 28 जून 2015

दो नामों से रहता अध्यापक:एक पीएचडी दोनों नामों पर इस्तेमाल:


बीएड की डिग्री में भी है शंका:
सूरतगढ़,28 जून। संपूर्ण देश में मंत्रियों की फर्जी डिग्रियों पर शोर मचा है तथा आम आदमी पार्टी का कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर जेल में है।
सूरतगढ़ में भी पिछले कुछ सालों से एक सरकारी अध्यापक शंका के दायरे में घिरा है।
एक नाम सरकारी स्कूल में है और कोचिंग में दूसरा नाम है।
असली नाम से शोध कर पीएचडी ली जो फर्जी नाम के साथ इस्तेमाल व प्रचारित की जा रही है। फर्जी नाम के साथ उक्त पीएचडी दर्शाते हुए विज्ञापन अखबारों में छपवाए जा रहे हैं।
अध्यापक नाम दो रख कर फर्जीवाड़ा करते हुए सरकार को गुमराह कर रहा है मगर उसका मुखड़ा एक ही है जो दो जगहों पर दो प्रकार का नहीं हो सकता।
उसकी बीएड की डिग्री शंकाओं में है जो नियमित छात्र के रूप में ली गई आरोप है कि उस समय वह किसी संस्थान में अंशकालीन भुगतान पर नौकरी कर रहा था। एक ही समय दो अलग अलग शहरों में कोई कैसे रह सकता है? शंका यह है कि बीएड की नियमित कक्षाओं में हाजिरी का फर्जीवाड़ा रहा। जिस स्थान पर पढ़ाने का पारिश्रमिक लिया वहां तो हाजिर होना जरूरी था।

शनिवार, 27 जून 2015

भूखंड महाघोटाला:ब्यूरो में पूर्व विधायक सिद्धु के बयान हुए:


सूरतगढ़,27 जून 2015.
नगरपालिका सूरतगढ़ में औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 की खरीद में घोटाले में पूर्व विधायक हरचंदसिंह सिद्धु की शिकायत पर
एसीबी में जयपुर थाने में एफआइआर नं 78:15. दर्ज होकर जांच श्रीगंगानगर चौकी के सुपुर्द की गई है। ब्यूरो ने 26 जून को सिद्धु के बयान दर्ज किए हैं तथा इसके बाद की कार्यवाही भी जल्दी होने वाली है।
पूर्व विधायक हरचंदसिंह सिद्धु ने बताया कि गंगाजल मील के विधायक काल में यह घोटाला हुआ जिसमें मील भी आरोपी है। इसमें भूखंडों की खरीद में महाघोटाला हुआ। उन लोगों को खरीदार बताया गया जो पहले शामिल ही नहीं थे। मनमर्जी से नाम डाले गए और हलफनामों से मनमर्जी से निकाले गए। इसके बाद गैर कानूनी रूप से टुकड़े करके आगे बेचान किया गया। इसमें गैर कानूनी रूप से टुकड़े खरीद करने वाले भी आरोपी हैं और सभी आरोपी संख्या करीब 40 के हो सकती है। सिद्धु का आरोप है कि इसमें सब रजिस्ट्रार भी आरोपी है।


शुक्रवार, 26 जून 2015

स्टेडियम और सड़क घोटाले एसीबी में ताजा आदेश:


अधिकारी मौके पर आकर हालात देखेंगे और उसके बाद पी दर्ज करेंगे
एडीएम सूरतगढ़ ने जांच कर सौंपी थी:
स्पेशल रिपोर्ट - करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 26 जून 2015.
नगरपालिका स्टेडियम और आवासन मंडल के पास बनी सड़क में हुए घोटाले पर हुई शिकायतों की जांच कर उच्च प्रशासन को सौंपी गई थी।
वे जाँचें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को प्रकरण दर्ज करने के लिए भिजवा दी गई थी।
अब ताजा स्थिति यह है कि उच्च आदेश के अनुसार श्रीगंगानगर एसीबी चौकी के अधिकारी स्वयं एक बार मौका देखेंगे। मौका देखने के लिए 10 दिन के भीतर पहुंचेंगे। मौका देखने के बाद आवश्यक समझा गया तब पी दर्ज कर जाँच शुरू की जाएगी।
स्टेडियम के निर्माण में घोटाला होने की शिकायत वर्तमान विधायक राजेन्द्रसिंह भादू ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आगमन पर की थी व स्टेडियम का मौका भी दिखलाया था।

पूर्व विधायक मील,पुत्र महेन्द्र,बनवारी,धुआ पर एसीबी में मुकद्दमा:



गंगाजल मीलमहेन्द्र मील बनवारीलाल मेघवाल संजय धुआ राकेश मेंहदीरत्ता पृथ्वीराज जाखड़


एफआइआर नं 78:15. जाँच एसीबी चौकी श्रीगंगानगर आनन्द स्वामी को सौंपी गई:
पूर्व विधायक वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु की एसीबी को शिकायत थी।
खरीदने वाले भी अपराधी:करीब 40 लोग भी फंसेंगे:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़,26 जून 2015.
नगरपालिका सूरतगढ़ में औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 की खरीद में घोटाला और उसके बाद गैर कानूनी रूप में टुकड़े कर बेचने में भी घोटाला हुआ जिसमें नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष,ईओ,खरीदार व आगे टुकड़े कर खरीदने वाले,हलफनामें देने वाले आरोपित हैं। पूर्व विधायक गंगाजल मील का नाम भी शिकायत में था और समाचार है कि अब उन पर भी आरोप हैं।
एसीबी में जयपुर थाने में एफआइआर नं 78:15. दर्ज होकर जांच श्रीगंगानगर चौकी के सुपुर्द की गई है। जांच अधिकारी आनन्द स्वामी को नियुक्त किया गया है।
पूर्व विधायक हरचंदसिंह सिद्धु ने बताया कि गंगाजल मील विधायक काल में यह घोटाला हुआ जिसमें मील भी आरोपी है। इसमें भूखंडों को गैर कानूनी रूप से टुकड़े करके आगे बेचान नहीं किया जा सकता। इसमें गैर कानूनी खरीद करने वाले भी आरोपी हैं और सभी आरोपी संख्या करीब 40 के हो सकती है।
इस संबंध में पहले जो खबर दी गई थी वह यहां दी जा रही है। ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::



पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु

महेन्द्र मील बनवारीलाल मेघवाल संजय धुआ राकेश मेंहदीरत्ता 

महेन्द्र मील,बनवारी मेघवाल,राकेश मेंहदीरत्ता,संजय धुआ के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में प्रकरण


सूरतगढ़ वर्कशॉप योजना के भूखंड 174 व 175 खरीद कर नियम विरूद्ध टुकड़े कर बेचान का आरोप:

भूखंडों की खरीद बेचान में नगरपालिका सूरतगढ़ को 2 करोड़ की हानि पहुंचाने का आरोप:


खास खबर- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़,22 अगस्त 2014. नगरपालिका में औद्योगिक भूखंड नं 174 व 175 की नीलामी और उनके रिकार्ड में गलत इन्द्राज व बाद में उनके नियम विरूद्ध टुकड़े कर बेचने आदि में भ्रष्टाचार व सरकार को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचाने वाले प्रकरण में पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की श्रीगंगानगर चौकी में बयान हुए। पालिका के कुछ कर्मचारियों को भी ब्यूरो में बुलाया हुआ था।
वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने पहले यह प्रकरण मार्च 2013 में भ्रष्टाचार निवारण अदालत श्रीगंगानगर में दायर किया था। सर्वाच्च न्यायालय के निर्देश पर अदालत में सीधे इस्तगासे पर प्रकरण की सुनवाई होने पर रोक लग जाने के कारण बाद में यह प्रकरण ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय में दर्ज कराया गया जहां से इसकी प्राथमिक जांच यानि पी दर्ज हुई।
अब इस प्राथमिक जांच प्रक्रिया में ब्यान दर्ज हुए हैं।
सिद्धु ने बयान देने के बाद यहां बताया कि इनमें दो पत्रकारों पर आरोप है।
सिद्धु का आरोप
 

 नगरपालिका सूरतगढ़ की मास्टर प्लान के तहत वर्कशॉप टांसपोर्ट योजना वार्ड नं 6 में भूखंड नं 174 और 175 की खरीद और उसके नियम विरूद्ध टुकड़े कर आगे बेचान करने तथा लीज को भी नियम विरूद्ध संशोधित किए जाने से राजकोष को 2 करोड़ रूपए की हानि पहुंचाने का आरोप लगाते हुए महेन्द्र मील पुत्र गंगाजल मील, पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल,अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,संजय धुआ पुत्र फतेहचंद के विरूद्ध पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7-3 ए, बी, सी, डी,भारतीय दंड संहिता की धाराओं 167,218,219,467,468,471,474 व 120 बी के तहत यह वाद दायर किया । इसमें सब रजिस्ट्रार पर भी मिली भगत का आरोप लगाया गया ।

    आरोप लगाया गया है कि वार्ड नं 6 में वर्कशॉप ट्रक ट्रांसपोर्ट योजना के प्लॉट नं 174 व 175 की नीलामी निकाली गई। इनके साईज 120 गुणा 150 फुट थे।

प्लॉट नं 174 की नीलामी में बोलीदाता रिंकलकुमार पुत्र देसराज,राजेन्द्रकुमार पुत्र गिरधारीलाल,नवलकिशोर पुत्र ओमप्रकाश,ओमप्रकाश पुत्र भूरा राम,इन्द्रादेवी पत्नी कृष्णदेव व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने अलग दो बोलियां लगाई। जिसमें अंतिम बोली 40 लाख 50 हजार रूपऐ राजेन्द्रकुमार की थी। अपराधिक षडय़ंत्र के तहत अध्यक्ष बनवारीलाल अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,सहायक अभियंता व प्रतिनिधि जिला कलक्टर ने उक्त बोली को संयुक्तरूप से राजेन्द,रिंकलकुमार,महेन्द्रकुमार,नवलकिशोर,ओमप्रकाश व इन्द्रादेवी की मान कर दर्ज की जो कानून विरूद्ध है।

    इसी प्रकार प्लॉट नं 175 की नीलामी में बोलीदाता जगदीश पुत्र सुरजाराम,संजयकुमार पुत्र फतेहचंद,राधेश्याम पुत्र गुरादित्ता,सुरेन्द्रकुमार पुत्र रामकिशन व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने बोली दी। इसमें संजयकुमार व महेन्द्रकुमार मील को एक पक्ष व सुरेन्द्रकुमार को दूसरा पक्ष मानकर बोली लगाई गई। यह अंतिम बोली संजयकुमार की 52 लाख 50 हजार की स्वीकृत हुई।

    प्लॉट नं 174 की लीज तैयार करते समय सफल बोली दाता नवलकिशोर व भूराराम का नाम वापिस ले लिया गया और अवैध रूप से भ्रष्टाचार करके 6 व्यक्तियों की एवजी में 4 की मानकर लीज तैयार की गई। और उक्त प्लॉट नं 174 को उपविभाजित करके 20 दुकानों का साइज बताकर लीज तस्दीक करवाई। जो कानून विरूद्ध थी।

इसी प्रकार प्लॉट नं 175 को अवैध रूप से उपविभाजित कर 20 दुकानों की लीज तस्दीक करवाई। सब रजिस्ट्रार सूरतगढ़ इस भ्रष्टाचार में लिप्त रहा।

इसके बाद दोनों मूल लीज को संशोधित करवाकर 4 भागों में उप विभाजित करवाकर उन 4 हिस्सों का अग्रेतर उपविभाजन कर लीज संशोधित करवाई गई। यही प्रक्रिया प्लॉट नं 175 में अपनाई गई।

उक्त प्लॉटों के उपविभाजन से बनी दुकानों को स्वीकृति देकर आरोपी पृथ्वीराज जाखड़ ने नामांतरण खरीदारान के नाम से किया तथा राजकोष को 2 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचाया।

इसमें विधायक गंगाजल मील पर भी आरोप लगाया गया है कि विधायक गंगाजल मील ने बनवारीलाल मेघवाल को अपना उम्मीदवार बताया जिसने पालिकाध्यक्ष सूरतगढ़ का चुनाव जीता। राकेश मेंहदीरत्ता जो नगरपालिका सूरतगढ़ में लेखाधिकारी पद पर कार्यरत था को विधायक गंगाजल मील और पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने सूरतगढ़ नगरपालिका में अधिशाषी अधिकारी पद पर नियुक्त करवाया।



आपातकाल लोकतंत्र सेनानी संगठन प्रदेश कार्यसमिति घोषित:


राष्ट्रीय संयोजक पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा हैं:
प्रदेश अध्यक्ष प्रभात रांका ने की है घोषणा:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 25 जून 2015.
आपातकाल 1975 के 40 साल पूर्ण हो गए लेकिन उस समय आम नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले जेलों में बंद रह अत्याचार सहन करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को वर्तमान केन्द्र की भाजपा सरकार व राजस्थान की भाजपा सरकार ने अनदेखा कर रखा हे।
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने तो जो वादे किए उनको पूरा करने में भी पीछे हट रही है और कोई घोषणा करने में कतरा रही है।
ऐसी स्थिति में सूरतगढ़ से 1977 में जनता पार्टी के विधायक रहे गुरूशरण छाबड़ा ने एक संगठन बनाया है। उसी की राजस्थान कार्यकारिणी की घोषणा हुई है। छाबड़ा आपातकाल में श्रीगंगानगर जेल में बंदी रहे और 15 अगस्त 1975 को स्वतंत्रता दिवस के दिन जेल में आमरण अनशन शुरू किया था। 


बुधवार, 24 जून 2015

करोड़ों की भूमि खांचा में दे डाली:पालिका में महा घोटाला:


एक एक व्यक्ति को देदी करोड़ों की भूमि: जमीन जितनी जमीन देदी:एक मामला बिना मालिक के ही देदी खांचा भूमि।
सूरतगढ़।
नगरपालिका में खांचा भूमि देने के मामले में कई करोड़ की भूमि खास लोगों को लुटा दी गई। अपना घर भरा गया लेकिन राजकोष को करोडों रूपए की चपत लगा दी गई। पालिका के नियमों तोड़ डाला गया।
सड़कों के किनारे व्यावसायिक भूमि देदी गई।
भूखंड जितनी ही जमीन खांचे में देदी गई और वह भी उसको जिसने खांचा मांगा लेकिन आवंटन से पहले अपनी भूमि बेच चुका था। कानून के अनुसार जब भूमि ही नहीं है तो उसको खांचा कैसे दिया जा सकता है?
राजनैतिक गर्माहट पालिका में भ्रष्टाचार को लेकर बढ़ी है।

मंगलवार, 23 जून 2015

बनवारीलाल काल की अंतिम बैठक की रिपोर्ट महाघोटाला?



पार्षदों को आजतक नहीं दी गई नकल:

सूरतगढ़ 23 जून।
नगरपालिका अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल के कार्यकाल में बोर्ड की अंतिम बैठक की कार्यवाही प्रोसिडिंग गंभीर रहस्य बनी हुई है। उसका ऐजेंडा क्या था और उसमें क्या लिखा गया? वह बैठक और उसकी कार्यवाही महाघोटाला आरोपों में घिरी हुई है जिसकी नकल आजतक पार्षदों को नहीं दी गई है।
नियमानुसार तो बैठक की कार्यवाही की नकल बिना मांगे ही पार्षदों को 48 घंटों में दे दी जानी चाहिए लेकिन नगरपालिका सूरतगढ़ में कभी भी नियम का पालन नहीं हुआ।
बनवारीलाल की अध्यक्षता वाली अंतिम बैठक में आखिर क्या है जिसको पार्षदों को नहीं दिया गया। उस समय जो पार्षद थे उनको नकल मिल जानी चाहिए थी।
बनवारलाल मेघवाल के कार्यकाल की उक्त बैठक का महत्व अन्य प्रकार से भी है। उस समय प्रदेश में कांग्रेस का राज बदल कर भाजपा की सरकार बन गई थी लेकिन नगरपालिका में कांग्रेस का ही बोर्ड था। बनवारीलाल की अध्यक्षता वाली बैठक में विधायक भी सदस्य बन चुके थे। इस बैठक के बाद पालिका चुनाव हुए तो भाजपा का बोर्ड बन गया व श्रीमती काजल छाबड़ा अध्यक्ष बन गई। काजल छाबड़ा की अध्यक्षता में नए बोर्ड की पहली बैठक हुई तब पिछली बैठक की पुष्टि करने से नए सदस्यों ने इन्कार कर दिया था। नए पार्षदों का कहना था कि हम सदस्य ही नहीं थे न हमारी उपस्थिति में बैठक हुई तब हम पुष्टि क्यों करें? इसके बाद पुष्टि के प्रस्ताव पर चर्चा ही नहीं हुई। उसी बैठक में गंभीरता वाली गड़बड़ होने की शंका है जिसके कारण पार्षदों को उसकी नकल नहीं दी गई।
उच्च स्तरीय जाँच में ही असलीयत सामने आ सकेगी।






रविवार, 21 जून 2015

सुहाना सा स्पर्श उसका-कविता



आधी रात को उसका आना
तन मन भिगो जाना
आनन्द में तन्द्रा आती रही
आँख जब खुली तब
वह सपना सी लगी।
लेकिन बिछौना भीगा
सलवटें लिए सच्च था।
कई दिन रात की लुका छिपी
नींद में खत्म कर गई
सुहाना सा स्पर्श
रोमांचित कर रहा है
फिर से आ जाए
तो रंग छा जाए।


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करणीदानसिंह राजपूत
पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356
==============

बुधवार, 17 जून 2015

आपातकाल 1975 के बंदियों की दशा पर वसुंधरा की मानवीयता?


टिप्पणी-करणीदानसिंह राजपूत:
वसुंधरा राजे मानवीयता के कारण ललित मोदी की धर्मपत्नी का ईलाज करवाने में सहयोग वास्ते पुर्तगाल गई। पहले केन्द्र की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी की पत्नी के मामले में बुरी तरह से घिरी और अभी तक निकल नहीं पाई।
इसी दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ललित मोदी की मित्रता की खबर छा गई।
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे दोनों ने मानवीयता के आधार पर अपराधी भगोड़े ललित मोदी का साथ दिया।
बचाव के लिए यह शब्द मानवीयता बड़े काम का है और जहां चाहे इस्तेमाल किया जा सकता है।
वसुंधरा राजे ने आपातकाल 1975 के बंदियों की बीमारी वृद्धावस्था कई 90 साल तक के हो गए हैं और करीब करीब सभी 60 साल से ऊपर हो गए हैं के बारे में उत्सुकता से मानवीयता उजागर नहीं की।
आपातकाल में रासुका मीसा में बंदी रहे देशभक्त लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन शुरू करने में सात साल लग गए और वह जिनकी शुरू हो पाई। राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका से स्थगित भी हो गई। इसके बाद सरकार की ओर से इस पर क्या कार्यवाही हो रही है? इसका कोई समाचार नहीं है।
इसके अलावा आपातकाल में शांति भंग अधिनियम में भी अनेक लोकतंत्र सेनानी जेलों में बंद रहे,यातनाएं सहन की,उनके कारोबार चौपट हो गए,अखबार बंद हो गए। वे लोग इस समय 60 साल से ऊपर अनेक बीमार अवस्था में हैं और अनेक तो 90 साल तक की उम्र में हैं। उनको भी पेंशन देने के लिए कागजात प्रवधान प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कराया गया। सरकार के पास पड़ा है। लेकिन उस पर महीनों के बाद भी निर्णय नहीं हो पाया है। मंत्री परिषद की जब भी बैठक होती है तब लोगों को एक आशा बंधती है कि इस बार घोषणा हो जाएगी लेकिन निराशा हाथ लगती है।
माननीय गुलाबजी ने विधानसभा में एक सवाल के उतर में कहा था कि सरकार इस पर विचार कर रही है।
यह विचार आखिर कब होगा?
बहुत कम लोग जीवित बचे हैं। अगर उनको आज इस पेंशन का लाभर दे दिया जाता है तो उनके कुछ माह या कुछ साल आराम से कट जाऐंगे अन्यथा आशा में पीड़ाएं भोगते हुए मर जाऐंगे।
सवाल यह है कि वसुंधरा राजे को मानवीयता में ललित मोदी की पत्नी का ईलाज याद रहा लेकिन लोकतंत्र सेनानियों का ध्यान क्यों नहीं आया?
एक वसुंधरा ही नहीं राजस्थान के मंत्री लोकतंत्र सेनानियों के बारे में निर्णय लेने में वसुंधरा को कहने में डरते क्यों हैं?
राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों से भी यह छिपा नहीं है लेकिन वे भी इस बारे में वसुंधरा को कहने में दबाव डालने में कतराते हैं।
भाजपा को इसमें मानवीयता नजर नहीं आती तो लटकाने तरसाने आशाएं बंधवाने के बजाय साफ मना कर देना चाहिए कि शांतिभंग व अन्य धाराओं में बंदी रहे लोगों से हमारा कोई नाता नहीं है और कोई पेंशन नहीं देनी है।

गुरुवार, 11 जून 2015

भाजपा सरकार राजस्थान में इतनी जल्दी फेल हो जाएगी,किसी ने नहीं सोचा था?

 अब तो जनता खुद बोलने लगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा।
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़ 11 जून- - सूरतगढ़ में आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार को अनेक आरोपों के घेरे में लपेटते हुए कहा कि ये सरकार इतनी जल्दी फेल हो जायेगी ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। राज्य सरकार का शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध होने लगा है। जनता खुद बोलने लग गई है।
गहलोत ने भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार पर आरोप लगाए कि जन कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करने के बजाय कांग्रेस राज में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया ह, या कमजोर व धीमें कर लुंज पुंज कर दिया। इस कारण से जनता में भारी आक्रोश है।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में इंदिरागांधी नहर के बाद रिफाइनरी सबसे बड़ी परियोजना थी जिसे केन्द्र सरकार द्वारा संचालित किया जाना था और अन्य राज्य की वनिस्पत राज्य सरकार की 26 प्रतिशत सर्वाधिक भागीदारी होने के बावजूद भाजपा सरकार उसमें मीनमेख निकाल रही है और प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार में जब विधायकों की सुनवाई भी नहीं होती तो जनता ऐसी सरकार से क्या उम्मीद करे। भाजपा कि विधायक स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे
है

गहलोत ने प्रदेश की जनता से आह्वान किया कि वो राज्य सरकार से जबाब मांगे कि प्रदेश में यह सब क्या हो रहा है?
अशोक गहलोत पूर्व सांसद शंकर पन्नू की पुत्री की शादी समारोह में शामिल होने के लिए श्रीगंगानगर जाने के लिए ट्रेन से सूरतगढ़ पहुंचे और यहां पर कुछ समय रूक कर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं व पत्रकारों से बातचीत कर कार से श्रीगंगानगर रवाना हो गए।

सोमवार, 8 जून 2015

वंदेमातरम् का नारा और मंचों पर आरोपी हों अतिथि तो कैसे बनेगा मोदी का भारत?


- करणीदानसिंह राजपूत -
वंदे मातरम् मुंह से और भारत माता का पूजन करवाएं उन लोगों से जिन पर किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार की कालिख लगी हो तो मोदी का भारत कैसे बनेगा? भ्रष्टाचार दुराचार के गंभीर आरोपों और करोड़ों रूपयों के गोलमाल करने वालों तथा सरकार की विकास की योजनाओं को घपलों में डालने वालों को मंचों पर सुशोभित करने से वंदे मातरम् का महान नारा केवल मुंह से बोल देने मात्र से तो सफल नहीं हो पाएगा। सीधी और दो टूक बात है कि समाजसेवी संस्थानों में पदाधिकारी अपने किसी न किसी व्यक्तिगत हित को ध्यान में रख कर आरोपियों को मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि बनाते हैं या अध्यक्षता करवाते हैं। जनता से इस प्रकार की बातें और राज छुपे हुए नहीं रह पाते। सामाजसेवी संस्थानों से सीधा सवाल है कि जो कार्यकर्ता आपके और धन भी आपका तब आरोपियों को मंचों पर लाने से कुछ कालिख तो लगेगी ही और आरोपों के घेरों में संस्था भी आएगी।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को महान बनाने के लिए कितने ही मंचों से दिल खोल कर अपने वक्तव्य दिए हैं लेकिन लगता है कि आपने आप को भारतीयता का प्रतीक कहलाने वाले संस्थाओं के पदाधिकारियों को उनकी बात समझ में नहीं आ रही है।
संस्थाएं कालिख लगे चेहरों को मंचों पर कैसा भी स्थान दें स्वागत करें लेकिन जो लोग ईमानदारी से भ्रष्टाचार खत्म करने पर लगे हुए हैं उनके कदम आगे बढ़ते रहेंगे। कालिख लगे चेहरे संस्थाओं के कार्यक्रम में सम्मानित होने से सफेद नहीं हो पाऐंगे। उन पर मुकद्दमे बनते रहेंगे और चलते भी रहेंगे। लेकिन कालिख लगे चेहरों को मंचों पर लाए जाने से संस्थाओं के उद्देश्य और संकल्प सफल नहीं हो सकते। इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि संस्था पदाधिकारी अपने संकल्पों से ही गद्दारी कर रहे हैं। इस प्रकार के दोगले व्यवहार से भारत महान कैसे बन पाएगा?
भ्रष्टाचारियों को मंचों पर बुलाने वाली और रिबन कटवाने वाली संस्थाओं के पदाधिकारियों की कुंडली भी जब बनने लगेगी तब उनके चेहरे भी बेनकाब होने लगेंगे। संस्थाओं को अपने आपको सुधारना ही होगा। भ्रष्टाचार से लडऩे वालों की नजर तो सब पर रहेगी।
वंदेमातरम् का नारा लगाओ तो पूरी ईमानदारी से लगाओ। भारत को महान बनाने का संकल्प है और समाजसेवा का संकल्प है तो समाज का खून चूंसने वालों का सत्कार बंद करो।
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एसीबी का मुकद्दमा कैंसर नहीं है असल में भ्रष्टाचार घोटाले कैंसर हैं


- करणीदानसिंह राजपूत -
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में नगरपालिका सूरतगढ़ के मुकद्दमें व जाँचें सर्वाधिक हैं और जब भी कोई मुकद्दमा व जाँच नई दर्ज होती है तब कहा जाता है कि यह तो कैंसर लग गया है और अब इससे जान ही जाएगी। इससे बचने की कोई दवा अभी तक नहीं बनी। लेकिन सच्च एकदम उल्टा है। कैंसर की दवा बनती जा रही है और ईलाज भी संभव हो जाता है लेकिन सच्च में भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का मुकद्दमा शिकंजे में कस कर मार ही डालता है। इससे बचने का कोई ईलाज नहीं है कोई दवा नहीं है।
असल में मुकद्दमा कैंसर नहीं है। कैंसर भ्रष्टाचार घोटाला है जिसे लोग खुद अपने गले लगाते हैं और जब यह बदन को घेरे में ले लेता है तब छटपटाते हैं।
नगरपालिका सूरतगढ़ के अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा पर पहला मामला ब्यूरो में जाँच के लिए दर्ज हुआ है और कितनी ही शिकायतें और हैं। जब जब घोटाला भ्रष्टाचार हुआ तब तब अनेक समाचार अखबारों में छपते रहे लेकिन उन पर गौर नहीं किया गया। अखबार वालों को ही झुठला देने का प्रयास किया जाता रहा। घोटाले करने वालों द्वारा और उनके चापलूसों द्वारा खबरों को ही झूठा बताने की कोशिशें होती रही है।
सत्ताधारी नेताओं की ओर से भी बचाव के रूख रहते हैं लेकिन ये प्रकरण सालों तक चलते हैं और राज बदल जाते हैं। बड़े दुखदाई होते हैं।
लोग कहते हैं कि कुछ भी नहीं होगा। लेकिन होता है और उसका प्रमाण रहा है ईओ मदनसिंह बुडानिया का गिरफ्तार होना।

बुधवार, 3 जून 2015

भाजपा नेता चरणजीत टंडन के सीमेंट गोदाम पर पुलिस की सील:


दुबारा बिक्री नहीं वाले 601 थैले कालाबाजारी के होने का आरोप:

टंडन की पत्नी भाजपा की पार्षद है: पहले टंडन खुद पार्षद था:
सूरतगढ़,3 जून।
राजेश सेतिया ने 2 जून को पुलिस में लिखित में एक शिकायत की जिसमें आरोप लगाया गया था कि चोरी से लाई गई सीमेंट वार्ड नं 9 के गोदाम में रखी हुई है तथा उसका इस्तेमाल नगरपालिका के निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। इसके बाद जिला पुलिस कार्यालय में भी शिकायत की जाने की खबर आई और हडकंप मचा।
सिटी पुलिस ने संबंधित स्थान पर छापा मारा। छापे में मालूम पड़ा कि उक्त दुकान हनुमान सोनी की है। उससे पूछा गया तो उसने बताया कि पूर्व पार्षद चरणजीतसिंह टंडन को किराए पर दी हुई है। पुलिस ने टंडन को तलब किया और ताला खुलवाया।
उस दुकान में 601 श्री सीमेंट के रॉक स्ट्रांग मार्का सीमेंट से भरे थैले मिले। उन पर लिखा हुआ था कि दुबारा बिक्री के लिए नहीं।
टंडन से इनके कागजात मांगे गए तब उसने असली के बजाय फोटो स्टेट बिल दिए जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर जारी किए हुए थे। टंडन ने पुलिस को जो कागजात दिए वे सुरेन्द्र कुमार बंसल श्रीगंगानगर निवासी के थे और 15 मई को श्री सीमेंट से थर्मल को जाने के लिए थे।
पुलिस ने सुरेन्द्र कुमार बंसल को तलब किया है और आगे की जाँच उसके आने पर खुलेगी।
पुलिस ने इन थैलों को अभी सीआरपीसी की धारा में जब्त किया है।
पालिका के निर्माण कार्य पर कितनी सीमेंट लगाई जा चुकी है यह भी जाँच का विषय है।
इस फर्म ने पहले भी जो निर्माण कार्य किए हैं उनकी सीमेंट कहां से खरीदी जाती रही हैï?
पालिका में पार्षदों पर अन्य नामों से ठेकेदारी करने के आरोप
नगरपालिका में बैठकों में व बाहर बार बार आरोप लगते रहे हैं कि कुछ पार्षद अन्य नामों की फर्मों से या अपने रिश्तेदारों की फर्मों के नाम से ठेकेदारी करते हैं। इसकी पुष्टि इससे होती है कि वे पार्षद व पूर्व पार्षद नगरपालिका में हर समय जमे हुए देखे जा सकते हैं तथा काम पर भी देखे जा सकते हैं। 

चरणजीतसिंह टंडन पहले खुद पार्षद था और मील के साथ था लेकिन बाद में पाला बदला और राजेन्द्र भादू के पाले में घुस गया व भाजपा की सदस्यता ग्रहण करली। 
वर्तमान में इनकी पत्नी भाजपा से पार्षद है। पालिका के नियमों में पार्षद का कोई रिश्तेदार संबंधित नगरपालिका में ठेकेदारी नहीं कर सकता। चरणजीतसिंह टंडन को नगरपालिका में लगभग देखा जा सकता है।
भाजपा के विधायक राजेन्द्र भादू ने भ्रष्टाचारियों को चेतावनी दे रखी है।
भाजपा की पालिकाध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा के बड़े बड़े बोर्ड नगर में लगे हें जिनमें भ्रष्टाचार मुक्त पालिका की घोषणा की हुई है।
दिल्ली की भाजपा सरकार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन का राग अलाप रहे हैं। नगरपालिका में जम कर भ्रष्टाचार होने का आरोप बार बार लगता रहता है। सीमेंट की सही जांच से असलियत सामने आ पाएगी।
श्री सीमेंट ठेकेदारों को कैसे देती है और कितनी सीमेंट सीधे देती है?
श्री सीमेंट के कारखाने से सीधे ठेकदार को सीमेंट थैले देने का कोई आधार बनाया हुआ होगा?
ठेकेदार को असल में निर्माण कार्य पर कितनी सीमेंट दी जानी चाहिए।
क्या सीमेंट अधिक दी जाती है जो बाजार में जाती है? किस दर पर दी जाती है? कारण कि ठेकेदार को जितनी अधिक सीमेंट सस्ते रेट पर दी जाती है। वह सरकार के राजस्व को घाटा होता है।
असल में यह घोटाला इतने ही सीमेंट थैलों का नहीं है।
यह महा घोटाला है जो व्यापक जाँच से खुलेगा और बड़े लोग लपेट में आ पाऐंगे। 

बिक्री कर विभाग को भी हुई है शिकायत और वह भी व्यापक जाँच करे तो श्री सीमेंट से हटेगा परदा

 

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