सोमवार, 27 अप्रैल 2015

बेटी चली गई प्रेमी संग? कहानी-


वह चली गई प्रेमी संग गुपचुप। माँ बाप का प्रेम फीका पड़ गया। उसका प्रेम परवान चढ़ गया। 


दर्द दे गई सदियों का। दर्द का गोदाम जो कभी खाली न होगा। भरा रहेगा दिन रात। जाते जाते माँ बाप की आखिरी वक्त की जमा पूँजी भी ले गई। रोटी का जुगाड़ था। पचास साल से बड़े माँ बाप के लिए अब कमाना मेहनत करना कहां संभव था?
एक ही लड़की। एक ही बेटी। कितने सपनें संजोए थे।
अच्छे खाते पीते घर में विवाह करने की सोच से पढ़ाने में लगे।
ऊंची शिक्षा के लिए कॉलेज में भर्ती कराया।
अभी कॉलेज में दूसरा साल ही बीता था।
परीक्षा देने गई थी। अपनी स्कूटी पर।
गई तब शनिवार की सुबह थी और शनिवार की शाम हो गई।
शिक्षा और संस्कार रोक रहे थे कि वह भाग नहीं सकती।
ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
अपनी बेटी है। अपना खून है। ऐसा नहीं कर सकती।
इतना लाड़ प्यार दिया है। नहीं। कहीं चली गई होगी सहेली संग। आ जाएगी। अभी शाम हुई है।
सोचते सोचते रात के दस बज गए।
दोपहर से उसकी साथिनों के घरों पर मोबाइलों पर कॉलें कर कर थक गए।
बार बार पूछने पर कुछ साथिनों के जवाब तो खीझ भरे आने लगे।

अंकल बार बार मुझसे क्यों पूछते हो? मैं उस जैसी नहीं हूं। मेरी मोम नाराज होंगी। आप मुझे फोन न करें।
एक मित्र ने तो हद ही कर दी। यार लड़की संभाली नहीं जाती थी तो पैदा ही क्यों की? अब उसको दुख की घड़ी में क्या जवाब देते? वही लड़कियों की स्वतंत्रता का हिमायती था और आजादी और आजादी चाहता था। अब उसी का इतना घिनौना उत्तर।
रिश्तेदारों को भी मालूम पड़ गया। उनके फोन आने लगे। वे बार बार पूछते रेनी लौट आई क्याï?
ऐसी लगती तो नहीं थी। ऐसे क्या हो गया? कहां जा सकती है? फोन पर फोन।
रात के बारह बज गए।
फोन आने बंद हो गए।
फोन जाने भी बंद हो गए।
अब माँ बाप दोनों ने ही मान लिया कि रेनी किसी सहेली के नहीं गई।
वह चली गई।
काश मालूम पड़ता और उसे रोक पाते।
कोई भनक नहीं लग पाई।
कैसे रोकते?
पड़ोस का लड़का भी गायब है।
वही ले गया। काश पहले भनक लगती तो उसका आना रोकते।
घर पर आना रोकते मगर वे घर से बाहर मिलते।
उसे रोकना क्या संभव था?
सारी रात बीत गई।
रविवार का सूर्य उदय हुआ।
एकदम खास मित्र को बताया।
वह जाते जाते
पूँजी भी ले गई।
लाख से ऊपर नगदी थी। कुछ गहने ले गई।
अपने कागजात पढ़ाई आदि के थे वे भी ले गई।
दिल मान नहीं रहा था।
फिर भी मित्र के कहने पर पुलिस में रिपोर्ट देने का हौंसला बनाया।
थाने पहुंचे और सारी कथा कह डाली।
दिल थाने में भी मानने को तैयार नहीं था कि वह घर से भाग गई है।
नहीं वह ऐसा नहीं कर सकती।
हां। उसे बरगलाया गया है।
उस लड़के ने फुसलाया है बहकाया है।
पुलिस रिपोर्ट में लिखवा दिया गया।
लड़का बहका कर ले गया।
पूँजी बाबत लिखवाना जरूरी था।
वह भी लिखवा दिया।
थानाधिकारी ने फोटो माँगी जो देदी गई।
पहले से सोच कर फोटो साथ ही ले गए थे।
अखबारों में न्यूज छपी।
सुबह सुबह फोन पर फोन कालें आने लगी।
जल्दी से उठाने लगे।
शायद रेनी का फोन हो।
गलती मानले। घर लौट आने का कहे। कहीं दूर हो और ले जाने का कहे।
कहीं भी हो। लौटा लाऐंगे।
कुछ भी नहीं कहेंगे।
डांट फटकार कुछ भी नहीं। बस उसका कॉल आ जाए।
दिन के सपने। सुहाने नहीं हो सकते।
फोन की घंटियां बजती रही।
कॉल पर बात करने का मन नहीं रहा।
वह अपनी पत्नी का मुंह देखने लगा।
पत्नी ने रूंआसे पति को देखा।
वह रो पड़ी।
दोनों रो पड़े।
अपनी होगी तो लौट आएगी।
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 करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356.

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