बुधवार, 28 मई 2014

प्राचीन शनि मंदिर सूरतगढ़:आस्था का प्रतीक:दूर दूर तक ख्याति:

शनि देव की प्रतिमा


आलेख एवं फोटो- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़।
गढ़ के सामने शनि भगवान का प्राचीन मंदिर है जिसमें नीले हाथी पर सवार शनि देव की प्रतिमा आकर्षित करने वाली है। इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक है। 
शनि की ढईया साढ़े शती पर प्रभाव कम करने के लिए तो पूजन अर्चन होता ही है। साधारण रूप में शनिवार और अन्य दिनों में भी शनि को तेल चढ़ाने को नर नारी पहुंचते रहते हैं। 
शनि जयंति पर तो खास पूजा पाठ के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रहती है। पुजारी कृष्णलाल भार्गव कथा सुनाते हैं। 
शनि जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए लंगर में प्रसाद खिलाया जाता है। पानी की भी विशेष व्यवस्था होती है। 



पुजारी कृष्णलाल भार्गव कथा सुनाते

श्रद्धालुओं के लिए लंगर
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शनि जयंती पर जोत में शनि भगवान की अद्भुत आकृति:


सूरतगढ़ राजस्थान के प्राचीन शनि मंदिर में दिखा कमाल:



 
पुजारी कृष्णलाल भार्गव कथा सुना रहे थे:
शनि जयंति:अमावस्या:दिनांक 28 मई 2014.समय सुबह 9 घंटे 45 मिनट 52 सैंकिंड:
फोटो आलेख- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़,
प्राचीन गढ़ के ठीक सामने प्राचीन शनि मंदिर है जिसकी ख्याति दूर दूर तक है। शनि की ढईया साढ़े शती पर प्रभाव कम करने के लिए तो पूजन अर्चन होता ही है। साधारण रूप में शनिवार और अन्य दिनों में भी शनि को तेल चढ़ाने को नर नारी पहुंचते रहते हैं।
शनि जयंति पर तो खास पूजा पाठ के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रहती है।
पुजारी कृष्णलाल भार्गव कथा सुनाते हैं।
वर्ष 2014 के मई मास की 28 तारीख शनि जयंति अमावस्या के दिन पुजारी कृष्णलाल भार्गव शनि की कथा सुना रहे थे। उनके पास में ही शनि कि विशाल चित्र के आगे जोत प्रज्जवलित थी।
उस जोत की लपट में शनि भगवान की आकृति नजर आई। एक क्षण का कमाल।

गुरुवार, 1 मई 2014

पुरूषों के मजे:कई शादियां रचाने का कानून बनाया गया:



दुनिया में केन्या एक ऐसा देश बन गया है जहां पुरूषों को एक से अधिक शादियां रचाने का कानूनी अधिकार सरकार ने दे दिया है। हालांकि वहां पुरूषों व महिलाओं के लिंगानुपात में कोई अधिक अंतर भी नहीं है। पुरूषों की 101 संख्या के पीछे 100 महिलाएं हैं। करीब 4 करोड़ 50 लाचा की आबादी वाले देश में पुरूषों को दी गई इस छूट का महिला संगठनों ने विरोध भी किया है,मगर उनके विरोध के बावजूद संसद में पारित बिल पर राष्ट्रपति उहरू केन्याता ने 29 अप्रेल 2014 को हस्ताक्षर कर दिए। राष्ट्रपति भवन से इस कानून के लागू किए जाने के बारे में एक बयान भी जारी किया गया जिसमें बताया गया कि विवाह से संबंधित सभी नियमों का अध्ययन करने के बाद यह नया कानून बनाया गया है।
    शादी एक हो चाहे अधिक इसमें पुरूष और महिला दोनों की रजामंदी होती है। इस नए कानून को केन्या की संसद ने पिछले महीने पारित कर दिया था। शुरूआती कानून में पत्नी को वीटो करने का यानि की रोकने का अधिकार था। लेकिन संसद के पुरूष सदस्यों को उक्त वीटो करना पसंद नहीं आया, इसलिए उन्होंने संशोधन कर महिलाओं के वीटो करने के अधिकारी को हटा दिया। इसके बाद पुरूषों के लिए एक से ज्यादा शादियां रचाने का रास्ता बन गया। महिला सांसदों ने इसके लिए जोरदार बहस की थी, लेकिन पुरूष सांसदों के आगे उनकी बहस बेकार हो गई और संशोधन को पारित कर दिया गया।
केन्या में प्रोस्टेंट इसाई धर्म को मानने वाले काफी संख्या में हैं।
केन्या के 40 चर्च और इसाई संस्थाओं के शक्तिशाली समूह संगठन नेशनल कॉंऊसिल ऑफ चर्च ने भी इस नए कानून की आलोचना की है।
महिला वकीलों के संगठन फीडा केन्या ने इस कानून को अदालत में चुनौति देने की घोषणा की है।






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