मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

रेलवे द्वारा मकानों के हटाने का नोटिस:मकान मालिक पट्टेवाले:

रेलवे के नोटिस से करीब 50 से अधिक परिवार प्रभावित
मकान बने हुए चालीस पचास साल बीत गए
पार्षदों व मकान मालिकों की हुई बैठक:
खास रिपोर्ट: करणीदानसिंह राजपूत
रेलवे ने अपनी सीमा बतलाते हुए रेलवे सीमा से सटे हुए मकानों को हटाने का नोटिस दिया है जिस पर हड़कम्प मचा है। मकान मालिकों के पास नगरपालिका के दिए हुए पट्टे भी हैं। रेलवे ने इस प्रकार की कार्यवाही पहले भी की थी लेकिन वह शांत हो गई थी। अब फिर रेलवे के नोटिस से करीब 50 से अधिक परिवार प्रभावित हैं और भयानक शीत लहर में वे अचानक कहां जाएं?
रेलवे जिस भूमि को अपनी बता रहा है उस पर मकान बने हुए चालीस पचास साल बीत गए हैं। रेलवे ने अपनी जमीन की सुरक्षा क्यों नहीं की? रेलवे अपनी सीमा तक लोहे की पटरियों के टुकड़े गाड़ कर सीमा चिन्हित करतर रहा है। यहां पर यह चिन्ह क्यों नहीं लगाए गए थे? रेलवे जिस भूमि को अपनी बतला रहा है, उसके बारे में कोई मैप आदि संबंधित नागरिकों को बताया ही नहीं गया है। रेलवे को सीमा ज्ञान किसने करवाया?
रेलवे की कुल कितनी भूमि पालिका क्षेत्र में आती है और वह कहां से कहां तक है? इस भूमि का ज्ञान शहर वासियों को होना जरूरी है।
रेलवे जब तब नागरिकों को नोटिस थमा कर उनके परेशानी डालने वाले कार्य करता रहा है।
अगर यह भूमि रेलवे की है और पालिका ने उसके पट्टे दे दिए हैं तथा रेलवे को अब भूमि की आवश्यकता है तो वह अन्य स्थान पर नगरपालिका से ली जानी चाहिए। नगरपालिका ने संबंधित भूमि के जो भी रियायती दर थी उसके हिसाब से पैसे लिए हैं। नगरपालिका की भी जुम्मेदारी बनती है, इसलिए इस मामले को निपटाने के लिए पालिका बोर्ड को भी पहल करनी चाहिए तथा मकान मालिकों को राहत दिलानी चाहिए।
रेलवे के नोटिस से पचास से अधिक परिवारों का चैन खत्म हो गया है।
इस मामले की गंभीरता को लेकर पार्षदों व प्रभावित लोगों की एक बैठक 30 दिसम्बर 2014 को वार्ड नं 24 के सामुदायिक भवन में हुई है। उक्त बैठक में गोपीराम नायक,ज्योति महंत, अजय धींगड़ा,विनयसिंह चंदेल,जगदीश मेघवाल,पंकज सैनी,प्रदीप भारद्वाज,यशपाल शर्मा,जगदीश आचार्य,विक्रम आचार्य आदि उपस्थित हुए हैं।

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