शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

अपना बजट:अपनी सरकार:अपना सिर और अपनी दीवार:


टिप्पणी-करणीदानसिंह राजपूत
अपनी यानि की भारतीय जनता पार्टी यानि अपनी जनता की सरकार और अपना बजट पेश हुआ। अब अपना सिर है और अपनी ही दीवार है, जितनी देर तक भिड़ा सकते हैं भिड़ाएं और फोड़ कर लहुलुहान करना चाहते हैं तो वह भी करलें। अपनी सरकार के लिए अब यही करना बाकी रहा है। इसे मोदी सरकार का बजट कहें चाहे अपनी सरकार का बजट कहें। अपनी सरकार की यह तो खूबी माननी ही चाहिए कि उसने हमारा सिर नहीं फोड़ा। अपराध का आरोप भी उस पर नहीं लगाया जा सकता। सरकार ने यह हालात कर दिए कि अपना सिर खुद ही फोड़ें चाहे आज फोड़ लें चाहे दो दिन बाद या उसके बाद फोड़ लें।
सरकार ने कह दिया कि मध्यम वर्ग अपना प्रबंध स्वयं ही करले। यही बात मैं लिख रहा हूं कि अपना सिर अपनी ही दीवार से फोड़ लें।
टीवी चैनलों पर अनुमान किए जा रहे थे कि आयकर का स्लैब बदल कर बढ़ाया जा सकता है। यही बात अखबारों के माध्यम से भी उठ रही थी। आशा की जा रही थी कि जनता को प्रभावित करने के लिए स्लैब में परिवर्तन करके टैक्स लगाए जाने की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अपनी सरकार ने यह स्लैब परिवर्तन नहीं किया।
सरकार को मालूम है कि हम रोते रहेंगे और दो चार दिन बाद चुप्प हो जाऐंगे। सरकार को यह भी मालूम है कि देश की आजादी के बाद से अब तक हम पर भार लादा जाता रहा और हमने कभी विरोध नहीं किया। सरकार को मालूम है कि इन पांच सालों में जो अवधि बची है उसमें ीाी हमारी सोच में ताकत में कोई परिवर्तन आने वाला नहीं है। सो सरकार ने पूरी सोच समझ से कर भार वहीं रख दिया। सरकार को मालूम है कि जो वेतन बढ़े हैं और आगे अभी बढऩे वाले हैं,उसका प्रबंध पहले से ही कर लिया है।
सरकार ने कर्मचारियों का ध्यान रखा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट आने वाली है और कर्मचारियों को बढ़ा वेतन देना होगा।
लेकिन इस देश में संगठित नहीं है तो वह है आम जनता। उसमें मध्यम वर्ग शामिल है। इसमें आम जनता जिसमें दिहाड़ी मजदूर,खेत मजदूर,होटल ढाबों में काम करने वाले या अन्य मजदूर हैं। ये यानि कि अपन ना संगठित हैं ना आनी कोई सोच है कि कोई मांग कर सकें। ललकार देना चुनौति देना तो अलग बात है।
हां वोट देने के लिए अपन संगठित हो जाते हैं जैसे अपनी मोदी सरकार के लिए संगठित हुए।
अपन ने पहली बार इतना तो सोचा ही था कि अपना चाय वाला भायला पीएम बना है तो अपना ध्यान जरूर जरूर रखेगा। सच में ध्यान रखा या नहीं रखा। अपन हिसाब से तो जरा भी ध्यान नहीं रखा।
हां एक बात का ध्यान तो रखा कि मनरेगा को बंद नहीं करेंगे उसे चालू रखेंगे तथा उसके लिए धन का प्रबंध भी करेंगे। मोदी जी ने भाषण में कहा कि उसे कांग्रेस की विफलता के रूप में ढ़ोल पीटते हुए चालू रखेंगे। वाह अपने चाय वाले भायले की सोच का जवाब नहीं। गरीबों को आजीविका चलाने के लिए चालू कार्यक्रम को वह इसलिए चालू रखेंगे ताकि कांग्रेस की विफलताओं के रूप में उसे जाना जाता रहे।
मोदी जो कहें। अपनी सोच तो यह है कि महात्मा गांधी का नाम ले लेकर मोदी सरकार भी चलेगी सो महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी मनरेगा योजना किसी भी हालत में बंद नहीं होगी।
अपनी सरकार बोली है कि बजट में महिलाओं की सुरक्षा व संबल के लिए बहुत कुछ किया जाएगा। वह अपन सभी आगे देखते रहेंगे।
अपनी सरकार के अपने बजट पर आशाएं लगाए थे। यह ध्यान में रखना चाहिए था कि रेल बजट जिस प्रकार का पेश हुआ उसी की तर्ज पर यह बजट भी आएगा और पक्का आएगा।
खैर। अब अपना सिर है और अपनी दीवार है।


शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

पीएम को पत्र:आपका दौरा जनता की कमर तोडऩे वाला-पूर्व विधायक सिद्धु:


भाजपा की वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार बेलगाम-आप धृतराष्ट्र:
करोड़ों रूपए आनन फानन में खर्च आपकी खुशफहमी वास्ते:
स्पेशल रिपोर्ट: करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 19 फरवरी के सूरतगढ़ दौरे पर आनन फानन में करोड़ों रूपए खर्च किए जाने पर पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें उनके दौरे को जनता की कमर तोडऩे वाला बताया है। सिद्धु ने लिखा है कि आपने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए घोषणा की थी कि न खाऊंगा और न किसी को खाने दूंगा,मगर राजस्थान की भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार बेलगाम हो रहा है। मोदी को लिखा है कि आप धृतराष्ट्र की तरह महसूस कर रहे हैं। आपकी आँखें धोखा खा रही हैं। पत्र में आशा की गई है कि सत्ता में मदांध न होकर विचार करें,अगर ईमानदार हैं तो इसे रूकवाएं।



गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

सर्वत्र उठा रहा सवाल-क्या दे गए मोदी? क्या दे गई वसुंधरा?

 

मोदी बाबा का ठुल्लू:सूरतगढ़ सभा 1 आदमी 25 हजार का पड़ा होगा:

सरकारी खजाने पर 50 करोड़ से अधिक का खर्च पर दिल्ली  राजनैतिक मृत्यु  का बारहवां किया।

टिप्पणी- करणीदानसिंह राजपूत


दिल्ली में 7 फरवरी को चुनाव मतदान के ठीक 12 वें दिन सूरतगढ़ में मोदी जी की सभा और उसमें वसुंधरा राजे के उदगार। मोदी के नाम पर हमने विधानसभा,लोकसभा,स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव जीते। दिल्ली में हुई राजनैतिक मृत्यु के बारहवें को मानो इन शब्दों के साथ भुलाया जा रहा हो। जनता का धन खुले रूप में बरबाद करने या दुरूपयोग करने का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता।

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

पीएम मोदी सूरतगढ़ सभा:सुरक्षा का जबरदस्त प्रबंध पहली बार:


सूरतगढ़ में रोडवेज बसें व भारी वाहनों को 40-50 किमी दूर से ही दूसरे रास्तों से जाना होगा।
सभा के लिए आने वाली बसों व छोटे वाहनों को ही सूरतगढ़ में प्रवेश की सुविधा:
प्रधानमंत्री का भाषण सुनने को कोई रोडवेज बस से पहुंचना चाहेगा तो वह नहीं पहुंच सकेगा।
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 18 फरवरी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सूरतगढ़ सभा के लिए सुरक्षा के लिए जो प्रबंध किए गए हैं। वह पहली बार इतने व्यापक रूप में देखे गए हैं। इतपे व्यापक प्रबंध पूर्व में आए प्रधानमंत्रियों की सभाओं में नहीं देखे गए कि सूरतगढ़ में प्रवेश ही न किया जा सके। सूरतगढ़ से होकर निकलने वाले वहनों को दूर से ही दूसरे रास्तों से आगे निकलना होगा। राष्ट्रीय उच्च मार्ग तक प्रभावित रहेगा। पीएम और आने वालों की सुरक्षा के लिए अन्य हजारों लोग प्रभावित होंगे।
यह सभा श्रीगंगानगर या शहर से बाहर कहीं की जाती तो इतने रास्ते बदलने मोडऩे की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती और लोग प्रभावित नहीं होते।
यह व्यवस्था 19 फरवरी को सुबह 7 बजे से ही लागू हो जाएगी। दिल्ली,जोधपुर,जयपुर से प्राइ्रवेट बसों से आने वाले यात्रियों को भी सूरतगढ़ में प्रवेश किस प्रकार होगा? लोग रेल से सूरतगढ़ तक आ सकते हैं।
यहां पर श्रीगंगानगर जिला पुलिस अधीक्षक की सूचना हम दे रहे हें ताकि लोग इसके अनुरूप अपना आना कर सकें।



सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

हारे योद्धा के स्वागत की तैयारियों पर करोड़ों का खर्च:


 - करणीदानसिंह राजपूत -
महान देश का महान सम्राट अपनी विशाल सेना और युद्ध के अति आधुनिक संसाधनों तरीकों के होते हुए साधारण से सिपाही से युद्ध में पराजित हो गया। पराजय भी इतनी दुखदाई कि इतिहासकार विशेष उल्लेख करने से चूकेंगे नही। युद्ध से पहले बड़बोलेपन से की गई घोषणाएं धूल धूसरित हो गई।
युद्ध में मात खाकर लौटे सम्राट का स्वागत करने को चाहे जो बहाना किया जाए तरीका निकाला जाए।
गरीब देश की गरीब जनता पर यह बोझ कितना कैसे डाला जाएगाï? जनधन सम्राट के हाथ में उसके प्रांतीय हाकिमों के हाथ में चाहे जितना उड़ाए। यह शायद इस सोच से किया जा रहा हो कि अभी और युद्ध करने हैं और इस पराजय किसी तरह से लोगों के दिल दिमाग से मिटाया नहीं जाएगा तो दूसरे युद्धों में भी बुरी गत बन सकती है। 
दिल्ली पर राज करने का सपना मुगलों के काल से आज तक चल ही रहा है। देश में राज आ जाए और दिल्ली में राज ना आए तो सब कुछ बेकार। सारे सपने चकनाचूर। ये सारे सपने एक साधारण सैनिक ने चूर चूर कर डाले।
सैनिक कह रहा है कि वह दिल्ली में ही रहेगा। यह सच्च होगा लेकिन दूसरी जगह दूसरा सैनिक नहीं होगा यह कहां गारंटी है। दूसरे युद्ध में दूसरा सैनिक भी तो पटखनी दे सकता है।
बस।
यही सोच खाए जा रही है। अब सम्राट का राज जितने सूबों में है कम से कम उन सूबों में तो स्वागत किया जा सकता है।
इसी स्वागत नीति से बड़े बड़े ठेके दिए जा चुके हैं। कभी कोई ऑडिट होगी नहीं।
आम जनता की परवाह करने वाले आधुनिक तकनीकी अपनाने का दावा करने वाले बता रहे हैं कि सभा स्थल पर बड़े बड़े स्क्रीन भी लगेंगे। जब यह साधन है तो लाखों लोगों को यहां लाने की जरूरत ही नहीं लोग टीवी स्क्रीन पर देख लेंगे और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री आदि स्क्रीनों पर आपसी बातचीत के साथ भाग ले लेंगे।
लेकिन ऐसा नहीं होगा।
सोचलें कि जिनका राज होता है वे चाहे जैसा कर सकते हैं। बात बजट उपलब्ध की सो रसोई गैस के एक सिलेंडर में ही 25 रूपए का भार जनता पर डाल ही दिया है। बस ऐसा ही होता रहेगा। ऐसे ही बजट बनता रहेगा और खर्च होता रहेगा। ऐसे ही स्वागत होते रहेंगे।
आपको अच्छा लगे तो शेयर कर अपने मित्रों को भी पढऩे का अवसर दें।

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

किसान मांगे पानी खाद:मोदी राजे देंगे कार्ड:


पानी मांगने पर दे गोली:यूरिया मांगने पर पुलिस के डंडे धक्के:




किसान खेतों में फसल पकाने को पानी और यूरिया खाद मांग रहा है। किसान की इन मांगों पर वर्षों से परवाह नहीं और उसकी मांग पर कोई तत्परता की कार्यवाही का न सोच कर दूर की कौड़ी लाई गई है तथा मृदा परीक्षण कार्ड बांटा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 19 फरवरी 2015 को सूरतगढ़ में पूरे देश के लिए इसका शुभारंभ करेंगे। इस योजना के तहत प्रत्येक खेत की मिट्टी की जांच होगी और उसका रिकार्ड रहेगा। यह मिट्टी परीक्षण कराने के लिए प्रयोगशालाएं होंगी व मिट्टी परीक्षण करवाना अनिवार्य होगा। राजस्थान में सींचित कृषि जिले श्रीगंगानगर को इसके लिए चुना गया व इसके शुभारंभ के लिए सूरतगढ़ को चुना गया।
    श्रीगंगानगर जिले के किसान पिछले कई सालों से पूरा पानी दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। किसानों को पर्याप्त पानी नहीं दिया जा रहा। किसान ने जब जब पूरे पानी की मांग को लेकर संघर्ष किया तब तब उसे पुलिस के धक्के मिले। भाजपा की पिछली वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में तो सरकारी हठ इतना बढ गया था कि निहत्थे किसानों पर पुलिस की गोलियां बरसाई गई और घड़साना रावला पानी आंदोलन में 6 किसान मृत्यु की गोद में धकेल दिए गए। आज भी पानी की कमी है और किसान लगातार मांग पर मांग करने में लगा है।
    खाद के मुद्दे पर भी किसान परेशानियों में जूझ रहा है। यूरिया का संकट बताया जाता है लेकिन उसका उत्पादन कम है तो कालाबाजार में वह कैसे उपलब्ध हो जाती है? सरकार को इतना तो मालूुम होता ही है कि प्रतिवर्ष किन किन फसलों के लिए कब कब कितनी कितनी यूरिया चाहिए और किस प्रदेश को कितनी? लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए जाते। यूनिया के लिए ीाी किसान को पुलिस के धक्के और डंडे मिलते हैं। सवाल यह है कि पहले से ही यूरिया का उत्पादन और वितरण समय पर किए जाने का प्रबंध हो तो पुलिस की और कृषि विभाग की तथा राजस्व अधिकारियों की ड्यूटी लगाने की जरूरत ही नहीं होगी। पानी खाद के लिए प्रशासन व पुलिस की ड्यूटी लगाने से उनके असली कार्य भी बाधित होते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया को बदलने की परिवर्तन करने की कोशिश ही नहीं की जाती।
जब राज से बाहर होते हैं तब राजनैतिक पार्टियां किसानों के साथ शामिल होती हैं और जब सत्ता में होती हैं तो किसान उनको खारा लगने लगता है। किसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है मानो वे किसी गुलाम देश के नागरिक हों। इन शब्दों को समझने के लिए किसान के खेत में पहुंच कर ही सोचा जा सकता है। राजनैतिक मंच या सभा मंच पर भाषण देते वक्त या सुनते सुनाते वक्त यह समझ में नहीं आ सकता। यही देश है जहां अन्नदाता कहलाने वाला किसान राजनेताओं के झांसे और पुलिस की गोलियां खाता है।
किसान खेत के लिए पानी और खाद मांग रहा है सरकार उसे ये नहीं दे रही। किसान को मिट्टी की जाँच का कार्ड देगी। यह मिट्टी जांच का कार्य पहली बार शुरू नहीं किया जा रहा। देश में मिट्टी जांच का कार्य कई सालों से चल रहा है और खेतों में मोबाइल प्रयोगशालाएं तक पहुंचती रही हैं।
पानी खाद की मांग कर रहे किसानों में यह नया शगूफा छोड़ा जा रहा है। कुछ सोच कर ही छोड़ा जा रहा होगा। वैसे भी प्रयोगशाला से भी अधिक किसान स्वयं जानता है कि उसके खेत की मिट्टी किस प्रकार की है तथा उसमें कौनसी अधिक लाभ देने वाली फसल पैदा की जा सकती है।
इस कार्ड देने की योजना में सूरतगढ़ में आम सभा की जाने की तैयारियां हैं तथा उसमें 4 लाख लोग दूर दूर से लाए जाने का निर्देश भाजपा कार्यकर्ताओं को दिया गया है। अभी तो कोई चुनाव भी नहीं हैं कि प्रधानमंत्री की सभा के लिए करोड़ रूपये तक सभा व्यवस्था में सरकार के खर्च कर दिए जाऐं।
श्रीगंगानगर में पानी खाद की मांग करने वाले किसानों को अपनी ओर खींचने के लिए भाजपा ने भी किसान मोर्चा बनाया था। उस किसान मोर्चा को संचालित करने वाले मंत्री और विधायक बने हुए हैं। वे जानते हैं कि किसानों को पानी व खाद चाहिए। वे यह भी जानते हैं कि मिट्टी परीक्षण तो किसानों ने करवाया हुआ है।

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

दिल्ली ऐसे मार देती है:मफलर से गला घोट कर:चिल्ला भी नहीं सकी भाजपा कांग्रेस:


- करणीदानसिंह राजपूत-
दिल्ली ऐसे बुरी तरह से मार डालती है मफलर से गला घोट कर कि मरने वालों की चिल्लाहट भी सुनाई नहीं पड़े। मृत्युदंड वाले के लिए जिस तरह से उसके गले के लिए फांसी का फंदा तैयार किया जाता है। खास मजबूत रस्सा मंगवाया जाता है और उसमें गांठ लगा कर कस कर देख परख लिया जाता है। ताकि मृत्युदंड वाला किसी भी हालत में बच न सके। रस्से की खिंचाई के साथ ही तड़पता दम तोड़ दे।
दिल्ली में दनदनाने वाले भाजपा व कांग्रेस के गलों को एक साथ मफलर से कस दिया गया। राजनीति में पहले ऐसी सामूहिक मौत देखी सुनी नहीं। कांग्रेस पूरी साफ हो गई तथा भाजपा के मुंह दिखाने को 3 बचे। कम से कम ये तीन भाजपा नेताओं को समीक्षा के लिए बतला सकते हैं कि किस तरह से साथी मारे गए। एक प्रकार से चश्मदीद गवाह।
    दिल्ली वालों ने ऐसा फैसला क्यों कर ले लिया? अभी तो मोदी का सितारा बुलंदी पर चढ़ रहा था। अभी अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा मित्रता का हाथ मिला कर मोदी जी की चाय पीकर लौटे ही थे। उनके समाचार टिप्पणियां छप ही रही थी।
देश को अभी तो मोदी जी बहुत कुछ देने वाले थे।
सच्च आखिर है क्या?
भाजपा के नेताओं नरेन्द्र मोदी व अन्य तथा कांग्रेस नेताओं ने जिस भाषा का अपने भाषणों में इस्तेमाल किया वो दिल्ली वालों को गाली से कम नहीं लगी। भाषणों में शालीनता नहीं थी।
केजरीवाल को बंदर कहा गया। कलाबाजियां खाने वाला बताया गया।
केजरीवाल को झूठा कहा गया।
केजरीवाल को नौटंकी करने वाला कहा गया।
भाग जाने वाला बताया गया।
केजरीवाल दिल्ली के दिल में था और इस प्रकार के भाषणों से वह दिल्ली के दिल में और भीतर तक समाता चला गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाखों रूपए के कोट के बजाय दिल्ली वालों ने केजरीवाल के मफलर को चुना।
गांधी का नाम लेना और उनकी जेसी दिनचर्या निभाते लंगोटी धारण करने में बहुत अंतर है। भाजपा ने केवल भाषणों में ही गांधी को बयान किया। देश का आम नागरिक भाूखा नंगा सोता है वहां प्रधानमंत्री लाखों का कोट पहने।
नरेन्द्र मोदी अगर रेहड़ी पर से 50 रूपए वाला कमीज खरीद कर पहनते तब भी वे प्रधानमंत्री ही कहलाते। कम कीमत वाली कमीज से उनका पद छोटा नहीं होता। वे और अधिक ऊंचाईयों पर पहुंचते। बीच रास्ते में इस प्रकार मामूली कहे जाने वाले हंसी उड़ाए जाने वाले मफलर से राजनैतिक मौत नहीं होती।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही समझ लें कि दिल्ली ने भ्रष्टाचार को अहम मुद्दा माना है और ईमानदारी की छवि वाली पार्टी को चुना है।
भाजपा और कांग्रेस स्थानीय स्तर पर भी सोच ले कि उनके लीडर केस तरह रहते हैं। उनमें कितनों ने लोगों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर रखा है। कितने सरकारी भूमि पर सड़कों पर कोठियां महल बना कर मार्केट काम्पलेक्स बना कर भ्रष्आचार फैला रखा है। जहां आम आदमी को रहने को मकान नहीं और ये लीडर लोग गरीबों के मकान आए दिन तुड़वा देते हैं। अन्य सुविधाएं भी हड़पने वालों को हटाया नहीं गया तो दिल्ली सारे हिन्दुस्तान में गली गली में गांव गांव में बोलेगी।
स्थानीय स्तर पर भी भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध मुंह खोलना और लिखित शिकायतें करना जल्दी होगा उतना ही अच्छा होगा।
दिल्ली से सबक लें।

सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

दिल्ली में आप की जीत:मोदी राजनीति का पतन कहलाएगी:


आप की जीत के पक्के विश्वास से मार्केट में जबरदस्त हलचल:
- करणीदानसिंह राजपूत -

दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के पक्के संकेत मिलने से चुनाव के परिणाम आने के एक दिन पहले 9 फरवरी को दिल्ली बाजार यानि कि राजधानी के बाजार में जबरदस्त हलचल मची है। शेयर बाजार में जबरदस्त हलचल पर राजनैतिक दृष्टि में कहा जा सकता है कि दिल्ली में आप की जीत का दूसरा नाम होगा मोदी की राजनीति के पतन की शुरूआत। यह वाक्य अनेक लोगों को भाजपा के कट्टर समर्थकों कार्यकर्ताओं को चुभने वाला लगेगा। मोदी की लहर तो पहले ही खत्म हो चुकी है तो उसके बाद अगली निचाई को राजनैतिक पतन की शुरूआत ही कहा जाएगा। इसके लिए अन्य कोई शब्द नहीं हो सकते।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव पूरे विश्वास ले लड़ा वहीं भाजपा में विश्वास की कमी रही। केन्द्र में व कई राज्यों में भाजपा की सरकारें होते हुए भी भाजपा में विश्वास की कमी जग जाहिर हो रही थी और इस कारण से भाजपा के नेताओं पर जीत का भरोसा न करते हुए बाहर से खोज खोज कर प्रत्याशी लाए गए।
दिल्ली का मतदाता इतना स्याना समझदार और राजनैतिक सूझबूझ वाला जरूर है कि भाजपा की प्रत्याशियों की खोज नीति को भली भांति समझता रहा है। वह आम आदमी पार्टी को एक बार वोट देकर इतना जल्दी बदलने वाला नहीं है। हां,मतदाता को यह मालूम पड़ गया था कि उसने बहुमत में कमी रख दी थी। बस,इस बार के चुनाव में वह बहुमत वाली कमी को पूरा करेगा। यही संकेत मिल रहे हैं।
असल में ये संकेत चुनाव में मतदान से पहले से मिलने लग गए थे।
इन संकेतों के कारण ही प्रधानमंत्री तक विचलित हुए भाषण दे रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सभा में कहा था कि जो जिस काम में स्पेसलिस्ट हो उसे वहीं काम सौंपना चाहिए। जनता से हां भरवाने के लिए कहा कि बहनों और भाईयों ऐसा होना चाहिए कि नही? केजरीवाल की पार्टी तो धरना प्रदर्शन करने में स्पेसलिस्ट है उसे राजनीति की सरकार चलाने की जानकारी कहां है?
अब मोदी जी को कोई पूछे कि आप चाय बनाने और पिलाने में स्पेसलिस्ट थे। आपको वही काम सौंपा जाना चाहिए था लेकिन जनता ने देश का प्रधानमंत्री बना दिया।
जहां तक सवाल धरना प्रदर्शन करते रहने का है,तो ये कार्य तो राजनीति की पहली सीढ़ी है और हर पार्टी ने ये कार्य देश में कहीं न कहीं तो जरूर ही किए हैं। मोदी जी वाली भारतीय जनता पार्टी ने भी किए हैं।
केजरीवाल ने इसका उत्तर बड़ा संजीदा दिया और जनता के सामने दिया कि धरना प्रदर्शन खुद के लिए नहीं दिया। आप लोगों के लिए दिया। केजरीवाल ने इसमें जनता से हां भी भरवाई।
भाजपा की केन्द्र की संपूर्ण सरकार,प्रदेशों के नेता और सरकारें सारे के सारे दिल्ली चुनाव में लगे और उसके बाद भी संकेत ये कि दिल्ली में आप को बहुमत मिलेगा और उसकी सरकार बनेगी।
इतिहास लिखने वाले और राजनैतिक समीक्षक इसे मोदी की राजनीति के पतन की शुरूआत मानेंगे।

रविवार, 8 फ़रवरी 2015

सूरतगढ़:प्रधान बिरमादेवी उपप्रधान रामकुमार भांभू का विजय जूलूस


सूरतगढ़ 8 फरवरी 2015.
पंचायत समिति चुनाव में भाजपा की बिरमादेवी प्रधान व भाजपा के रामकुमार भांभू के उपप्रधान चुने जाने के बाद विजय जूलूस निकाला गया।
पंचायत समिति कार्यालय से खुली जीप में विधायक राजेन्द्र भादू ,प्रधान बिरमा देवी नायक व उप प्रधान रामकुमार भांभू को जुलूस के रूप में विधायक के आवास पर लाया गया।
पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुभाष भूकर ने कहा कि विधायक राजेन्द्र भादू के नेतृत्व में पंचायत समिति में लगातार तीसरी बार बोर्ड गठित कर भाजपा ने इतिहास रचा है।
विधायक राजेन्द्र भादू ने अपने सम्बोधन में कहा कि ग्रामीण विकास में धन की कोई कमी नही आने दी जायेगी। लोगों ने जिस प्रकार विश्वास व स्नेह देकर भाजपा को भारी मतों से विजयी बनाया है हम उनके विश्वास को कभी टूटने नहीं देंगे। भादू ने कहा कि राजस्थान की मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे की मंशा है कि ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थाओं के प्रधान ,उपप्रधान,पंचायत समिति सदस्यों ,सरपंचों व पंचों की सम्पूर्ण भागीदारी रहे।

पंचायत समिति के जन प्रतिनिधि ग्राम विकास की जो योजनाऐं लेकर आयेंगे उन पर गम्भीरता से विचार कर ग्राम विकास करवाया जायेगा।
            

सूरतगढ़:रामकुमार भांभू उपप्रधान: कांग्रेस 11 मतों से पराजित


सूरतगढ़ 8 फरवरी 2015. भाजपा के रामकुमार भांभू पंचायत समिति उपप्रधान पद के चुनाव में विजयी घोषित हुए ।
रामकुमार भांभू ने विधायक राजेन्द्र भादू के साथ आकर सबसे पहले अपना नामांकन दाखिल किया।
बसपा के आदराम मेघवाल जिलाध्यक्ष रायसहाब मेहरड़ा व पूर्व नगर अध्यक्ष पवन सोनी के साथ दाखिल करने पहुंचे ।
कांग्रेस के राजकुमार ने पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वी राज मील के साथ आकर अपना नामांकन दाखिल किया।
किसी ने भी नामांकन वापस नहीं लिया तो मतदान होने की स्थिती बन गई। मतदान का समय प्रारम्भ होने के बाद विधायक राजेन्द्र भादू के नेतृत्व में 12 सदस्य पहुंचे और मतदान किया।
विधायक पुत्र अमित भादू के साथ 4 सदस्य पहुंचे और मतदान किया।
उसके बाद कांग्रेस के 5 सदस्यों ने समूह में पहुंच कर मतदान किया।
उसके बाद 2 सदस्यों ने मतदान किया।
भाजपा के रामकुमार भांभू को 16 मत ,कांग्रेस के राजकुमार को 5 मत व आदराम मेघवाल को 2 मत ही प्राप्त हुए । भाजपा के राम कुमार भांभू को 11 मतों से विजय घोषित किया गया।

कहाणी-राजस्थानी: बडे चौधरी री चौधर




- करणीदानसिंह राजपूत -

पंचायतां रा चुनाव हैलो मार मार हुया। गंवारू कहीजता गांव ढाणी मांय रेत मांय रमता लोगां नुवां पंच अर सिरेपंच चुन्या। देखो बठीनै एक भांत री चरचा अर बातां। पुराणा चालीस पचास सालां सूं चौधर करण वाळा नै ठुकरा नाख्या परै। कोई कैवे चौधरी री मिसरी ठंडी कर नाखी। कोई कैवे चौधरी नै माटी रळया दियौ। बातां रो कांई।
पण इण चुनावां मांय एक बात सगळी जिग्या दिखी। चालीस पचास सालां सूं जका भोळै भाळै लोगां नै मूरख मान पगरखी समझया करता हा, बां री चौधराहट रो तो इसो किनारो कर दिन्यौ कै आगै कई सालां नीं पांघरै। 


शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

सूरतगढ़:भाजपा की बिरमा देवी प्रधान:कांग्रेस ने नामांकन वापस लिया:


भाजपा की बिरमादेवी को 18 व निर्दलीय सुमित्रादेवी मेघवाल को 5 मत मिले
भाजपा के 13 कांग्रेस के 5 बसपा के 2 निर्दलीय 3 डायरेक्टर चुने गए थे:
कांग्रेस के खुले रहे डायरेक्टरों ने किसको वोट डाले? भाजपा को या निर्दलीय को?
भाजपा की जीत पर विधायक राजेन्द्रसिंह भादू को बधाईयां व गुलाल खेली गई:
स्पेशल रिपोर्ट व फोटो-  करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ 7 फरवरी 2015.सूरतगढ पंचायत समिति के प्रधान पद पर भाजपा की बिरमा देवी चुनी गई। बिरमादेवी को कुल 18 मत मिले जो भाजपा के निर्वाचित 13 डायरेक्टरों से 5 मत अधिक थे। कांग्रेस के कुल 5 डायरेक्टर थे लेकिन उनकी प्रत्याशी का नामांकन वापस लिए जाने के बाद खुले रहे डायरेक्टरों ने किसे वोट डाला? इसका अनुमान लगाया जाने लगा और चर्चा गरमा रही थी कि उनमें से भाजपा को वोट मिले हैं।
चुनाव की प्रक्रिया रोचक रही और परिणाम घोषित होने तक अनुमान ही लगाए जाते रहे और भाजपा को 5 वोट अधिक मिलना आश्चर्यजनक रहा।

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